डार्क 7 व्हाइट रिव्यू: सेक्स और गंदी गालियों की भरमार

रेटिंगः 1 स्टार

निर्माताः संजय वाधवा और कोमल वाधवा

निर्देशक सात्विक मोहंती

कलाकारः सुमित व्यास,निधि सिंह, जतिन शर्मा, कंुज आनंद,मध्ुारिमा राय, रायनू वर्मा,पंकित दवे, सत्यजीत राजपूत,संजय स्वराज, षेखर चैधरी, संजय बत्रा,मोनिका चैधरी व अन्य.

अवधिः बीस से बाइस मिनट के दस एपीसोड,कुल अवधि साढ़े तीन घंटे

ओटीटी प्लेटफार्म: जी 5 और आल्ट बालाजी पर एक साथ 24 नवंबर से

श्वेता व्रजपुरिया की किताब ‘‘डार्क व्हाइट’’पर निर्देशक सात्विक मोहंती एक पोलीटिकल मर्डर मिस्ट्ी वाली वेब सीरीज ‘डार्क 7 व्हाइट’लेकर आए हैं.यह सात दोस्तांे की कहानी है,सभी अपने बाकी के छह दोस्तांे को अपने अपने फायदे के लिए उपयोग करते हैं.

कहानीः

कहानी शुरू होती है जयपुर से,जब 2019 में राज्य के सबसे कम उम्र के युवा नेता युद्धवीर सिंह (सुमित व्यास) मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के लिए ‘वन नेशन पार्टी’ दफ्तर के सामने इकट्ठा होते हैं,जहां उनके पुराने दोस्त व मंगेतर भी मौजूद हैं.शपथ ग्रहण समारोह के लिए युद्धवीर सिंह ख्ुाली जीप में रवाना होते हैं.उनके बगल में उनकी प्रेमिका डेजी(निधि सिंह) भी हैं.मगर शपथ ग्रहण समारोह में पहुॅचने से पहले ही रास्ते में उनकी हत्या हो जाती है.एसीपी अभिमन्यू सिंह(जतिन शर्मा)इसकी जांच शुरू करते हैं.शक के घेरे मंे युद्धवीर सिंह के कालेज के वक्त के छह दोस्त हैं,जो कि पिछले दस वर्ष से उनके साथ हैं.इनमें से डेजी उनकी मंगेतर व पूर्व मुख्यमंत्री भैरो राणा चैधरी( संजय स्वराज)की बेटी हैं.कुश लांबा(कंुज आनंद),योगेश कटारिया(शेखर चैधरी ), नीलांक्षी उर्फ नीलू(मोनिका चैधरी),ग्रेस्मिा( तान्या कालरा),धवल(रचित बहल),शशांक हैं.एक तरफ एसीपी अभिमन्यू सिंह अपने सहयोगी इंस्पेक्टर डागा (सत्यजीत राजपूत) के साथ मिलकर इसकी जांच कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ मृत युद्धवीर सिंह 2009 से अपने इन दोस्तांे और राज्य के मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा की कथा सुनाना शुरू करते हैं.परिणामतः कहानी 2009 और वर्तमान मंे बार बार आती जाती रहती है.

वास्तव में यह कहानी 2009 में जयपुर के केसीसी कालेज के ब्वॅाय होस्टल से शुरू होती है.जहां  प्रिंस युद्धवीर सिंह ने शराब व ड्ग्स की पार्टी दे रखी है.इस पार्टी में उसी कालेज की कुछ लड़कियंा भी हैं.एक कमरे में युद्धवीर सिंह,नीलांक्षी गर्ग उर्फ नीलू संग अभद्र व्यवहार करते हैं,वह किसी तरह से वहां से निकलती है और उसी वक्त उस कमरे में ताशी पहुॅचती है.ताशी और युद्धवीर सिंह हम बिस्तर होते हैं.उधर रास्ते में नीलू को इंस्पेक्टर अभिमन्यू सिंह मिलते हैं.और वह इंस्पेक्टर को लेकर होस्टल वापस आती हैं.होस्टल में एक कमरे के हालात समझकर इंस्पेक्टर पुलिस फोर्स बुला लेता है.इस बीच पिछले तीन वर्ष से काबिज काॅलेज के स्टूडंेट नेता कुश व योगेश, युद्धवीर से ऐसा करने से मना करता है.तब युद्धवीर उन दोनों को याद दिलाते हैं कि वह प्रिंस है और उसके दादा जी शमषेर सिंह (संजय बत्रा)महाराजा हंै.जबकि कुश व योगेश स्टूडेंट लीडर होने के साथ साथ राज्य के मुख्यमंत्री भैरो राणा(संजय स्वराज)के दाहिने हाथ हैं.यह जग जाहिर है.तभी कमरे में इंस्पेक्टर अभिमन्यू सिंह पहुॅचते हैं.और वह न सिर्फ युद्धवीर का थप्पड़ रसीद करते हंैं,बल्कि उन्हंे गिरफ्तार कर पुलिस स्टेशन ले जाने लगते हंै.पर कुश व योगेश ,इंस्पेक्टर ेसे बात कर मामला रफा दफा कर देते हैं.तब पहली बार युद्धवीर सिंह को अहसास होता है कि उसके दादा का महाराजा होने से ज्यादा ताकतवर यह छुटभैये कालेज के नेता हैं और उस वक्त वह नेता बनने तथा भैरो सिंह की तरह मुख्यमंत्री बनने का निर्णय कर लेते हैं.

उसके बाद युद्धवीर सिंह का वहशीपना, शातिर दिमाग लोगों के सामने आता है.उसकी हरकतंे देखकर लोग उसे राक्षस तक मान लेते हैं.युद्धवीर सिंह कालेज स्टूडेंट के नेता के लिए चुनाव मैदान में खड़े होते हैं.उनका दाहिना हाथ और घर का नौकर धवल उनके साथ है.यह सब मिलकर सबसे पहले कुश व योगेश के ‘गे’होने और दोनों के बीच पति पत्नी जैसे संबंध होने का वीडियो बना प्रचारित करते हैं.फिर अपनी एक प्रेमिका ताशी(मधुरिमा राॅय) को वह स्वीमिंग पुल मंे डुबाकर उसकी हत्या कर आरोप योगेश कटारिया पर लगा देते हैं.कुश उसे छुड़ाने के मुख्यमंत्री भैरांे से बात करता है,मुख्यमंत्री कह देते हैं कि वह कालेज की राजनीति में हस्तपक्षेप नहीं करेंगे.तब कुश,युद्धवीर सिंह से मदद माॅंगता है.युद्धवीर सिंह राजनीतिक चाल चलते हुए योगेश को छुड़वा देते हैं.उसके बाद कुश व योगश भी युद्धवीर के इशारे पर नाचने लगते हैं.इधर युद्धवीर के नाजायज रिश्ते नीलू संग बने हुए हैं.कुश व योगेश राजनीति के मूर्ख खिलाड़ी की तरह युद्धवीर को मुख्यमंत्री भैरो से मिला देते हैं.भैरौ उसे अपनी पार्टी की युवा शाखा से जोड़ देते हैं.फिर युद्धवीर,भैरो की बेटी डेजी पर डेरे डालने में सफल होते हैं.इसी बीच युद्धवीर के बच्चे की नीलू मां बनने वाली होती है.युद्धवीर व नीलू के जाल में फंसकर अस्पताल में धवल का नाम पिता के रूप में लिखा जाता है और बाद में युद्धवीर उस बच्चे को अयान नाम देकर गोद ले लेता है और  नीलू को अयान की आंटी बना देता है.डेजी संग सगाई के वक्त एक कमरे में भैरो की खुद ही हत्या कर युद्धवीर उसका आरोप नीलू पर लगाकर हमेषा के लिए उसे अपनी गूंगी गुलाम बना लेता है.और ख्ुाद भैरो की पार्टी का अध्यक्ष बन जाता है.डेजी उसके साथ है.पर डेजी को युद्धवीर का सच पता चल चुका है.कई घटनाएं घटती हैं और 2019 के चुनाव में युद्धवीर विजय हासिल कर मुख्यमंत्री बनने वाले हंै,पर शपथ ग्रहण से पहले ही उनकी हत्या हो जाती है.अब उसके सभी दोस्तों के पास उसकी हत्या करने की वजह मौजूद है.इंस्पेक्टर अभिमन्यू इन दस वर्षो में पदोन्नत होकर एसीपी बन चुके हैं और वही इस हत्या की जाॅंच करते हैं.इधर कुश लंाबा व डेजी मुामंत्री पद के प्रबल दावेदार हैं.पर जो कुछ होता है,उससे कुत्सित राजनीति का अति गंदा चेहरा ही सामने आता है.

लेखनः

न कहानी का अता पता,न पटकथा का.अति घटिया लेखन.वेब सीरीज के शुरूआती एपीसोड मे युद्धवीर यानीकि अभिनेता सुमित व्यास का संवाद है-‘‘सपने और सेक्स दोनो में एक बात काॅमन होती है.अगर पूरे न हो तो आॅर्गेजम नहीं होती.’’इसी से अहसास हो जाता है कि लेखक की सोच क्या हैं?पूरी सीरीज के कंटेंट व कहानी का अहसास हो जाता है.पूरे दस एपीसोड में सिर्फ लिपलाॅप किसिंग/चुम्मा चाटी,सेक्स ,संभोग दृष्य,गंदी गालियों को जबरन ठूंसा गया है.संवाद के नाम पर सिर्फ गंदी गालियों की ही भरमार है.लड़के व लड़की सभी सिगरेट,ड्ग्स व शराब का सेवन करते ुहुए नजर आते हैं.क्या आज की युवा पीढ़ी के पास इसके अलावा कोई काम ही नही है?कम से कम हमें समाज में ऐसी युवा पीढ़ी का प्रतिशत न केबराबर ही नजर आता है.आखिर इस तरह की कहानी व दृष्य परोसने के पीछे निर्माता,निर्देशक व लेखक की मंशा क्या है?वह ख्ुाद क्या पाना चाहते हैं और किस तरह का समाज व देश बनाना चाहते हैं?

ताशी का किरदार निभा रही अभिनेत्री मधुरिमा राॅय काॅलेज के प्रांगण में लड़के व लड़कियों की भीड़ के सामने अपनी ‘‘ब्रा’’ निकालकर हवा में उछालते हुए ‘आजादी’का जयघोश करती है.उसके बाद वहां मौजूद सभी लड़कियां भी अपनी अपनी ‘‘ब्रा’’ निकालकर हवा में उछालकर ‘आजादी’ का जयघोश करती हैं.तो क्या ‘‘नारी स्वतंत्रता’’और ‘‘नारी सशक्तिकरण’‘, ‘‘ब्रा’’ को फेंकने में ही है.

कुछ सेक्स/संभोग दृष्य बहुत ही भद्दे ढंग से फिल्माए गए हैं.परिणामतः इसे परिवार के संग नही देखा जा सकता है.तो वहीं कहानी में कई जगह झोल है.कुछ चीजंे बहुत ही ज्यादा अस्पष्ट ढंग से घटित होती हैं.कहानी बार बार वर्तमान से अतीत में जाती रहती है.पर पटकथा लेखक की कमजोरी के चलते कुछ दृष्यों का दोहराव भी है.कई जगह दर्षक समझ नही पाता कि हो क्या रहा है.युद्धवीर सिंह के परिवार को सही ढंग से पेश नहीं किया गया.पारिवारिक रंजिश भी सही एंग से चित्रित न हो सकी.

फिल्मकार व लेखक ने लोकतंत्र व चुनाव पर भी कटाक्ष किया है.एक जगह एसीपी अभिमन्यू सिंह का यह संवाद-‘‘राजनीति में हादसे नहीं होते,मर्डर होते हैं.’’एक अन्य संवाद है-‘‘पोलीटिक्स एंड सेक्स डोन्ट गिव यू इंज्वाॅयमेंट अनलेस यू हैव आर्गेजम.’’

युद्धवीर बार बार कहता है- ‘‘पोलीटिक्स इज फक,डेमोक्रेसी इज मिथ.’

कहानी में ‘टर्न और ट्विस्ट’ भी शून्य ही हैं.कहानी राजस्थान की है.मगर राजस्थानी शब्द कहीं सुनायी नही देता.

इस वेब सीरीज में प्रतिभाशाली कलाकारों का जमघट होने के बावजूद अच्छी वेब सीरीज नही बन पायी.इसके लिए लेखक व निर्देशक दोनों ही दोषी हैं.क्यांेकि चरित्र चित्रण काफी कमजोर हैं.क्लायमेक्स जरुरत से ज्यादा कमजोर है.

निर्देशनः

बतौर निर्देशक सात्विक मोहंती की यह दूसरी वेब सीरीज है.पर पहले ओटीटी प्लेटफार्म पर आयी ैहै,जबकि उनकी पहली वेब सीरीज ‘राॅंची डायरी’अब तक रिलीज नहीं हुई है.निर्देशक के तौर पर वह अपना कोई प्रभाव नही छोड़ पाते.प्रचारित किया गया था कि यह पोलीटिकल थ्रिलर है,मगर इसमें राजनीतिक चालबाजियां नही है,सिर्फ महत्वाकंाक्षा की पूर्ति के लिए उठाए गए निम्नस्तर के कारनामे ही हैं.

अभिनयः

सुमित व्यास ने जिस तरह का अभिनय किया है,वह महज कैरीकेचर के अलावा कुछ नही है. उनकी परफार्मेंस बहुत ही ज्यादा निराशाजनक है. युद्धवीर सिंह का किरदार पहले पांच एपीसोड तक बड़ी लंबी दाढ़ी और बड़े लंबे बालांे के गेटअप में है और छठे एपीसोड के बाद लुक बदल जाता है.पांचवे एपीसोड तक अपरिपक्व राजनेता,वहषी और राक्षस की तरह युद्धवीर नजर आते है.यदि यह कहा जाए कि पहले पांच एपीसोड तक तो वह फिल्म‘कबीर सिंह’और ‘उल्टा पंजाब’के शाहिद कपूर के किरदारों की नकल करते हुए नजर आते हैं,तो गलत नही होगा.इस सीरीज को देखकर अहसास होता है कि सुमित व्यास खुद अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं.यही वजह है कि ‘रिबन’में हीरो बनकर आने के बाद उन्हे किसी भी फिल्म में हीरो बनने का मौका नही मिला.इस वेब सीरीज में उनका अभिनय पूरी तरह से नकली है.जबकि हमें पता है कि सुमित व्यास  हैंडसम होने के साथ ही बेहतरीन अभिनेता व बेहतरीन लेखक भी हैं, उसके बाद भी वह‘डार्क 7 व्हाइट’ जैसी वेब सीरीज करने के लिए तैयार होते हैं,तो इसे क्या कहा जाए? इससे एक ही बात समझ मंे आती है कि इस तरह वह अपने कैरियर को तबाह करने पर तुले हुए हैं.

पुलिस इंस्पेक्टर के किरदार में जतिन शर्मा शुरूआत में अपने अभिनय से प्रभावित करते हैं,मगर एसीपी बनते ही उनका अभिनय भी खराब हो जाता है.

डेजी के किरदार में निधि सिंह ने काफी सधा हुआ अभिनय किया है.यह अलग बात है कि लेखक व निर्देशक ने उनके किरदार को ज्यादा तवज्जो नहीं दी है.ग्रेस्मा के किरदार में तान्या कालरा ने ठीक ठाक परफार्म किया है.

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