राजस्थान: राजनीति की भेंट चढ़ी श्रद्धांजलि सभा  

कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला को श्रद्धांजलि देने के लिए 12 सितंबर, 2022 को पुष्कर में एक श्रद्धांजलि सभा हुई. इस सभा में कांग्रेस सरकार के मंत्री अशोक चांदना पर जूतेचप्पल फेंके गए, लेकिन सब से बड़ी बात यह कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को भाषण नहीं देने दिया गया.

जिस बेटे का पिता मुख्यमंत्री हो, उसे अपने पिता के शासन वाले राज्य में भाषण नहीं देने दिया जाए, इस से बड़ी कोई राजनीतिक घटना नहीं हो सकती. 12 सितंबर को पुष्कर में गुर्जरों की सभा में जोकुछ भी हुआ, उस से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को राजस्थान के हालात का अंदाजा लगा लेना चाहिए. ऐसे हालात तब हैं, जब महज 14 महीने बाद वहां विधानसभा चुनाव होने हैं.

सवाल उठता है कि आखिर मुख्यमंत्री के बेटे और सरकार के मंत्रियों को ले कर गुर्जर समुदाय में इतना गुस्सा क्यों है? सब जानते हैं कि जुलाई, 2020 के राजनीतिक संकट के समय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बरखास्त उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को धोखेबाज, नालायक और मक्कार तक कहा था. यह बात अलग है कि साल 2018 में गुर्जर समुदाय के सचिन पायलट के चलते ही प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी.

सचिन पायलट के मुख्यमंत्री बनने को ले कर गुर्जर समुदाय में इतना उत्साह था कि भाजपा के सभी गुर्जर उम्मीदवार चुनाव हार गए थे. पर सचिन पायलट के बजाय अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाने से गुर्जर समाज में नाराजगी देखी गई. यह नाराजगी तब और ज्यादा बढ़ गई, जब अशोक गहलोत ने सचिन पायलट को नालायक कहा था.

अशोक गहलोत मानें या न मानें, लेकिन जुलाई, 2020 में जिन शब्दों का इस्तेमाल किया गया, उसी का नतीजा रहा कि गुर्जरों की सभा में वैभव गहलोत को बोलने तक नहीं दिया गया. सवाल यह भी है कि आखिर वैभव गहलोत गुर्जरों की सभा में क्यों गए?

जानकारों के मुताबिक, पुष्कर को अपनी जागीर मानने वाले आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़ की रणनीति के तहत वैभव को गुर्जरों की सभा में लाया गया. इस के लिए उन्होंने ही कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के बेटे विजय बैंसला से वैभव को फोन करवाया. धर्मेंद्र राठौड़ ने ही अशोक गहलोत को बताया था कि वे वैभव को गुर्जरों की सभा में ले जा रहे हैं.

धर्मेंद्र राठौड़ को उम्मीद थी कि वैभव गहलोत बड़ी शान से गुर्जरों को संबोधित करेंगे, लेकिन सभा में जो उपद्रव हुआ, उस में धर्मेंद्र राठौड़ और वैभव गहलोत को पुलिस संरक्षण में सभा स्थल से महफूज जगह पर जाना पड़ा.

12 सितंबर, 2022 को पुष्कर के मेला मैदान में गुर्जर आरक्षण आंदोलन के मुखिया रहे कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला को श्रद्धांजलि देने का कार्यक्रम था. यह पूरी तरह सामाजिक आयोजन था, लेकिन सभा से पहले ही कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के बेटे विजय बैंसला ने राजनीति शुरू कर दी.

विजय बैंसला ने जिस तरह राजनीतिक बयानबाजी की, उस से सभा का माहौल और गरम हो गया. यही वजह रही कि अनेक नेताओं ने राजनीतिक भाषण दिया. नतीजतन, यह सभा श्रद्धांजलि सभा से ज्यादा राजनीतिक मंच बन गई.

जब कांग्रेस सरकार के खेल मंत्री अशोक चांदना और उद्योग मंत्री शकुंतला रावत (गुर्जर) भाषण देने आए, तो उपद्रव हो गया. राजनीतिक भाषणबाजी के चलते कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला को श्रद्धांजलि भी नहीं दी जा सकी. कहा जा सकता है कि राजनीतिक दलों की आपसी खींचतान की वजह से श्रद्धांजलि सभा राजनीति की भेंट चढ़ गई.

12 सितंबर, 2022 को जिस तरह पुष्कर में उपद्रव के दौरान सरकार के मंत्रियों को बोलने तक नहीं दिया गया, उस मामले में अब अजमेर प्रशासन पर गाज गिर सकती है. जानकार सूत्रों के मुताबिक, पुष्कर मामले को ले कर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गंभीर हैं. यह माना जा रहा है कि हालात को भांपने में अजमेर प्रशासन नाकाम रहा.

मुख्यमंत्री की कबड्डी

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इन दिनों चौतरफा घिरे हुए हैं और विरोधियों से अकेले ही जूझ रहे हैं. चेहरे पर निराशा का भाव न आए, इसलिए 14 सितंबर, 2022 को उदयपुर के गोगुंदा में आयोजित ग्रामीण ओलिंपिक खेलों में उन्होंने खुद भी नौजवानों के साथ कबड्डी खेली.

अशोक गहलोत की उम्र 71 साल के पार है और अब कबड्डी जैसा जोखिम भरा खेल खेलना मुमकिन नहीं है, लेकिन विरोधियों को चुनौती देने के लिए अशोक गहलोत ने गोगुंदा में कबड्डी खेली.

दरअसल, अशोक गहलोत को भाजपा से ज्यादा कांग्रेस के असंतुष्टों से खतरा है.

12 सितंबर, 2022 को पुष्कर में आयोजित गुर्जरों के प्रोग्राम में जिस तरह से पुत्र वैभव गहलोत और सरकार के मंत्रियों को बोलने तक नहीं दिया गया, उस से जाहिर है कि अशोक गहलोत को अपनों से ही ज्यादा परेशानी है.

कांग्रेस के नेताओं को जब मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना, मुफ्त दवा और जांच, सवा करोड़ महिलाओं को मुफ्त स्मार्टफोन, मनरेगा की तरह शहरी क्षेत्रों में युवाओं को 100 दिन के रोजगार देने की गारंटी, बिजली के बिल में मोटी सब्सिडी जैसी योजनाओं का प्रचार करना चाहिए, तब कांग्रेस के ही नेताओं और विधायक गुर्जरों के प्रोग्राम में मंत्रियों और वैभव गहलोत को नहीं बोलने देने का मुद्दा उछाल रहे हैं.

सब जानते हैं कि अशोक गहलोत पिछले एक साल से कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति में भी सक्रिय हैं. दिल्ली जा कर केंद्र सरकार के खिलाफ मोरचा खोलने का नतीजा ही है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अशोक गहलोत के गृह जिले जोधपुर में आ कर सार्वजनिक सभा की.

इतना ही नहीं, अशोक गहलोत के गृह राज्य मंत्री राजेंद्र यादव के परिवार के सदस्यों के व्यावसायिक ठिकानों पर इनकम टैक्स के छापे बताते हैं कि आने वाले दिनों में अशोक गहलोत के मंत्रियों व पहचान वालों पर छापामार कार्यवाही होगी.

राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस का ऐसा कोई नेता नहीं है, जो चौतरफा घिरे अशोक गहलोत का बचाव कर सके. कांग्रेस का नेतृत्व करने वाले गांधी परिवार का बचाव तो खुद अशोक गहलोत ही कर रहे हैं. कांग्रेस में राष्ट्रीय स्तर पर अशोक गहलोत के मुकाबले कोई नेता नहीं है, इसलिए उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव है. पर पुष्कर में वैभव गहलोत और उन के मंत्रियों के साथ जो गलत बरताव हुआ है, उस से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बेहद आहत हैं.

पुष्कर में सचिन पायलट समर्थकों ने ही अपनी भावनाओं को प्रदर्शित किया था. 12 सितंबर, 2022 की घटना के बाद अभी तक दोनों नेताओं की प्रतिक्रिया का सामने न आना बहुतकुछ दिखा रहा है. अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच जो राजनीतिक संघर्ष चल रहा है, उस के नतीजे अब जल्द ही देखने को मिलेंगे.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें