नौजवानों की सैक्स पावर और नामर्दी

एक चीज ऐसी है, जो किसी भी नौजवान की मर्दानगी को ठेस पहुंचा सकती है और मनोवैज्ञानिक तौर पर उसे विनाशकारी बना सकती है, वह है उस की नामर्दी. भारत में इस की कोई सटीक जानकारी तो नहीं है, लेकिन एक अंदाज के मुताबिक 10 करोड़ लोग इस के शिकार हैं.

उम्रदराज मर्दों में सैक्स की मात्रा उन की उम्र के बजाय उन के लगाव और औरत साथी की उपलब्धता पर निर्भर करती है. नामर्दी की वजह मानसिक पाई गई है, लेकिन कई दूसरी वजहें भी हैं, जैसे कि मधुमेह, गुरदे की बीमारियां, दिल के दौरे, पुरानी न्यूरोलौजिकल बीमारियां वगैरह.

ऐसी हालत में यह पता लगाना मुश्किल हो जाता है कि नामर्दी ज्यादा उम्र की वजह से है या अंग तक ठीक मात्रा में खून न पहुंचने के चलते है.

सभी नामर्दों में से तकरीबन आधों में शारीरिक समस्याएं होती हैं, जो इस हालत के लिए पूरी तरह या आंशिक रूप से जिम्मेदार होती हैं.

कुछ में मानसिक और जैविक दोनों ही बातें नामर्दी के लिए जिम्मेदार होती हैं. जब कोई सैक्स को ले कर जोश में होता है, तब तंत्रिका आवेग उस के दिमाग से अंग तक जाता है. नतीजतन, न्यूरो ट्रांसमिटेड टेनस निकलता है, जो कि अंग के अंदर स्पंज टिशू में खून के बहाव को बढ़ा देता है, जिस से वह कठोर और सीधा हो जाता है.

सामान्य हालत के बजाय बड़ी अवस्था में खून का दौरा तकरीबन 7 गुना ज्यादा होता है. जरूरी तनाव के लिए खून के दौरे, तंत्रिका तंत्र फंक्शन और हार्मोन टैस्टोस्टेरोन की मात्रा का सही होना बहुत जरूरी है.

दिमागी तौर पर होने वाली नामर्दी की सब से बड़ी वजह साधारण तनाव व चिंता होती है. केवल कुछ मामलों में यह डिप्रैशन जैसी गंभीर दिमागी विकारों से जुड़ी हो सकती है.

आमतौर पर दिमागी नामर्दी ‘प्रदर्शन की चिंता’ के चलते पैदा होती है. यह एक ऐसी हालत होती है, जब कोई मर्द यह चाहता है कि उस के अंग में तनाव पैदा हो, लेकिन वह ऐसा कर पाने में खुद को नाकाम पाता है.

इस की शुरुआत उन मर्दों में होती है, जो कि शराब पीते हैं, ड्रग्स लेते हैं या फिर दिमागी दबाव से पीडि़त होते हैं. आमतौर पर ऐसे मर्द अपने पहले अनुभव को याद करते हैं और उस के बाद अपनी ताकत के बारे में शक पैदा कर लेते हैं.

कुछ मर्द जोश को बनाए रखने में कामयाब नहीं होते, क्योंकि उन की साथी ठीक तरह से साथ नहीं देती या उस का मन नहीं होता. कई घरेलू समस्याओं का जिक्र करने पर भी तनाव शांत हो जाता?है. ऐसी हालत में वह दूसरी औरत के साथ कामयाब सैक्स कर सकता है या हस्तमैथुन द्वारा संतुष्ट हो सकता है.

दूसरी ओर तकरीबन 50 फीसदी मामलों में नामर्दी की वजह जैविक हो सकती है. जैसे कि फेफड़े की बीमारी, लिवर, गुरदे, दिल और अंत:स्रावी गं्रथि की बीमारी. मधुमेह के रोगियों में 2 से 5 गुना ज्यादा नामर्दी की बीमारी पाई जाती है, जो नामर्दी की सब से बड़ी शारीरिक वजह है.

50 फीसदी मधुमेह के रोगी 50 साल की उम्र के बाद नामर्द हो जाते हैं. यह तंत्रिका तंत्र में कमी की वजह से होता है. इसे स्वतंत्र शिरा रोग कहते हैं या अवरोधक संवहनी रोग के चलते अंग में खून का दौरा कम हो जाता है.

हाई ब्लडप्रैशर को कंट्रोल करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं भी अंग में जोश की कमी की वजह हो सकती हैं. इसी तरह डिप्रैशन और दूसरी दिमागी विकारों के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं सैक्स की ताकत को बाधित कर सकती हैं. एंटीऐलर्जिक दवाओं से भी नामर्दी हो सकती है.

एंटी अल्सर दवा कुछ लोगों की सैक्स की पावर को प्रभावित कर सकती है, क्योंकि यह दवा पुरुष हार्मोन का उत्पादन कम कर देती हैं. क्रोनिक धूम्रपान करने वालों, शराबियों और दूसरी नशीली दवाओं से नशा करने वालों को भी अकसर नामर्दी घेर लेती है.

आमतौर पर मर्दों में हर रात सोने के दौरान कई बार अंग में तनाव पैदा होता है. इस समय सपने देखने की अवस्था होती है, जिसे रैपिड आई मूवमैंट कहा जाता है, लेकिन शारीरिक वजहों से नामर्द लोगों में इस समय या अंग में तनाव बिलकुल नहीं हो पाता या फिर बहुत कम होता है.

लेकिन ऐसा माना जाता है कि मानसिक रूप से नपुंसक लोगों में रेम स्लीप सामान्य होती है. इस हालत का पता लगाने के लिए निशाचर पेनाइल टैमिशेंस टैस्ट किया जाता है, जो कि एक मशीन के द्वारा किया जाता है.

लेकिन इस से भी आसान और कम खर्चीले उपाय भी उपलब्ध हैं. ऐसा ही एक उपाय है, डाक टैस्ट. इस टैस्ट में रात में अंग पर साधारण डाक टिकट लगा दी जाती हैं. अगर सुबह ये फटी हुई मिलें, तो यह माना जाता है कि रात में अंग में तनाव पैदा हुआ था.

एक दूसरे तरीके में उम्र में खून के दबाव और दौरे को माप कर धमनियों की जैविक बाधा की जांच की जा सकती है. यह टैस्ट आसानी से हो जाता है और अस्पतालों में आमतौर पर यही टैस्ट किया जाता है.

अगर अंग का खून का दाब बाजू के खून से दाब से कम होता है, तो अंग की खून की सप्लाई को दोषपूर्ण माना जाता है. तंत्रिका तंत्र की कमी को ठीक करने के लिए खून में टैस्टोस्टेरोन के लैवल को ठीक किया जाता है.

मुख्य उपचार मनोवैज्ञानिक इलाज में छिपा है. अकसर दोनों भागीदारों को सैक्स करने की सलाह दी जाती है. दोनों भागीदारों को नतीजे की चिंता छोड़ कर शारीरिक स्पर्श और एकदूसरे की खुशी पर ध्यान देने के लिए कहा जाता है.

सैक्स से पहले किया जाने वाला फोरप्ले नतीजे की चिंता को कम करता है. वर्तमान समय में हार्मोनल विकार का भी इलाज किया जा सकता है.

अंग की ओर जाने वाली धमनियों में किसी तरह की रुकावट के चलते अगर नामर्दी होती है, तो आपरेशन द्वारा रुकावट को दूर किया जाता है.

अंग में तनाव पैदा करने के लिए ऐसी दवाएं भी उपलब्ध हैं, जिन्हें इंजैक्शन द्वारा अंग के स्पंजी ऊतकों में इंजैक्ट कर दिया जाता है. इस के लिए अकसर इंसुलिन इंजैक्शन का इस्तेमाल किया जाता है.

एक बात जो कि दोनों भागीदारों को अच्छी तरह समझ लेनी चाहिए, वह है कि अंग में तनाव का नाकाम होना जिंदगी का अंत नहीं है. एकदूसरे के हस्तमैथुन और मुखमैथुन द्वारा भी सैक्स का मजा ले सकते हैं.

इन दोनों ही प्रक्रियाओं में सैक्स तनाव की उतनी जरूरत नहीं होती, जितनी अंग में प्रवेश के लिए जरूरी होती?है. इस तरह से काफी हद तक सेहतमंद सैक्स का मजा ले सकते हैं.

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