दोस्त के आने पर इंटरनैशनल खिलाड़ी ने की खुदकुशी

साई हौस्टल के रूम में एक इंटरनैशनल गोल्ड मेडेलिस्ट एथलीट संदिग्ध परिस्थितियों में पंखे से लटका मिला. उन्हें एक लड़की और हौस्टल के गार्ड ने पंखे से नीचे उतारकर अस्पताल में दाखिल कराया. जहां इलाज के दौरान उनकी बुधवार सुबह मौत हो गई. फिलहाल मौत के कारणों का कुछ पता नहीं लग सका है. मौके से कोई स्यूसाइड नोट भी बरामद नहीं हुआ है. पुलिस का कहना है कि अभी तक कुछ नहीं कहा जा सकता कि आखिर यंग एथलीट ने ऐसा क्यों किया.

साउथ दिल्ली की औडिश्नल डीसीपी विजयंता आर्य ने बताया कि मृतक एथलीट का नाम पलिंदर चौधरी (18) है. मूलरूप से वह अलीगढ़ के गांव केमथल के रहने वाले थे. वह यहां जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में स्पोर्ट्स अथौरिटी औफ इंडिया (साई) के हॉस्टल में रहकर 100 और 200 मीटर रेस की तैयारी कर रहे थे. घटना मंगलवार शाम करीब 5:15 से 5:30 बजे के बीच की बताई गई है. सफदरजंग अस्पताल से पुलिस को मंगलवार रात 9 बजे कॉल की गई. जहां से बताया गया था कि कोच हरकमलजीत सिंह ने बेहोशी की हालत में एथलीट को सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया. मौके पर पुलिस पहुंची.

जांच में पता लगा कि मंगलवार शाम एथलीट पलिंदर से मिलने कोई लड़की आई थी. जिसने हौस्टल में अपना परिचय पलिंदर की दोस्त के रूप में दिया था. पता लगा है कि पलिंदर को सबसे पहले उन्होंने ही पंखे से लटका देखा था. पलिंदर क्रेप बैंडेज (गर्म पट्टी) से पंखे से लटके हुए थे. हालांकि, मामले में सूत्र यह भी बता रहे हैं कि पलिंदर ने लड़की के सामने ही पंखे से लटकने की कोशिश की थी. जिससे घबराकर लड़की हौस्टल के रूम नंबर-69 से बाहर भागी और गार्ड को बुलाकर लाई थी. लेकिन जब तक पलिंदर पंखे से लटक चुके थे.

उसी वक्त अपने आप को पलिंदर की दोस्त बताने वाली लड़की और गार्ड ने पंखे से लटके पलिंदर को क्रेप बैंडेज काटकर नीचे उतारा और साई के कोच समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को इसकी खबर दी. सबसे पहले पलिंदर को बेहोशी की हालत में स्टेडियम के अंदर ही स्थित मेडिकल सेंटर में ले जाया गया. लेकिन मामला पेचीदा होने की वजह से उन्हें वहां से कुछ ही देर में सफदरजंग अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया. वहां इलाज के दौरान उनकी बुधवार तड़के मौत हो गई. पुलिस ने बताया कि शव का पोस्टमौर्टम कराकर परिजनों को सौंप दिया गया है.

पुलिस ने बताया कि अभी तक इस मामले में उन्होंने किसी से पूछताछ नहीं की है. लेकिन जल्द ही वह पलिंदर के दोस्तों, कोच और लड़की से भी पूछताछ करेगी. अभी यह भी जांच का विषय है कि पलिंदर जिस वक्त पंखे से लटके उस वक्त क्या लड़की हौस्टल रूम के अंदर ही थी या बाहर. पलिंदर यहां हौस्टल में नवंबर 2016 से रह रहे थे.

पलिंदर के नाम नैशनल रेकौर्ड, आर्मी में मिली थी नौकरी भी

एथलीट पलिंदर कुमार चौधरी के नाम अंडर-16 का 100 मीटर का नैशनल रेकौर्ड दर्ज था. 18 साल के पलिंदर देश के होनहार खिलाड़ियों में शामिल थे. उनकी आत्महत्या की जांच के लिए स्पोर्ट्स अथौरिटी औफ इंडिया ने अपने सेक्रेटरी स्वर्ण सिंह छाबड़ा की अगुआई में कमिटी गठित की है.

अलीगढ़ के पलिंदर ने बहुत कम समय में अपनी पहचान बना ली थी. रांची में 2015 में आयोजित नैशनल चैंपियनशिप में उन्होंने अंडर-16 कैटिगरी में 100 मीटर की रेस 11.01 सेकंड में पूरी कर नैशनल रिकौर्ड की बराबरी की थी. जूनियर स्तर पर उनके बेहतर प्रदर्शन के आधार पर उन्हें दो बार देश का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला था.

अथौरिटी के सेंटर में आने के कुछ ही दिन बाद उन्हें 2017 में बैंकौक में आयोजित एशियन यूथ ऐथलेटिक्स चैंपियनशिप में हिस्सा लेने का मौका मिला. वहां उन्होंने रिले रेस में गोल्ड मेडल जीता था. उन्होंने वर्ल्ड यूथ चैंपियनशिप में भी हिस्सा लिया था. अपने प्रदर्शन से लगातार प्रभावित कर रहे पलिंदर को आर्मी में नौकरी भी मिली थी. जौइनिंग की प्रक्रिया पूरी करने में वह लगे हुए थे.

ओलिंपिक में लाना चाहता था गोल्ड, हाथ पर बनवाया रिंग्स का टैटू

देश हो या विदेश, वह जहां भी दौड़ा, गोल्ड लेकर ही आया. अब उसके दिलोदिमाग पर केवल ओलिंपिक ही छाया हुआ था. किसी भी सूरत में वह गोल्ड लाने के लिए पागल हुआ जा रहा था. ओलिंपिक के प्रति उसकी दीवानगी उसके दिमाग में इस कदर हावी हो गई थी कि उसने एक हाथ पर ओलिंपिक के सिंबल का टैटू तक गुदवा लिया था. यह कहना है मृतक इंटरनैशनल एथलीट पलिंदर चौधरी के पहले कोच अजीत कुमार का जो अब उन्हें अपना सबसे अच्छा दोस्त भी मानते थे.

अजीत कुमार ने बताया कि पलिंदर ने शुरुआत लौन्ग जंप से की थी. लेकिन उसे जल्द समझ में आ गया कि वह लंबी कूद के लिए नहीं बना है बल्कि दौड़ के लिए बना है. उसने 100 और 200 मीटर की दौड़ की तैयारी शुरू की. देखते ही देखते वह इसमें चमकने लगा. स्कूल स्तर पर शुरू हुई उसकी गोल्ड जीतने की शुरुआत ने बैंकौक और कीनिया में गोल्ड पर मुहर लगाई. उन्होंने बताया कि पलिंदर का मंगलवार दोपहर 2 बजे ही उनके पास फोन आया था. कोई दौड़ की प्रतियोगिता होने वाली है उसके बारे में पूछ रहा था. इसके बाद आज पता चला कि अब वह इस दुनिया में नहीं रहा. सही में भारत ने एक हीरे को खो दिया, जो आने वाले समय में देश का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोशन करता.

‘न झगड़ा न विवाद…2 घंटे पहले हुई थी उससे बात’

पलिंदर चौधरी के पिता महेशपाल ने बताया कि पैसों को लेकर या अन्य किसी भी मुद्दे को लेकर उसका परिवार से कोई झगड़ा या विवाद नहीं था. मंगलवार को तीन बजे ही तो उससे फोन पर बात हुई थी. उसने कुछ रूपये भिजवाने की बात कही थी, तो मैंने बोल दिया था कि धान बिकने वाला है. 1 दिसंबर तक उसके पास पैसे पहुंच जाएंगे. इससे वह पूरी तरह से संतुष्ट था. उसने पैसों की कोई तुरंत जरूरत नहीं जताई थी. हमारी तो यह समझ में ही नहीं आ रहा कि जिस वक्त मेरी उससे बात हुई थी. वह एकदम सही था और सामान्य रूप से बात कर रहा था. आखिर बात करने के बाद दो-ढाई घंटे में ऐसी क्या बात हुई जो उसने ऐसा कदम उठा लिया. हमें यकीन नहीं हो रहा कि वह स्यूसाइड कर सकता है. मृतक एथलीट पलिंदर के पिता महेशपाल ने बताया कि उसने हमसे जब-जब पैसें मांगे. हमने उसकी मांग को तुरंत पूरा किया. हमारा तो एक ही बच्चा था. वह भी चला गया. अब हम कैसे रहेंगे…

उन्होंने बताया कि हमारे पास मंगलवार शाम करीब 5:30 बजे हौस्टल से फोन आया था कि आप जल्द आ जाइए, पलिंदर को तेज बुखार हो गया है. उन्हें यह नहीं बताया कि वह पंखे से लटक गया है या लटका मिला है. वह लोग अलीगढ़ से तुरंत दिल्ली के लिए रवाना हो गए. रात करीब 8:30-9 बजे तक वह यहां पहुंच गए. यहां आकर हमें यह बात बताई गई कि वह अपने रूम में पंखे से लटक गया था. लेकिन क्यों/ इसका जवाब किसी के पास नहीं है.

उन्होंने बताया कि यह तो हमें नहीं पता कि हौस्टल में उसके साथ कोई परेशानी चल रही थी या नहीं या फिर कोच से किसी तरह की अनबन. लेकिन हमारा बहादुर और भविष्य में देश का नाम रोशन करने वाला एक अच्छा मां का सपूत दुनिया से चला गया. मामले में पुलिस का कहना है कि जब हम हौस्टल के उस रूम में पहुंचे. जहां बताया गया था कि पलिंदर पंखे से लटक गया था. वहां रूम बाहर से लॉक मिला था. उस तमाम जगह जांच की जाएगी कि कहां-कहां सीसीटीवी कैमरे लगे हैं. उनकी फुटेज की भी जांच की जाएगी.

मृतक पलिंदर की चाचा-ताऊ की बहनों में सुमन ने कहा कि पैसों की वजह से वह ऐसा नहीं कर सकता. हमें तो अभी भी यकीन नहीं हो रहा कि उसने ऐसा कदम उठा लिया. इसकी ठीक से जांच होनी चाहिए.

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