सच्ची घटना-
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में डीजे साउंड सिस्टम के भयावह आवाज के कारण, दो बुजुर्ग की असमय मौत हो गई. घटना एक धार्मिक आयोजन के दरमियान रात्रि को घटित हुई, जिसकी प्रतिक्रिया भी बड़े स्तर पर हुई. राजधानी रायपुर के महापौर प्रमोद दुबे ने स्वीकार किया कि बुजुर्गों की मौत डीजे साउंड सिस्टम के कारण हुई है.
हमारे देश में पग पग पर कानून है और पग पग पर उसका उल्लंघन भी हो रहा है.पुलिस, न्यायालय और राजनीति का भंवर कुछ ऐसा है कि जहां पहुंच गए, सब कुछ समय के चक्र में समा जाता है. इसी का एक सबसे बड़ा उदाहरण है, आज का डीजे, जो कि गांव, गली से लेकर राजधानी तक अपना जौहर दिखा रहा है. उसकी गूंज, अनुगूंज के साये में आ रहे हैं, मौत के गाल में समा रहे हैं. मगर हममे इतनी भी समझ और नैतिकता नहीं है कि इसे स्वविवेक बंद कर दिया जाए.
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इसके लिए न्यायालय द्वारा सख्त कानून भी पारित कर दिया गया है. मगर इसके बावजूद डीजे पर ना हम स्वयं प्रतिबंध लगा पा रहे हैं और ना ही पुलिस अथवा कानून का डंडा इसे रोक पा रहा है. आइए!इस रिपोर्ट में डीजे सिस्टम को लेकर समाज में उठे प्रश्नों, विसंगतियों पर चर्चा की जाए.
धार्मिक आयोजन एक बड़ी आड़
डीजे की आवाज गांव की गलियों से राजधानी तक सुनाई पड़ती है, मौका शादी-ब्याह का हो, या फिर धार्मिक कार्यक्रमों का. कोई बंदिश मानने वाला नहीं.
उच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी डीजे इस्तेमाल करने वालों और कानून का पालन कराने वालों के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही, फलत: विगत दिनों डीजे की भयावहता के फलस्वरूप दो बुजुर्गों की मौत हो गई.कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि गाड़ियों में साउण्ड बाक्स लगाकर डीजे बजाना मोटर व्हीकल नियमों का उल्लंघन है इसलिए प्रत्येक जिले के पुलिस अधीक्षक, जिलाधीश सुनिश्चित करें कि किसी भी वाहन मे साउण्ड बाक्स न हो. मगर कोई वाहन मालिक इस कानून को नहीं मानता और साउंड बाक्स रखकर इस्तेमाल किया जा रहा है, उस पर कठोर कार्रवाई की जाए. उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद जिला प्रशासन वाहन मालिक को नोटिस देकर ऐसे वाहनों को रिकार्ड नही रख रहा. दिखाई दे रहा है कि धार्मिक आयोजनों के आड़ में डीजे का भरपूर इस्तेमाल लोग कर रहे हैं धार्मिक भावनाओं को ठेस ना लगे यह मानकर प्रशासन कार्रवाई नहीं कर रहा.
उच्च न्यायालय का, आदेश मगर पालन नहीं हो रहा!
न्यायालय ने इसके लिए संबंधित नियम भी अपने आदेश में घोषित किए हैं जैसे दूसरी बार गलती करते पाए जाने पर वाहन का परमिट निरस्त किया जाए और बिना हाईकोर्ट के आदेश के उस वाहन को नया परमिट जारी नहीं किया जाए. छत्तीसगढ़ में सबसे पहले डीजे के मसले पर कोर्ट पहुंचे याचिकाकर्ता नितिन ने छत्तीसगढ़ सरकार के खिलाफ 3 वर्ष पूर्व दिसंबर 2016 को हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी.
मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद उच्च न्यायालय ने विशेष रूप से उल्लेख किया था कि ध्वनि प्रदूषण से संबंधित कानून का छत्तीसगढ़ में कोई मतलब नहीं रह गया है, और कोई भी कानून का पालन करने के लिये तत्पर नहीं है, यहां तक कि कानून का पालन करवाने वाली एजेंसियां तथा अधिकारी ध्वनि प्रदूषण को लेकर आंख कान बंद कर बैठे हैं!!दोषियों के विरूद्ध कार्रवाई नहीं होने से ध्वनि प्रदूषण करने को बढ़ावा मिल रहा है. कोर्ट ने बेहद सख्त भावना के साथ सरकार को प्रशासन को ताकीद किया था मगर परिणाम वही ढाक के तीन पात रहा.
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कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि गाड़ियों में साउण्ड बाक्स लगाकर डीजे बजाना मोटर व्हीकल नियमों का उल्लंघन होता है इसलिए कलेक्टर और एसपी सुनिश्चित करें कि कोई भी वाहन पर साउण्ड बाक्स न बजने पाए. लेकिन आदेश को कोई वाहन मालिक नहीं मानता और साउंड बाक्स रखकर बजाता रहता है, ऐसी स्थिति में प्रशासन वाहन मालिक को नोटिस देकर ऐसे वाहनों को रिकार्ड रखें ताकि उन्हें दंडित किया जा सके कानून का पालन हो सके. उच्च न्यायालय के आदेशानुसार दूसरी बार गलती करते पाए जाने पर वाहन का परमिट निरस्त किया जाए और बिना हाईकोर्ट के आदेश के उस वाहन को नया परमिट जारी नहीं किया जाए.
जानलेवा भी है डीजे सिस्टम!
जैसा कि अब यह बात सार्वजनिक हो चुकी है कि शादी, विवाह एवं धार्मिक आयोजनों में बजने वाला साउंड सिस्टम डीजे हाई सिस्टम विदेशों में पूर्ण रूप से प्रतिबंधित हो चुका है. मगर हमारे देश में आज भी गली चौराहे पर चाहे गणेश पूजा हो अथवा दुर्गा पूजा उत्सव अथवा शादी ब्याह हर जगह डीजे बजाना एक फैशन बन चुका है चिकित्सकों एवं मनोवैज्ञानिकों ने भी डीजे को ले करके अपनी राय व्यक्त की है जिसके अंतर्गत डीजे बुजुर्ग व्यक्तियों के लिए प्लान घातक है वही मनोवैज्ञानिकों के अनुसार डीजे मस्तिष्क एवं हृदय के लिए बेहद नुकसान जनक माना गया है. कारण है कि जब जनहित में नितिन संघवी ने उच्च न्यायालय की दरवाजा खटखटाया तो वहां न्यायालय ने इसे गंभीरता से लेते हुए आदेश जारी किए
न्यायालय ने स्पष्ट किया कि कानून का उल्लंघन पाये जाने पर संबंधित अधिकारी पर न्यायालय के आदेश की अवमानना कार्यवाही होगी.वहीं स्कूल, कालेज, अस्पताल, कोर्ट, ऑफिस से 100 मीटर एरियल डिस्टेन्स पर लाउड स्पीकर बजने पर जब्त करें, द्वितीय बार पकड़ाने पर हाईकोर्ट के आदेश के बिना जब्ती वापस नहीं किया जाएगा. भी सामाजिक आयोजन अथवा
धार्मिक, में तेजी से ध्वनि यंत्र बजाने वालों पर भी उच्च न्यायालय अवमानना की कार्रवाई पर करते हुए वाहन जब्त किया जाएगा. न्यायालय ने कहा कि जब भी उपरोक्त कार्यक्रमों में निर्धारित मापदन्डों से अधिक ध्वनि विस्तार होने पर कार्यवाही की जावे , लोगों की भावना की कद्र करने हुये विनम्रता पूर्वक न्यायालय के आदेश का पालन करने को कहा जाए , अगर आयोजक विरोध करता है तो उसके विरूद्ध कोर्ट में कार्यवाही की जावे तथा इसके अतिरिक्त संबंधित अधिकारी आयोजक के विरूद्ध माननीय उच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन करने पर अवमानना का प्रकरण उच्च न्यायलय के दायर में करें.
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उच्च न्यायालय ने इसके अलावा प्रेशर हार्न यानी मल्टी टोन्ड हार्न प्रतिबंधित करने के साथ दोबारा गलती करने पर वाहन जब्त करने के साथ उसकी अनुमति के बाद ही वापस करने का निर्देश दिया है . न्यायालय ने अपने आदेश में लिखा था कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट या फिर व्यावसायिक वाहनों को फिटनेस सर्टिफिकेट प्रदान करते समय संबंधित अधिकारी सुनिश्चित करे कि उसमें तेजी से बजने वाले हार्न कदापि न हों.
इसके अलावा अन्य अवसरों पर अगर प्रेशन हार्न अथवा मल्टी टोन्ड हार्न पाया जाता है तो संबंधित अधिकारी तत्काल ही उसे वाहन से निकालकर नष्ट करने के साथ रजिस्टर में दर्ज करेगा. लोक प्राधिकारी इस संबंध में वाहन नंबर के साथ मालिक तथा चालक का डाटा बेस इस रूप् में रखेगा कि दोबारा अपराध करने पर वाहन जब्त किया जाएगा. उच्च न्यायालय के आदेश के बाद ही ऐसे वाहनों को छोड़ा जाएगा. मगर इस सबके बावजूद छत्तीसगढ़ में यह रिपोर्ट लिखे जाने वक्त तक सब कुछ राम भरोसे चल रहा है.