धर्म के पाखंड को खोलने में फिल्मों की भी अहमियत है. फिल्मों के जरीए धर्म की गंदगी को उजागर किया जा सकता है. ऐसी फिल्में सामाजिक जागरूकता फैलाने का काम करती हैं. फिल्म ‘ये कैसा पेशा’ में पाखंडी समाज की सच्चाई को दिखाया गया है. इस फिल्म में बहुत सारे बोल्ड सीन को देखते हुए सैंसर बोर्ड ने इस को ‘ए’ सर्टिफिकेट के साथ पास किया है.

फिल्म ‘ये कैसा पेशा’ की कहानी पाखंडी महिला धर्मगुरु पर आधारित है, जो धर्म की आड़ में भोलेभाले लोगों को ठगते हुए धड़ल्ले से अपनी दुकान चला रही है. वह महिला धर्मगुरु कैसे सड़क से उठ कर करोड़पति बनती है, रात के अंधेरे में वह लोगों के मनोरंजन के लिए क्याक्या करती है, इस को दिखाया गया है. फिल्म में ‘गुरु मां’ का किरदार अर्पिता माली ने निभाया है. इस फिल्म के प्रोड्यूसर सुरेश कुमार मालाकार और डायरैक्टर आलोक श्रीवास्तव हैं.

पेश हैं, फिल्म में ‘गुरु मां’ का किरदार निभाने वाली अर्पिता माली से हुई बातचीत के खास अंश:

क्या फिल्म ‘ये कैसा पेशा’ राधे मां पर बनी है?

नहीं. यह ‘राधे मां’ की नहीं, बल्कि ‘गुरु मां’ की कहानी है. इस फिल्म में पाखंडी ‘गुरु मां’ की कहानी को दिखाया गया है. ‘गुरु मां’ धर्म के पाखंड में रईस लोगों को फंसा कर उन से पैसा वसूल करती है. रात के अंधेरे में वह ऐसे रईस लोगों के लिए बहुत सारे इंतजाम करती है. इस के जरीए वह कुछ ही दिनों में अमीर हो जाती है. फिल्म में ‘गुरु मां’ का रोल निभाते समय मुझे यह लगा कि यह सब समाज में होता आ रहा है.

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