जहरीली शराब और मौत का तांडव

पि छले दिनों पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के गृह जिले संगरूर में जहरीली शराब ने जम कर कहर बरपाया, जहां जहरीली शराब पीने से 22 लोगों की मौत हो गई और कई दर्जन लोगों को अस्पताल में भरती कराना पड़ा.

हालांकि, पुलिस ने इस दुखद मामले में अलकोहल बनाने में इस्तेमाल किया जा रहा इथेनौल और कच्चा माल बरामद करते हुए 6 लोगों को गिरफ्तार किया और अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक रैंक के अफसर की अगुआई में 4 सदस्यीय एसआईटी को भी बनाया गया, लेकिन यह कोई पहला ऐसा मामला नहीं है, जब पंजाब में जहरीली शराब पीने से कई लोगों की जान गई हो, बल्कि बीते

कुछ सालों में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं.

31 जुलाई, 2020 को तो पंजाब के तरनतारन में गैरकानूनी शराब पीने से 102 लोगों की मौत हुई थी. पंजाब के ही अमृतसर और बटाला में भी जहरीली शराब पीने से मौतों की खबरें सुर्खियां बनी थीं और खडूर साहिब के गांव पंडोरी गोला में तो 48 लोगों की आंखों की रोशनी भी चली गई थी.

वैसे न केवल पंजाब में, बल्कि देश के अलगअलग राज्यों में लोग अकसर गैरकानूनी रूप से बनाई जाने वाली नकली या जहरीली शराब पी कर मौत के मुंह में समाते रहे हैं, लेकिन प्रशासन का रोल ऐसे नाजायज धंधे से जुड़े लोगों पर शिकंजा कसने के बजाय कोई बड़ा हादसा होने पर दिखावे के नाम पर कार्यवाही करने तक ही सीमित रहता है.

नकली और जहरीली शराब से कभी पंजाब में, तो कभी बिहार में, कभी गुजरात में, तो कभी मध्य प्रदेश या कर्नाटक में एकसाथ दर्जनों लोगों की मौत की खबरें दहलाती रही हैं, लेकिन चिंता की बात है कि देश की सरकारों के लिए यह कभी कोई बड़ा मुद्दा नहीं बनता, न ही कभी यह चुनावी मुद्दा बनता है.

लोकसभा में पेश आंकड़ों पर नजर डालें तो देश में गैरकानूनी रूप से बनाई जाने वाली नकली या जहरीली शराब से हर साल हजारों लोगों की मौत होती है.

एक सवाल के जवाब में कुछ समय पहले केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में बताया था कि भारत में साल 2016 से साल 2020 के बीच गैरकानूनी और नकली शराब पीने से 6,172 लोगों की मौत हुई थी.

आंकड़ों के मुताबिक, साल 2016 में 1,054, साल 2017 में 1,510, साल 2018 में 1,365, साल 2019 में 1,296 और साल 2020 में 947 लोगों की मौत गैरकानूनी और नकली शराब पीने से

हुई थी.

गैरकानूनी और नकली शराब पीने से मध्य प्रदेश में सब से ज्यादा 1,214 मौतें हुई थीं, उस के बाद कर्नाटक में 909 और तीसरे नंबर पर पंजाब में 725 लोगों की मौत हुई थी.

गृह मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, साल 2016 से साल 2020 के बीच गैरकानूनी और नकली शराब पीने से हरियाणा में 476 लोगों की जान गई थी, जबकि देश के सब से बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में इस दौरान 291 लोगों की मौत हुई थी.

इन 5 सालों में देश की राजधानी

नई दिल्ली में 94 लोगों की मौत हुई थी, जबकि शराबबंदी वाले राज्य गुजरात और बिहार में भी उस दौरान सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 50 और 21 लोग मारे गए थे.

साल के हिसाब से आंकड़े देखें,

तो एनसीआरबी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2021 में जहरीली शराब के चलते देशभर में 782 लोगों की मौत हुई थी. सब से ज्यादा उत्तर प्रदेश में 137, पंजाब में 127, मध्य प्रदेश में 108, कर्नाटक में 104, झारखंड में 60 और राजस्थान में 51 मौतें हुई थीं.

कोरोना काल के दौरान साल 2020 में देशभर में जहरीली शराब से 947 लोगों की जान गई थी, जिन में मध्य प्रदेश

में सब से ज्यादा 214, झारखंड में

139, पंजाब में 133, कर्नाटक में 99 और छत्तीसगढ़ में 67 लोगों ने जान गंवाई थी.

साल 2019 में 1,296 लोगों की मौत हुई थी और सब से ज्यादा 268 लोगों की मौत कर्नाटक में, पंजाब में 191, मध्य प्रदेश में 190, छत्तीसगढ़ और झारखंड में 115-115, असम में 98 और राजस्थान में 88 लोगों ने दम तोड़ा था.

साल 2018 में 1,365 मौतों में से मध्य प्रदेश में सब से ज्यादा 410, कर्नाटक में 218, हरियाणा में 162, पंजाब में 159, उत्तर प्रदेश में 78, छत्तीसगढ़ में 77 और राजस्थान में 64 लोगों की मौत जहरीली शराब से हुई थी.

इसी तरह साल 2017 में हुई 1,510 मौतों में से सब से ज्यादा कर्नाटक में 256, मध्य प्रदेश में 216, आंध्र प्रदेश में 183, पंजाब में 170, हरियाणा में 135, पुडुचेरी में 117 और छत्तीसगढ़ में 104 लोगों ने दम तोड़ा था.

साल 2016 में कुल 1,054 लोग जहरीली शराब पी कर मौत की नींद

सो गए थे, जिन में से मध्य प्रदेश में 184, हरियाणा में 169, छत्तीसगढ़ में 142, पंजाब में 72, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में 68-68 की मौत हुई थी.

साल 2015 में महाराष्ट्र में 278, पुडुचेरी में 149, मध्य प्रदेश में 246, छत्तीसगढ़ में 140, उत्तर प्रदेश में 125 और हरियाणा में 115 समेत कुल 1,522 लोगों की जान जहरीली शराब ने ली थी.

सवाल यह है कि आखिर लोगों को सामूहिक रूप से मौत की नींद सुलाती जहरीली शराब है क्या और लोग इस का सेवन करने पर क्यों मजबूर होते हैं?

दरअसल, जहरीली शराब ऐसी शराब होती है, जो गैरकानूनी तरीके से बनाई जाती है. कानून के रखवालों की नाक तले देश के गांवअंचलों में शराब निकालने की गैरकानूनी भट्ठियां चलती रहती हैं. इन्हीं भट्ठियों में चोरीछिपे शराब बनाई और बेची जाती है, जो काफी सस्ती तो होती है, लेकिन उतनी ही खतरनाक भी होती है.

ऐसी शराब बनाने वालों को इस के आसवन या डिस्टिल करने के सही तरीके की न तो पूरी जानकारी होती है और न ही उन्हें इस की कोई परवाह

होती है. इसे बनाने में पहले मिथाइल अलकोहल और फिर इथाइल निकलता है और यह पता होना बेहद जरूरी

होता है कि इथाइल को कैसे अलग किया जाए.

इस के आसवन या डिस्टिल करने का तरीका बड़ा मुश्किल होता है, जिसे कोई माहिर ही कर सकता है. अगर गैरकानूनी रूप से बनाई जाने वाली शराब से मिथाइल अलकोहल को सही तरीके से अलग नहीं किया जाता है, तो पूरी शराब जहरीली हो जाती है.

कच्ची शराब आमतौर पर गुड़, पानी, यूरिया वगैरह से बनाई जाती है, जिस में कई ऐसे कैमिकल भी इस्तेमाल किए जाते हैं, जो सेहत के लिए बेहद खतरनाक होते हैं और इसे लंबे समय तक रखने से कई बार इस में कीड़े भी हो जाते हैं, जो शराब के जहरीली होने की वजह बनते हैं.

देशी शराब बनाने के लिए आमतौर पर गन्ने या खजूर का रस, शक्कर, शीरा, महुआ के फूल, जौ, मकई, सड़े हुए अंगूर, आलू, चावल, खराब संतरे वगैरह का इस्तेमाल होता है.

स्टार्च वाली इन चीजों में यीस्ट मिला कर फर्मेंटेशन कराया जाता है और इन्हें सड़ाने के लिए औक्सीटौक्सिन का इस्तेमाल किया जाता है, जिस में नौसादर, बेसरम बेल की पत्ती और यूरिया भी मिलाया जाता है. ये चीजें मर्दानगी व नर्वस सिस्टम पर बुरा असर डालती हैं.

इन्हें मिट्टी में गाड़ने के बाद भट्ठी पर चढ़ाया जाता है और इस से निकलने वाली भाप से देशी शराब तैयार होती है, जिसे और नशीला बनाने के लिए मिथनौल भी मिलाया जाता है. देशी शराब को ज्यादा नशीली बनाने के चक्कर में यह जहरीली हो जाती है.

शराब बनाने के लिए आमतौर पर

2 बुनियादी तरीकों का पालन किया जाता है, जिन में पहला है फर्मेंटेशन और दूसरा है डिस्टिलेशन. डिस्टिलेशन यानी तकनीक से बनाई गई शराब, जिस के जहरीले होने का डर न के बराबर होता है, जबकि फर्मेंटेशन के जरीए बनाई गई शराब कई बार जहरीली हो जाती है और देशी शराब बनाते समय ज्यादातर इसी प्रक्रिया का पालन किया जाता है.

कच्ची शराब में जब यूरिया, औक्सीटौक्सिन, बेसरम बेल की पत्ती वगैरह मिला कर फर्मेंटेशन कराया

जाता है, तो इन कैमिकलों के मिलने से मिथाइल अलकोहल बन जाता है, जो बेहद खतरनाक साबित होता है.

शराब को और ज्यादा नशीला बनाने के चक्कर में कई बार इस में यूरिया और औक्सीटौक्सिन मिलाया जाता है, जो मौत की वजह बढ़ा देता है. गैरकानूनी रूप से बनाई जाने वाली यह शराब

शरीर में जा कर फार्मेल्डिहाइड (फार्मिक एसिड) नामक जहर बनाती है, जो दिमाग पर सीधा असर करती है. शरीर में जाते ही मिथाइल अलकोहल शरीर के अंगों पर तेज रासायनिक प्रतिक्रिया करता है, जिस से वे काम करना बंद कर देते हैं.

जहरीली शराब में मिथाइल अलकोहल से निकलने वाले फार्मिक एसिड की मात्रा काफी ज्यादा होती है, जो शरीर के नर्वस सिस्टम को ब्रेकडाउन करता है.

गैरकानूनी शराब में आमतौर पर मिथनौल, एथिलीन ग्लाइकौल और कुछ दूसरे खतरनाक कैमिकल भी होते हैं, जो शरीर को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिन के चलते अंधापन, लकवा और मौत भी हो सकती है.

माहिरों के मुताबिक, जहरीली शराब के सेवन से लोग कार्डियोमायोपैथी और औप्टिक न्यूरोपैथी के शिकार हो जाते है़ं. औप्टिक न्यूरोपैथी में आंखों की नसें सूख जाती हैं, जिस से मरीज को दिखना बंद हो जाता है, जबकि कार्डियोमायोपैथी में मरीज के दिल का आकार बड़ा हो जाता है, जिस से दिल में खून का पंप बेहतर तरीके से नहीं होता और उन्हें हार्ट अटैक हो जाता है.

गैरकानूनी शराब का यह जहरीला धंधा इसीलिए तेजी से फलताफूलता है, क्योंकि सस्ती और खुली शराब पाने के लालच में लोग खुद ब खुद गैरकानूनी शराब की ओर खिंचे चले जाते हैं, लेकिन सस्ती शराब के चलते कोई अपनी आंखों की रोशनी गंवा बैठता है तो कोई अपनी जीवनलीला ही खत्म कर डालता है.

नकली शराब पी कर मरने वाले ज्यादातर गरीब तबके के लोग ही होते हैं, जो कम पैसे में नशे की भरपाई के लिए ऐसी शराब खरीदते हैं, लेकिन जहरीली शराब से उन की मौत होने पर उन के परिवार के सामने रोजीरोटी का संकट खड़ा हो जाता है.

यही वजह है कि नकली शराब बनाने वालों के खिलाफ ऐसे कठोर कदम उठाने की मांग होती रही है, जो दूसरों के लिए भी नजीर बने, लेकिन निश्चित रूप से यह सरकारों और प्रशासन की लापरवाही का ही नतीजा माना जाएगा कि आमतौर पर कोई बड़ा हादसा होने के बाद ही प्रशासन कुंभकर्णी नींद से जागता है.

नकली शराब का धंधा चलाने वालों के साथ अकसर पुलिस की सांठगांठ के मामले भी उजागर होते रहे हैं, वरना क्या वजह है कि जिस पंजाब में नशे पर काबू पाना सरकार की प्रमुख प्राथमिकताओं में से एक है, उसी पंजाब में मुख्यमंत्री भगवंत मान के ही गृह जिले संगरूर में नकली शराब का कारोबार फलफूल रहा हो और पुलिस प्रशासन को उस की भनक तक न हो.

पुलिस प्रशासन तभी नींद से जागा, जब 22 लोगों की मौत हो गई और दर्जनों अस्पताल में भरती हुए. हालांकि, नकली शराब का कारोबार न केवल पंजाब, बल्कि कमोबेश हर राज्य की समस्या है और चोरीछिपे गैरकानूनी शराब बनाने और बेचने वाले हर कहीं मौजूद हैं.

जब तक इस गैरकानूनी धंधे की मोटी मछलियों पर हाथ नहीं डाला जाएगा, तब तक जहरीली शराब इसी तरह लोगों को बेमौत मारती रहेगी खासकर पिछड़े गांवदेहात में जहरीली शराब के खतरों के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए मुहिम चलाना समय की सब से बड़ी मांग है.

कुलमिला कर, गैरकानूनी शराब के इस जहरीले धंधे पर तब तक लगाम लगा पाना नामुमकिन है, जब तक सरकारें गैरकानूनी शराब के बनने और बिक्री पर कड़ाई से रोक लगाने के लिए मजबूती से सख्त कदम नहीं उठाती है.

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