Scoiety News in Hindi: मध्य प्रदेश में इंदौर के बुरहानपुर इलाके में शादी के बाद ससुराल पहुंची एक दुलहन का स्वागत एक नई रीति से हुआ. ससुराल पहुंचते ही दूल्हा उस का हाथ पकड़ कर सब से पहले शौचालय दिखाने ले गया, क्योंकि शादी से पहले लड़की की शर्त थी कि लड़के के घर में अगर शौचालय नहीं होगा, तो वह शादी नहीं करेगी. इसी शर्त को मानते हुए दूल्हे शेख एजाज शेख अनवर ने अपनी दुलहन परवीन बानो के लिए पहले घर में शौचालय बनवाया, फिर निकाह किया. बात सही भी है, क्योंकि परवीन बानो की यह लड़ाई अपने बुनियादी हक को ले कर थी.
उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर इलाके में भी एक दुलहन ने शादी के बाद विदाई से सिर्फ इस वजह से इनकार कर दिया, क्योंकि उस की ससुराल में शौचालय नहीं था. अब ससुराल वाले शौचालय बनाने का इंतजाम कर रहे हैं, ताकि बहू को घर लाया जा सके.
घर में शौचालय की कमी के चलते घर से बाहर शौच जाने वाली लड़कियों और औरतों के साथ बलात्कार होने की खबरें आती रहती हैं. ऐसे में उन के द्वारा इस तरह के फैसले लेना एक हिम्मत भरा कदम है.
भारत में शौचालय कम और मोबाइल फोन ज्यादा हैं. हैरानी की बात है कि औरतों की सब से बुनियादी जरूरत के प्रति अभी भी इतनी अनदेखी क्यों होती है?
ज्यादा देर तक पेशाब रोकने और कम पानी पीने के चलते लड़कियों के शरीर में खतरनाक बीमारियों के पैदा होने का डर कई गुना बढ़ जाता है. गुरदे की तरहतरह की बीमारियां, पेशाब की नलियों में रुकावट या फिर पेशाब से जुड़े कई तरह के इंफैक्शन का लैवल औरतों में इसी वजह से बहुत ज्यादा बढ़ जाता है.
एक स्टडी में सामने आया है कि भारत में 16 साल की उम्र से पहले 4 फीसदी लड़कों के मुकाबले 11 फीसदी लड़कियों में पेशाब संबंधी इंफैक्शन पाया है.
शौचालय बनाना तो 10वां हिस्सा काम है. फिर कारपोरेशनों और पंचायतों को घरघर पानी का इंतजाम करना होगा और पूरे इलाके में सीवर डलवाने होंगे. यह कौन और क्यों करेगा? दलितों का काम यहां के सवर्ण करने को तैयार ही नहीं हैं.