पोंगापंथ: काले जादू के नाम पर नरबलि

26 सितंबर, 2022 को कोच्चि शहर के एक थाने में शिकायत मिली थी, जिस में एक औरत ने बताया था कि उस की 50 साल की बहन पद्मा कई दिनों से लापता है, जो कुछ महीने पहले से ही कोच्चि में रह रही थी. इस से पहले वह तमिलनाडु के धर्मापुरी इलाके में रहती थी.

पुलिस द्वारा जब पद्मा के फोन की जांच हुई, तो उस में किसी रशीद उर्फ मोहम्मद शफी का नंबर भी था. पुलिस ने शक के आधार पर उस के बारे में जानकारी जुटाई और हिरासत में ले कर पूछताछ की, तबएक सनसनीखेज जानकारी सामने आई.

पता चला कि एक औरत की नहीं, बल्कि 2 औरतों की नरबलि दी गई थी. दूसरी औरत का नाम रोजलीन था, जो 49 साल की थी.

पद्मा और रोजलीन में दोनों लौटरी वैंडर थीं. रशीद ने उन्हें झांसा दिया था कि अगर वे एक खास जगह पर एकसाथ काला जादू करेंगी, तो उन्हें पैसे के तौर पर काफी ज्यादा फायदा होगा.

पद्मा और रोजलीन को पैसों की जरूरत थी, इसलिए वे जल्दी ही रशीद के झांसे में आ गईं और अपनी जान से हाथ धो बैठीं. पुलिस जांच में यह भी पता चला कि रोजलीन 8 जून, 2022 को ही लापता हो गई थी. वह एर्नाकुलम जिले की रहने वाली थी.

रोजलीन की बेटी मंजू उत्तर प्रदेश में टीचर है. उसे जब अपने मां की कोई जानकारी नहीं मिली, तब केरल आ कर उस ने 17 अगस्त, 2022 को कैलडी थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी, लेकिन कोई सुराग नहीं मिल पाया था.

ये भी थे शामिल

रशीद अकेला ही नहीं था, जो इस नरबलि में शामिल था. पुलिस ने भगवल सिंह और उस की पत्नी लैला को भी हिरासत में लिया. वे दोनों देशी तरीके से लोगों का इलाज करने का दावा करते थे. उन का एक मसाज पार्लर बताया जा रहा था.

रशीद सोशल मीडिया के जरीए भगवल सिंह के संपर्क में आया था. वहीं पर उस ने बताया था कि अगर औरतों की नरबलि दी जाए, तो भगवल सिंह और लैला को पैसे के लिहाज से काफी फायदा मिलेगा. पुलिस को दिए गए अपने बयान में भगवल सिंह और लैला ने बताया कि उन्होंने पद्मा और रोजलीन का गला काट कर उन की हत्या कर दी थी और फिर लाश को खेत में दफना दिया था.

जून और सितंबर में पद्मा और रोजलीन को तंत्रमंत्र और काला जादू करने के बाद उन के सिर को काट कर पहले धड़ से अलग किया गया था. इस के बाद उन के शरीर को कई टुकड़ों में काट कर घर से थोड़ी दूरी पर ही जंगल में दफना दिया गया था.

अंधविश्वास है जड़

धर्म की आड़ और अंधविश्वास की ढाल के सहारे हमारे देश में ऐसी तमाम बुराइयों को जिंदा रखा गया है, जिस से लोगों में पैसे का लालच बना रहे और वे उस के लिए कुछ भी करने को तैयार रहें. भगवल सिंह और लैला के साथसाथ पद्मा और रोजलीन अपराधी किस्म के रशीद के लालच में इसलिए फंसे, क्योंकि पैसे की कमी उन की दुखती रग थी.

भगवल सिंह और लैला कहने को तो लोगों का इलाज करते थे, पर अपने ही दिमाग पर पड़ी काले जादू की काली चादर को उतार नहीं पाए और एक आदमी के कहने पर उन्होंने अपने हाथ खून से रंग दिए.

किसी की वहशी तरीके से हत्या करने से पहले उन्होंने एक बार भी नहीं सोचा कि आज के मोबाइल फोन के जमाने में हत्या करने जैसा बड़ा अपराध छिपाना आसान नहीं है. पुलिस को पद्मा के फोन से ही पहला अहम सुराग मिला था.

लेकिन लोग समझते ही नहीं हैं और आज भी काले जादू और तंत्रमंत्र पर आंख मूंद कर यकीन कर लेते हैं. पिछले कुछ सालों में जब से भारत में धर्म के नाम पर लोगों को सोशल मीडिया पर बरगलाने का खेल शुरू हुआ है, तब से अंधविश्वास भी बुलेट ट्रेन की रफ्तार से आगे बढ़ा है.

पिछले साल दशहरा त्योहार के मौके पर बिहार के अररिया में अंधविश्वास के चक्कर में एक 25 साल के एमबीए छात्र की गला काट कर हत्या कर दी गई थी. इस नरबलि में तांत्रिक औरत, उस के पति और बेटे का नाम सामने आया था.

इस तरह के अंधविश्वास से जुड़े अपराध को पढ़ाईलिखाई से ही दूर किया जा सकता है खासकर वंचित और गरीब समाज के लोगों को पढ़ाई पर पूरा जोर देना चाहिए. पढ़ने से बोलनेचालने का तरीका आता है, समाज में रुतबा बढ़ता है और फुजूल के अंधविश्वास से दूरी बनी रहती है.

लिहाजा, गरीब और वंचित परिवारों की नई पीढ़ी को जरूर पढ़ना चाहिए, ताकि नरबलि जैसे उन तमाम अपराधों पर अंकुश लग सके, जिन की जड़ में पैसे की कमी होती है.

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