फिल्म की कहानी दिल्ली के एक फाइव स्टार होटल से शुरू होती है, जहां होटल मैनेजमेंट का कोर्स करने के बाद कुछ लड़के व लड़कियां ट्रेनी के रूप में काम कर रहे हैं. इनके साथ शर्त है कि इन्हे ट्रेनी के दौरान उपस्थित बनाए रखते हुए शिकायत का मौका नहीं देना है. बीच में खुद छोड़ कर गए या होटल प्रबंधक ने उन्हे निकाल दिया, तो उनके माता पिता को होटल प्रबंधक को तीन लाख रूपए चुकाने पड़ेंगे.

इन ट्रेनी लड़के व लड़कियों में 21 साल का दानिश वालिया उर्फ डैन (वरुण धवन) और शिवली अय्यर (बंदिता संधू) भी हैं. डैन करियर ओरिएंटेड है और ट्रेनीशिप खत्म होने के बाद वह अपना रेस्टारेंट खोलने का सपना देख रहा है. हर दिन उससे कुछ न कुछ ऐसी गड़बडी होती रहती है कि उसे डांट सुननी पड़ती है. शिवली को अक्टूबर माह में खिलने वाले एक खास फूल से काफी लगाव है. डैन व शिवली के बीच कोई अच्छी दोस्ती भी नहीं है.

31 दिसंबर की रात होटल में नए वर्ष की पार्टियां हो रही हैं. यह सारे ट्रेनी भी तीसरी मंजिल की छत पर पार्टी मना रहे हैं. कुछ लड़के व लड़कियों ने शराब पी है.शिवली ने शराब नहीं ली. अचानक वह पूछती है कि ‘डैन कहां है?’ और फिर वह छत की दीवार पर जाकर बैठ जाती है. बैठते ही वह नीचे गिर जाती है. डाक्टर व एम्बूलेंस आती है, बुरी तरह से घायल शिवली को अस्पताल ले जाया जाता है. डाक्टर घोष उसका आपरेशन करते हैं. पर वह कोमा में चली जाती है. उसे वेंटीलेटर पर रखा गया है. पता चलता है कि शिवली की मां प्रोफेसर है और उसकी एक छोटी बहन व एक भाई भी है.

पिता का आठ वर्ष पहले ही देहांत हो गया था. शिवली के चाचा नहीं चाहते कि अब शिवली के इलाज पर पैसे खर्च किए जाएं, डाक्टरों को भी शिवली के कोमा से बाहर आने व जिंदा होने की उम्मीदें कम हैं. पर मां का दिल नहीं मानता. इधर डैन भी शिवली को देखने आता है. एक दिन उसके साथी बताते हैं कि छत से गिरने से पहले शिवली ने पूछा था था कि ‘डैन कहां है?’ इस बात से डैन को लगता है कि शिवली उसे चाहती है. उसके बाद वह हर दिन अस्पताल में शिवली के पास रहने का प्रयास करता है.October Movie Review story about love

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