Story In Hindi: शिकार

Story In Hindi: वह जानता था कि उस का अंत क्या होगा. वह जो करने जा रहा है, उस का नतीजा क्या होगा. लेकिन वह खुद को मजबूर पा रहा था. हवस का जहरीला कीड़ा उस की रगरग में समा चुका था. दिल ने साथ देना बंद कर दिया था और दिमाग पर तो जैसे जंग लग चुका था.

उस के पास मोबाइल था, जिस में वह हमेशा पोर्न साइट देखता था. दिमाग में एक ही चीज भरी हुई थी कि औरत महज एक शरीर और मर्द की जरूरत पूरी करने का साधन है.

इस घने जंगल में एक घायल लड़की भी थी. बेहोश होने से पहले लड़की ने बताया था कि जानवर चराते हुए वह राह भटक गई. एक भालू ने अचानक उस पर हमला किया. खुद को बचाते हुए वह भागती रही और जंगल के बहुत अंदर आ गई थी. उसे घर जाना था.

वह लड़की कराह रही थी. भालू के पंजे की चोट और उस के डर ने उसे बेहोश कर दिया था, लेकिन इस आदमी को देख कर तो वह ऐसे डरी, जैसे अब बचना नामुमकिन हो. इस तरह तो कोई जानवर दूसरे जानवर को देख कर भी नहीं डरता, वह तो फिर भी इनसान है.

इनसान का इनसान से डरना कहां तक ठीक है? हां, ठीक ही है, क्योंकि इनसान के रूप में उसे वह लड़की महज एक शरीर के रूप में नजर आ रही थी.

वह शिकार का मजा लेने अपने एक दोस्त के साथ छिप कर इस जंगल में आया था. मचान बनाने के बाद बंदूक ले कर वह पहले मचान पर चढ़ा.

उस के दोस्त ने जैसे ही मचान की पहली सीढ़ी पर कदम रखा, तेज रफ्तार से बाघ झपटा मार कर उसे घसीटते हुए ले गया.

घबराहट और डर के मारे वह बंदूक चलाना भूल गया. दोस्त की चीखें उस के कानों में अब तक गूंज रही थीं. उसे होश संभालने में काफी समय लगा. काफी इंतजार किया, लेकिन बाघ फिर नहीं आया.

भागतीहांफती वह लड़की आई. जख्मी हालत में और अपने सामने एक मर्द को देख कर खुश होने की बजाय डर से बेहोश हो गई. जैसे अब बचने को कोई उम्मीद न हो. वह अभी भी मचान पर बैठा था. लड़की बेहोश पड़ी थी.

वह सोच रहा था कि इस से पहले लड़की को कोई जंगली जानवर शिकार कर ले उस से अच्छा है कि वह उसे मचान पर ले आए और फिर उस के साथ…

इस घने जंगल में कौन देखता है कि किस ने, किस का शिकार किया. न तो वह आसपास के गांव का है और न ही लड़की उसे पहचानती है. फिर उस ने तो लड़की की जान बचा कर अहसान ही किया है उस पर. इस अहसान के बदले अगर वह उस का शरीर पा लेता है, तो यह लड़की की जान से सस्ता ही है. अगर इसे सौदा भी मान लिया जाए तो…

वह बंदूक ताने मचान से धीरेधीरे नीचे उतरा. उसे जंगली जानवरों से भी बचना था. जंगल का कानून तो यही है कि ताकतवर कमजोर को खा कर अपने पेट की भूख शांत करता है.

उस ने पास आ कर गौर से लड़की को देखा. लड़की की उम्र 16-17 साल से ज्यादा नहीं लगी उसे. गोरा रंग, गांव की खूबसूरत बाला. सलवारकुरता कई जगह से फट चुका था. पीठ पर भालू के पंजे का निशान था. बहता हुआ खून जम चुका था.

वह लड़की को घसीटते हुए मचान तक लाया, फिर कंधे पर उठा कर मचान पर चढ़ गया.

लड़की अब भी बेहोश थी. उस ने लड़की के शरीर पर कई बार निगाह दौड़ाई.

अचानक वह उस के शरीर को घूरने लगा, फिर उस के अंदर लड़की का शरीर भोगने की लालसा जाग उठी. औरत भी तो यही चाहती है.

उसे अपनी पत्नी की बात याद आई, ‘मैं तुम्हें छोड़ कर जा रही हूं. मेरी इच्छाओं को पूरा करने के तुम काबिल नहीं हो. तुम्हें मेरे शरीर की कदर नहीं है.’

‘हां, इसी शरीर सुख के लिए तो पत्नी अपने प्रेमी के साथ चली गई मुझे छोड़ कर और मैं ने खुद को शराब और शिकार में लगा दिया. जंगलजंगल भटकने लगा. यह जानते हुए भी कि शिकार करना गैरकानूनी है.

पकड़े जाने पर सजा हो सकती है, लेकिन आदत एक बार लग गई तो छोड़ना मुश्किल होता है.’ वह सोच रहा था.

शरीर की भूख मिटाने के लिए वह रैडलाइट एरिया में जाता और शिकार की आदत के लिए वह जंगल जाता. उस ने जंगल के आसपास के गांवों में कई दोस्त बना लिए थे. शिकार करने में ज्यादा दिक्कत होती, तो वह फोरैस्ट वालों को घूस दे कर पटा लेता था.

जंगली जानवरों का शिकार करते हुए वह यही सोचता जैसे अपनी घर छोड़ कर गई पत्नी का शिकार कर रहा हो.

जंगल का कानून ही हर जगह चलता है. कहने को हम भले ही सामाजिक हो गए हों, लेकिन हकीकत यही है कि हर कमजोर शिकार है और ताकतवर शिकारी.

भागते हुए हिरन को गोली मारते समय उस के मन में यह खयाल नहीं आया कि वह हत्या कर रहा है या कानून तोड़ रहा है. हां, जब उस का दोस्त बाघ का शिकार हुआ, तब उसे जरूर लगा कि बाघ ने उस के दोस्त की हत्या की है और वह इस का बदला ले कर रहेगा.

उस ने यह कह कर खुद को समझाया कि बाघ के हाथों मरना उस के दोस्त की किस्मत थी. बाघ ताकतवर था, उस का दोस्त कमजोर. उस के मन में यह विचार नहीं आया कि वह जंगली जानवरों की हत्या कर के मजा लेने जंगल में आया है. न वह यहां होता, न उस का दोस्त मारा जाता.

अब उस का सारा ध्यान लड़की के शरीर पर था, ‘अगर मैं इस लड़की के साथ कुछ करता हूं, तो क्या गलत होगा? यह शिकार है और मैं शिकारी. यह कमजोर है और मैं ताकतवर और जंगल के कानून के हिसाब से कानून मेरे साथ है. यह कोई शहर नहीं.’

उस के मन में हवस के कीड़े कुलबुलाने लगे. उस ने लड़की के कपड़े खींचने शुरू किए कि तभी लड़की को होश आ गया.

लड़की उसे देख कर बुरी तरह डर गई और बोली, ‘‘मुझे छोड़ दीजिए.’’

उस ने हैरत और गुस्से से कहा, ‘‘तुम नीचे घायल पड़ी थी. मैं उठा कर मचान पर न लाता तो तुम बाघ का शिकार बन चुकी होती. बेहोश होने से पहले तुम ने बताया था और तुम्हारी पीठ का जख्म देख कर लग भी रहा है कि भालू ने तुम पर हमला किया था. जंगली जानवरों से डरने के बजाय तुम मुझ से डर रही हो. मैं ने तो तुम्हें बचाया है.’’

‘‘क्योंकि आप में और उन जानवरों में ज्यादा फर्क नहीं है. वे मार कर शरीर खा जाते और आप इस शरीर को खराब कर के मुझे जिंदगीभर के लिए जख्मी कर देते.’’

‘‘तुम्हें अपनी जान प्यारी है या इज्जत?’’

‘‘मैं लड़की हूं. मुझे अपनी इज्जत प्यारी है और जान भी प्यारी है, लेकिन इज्जत के बिना जिंदगी मौत के समान है,’’ वह लड़की बोली.

‘‘एक अकेली लड़की को देख कर ऐसा खयाल आना गलत नहीं है.’’

‘‘कैसा खयाल? रेप का?’’

‘‘अपनी हवस मिटाने का.’’

‘‘और आप की पलभर की हवस के लिए मैं जिंदगीभर नरक भोगती रहूं?’’ वह लड़की बोली.

‘‘मैं ऐसा भी सोच सकता था कि मैं तुम्हारी जान बचाऊं. तुम्हारे जख्मों को मरहम दूं. तुम्हें महफूज घर तक छोड़ दूं. फिर शायद तुम्हारे दिल में मेरे लिए प्यार का बीज फूट पड़ता. लेकिन शरीर की भूख इतना इंतजार नहीं कर सकती.’’

‘‘क्या तुम लड़की के दिल में प्यार और इज्जत का भाव पाना छोटी बात समझते हो? एक औरत अगर किसी मर्द की इज्जत करती है या प्यार, यह अपनेआप में शानदार है.’’

‘‘लेकिन इतना सब्र नहीं है मुझ में. जो चाहिए वह मैं छीन कर अभी इसी वक्त ले सकता हूं. फिर इतना सब नाटक क्यों? क्यों मैं हाथ आए शिकार को छोड़ दूं.’’

‘‘अकेली लड़की शिकार है तुम्हारी नजर में?’’

‘‘अगर मैं हां कहूं तो गलत नहीं होगा. मैं बेकार में शराफत का नाटक क्यों करूं? फिर तुम साथ दो तो तुम्हें भी मजा आएगा. फिर यह रेप नहीं होगा, वह बोला.’’

‘‘प्यार भी नहीं होगा.’’

‘‘मैं रुक नहीं सकता. मेरा दिमाग काम नहीं कर रहा है. मैं खुद पर और काबू नहीं रख सकता,’’ कहते हुए उस ने अपनी बंदूक एक तरफ रख दी और लड़की को अपनी तरफ जबरदस्ती खींच लिया.

लड़की पहले से चोटिल थी. उस के खींचने से उसे और दर्द हुआ.

उस ने उस लड़की को जबरन लिटा दिया और उस के ऊपर आ कर उस के सीने से दुपट्टा खींच कर फेंक दिया.

लड़की ने कहा, ‘‘अगर कमजोर शिकार है ताकतवर शिकारी, तो ठीक है. कभी मैं ताकतवर हुई तो तुम्हारा शिकार कर सकती हूं.’’

वह वहशी हो चुका था. उस ने लड़की के सीने में दांत गड़ा कर कहा, ‘‘इस समय में ताकतवर हूं और यहां न कोईर् समाज है, न कानून. न गवाह, न सुबूत.’’

‘‘सुबूत मैं खुद हूं.’’

‘‘मैं तुम्हारी हत्या कर दूंगा. तब कोई सुबूत भी नहीं रहेगा कहते हुए,’’ उस ने उस लड़की का ऊपरी कपड़ा फाड़ डाला.

‘‘इस का मतलब यह हुआ कि जिस वजह से तुम खुद को मर्द कहते हो. उस मर्दानगी की वजह से तुम्हें रेप और हत्या करनी पड़ेगी. फिर भी तुम्हें अपने मर्द होने का घमंड है?’’

‘‘यह तो कुदरती है.’’

‘‘लेकिन रेप और हत्या कुदरती नहीं है.’’

‘‘मैं कोई साधुसंत नहीं. तुम्हें देख कर मेरे अंदर हवस का भाव जागा और से पूरा करना जरूरी है मेरे लिए.’’

‘‘इस का मतलब यह हुआ कि मुझे अपना बचाव खुद करना पड़ेगा. तुम मर्द हो कर हिफाजत करने की जगह जुल्म कर रहे हो.’’

‘‘हां, कर रहा हूं. तुम अपने बचाव में सिर्फ रो सकती हो. कोई ऐसी उम्मीद भी मत रखना कि मेरा मन बदल जाएगा या आसमान से कोई देवदूत तुम्हें बचाने आ जाए.’’

‘‘तुम इनसान होते तो मेरे जख्मों पर मरहम लगाने की सोचते. मुझ डरी हुई लड़की को हिम्मत देते. लेकिन तुम जंगली जानवर ही निकले. तुम से उम्मीद करना बेकार है,’’ लड़की ने पूरी ताकत लगा कर उसे धक्का दिया.

मचान छोटा था. उस का बैलेंस बिगड़ गया. वह मचान से नीचे गिर पड़ा. लड़की ने फौरन पास पड़ी बंदूक उठा ली और उस की तरफ तान दी.

बाघ की दहाड़ सुनाई दी. बाघ उस की तरफ बढ़ रहा था. उस ने चीख कर कहा, ‘‘मुझे बचा लो. मैं माफी मांगता हूं. बाघ को गोली मारो.’’

‘‘मेरे लिए एक आदमखोर है दूसरा औरतखोर. मुझे दोनों से ही बचना है. अब तुम शिकार हो, मैं शिकारी. मर्दऔरत के बीच अगर ताकतवर और कमजोर वाली बात है, तो औरत भी ताकतवर हो सकती है. फिर तुम कैसे बचोगे?’’

उस की घिग्घी बंध चुकी थी. बाघ धीरेधीरे उस की तरफ बढ़ रहा था और लड़की उस की तरफ बंदूक ताने हुए थी, जो कभी भी चल सकती थी.

उस ने डर से कांपते हुए कहा, ‘‘बाघ के हाथों मरने से अच्छा है कि तुम मुझे गोली मार दो. प्लीज, मार दो मुझे.’’

‘‘शिकारी से रहम की उम्मीद नहीं करना चाहिए. तुम्हीं से सीखा है अभीअभी मैं ने.’’

एक दहाड़ के साथ बाघ ने उस पर छलांग लगा दी. वह चीखा चिल्लाया. थोड़ी देर में उस का दम निकल गया.

लड़की ने ट्रिगर दबाया. गोली बाघ के सिर में लगी. वह छटपटाया और ढेर हो गया.

लड़की धीरेधीरे मचान से उतरी और पूर्व दिशा की ओर बढ़ने लगी. Story In Hindi

Hindi Story: स्कूटी वाली भौजी

Hindi Story: दुर्गेश बहुत तेजी से आगे बढ़ना चाहता था. उसे लगता था कि गांव में सब से आगे उस का और उस के घरपरिवार का नाम रहे. वह पढ़ालिखा नहीं था. उस की संगत भी खराब लोगों से थी. उस का ज्यादातर समय गांव के बाहर बाग में बने मंदिर में गुजरता था. वहां रोजाना 20-25 लोग आते थे.

पहले वे सब हुक्का पीने के आदी थे, पर अब धीरेधीरे हुक्के की जगह गांजा ने ले ली. अब यह नशेडि़यों का अड्डा सा बन गया था.

दुर्गेश को भी गांजा पीने की आदत लग गई थी. गांजा बेचने वाला 10 किलोमीटर दूर के एक गांव भुलाबल से आता था.

नशे की लत में दुर्गेश एक बार मारपीट में शामिल हो गया था. पुलिस ने उसे पकड़ा और उसे जेल भेज दिया. 15 दिन जेल में रहने के बाद वह जमानत पर छूट कर आया.

इस के बाद कई महीने तक तो दुर्गेश गांव आने से बचता रहा था. पर फिर धीरेधीरे वह गांव आने लगा और अपने पुराने साथियों के साथ पहले की तरह उठनेबैठने लगा.

जेल में दुर्गेश को कई ऐसे लोग मिले थे, जो नशा बेचने के जुर्म में बंद थे. उन्हीं में से एक रहीम था. उस ने दुर्गेश की जेल में बड़ी मदद की थी. उस ने औफर दिया था कि अगर वे दोनों साथ मिल जाएं, तो अच्छा पैसा कमा सकते हैं.

जेल जाने के बाद अब दुर्गेश के मन का डर खत्म हो गया था. उसे समझ आ गया था कि पैसा सब से बड़ी चीज है. वह पुलिस और अदालत हर जगह काम आती है.

20 दिन के बाद रहीम भी जेल से बाहर आ गया था. वह दुर्गेश से मिलने उस के घर आ गया. वहां दुर्गेश ने उस की खातिरदारी की और उसे अपने बीवीबच्चों से भी मिलवाया.

दुर्गेश और रहीम एक ही उम्र के थे. रहीम की नजर दुर्गेश की पत्नी दीपा पर पड़ी. 5 और 7 साल के 2 बच्चों की मां होने के बाद भी दीपा बहुत खूबसूरत और दिलकश लग रही थी.

रहीम दीपा को देख कर मचल गया और बोला, ‘‘भौजी, अगर तुम और दुर्गेश भाई मेरी योजना के हिसाब से काम कर लो, तो कम समय में ही हम सब अमीर बन सकते हैं. आखिर कब तक गरीबी में अपनी खूबसूरती को बरबाद करती रहोगी…’’

‘‘हमें करना क्या होगा? हम तो इन से कहते रहते हैं. ये हमारी सुनते ही नहीं. केवल सपनों की दुनिया में उड़ते रहते हैं,’’ दुर्गेश के बोलने से पहले ही दीपा बोल पड़ी.

‘‘भौजी, हम लोग दूसरों के नशे का इंतजाम कर लें बस. इस से पैसा भी मिलेगा, लोग भी साथ होंगे. मैं आप को एक स्कूटी दिला देता हूं और उसे चलाना भी सिखा दूंगा.

‘‘आप पर कोई शक नहीं करेगा. आप केवल सामान लाने का काम करेंगी. बेचने के लिए नैटवर्क हम और दुर्गेश बना लेंगे,’’ रहीम बोला.

‘‘लेकिन पुलिस का क्या करेंगे?’’ दीपा के बोलने से पहले दुर्गेश बोल पड़ा.

‘‘पुलिस को पैसा चाहिए. हम और भौजी मिल कर संभाल लेंगे,’’ रहीम के इतना कहते की दीपा ने कहा, ‘‘ठीक है. मैं तैयार हूं.’’

दरअसल, दीपा को स्कूटी चलाने की बहुत पहले से ही ललक थी. वह भी पंख लगा कर उड़ना चाहती थी. 10 साल की शादी के बाद वह अपने सपने भूल चुकी थी. उस के पास खाना बनाने और बच्चे पैदा करने का ही काम रह गया था. आज रहीम ने जब उसे उस का शौक याद दिलाया, तो वह मना नहीं कर पाई.

अब रहीम अकसर दुर्गेश के घर आनेजाने लगा. उस ने एक दिन दुर्गेश और दीपा को अपना बिजनैस आइडिया सम?ाते हुए कहा, ‘‘स्मैक की अलगअलग मात्रा में बनीबनाई पुडि़या हमें आसानी से मिल जाएगी. एक किलोग्राम अफीम से 50 ग्राम से 80 ग्राम स्मैक तैयार होती है. अफीम को चूने और एक रसायन के साथ मिला कर उबालते हैं. इस से अफीम फट जाती है.

‘‘जब यह पूरी तरह से गाढ़ी हो जाती है, इसे तब तक उबाला जाता है. इस के बाद में इस गाढ़े घोल को सुखा दिया जाता है. सूखने पर यह पाउडर स्मैक कहलाता है.

‘‘उत्तर प्रदेश के बाराबंकी के अलावा राजस्थान के प्रतापगढ़, चित्तौड़गढ़ जिलों के साथसाथ मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल के अफीम उगाने वाले इलाकों में इसे बनाया जाता है. हमारे लोग वहां हैं. वे गोसाईंगंज तक माल भेज देंगे. भौजी केवल 15 से 20 किलोमीटर दूर तक पुडि़या स्कूटी में रख कर लाएंगी, तो किसी को शक नहीं होगा.

‘‘मैं तो कहता हूं कि अगर बच्चों का स्कूल में दाखिला भी उसी तरफ हो जाए, तो भौजी का काम और आसान हो जाएगा. मेरा घर भी उधर ही है. भौजी को कभी दिन में रुकना हो तो वहां रुक भी सकती हैं. बच्चे साथ होंगे तो पुलिस वैसे भी शक नहीं करेगी.’’

रहीम ने पूरी योजना समझा दी. उस के पास अपनी एक स्कूटी थी, जो बहुत कम समय ही चली थी. उस ने वह स्कूटी दुर्गेश को दे दी.

दीपा ने बड़ी जल्दी ही स्कूटी चलाना सीख लिया. वह इस बात से खुश थी कि गांव में वह पहली औरत थी, जो स्कूटी चला रही थी.

जब सब ठीक हो गया तो तकरीबन 2 महीने के बाद दीपा को स्मैक की पुडि़या वाला पैकेट लाने का काम दिया गया. दीपा बड़े आराम से उसे ले कर चली आई. उस के मन का डर निकल गया. इस बार सारी पुडि़या रहीम ने खुद ही अपने पास रखीं. केवल टैस्ट के रूप में 15 पुडि़या दुर्गेश को दी गईं.

दुर्गेश ने गांव वालों के बीच पुडि़या बांटना शुरू कर दिया. धीरेधीरे एक के बाद एक ग्राहक बढ़ने लगे. अब मंदिर में गांजे की जगह स्मैक का इस्तेमाल बढ़ गया.

100 ग्राम स्मैक तकरीबन एक लाख रुपए में मिलती है. इस से छोटीछोटी पुडि़या तैयार की जाती है. 13 सौ रुपए में 2 ग्राम स्मैक मिलती है. एक ग्राम में 7 से 9 पुडि़या बनती हैं. एक पुडि़या 200 रुपए में मिलती है. इस तरह से 14 सौ से 18 सौ रुपए की कमाई हो जाती है.

दीपा को महीने के 20 हजार से 25 हजार रुपए मिलने लगे. पैसा आने लगा तो दीपा को आजादी भी मिलने लगी.

रहीम इसी दिन की ताक में था. उस ने दीपा को अकेले पा कर अपने दिल की बात कह दी. दीपा ने भी समझ लिया था कि उसे अगर पैसा और आजादी चाहिए, तो रहीम की बात मान ले.

अब दीपा को भी रहीम अच्छा लगने लगा था. अखिरकार एक दिन दीपा का सांचे में ढला बदन रहीम की बांहों में था. इस के बाद तो यह सिलसिला चल निकला.

जैसेजैसे स्मैक की पुडि़या ज्यादा बिकने लगीं और कारोबार में ज्यादा पैसा आने लगा, तो दीपा ने दुर्गेश से कहा कि अब आप चुनाव लड़ने की तैयारी करो.

इस के बाद दुर्गेश ने दक्षिणापंथी पार्टी में काम करना शुरू किया. अब उस के कंधे पर अंगोछा आ गया था. एक तरफ नशे का कारोबार था, तो दूसरी तरफ राजनीति तेजी पकड़ रही थी.

एक दिन दीपा दुर्गेश से बोली, ‘‘अब हम लोगों की हालत बेहतर हो गई है. गांव से निकल कर शहर में आ गए हैं. दूसरे काम भी बढ़ गए हैं. नशे का कारोबार रहीम के हवाले कर दो. हम केवल उस की देखभाल करेंगे. अगर पकड़ा गया तो वह जाने, हमारे ऊपर कोई लांछन लगेगा, तो इमेज खराब हो जाएगी. इस के बाद पार्टी भी टिकट नहीं देगी.’’

दुर्गेश की समझ में बात आ गई. उस ने रहीम के साथ बातचीत की. सब सहमत हो गए थे. चुनाव आ गया था. दीपा ने पार्टी से टिकट मांगा. वह टिकट की कीमत देने को तैयार हो गई थी. महिला तो थी ही, खूबसूरत और हुनर वाली भी थी. बोलने में बेहतर थी. उस के ऊपर कोई दाग नहीं था. रिजर्वेशन में दीपा जिस सीट से टिकट मांग रही थी, वह महिला सीट हो गई.

5 साल में ही दीपा की जिंदगी बदल चुकी थी. नशे के कारोबार से आए पैसे ने उस की दुनिया बदल दी थी. वह दुर्गेश और रहीम दोनों को साधने में कामयाब हो गई थी.

दीपा को अपने शरीर की कीमत समझ आ गई थी. जहां पहले वह घर के अंदर केवल खाना बनाने और बच्चे पैदा की मशीन बन कर रह गई थी, अब नेता बन चुकी थी. मर्द उस के पीछेपीछे चलने लगे थे. एक बात वह समझ रही थी कि बुरा काम देर तक नहीं करना चाहिए, तभी छवि बनी रह सकती है. धीरेधीरे उस ने रहीम से पीछा छुड़ाना शुरू किया.

अब दुर्गेश ने मिट्टी की खदान का ठेका लेना शुरू कर दिया. गांव और तमाम लोगों को नशे की लत लगा कर दीपा अब ठेकेदार और नेता बन चुकी थी. उस की नजर जिले की कुरसी से हट कर मंत्री की कुरसी पर थी. 10 साल में जितनी कामयाबी उसे मिल चुकी थी, उस से वह आगे निकल चुकी थी. इलाके में उस का दबदबा था.

जिस पुलिस से दीपा को डर लगता था, वह अब उस की सिक्योरिटी करने लगी थी. उस के घर नेताओं का आनाजाना लगा रहता था. स्कूटी कहीं पीछे छूट गई थी. अब उस के पास स्कार्पियो आ गई थी. दूसरी तरफ नशा करने वाले बीमारियों में फंस कर मर रहे थे.

नशा करने वाला डूब जाता है और नशे का कारोबार करने वाला अमीर होता जाता है. यह बात जितनी जल्दी नशेड़ी की समझ में आ जाए, सही रहता है, नहीं तो नशे के भंवर में सबकुछ डूब जाता है. Hindi Story

Story In Hindi: डरावने नीले ड्रम के बाद हौरर हनीमून

Story In Hindi: एक ओर ‘औपरेशन सिंदूर’ की बड़ी कामयाबी का जश्न मनाया जा रहा था, सिंदूर की महिमा का बखान किया जा रहा था, घरघर सिंदूर बांटने की तैयारी की जा रही थी, तो दूसरी ओर पूर्वांचल से सिंदूर को मिटाने की धमाकेदार खबर आ गई, जिस ने हनीमून मनाने के लिए उतावले ताजाताजा ब्याहे गए लड़कों के दिल की धड़कन और ब्लडप्रैशर बढ़ा दिया.

अभी पति समाज नीले ड्रम के डर और डिप्रैशन से उबरा भी नहीं था कि धर्मपत्नी द्वारा हौरर हनीमून कांड को अंजाम दे दिया गया.

पत्नियों की करतूतों और शादी की ऐसी घटनाओं के लिए साल 2025 को इतिहास में सुनहरे अक्षरों के रूप में याद किया जाएगा. यह भी हो सकता है कि संयुक्त राष्ट्र संघ साल 2025 को ‘पतिपत्नी और वो’ साल की संज्ञा भी दे दे.

होने वाले दामाद के साथ सास के फरार होने से ले कर समधीसमधन के ‘प्रेम पुष्पक’ पर फुर्र होने से उन के परिवार वाले उतना परेशान नहीं हुए होंगे, जितना दुखी न्यूज चैनल वालों को देखा गया.

सासदामाद और समधीसमधन के हिम्मती कारनामों पर चटकारे ले कर न्यूज बनाने और फैलाने वाले रिपोर्टरों की चांदी हो गई. वैसे भी लव ट्रैंगल मर्डर मिस्ट्री की रैसिपी पर हर कोई बिरियानी बनाने और परोसने के लिए तैयार हो जाता है.

शायद पाकिस्तान की आम जनता भारतीय ब्रह्मोस मिसाइल के हमलों से उतनी खौफजदा नहीं हुई होगी, जितना नीले ड्रम ने भारतीय शदीशुदा मर्दों को डराया.

मुसकान के ड्रम कांड से रील बनाने वालों को नया आइडिया मिला और रील की दुनिया में नीले ड्रम ने डोनाल्ड ट्रंप और एलन मस्क से ज्यादा पब्लिसिटी हासिल कर ली. ड्रम स्क्रिप्ट पर वायरल होने वाले रील इंफ्लुएंसर मुसकान का अहसान जिंदगीभर नहीं चुका पाएंगे.

उत्तर प्रदेश में 52 साल की दादी और 25 साल के पोते की शादी भी खूब चर्चा में रही. बेमेल रिश्तों के मेल से बनने वाले गठबंधनों ने पिछले साल की अनंत और राधिका की ग्रांड शादी को भी पीछे छोड़ डाला.

‘पतिपत्नी और वो’ के कर्मकांडों से भरपूर साल 2025 पत्नी नामक प्राणी के नाम रहा, जिन्होंने अपनी शानदार हिम्मत और ताकत से पूरी दुनिया को हैरान कर डाला. पति को मौत दे कर प्रेमी के साथ सती बन कर साथ रहने की इच्छा रखने वाली औरतों के हिम्मती काम ने दिनेश पंडित की महिला पाठक हसीन दिलरुबा फेम रानी (तापसी पन्नू) की काली करतूतों को भी मात दे दी. इस साल ‘वो’ के चक्कर में एक से बढ़ कर एक घटनाएं हुईं.

पति से छुटकारा पाने के लिए कमर कस चुकी औरतों द्वारा पति को मौत के मुंह में भेजने वाला कंपीटिशन देख कर महसूस हो रहा है कि मौत बांटने वाली गैरपेशेवर हसीनाएं पेशेवर अपराधियों की चलतीफिरती दुकान को बंद कराने की कसम खा चुकी हैं.

धर्मपत्नियों के दिल में बसने वाले पति परमेश्वर फ्रिज, ड्रम, नदी, खाई से बरामद होने लगे. ऐसा महसूस होता है कि पौराणिक कथाओं में यमराज से पति के प्राण वापस छीन कर लाने वाली सती सावित्री का हिसाबकिताब कलियुगी बीवी अपने पति की जान यमराज को ईएमआई के तौर पर वापस दे कर चुका रही हैं.

यह और बात है कि पतिदेव को देवलोक पहुंचा कर ‘वो’ के साथ रहने की तमन्ना रखने वाली मोहतरमा को कोहबर की बजाय कारागार वाला पैकेज नसीब हो रहा है.

बहरहाल, पत्नी का ऐसा अवतार देख कर शादी की चाहत रखने वाले नौजवान इन दिनों वाइफ की बजाय लाइफ को ले कर चिंतित दिखाई दे रहे हैं, क्योंकि पत्नी, पैट्रोल और पाकिस्तान का मूड कब बिगड़ जाए, यह कहना काफी मुश्किल है. Story In Hindi

News Story In Hindi: वोट काटने का खेल

News Story In Hindi: ‘‘आप सभी का अशोका राज्य में स्वागत है. जनमत नियंत्रण समिति एक सर्वे करा रही है, जिस में हमें लोगों के घरघर जा कर उन से जानकारी हासिल करनी है. हमें यह खबर मिली है कि पिछले सर्वे का आंकड़ा फर्जी था. हमारे सर्वश्रेष्ठ गुरुजी इस बात से नाराज हैं कि बहुत से बाहरी लोग नाम बदल कर यहां रह रहे हैं, इसलिए आप सभी को उन्होंने अपने खर्चे पर यहां बुलाया है,’’ उस भगवाधारी ने विजय और अनामिका के साथ आए और भी दूसरे नौजवानों को इस सर्वे का मकसद बताते हुए कहा.

‘‘पर आप ने ऐसे नौजवानों को ही क्यों इस काम के लिए चुना, जिन की अभी शादी नहीं हुई है?’’ एक लड़के ने सवाल किया.

‘‘हमारे देश में नौजवानों की कोई कमी नहीं है. बहुत से नौजवानों को तो इतना पढ़नेलिखने के बाद भी कोई रोजगार नहीं मिल पाता है. हमारे सर्वश्रेष्ठ गुरुजी चाहते हैं कि जरूरतमंद को काम मिले और उन का राष्ट्रवाद का मकसद भी हासिल हो जाए,’’ उस भगवाधारी ने कहा.

उस भगवाधारी के साथ खड़ी एक जवान लड़की, जिस ने खुद भगवा धारण किया हुआ था, ने बताया, ‘‘आप सब के रहने के लिए यह सरकारी स्कूल खाली करा दिया गया है. वैसे भी यहां कोई पढ़ने नहीं आता है और यह स्कूल बंद सा ही समझो.’’

वाकई उस स्कूल की हालत बड़ी जर्जर थी. कुल 4 कमरे थे. हर कमरे में लाइन से चारपाई बिछी थी. एक लाइन लड़कों के लिए तो दूसरी लाइन पर लड़कियों के सोने का इंतजाम था. टौयलेट थोड़ा दूर था और एक अस्थायी बाथरूम का भी इंतजाम किया गया था.

अनामिका ने विजय से फुसफुसाते हुए कहा, ‘‘यार, यह कहां फंसा दिया तुम ने मुझे.’’

विजय बोला, ‘‘मेरे एक दोस्त ने रिक्वैस्ट की थी कि यह सर्वे करा दो, तो मैं ने हां बोल दिया. यार, यहां भी एक तरह का एडवैंचर रहेगा और हम दोनों को करीब आने का मौका भी मिलेगा.’’

‘‘आप सब लोग अब आराम कीजिए. आप के भोजन का इंतजाम कर दिया गया है. हम कल से सर्वे करेंगे. लोगों से जरूरी जानकारी के फार्म आप को कल दे दिए जाएंगे. आप को लोगों से उन के बारे में पता कर के हर किसी से 500 रुपए लेने हैं.

‘‘यह कोई फीस नहीं नहीं है, बल्कि इन पैसों से उन्हें धार्मिक यात्रा पर भेजा जाएगा, ताकि उन का जीवन धन्य हो जाए,’’ उस भगवाधारी ने कहा.

‘‘पर यहां के लोग तो गरीब लगते हैं. हम उन से 500 रुपए कैसे मांगेंगे? अगर उन्होंने मना कर दिया तो?’’ अनामिका ने सवाल किया.

‘‘यही तो मेन मुद्दा है. असली राष्ट्रवादी धार्मिक यात्रा के लिए पैसे देने से मना नहीं करेगा. जो मना करेगा, उसे हम बाहरी मान लेंगे, जो यहां नाम बदल कर रह रहे हैं.

‘‘हमारे सर्वश्रेष्ठ गुरुजी का मकसद यही है कि अशोका राज्य में सिर्फ राष्ट्रवादी लोग ही रहेंगे, ताकि यह राज्य खुशहाल बन सके,’’ उस भगवाधारी ने बताया.

‘‘आप ने एक बात तो बताई ही नहीं,’’ भगवाधारी के साथ आई उस जवान लड़की ने कहा.

‘‘कौन सी बात?’’ उस भगवाधारी ने हैरान हो कर पूछा.

‘‘यही कि जो भी आदमी अपनी सही जानकारी देगा, उसे मंदिरों में जाने का हक मिलेगा. इस से राष्ट्रवाद को मजबूती मिलेगी और समाज का कल्याण भी होगा,’’ उस जवान लड़की ने बताया.

‘‘तुम ने सही याद दिलाया. तुम जैसी जागरूक साथी की वजह से ही हमारे सर्वश्रेष्ठ गुरुजी की मुहिम कामयाब हो कर रहेगी,’’ उस भगवाधारी ने मुसकराते हुए कहा.

रात के 9 बज चुके थे. अब स्कूल में सिर्फ वही लोग थे, जो यह सर्वे करने यहां अशोका राज्य में आए थे.

हालांकि, लड़के और लड़कियों के बिस्तर अलगअलग थे, पर रात के अंधेरे में कुछ जोड़े एक ही बिस्तर पर गुटरगूं कर रहे थे. वहां कोई रोकटोक नहीं थी.

विजय और अनामिका भी एक ही चारपाई पर थे. विजय ने अनामिका के बालों में हाथ फिराते हुए कहा, ‘‘डार्लिंग, कुछ दिनों की बात है. सर्वे के बहाने हम एकसाथ रहेंगे और कुछ पैसे भी बना लेंगे.’’

‘‘पर विजय, मुझे दाल में कुछ काला लग रहा है. इन लोगों के इरादे सही नहीं लग रहे हैं. यह तो गरीबों के साथ जबरदस्ती है. 500 रुपए में मोक्ष का सपना दिखाया जा रहा है. जो भी पैसे देने में आनाकानी करेगा, उसे इस राज्य से भगा दिया जाएगा,’’ अनामिका ने विजय के कंधे पर सिर रखते हुए कहा.

विजय ने अनामिका को अपनी मजबूत बांहों में भींचते हुए कहा, ‘‘कल की कल देखेंगे. अभी तो इस रात का मजा लेते हैं.’’

अनामिका विजय को बेतहाशा चूमने लगी और उन दोनों ने चादर ओढ़ ली.

अगले दिन वे दोनों एक घर के सामने खड़े थे. वहां 2 बूढ़े पतिपत्नी रहते थे. बूढ़ा लाठी टेकता हुआ उन दोनों के पास आया और 10 रुपए निकाल कर बोला, ‘‘बेटा, तुम लोगों को फार्म में जो भरना है, खुद ही भर लो. हमें बताया गया था कि 5 रुपए के हिसाब से हम दोनों के 10 रुपए बनते हैं.

‘‘हमें इस उम्र में धार्मिक यात्रा पर जाना है. पूरी जिंदगी हम दोनों ने यहां के मंदिर के दर्शन नहीं किए हैं. हमें वह चौखट भी पार करनी है.

‘‘मैं ने किसी तरह 1,000 रुपए का इंतजाम किया है. फार्म में किसी तरह की गलती मत करना वरना ऊपर जा कर हम अपने भगवान को क्या मुंह दिखाएंगे.’’

इतने में वह भगवाधारी वहां आया और विजय से बोला, ‘‘हम ने इन दोनों की पहले ही जांचपड़ताल कर ली है. ये दोनों हमारे राज्य में रहने के लिए फिट हैं. सर्वश्रेष्ठ गुरुजी का आदेश है कि इन्हें मोक्ष मिलना ही चाहिए.’’

‘‘पर जब पहले से ही सबकुछ हो चुका है, तो फिर यह सर्वे किस काम का है?’’ अनामिका ने सवाल किया.

‘‘तुम इस पचड़े में मत पड़ो और मैं जो फार्म तुम लोगों को दे रहा हूं, उन पर दस्तखत कर दो. 20 फार्म हैं. ये सभी फर्जी लोग हैं. इन्हें हमारे राज्य से बाहर भेज दिया जाएगा. 5 रुपए के हिसाब से तुम्हारे 100 रुपए हुए. इन्हें रख लो,’’ वह भगवाधरी बोला.

अनामिका ने अपना सिर पकड़ लिया. राष्ट्रवाद के नाम पर यह कैसा खेल चल रहा था, जो उस की समझ से परे था.

‘‘यार विजय, जब इस छोटे से सर्वे में इतनी बड़ी धांधली हो रही है, तो बिहार में विपक्ष जो सरकार पर चुनाव आयोग के जरीए लाखों वोट काटने का इलजाम लगा रहा है, वह भी तो कहीं न कहीं सच ही होगा न,’’ अनामिका बोली.

‘‘बात में तो दम है. जब से यह मामला उछला है, बिहार विधानसभा चुनाव से ज्यादा यह मुद्दा तूल पकड़ता जा रहा है. पर आम जनता को अगर यह मामला सम?ाना हो तो वह कहां जाए? हमारे देश में वंचित समाज के लोग कितने कम जागरूक हैं, यह कड़वा सच किसी से छिपा नहीं है,’’ विजय ने मानो सरकार पर ताना मारा.

‘‘जहां तक अखबारों, न्यूज चैनलों खासकर बीबीसी की रिपोर्टिंग की बात करें तो मोटामोटा मामला कुछ यों है कि ‘सर’ यानी स्पैशल इंटैंसिव रिवीजन का प्रोसैस 1 जुलाई, 2025 से शुरू हुआ है. इस के तहत 1 अगस्त, 2025 को लिस्ट का ड्राफ्ट पब्लिश किया जाना था और आखिरी लिस्ट 30 सितंबर, 2025 को पब्लिश होगी. इस से पहले इतने बड़े लैवल पर यह प्रोसैस आखिरी बार साल 2003 में हुआ था.

‘‘चिंता की बात यह है कि जो 11 दस्तावेज लोगों से मांगे जा रहे हैं, वे बड़े पैमाने पर लोगों के पास मुहैया नहीं हैं. एक सर्वे में साफ निकल कर आया है कि 63 फीसदी लोगों के पास वे कागजात नहीं हैं, जो उन से मांगे जा रहे हैं.

‘‘यहां सब से बड़ा सवाल यह है कि जो हाशिए पर खड़े समुदाय हैं, जैसे दलित, वंचित और औरतें… क्या वे सचमुच इस तरह की जद्दोजेहद में अपनी बात उठा पाएंगे और अपने फार्म जमा कर पाएंगे?’’ अनामिका बोली.

‘‘पौइंट तो तुम्हारा एकदम सही है,’’ विजय बोला.

‘‘इस के उलट 24 जून, 2025 को चुनाव आयोग ने अपने एक प्रैस नोट में कहा था कि बिहार में वोटरों की
लिस्ट का आखिरी बार स्पैशल इंटैंसिव रिवीजन साल 2003 में किया गया था. उस के बाद कई लोगों की मौत होने, लोगों के दूसरी जगह चले जाने और गैरकानूनी तौर पर लोगों के बसने की वजह से फिर से एक स्पैशल इंटैंसिव रिवीजन की जरूरत है.

‘‘यह भी कहा था कि जिन लोगों का नाम साल 2003 की वोटर लिस्ट में आता है, उन्हें बस चुनाव आयोग की तरफ से जारी एक फार्म भरना होगा. जिन का नाम नहीं आता, उन्हें जन्म के साल के मुताबिक दस्तावेज देने होंगे. जिन का जन्म 1 जुलाई, 1987 के पहले हुआ है, उन्हें अपने जन्मस्थल या जन्मतिथि के दस्तावेज देने होंगे.

‘‘जिन का जन्म 1 जुलाई, 1987 से 2 दिसंबर, 2004 के बीच हुआ है, उन्हें अपने साथ अपने मातापिता में से किसी एक के दस्तावेज देने होंगे. जिन का जन्म 2 दिसंबर, 2004 के बाद हुआ है, उन्हें अपने दस्तावेज के साथ अपने मातापिता के भी दस्तावेज देने होंगे.

‘‘जिन के मातापिता का नाम साल 2003 की वोटर लिस्ट में शामिल है, उन्हें अपने मातापिता के दस्तावेज जमा करने की जरूरत नहीं होगी. हालांकि, सभी वोटरों को चुनाव आयोग की तरफ से जारी किया गया फार्म भरना होगा,’’ अनामिका ने बताया.

‘‘तो इस में दिक्कत क्या है? लोग फार्म भरें और इस मुसीबत से छुटकारा पा लें,’’ विजय बोला.

‘‘दिक्कत यह है कि सरकार के अपने ही आंकड़े बताते हैं कि चुनाव आयोग जो दस्तावेज मांग रहा है, वे ज्यादातर लोगों के पास मुहैया नहीं हैं. साल 2022 में बिहार में हुए जातिगत सर्वे के मुताबिक सिर्फ 14 फीसदी लोग 10वीं पास हैं. जिन के पास पक्का मकान है, उन की तादाद 60 फीसदी से भी कम है. चुनाव आयोग के अपने आंकड़े बताते हैं कि 21 फीसदी वोटर बिहार से बाहर रहते हैं.

‘‘ऐसे में लोगों के दस्तावेज जुटा पाना बहुत चैलेंजिंग है. वह भी इतने कम समय में. वैसे भी इस मसले पर अनपढ़ क्या, पढ़ेलिखे लोगों में भी जागरूकता की भारी कमी है,’’ अनामिका ने अपनी बात रखी.

‘‘ओह, यही वजह है कि चुनाव आयोग के इस प्रोसैस को ले कर सभी विपक्षी दल एकजुट हो कर सवाल उठा रहे हैं कि आखिर बिहार चुनाव से महज 3 महीने पहले ही इस की जरूरत क्यों महसूस हुई?

‘‘मैं ने भी पढ़ा था कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि चुनाव आयोग भाजपा के इशारे पर काम कर रहा है और बैकडोर से एनआरसी लागू करने की कोशिश की जा रही है.

‘‘हाल ही में राहुल गांधी ने भी इस मुद्दे पर सवाल उठाते हुए कहा था कि जो चोरी महाराष्ट्र में हुई, वही चोरी अब बिहार में करने की तैयारी है,’’ विजय बोला.

‘‘पर वे 11 दस्तावेज कौन से हैं, जो चुनाव आयोग मांग रहा है?’’ विजय ने थोड़ा रुक कर सवाल किया.

‘‘पहला दस्तावेज है केंद्र या राज्य सरकार या पब्लिक सैक्टर यूनिट के नियमित कर्मचारी या पैंशनर को जारी किया गया कोई भी पहचानपत्र या पैंशन भुगतान आदेश. दूसरा है 1 जुलाई, 1987 से पहले सरकार या स्थानीय अधिकारियों या बैंकों या पोस्ट औफिस या एलआईसी या पीएसयू द्वारा भारत में जारी किया गया कोई भी पहचानपत्र या प्रमाणपत्र या फिर दस्तावेज. तीसरा है सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी जन्म प्रमाणपत्र. चौथा है पासपोर्ट.

‘‘5वां है मान्यताप्राप्त बोर्ड या यूनिवर्सिटी द्वारा जारी मैट्रिक या शैक्षिक प्रमाणपत्र. छठा है सक्षम राज्य प्राधिकारी द्वारा जारी स्थायी निवास प्रमाणपत्र. 7वां है वन अधिकार प्रमाणपत्र. 8वां है ओबीसी या एससी या एसटी या सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी कोई भी जाति प्रमाणपत्र. 9वां है नैशनल रजिस्ट्रार औफ सिटीजन्स (जहां भी यह मौजूद है). 10वां है राज्य या स्थानीय अधिकारियों द्वारा तैयार किया गया परिवार रजिस्टर. 11वां है सरकार द्वारा जारी कोई भी भूमि या घर आवंटन प्रमाणपत्र.’’

‘‘अरे, इस तरह के भी सर्टिफिकेट होते हैं क्या इस देश में?’’ विजय ने हैरान हो कर पूछा.

‘‘स्पैशल इंटैंसिव रिवीजन के पहले चरण के बाद यह बात सामने आई थी कि राज्य के तकरीबन 8 फीसदी वोटर यानी 65 लाख वोटरों के नाम ड्राफ्ट लिस्ट में शामिल नहीं हो पाए हैं,’’ अनामिका ने अपनी बात को आगे बढ़ाया.

‘‘इस पर तुर्रा यह कि चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि ऐसा जरूरी नहीं है कि वह उन वोटरों के नाम की लिस्ट भी पब्लिश करे जिन के नाम बिहार की वोटर लिस्ट के ड्राफ्ट रोल में शामिल नहीं हैं.’’

‘‘यह मामला बेहद गंभीर है. सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में अपना पक्ष रखना चाहिए और जिस तरह से विपक्ष को वोट चोरी का मामला लगा है, सरकार और चुनाव आयोग से पूरे मामले पर अपना रुख साफ करने के आदेश देने चाहिए.

‘‘एक आम आदमी के पास वोट की ताकत होती है. अगर वही उस से छिन जाएगी, तो फिर देश में लोकतंत्र होने का कोई मतलब नहीं बनता है. तानाशाही पर रोक लगनी ही चाहिए,’’ विजय ने कहा.

थोड़ी देर के लिए वहां चुप्पी छा गई थी.

अशोका राज्य की हमारी काल्पनिक कहानी ने बिहार के वोटरों की समस्या पर जो बात की है, वह बहुत गंभीर है और सरकार को इस पर अपना रुख साफ करना चाहिए, वरना चुनाव आयोग को कठघरे में ऐसे ही खड़ा किया जाएगा. News Story In Hindi

Family Story In Hindi: किराए की बीवी

Family Story In Hindi, लेखिका – टी. बेगम

संतरी को गली में रात के एक बजे किसी के कदमों की आहट सुनाई दी तो वह चौंक उठा. उस ने उसी ओर लपकते हुए ‘कौन है?’ की तेज आवाज उछाली, फिर एक झन्नाटेदार सीटी बजा दी.

संतरी और सीटी की आवाज सुन कर वह साया जरा तेजी से आगे बढ़ने लगा. संतरी भी सावधानी से उस साए की ओर बढ़ा. अचानक वह साया तेजी से एक दरवाजे के सामने जा खड़ा हुआ, फिर उस ने घबराहट में दरवाजे पर दस्तक दी.

दरवाजा खुला और उसी पल संतरी भी वहां आ पहुंचा. खंभे के लट्टू की रोशनी में संतरी ने दरवाजा खोलने वाले नौजवान को फटकार लगाते हुए कहा, ‘‘अपने घर की औरतों को इतनी रात तक अकेला छोड़ देते हो, तुम्हें कुछ भी खयाल नहीं कि जमाना कैसा?है?’’

वह नौजवान उस संतरी के मुंह की ओर देखने लगा, तो वह फिर भुनभुनाया, ‘‘अब मेरा मुंह क्या देख रहे हो… औरत को अंदर करो और किवाड़ लगाओ.’’

संतरी सीटी बजाता हुआ आगे की ओर बढ़ गया. उस नौजवान ने तब अपने दरवाजे पर दस्तक देने वाली लड़की के चेहरे की ओर देखा और हौले से बोला, ‘‘आइए, अंदर आ जाइए.’’

वह लड़की झिझकती हुई अंदर आ गई. नौजवान ने एक पलंग की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘अगर आप को रातभर यहीं रुकना है तो पलंग पर आराम से सो सकती हैं,’’ इतना कह कर वह दूसरे कमरे की ओर बढ़ गया.

वह लड़की देर रात तक पलंग पर लेटी हुई सोचती रही, फिर पता नहीं कब उस की आंख लग गई.

सुबह जब वह लड़की उठी तो उस ने महसूस किया कि वह देर तक सोती रही है. काफी धूप निकल आई थी. उस के पलंग के पास एक मेज पर उस के लिए नाश्ता रखा हुआ था.

उसी पल वह नौजवान वहां आ गया. उस ने लड़की को गुसलखाने का रास्ता बताया.

नहाधो कर वह लड़की नाश्ता करने लगी, फिर बोली, ‘‘आप ने तो यह भी नहीं पूछा कि मैं कौन हूं और कहां से आई हूं? आप ने अनजान लड़की पर भरोसा कर उसे ऐसे ही शरण दे दी?’’

उस लड़की की बात सुन कर वह नौजवान हंसा, फिर धीमे से बोला, ‘‘रात को तुम्हारे चेहरे से लग रहा था कि तुम आफत की मारी हो. तुम कौन हो और कहां से आई हो? यह तो अब तुम खुद ही बताओ.’’

उस लड़की के चेहरे पर उदासी छा गई. वह पलभर को चुप रही, फिर हिम्मत बटोर कर बोली, ‘‘मैं अच्छी नहीं हूं, मैं एक ‘कालगर्ल’ हूं, यानी अपना जिस्म बेचती हूं. एक रात के मैं 4-5 सौ रुपए कमा लेती हूं.

‘‘मेरे कुछ बंधे ग्राहक हैं, जो फोन कर के मुझे बुला लेते हैं.

‘‘कल रात जिस ग्राहक ने बुलाया था, उस ने कुछ ज्यादा ही वक्त ले लिया, इसीलिए इस गली को पैदल ही पार कर रही थी कि संतरी पीछे लग गया. मजबूर हो कर आप के घर पर दस्तक दे डाली.’’

वह नौजवान उस की बात सुन कर संजीदा हो गया, फिर उस ने पूछा, ‘‘तुम्हारा नाम क्या?है?’’

लड़की के होंठों पर इस बार मुसकराहट नाच उठी, ‘‘मेरे ग्राहक मुझे अलगअलग नामों से जानते हैं. कोई रेहाना के नाम से जानता है तो कोई सुरैया के नाम से. कुछ मुझे शांति देवी कहते हैं तो कुछ गीता देवी.

असली नाम तो मैं खुद भी भूल गई हूं. अगर कुछ सही याद है तो वह है मेरा फोन नंबर.’’

यह कहते हुए उस लड़की की आंखों में आंसू भर आए. उन्हें अपने रूमाल से पोंछती हुई वह बोली, ‘‘आप को देख कर जिंदगी में पहली बार लगा कि किसी शरीफ आदमी के घर में रात गुजारी है… नहीं तो यहां के नेताओं, अफसरों, सेठों ने स्याह रातों में मुझे खूब भोगा है.

‘‘मुझे कच्ची उम्र से ही फांस लिया गया था. अच्छा, अब मैं चलती हूं. आप के घर बिताई यह रात जिंदगीभर याद रहेगी.’’

वह लड़की अपना बैग उठा कर जाने ही वाली थी कि अचानक दरवाजे पर दस्तक हुई. नौजवान ने उठ कर दरवाजा खोला, तो सामने अपनी मां को देख कर चौंका, ‘‘मांजी, आप… अचानक…?’’

घर में दाखिल होते हुए वे अधेड़ उम्र की औरत बोलीं, ‘‘हां, मैं अब अपना फैसला सुनाने आई हूं. तुझे अब शादी करनी ही होगी. मैं ने लड़की देख ली है. फोटो साथ लाई हूं. अब तुझे इनकार नहीं करने दूंगी.’’

अचानक नौजवान की मां की नजर उस लड़की पर पड़ी. वह चौंकते हुए बोली, ‘‘अच्छा तो तू शादी कर भी लाया. खैर, मुझे तेरी पसंद मंजूर है. लड़की अच्छी है, मुझे तो बहू ही चाहिए थी.’’

उस लड़की की मांग में सिंदूर भरा था, इसलिए मां को धोखा हुआ.

मां ने उस लड़की के सिर पर हाथ फेर कर पूछा, ‘‘बहू, क्या नाम है तेरा?’’

‘‘जी… जी… सावित्री,’’ उस लड़की ने हकलाते हुए कहा.

‘‘अच्छा नाम है, हमेशा सुखी रहो,’’ मां ने फिर उस के सिर पर हाथ फेरा. फिर वे गुसलखाने में चली गईं. तभी वहीं से आवाज आई, ‘‘अनिल, आज बहू को मैं खाना बना कर खिलाऊंगी.’’

नौजवान ने लड़की की ओर देखा और धीरे से बोल, ‘‘सावित्री… या जो नाम हो तुम्हारा, अब तुम्हें 5-6 दिन यहीं रुकना होगा. तुम्हें बहू का रोल अदा करना होगा. मैं हर रात के 500 रुपए तुम्हें दूंगा. तुम्हारे नुकसान की कम से कम भरपाई ही कर पाऊंगा. मेरी आमदनी बहुत ज्यादा नहीं है. मां के जाते ही तुम भी चली जाना.’’

लड़की ने मुसकराते हुए उस की बात मान ली.

उस लड़की को 5 रातों तक उस के साथ एक ही पलंग पर सोना पड़ा. हर रात बीतने पर वह लड़की के हाथ पर 500 रुपए रख देता. वह लड़की मुसकरा कर उन्हें ले लेती.

छठे दिन मां जाने की तैयारी करने लगीं. लड़की ने तय कर लिया कि उन के जाते ही वह भी चली जाएगी. उस ने नौजवान के नाम एक खत लिखा और उसे तकिए के नीचे रख दिया. खत में उस ने लिखा था:

‘अनिल बाबू,

‘आप के साथ जो 5 रातें गुजारी हैं, उन्हें मैं हमेशा याद रखूंगी. मेरी फीस तो मेरे जिस्म को भोगने की है, सिर्फ साथ सोने की नहीं. आप ने तो मुझे हाथ तक नहीं लगाया, इसलिए मैं आप के सारे रुपए इस खत के साथ रखे जा रही हूं. हां, एक सौ का नोट आप की यादगार के रूप में ले जा रही हूं. बिना मिले जा रही हूं, इस के लिए माफ कर देना.’

अनिल की मां अपनी अटैची के साथ रिकशे में बैठ कर चली गईं. कुछ ही देर बाद वह लड़की भी रवाना हो गई. उस ने चाबी पड़ोस की एक औरत को दे कर अनिल को दे देने के लिए कह दिया.

शाम को जब अनिल घर आया तो घर पर उस की मां मिलीं. उन्होंने बताया कि वे अपना कुछ सामान भूल गई थीं, इसलिए लौट आईं. फिर अनिल को मालूम हुआ कि अजनबी लड़की जा चुकी है. वह कुछ उदास हो गया.

मां ने कहा, ‘‘तकिए के नीचे तेरी किराए की बीवी का खत रखा है, उसे पढ़ ले.’’

मां की बात सुन कर अनिल का शर्म से सिर झुक गया. फिर वह खत पढ़ने लगा.

अगले दिन सुबहसुबह उस लड़की के दरवाजे पर दस्तक हुई. दरवाजा खोलने पर उस के मुंह से अचानक ही निकल गया, ‘‘मांजी, आप…?’’

‘‘हां, मैं…’’ अनिल की मां अंदर आते हुए बोलीं, ‘‘मैं ने तुम्हें खत रखते देख लिया था. पढ़ कर जाना कि तुम अनिल की असली नहीं, किराए की बीवी हो.’’

इतना कह कर मां ने गौर से उस लड़की के चेहरे को पढ़ने की कोशिश की. उस सुंदर लड़की के चेहरे पर कई रंग आए और गए. फिर उस ने अपना बैग उठा कर कंधे से लटकाया और सख्त आवाज में बोली, ‘‘जब आप को पता चल ही गया था कि मैं क्या हूं तो फिर मेरा पता मालूम कर आप यहां क्यों आईं? खैर, मैं जा रही हूं. मैं आज दिन में ही ‘बुक’ हूं.’’

मां भी थोड़ी सख्त आवाज में बोलीं, ‘‘तो हम भी तुम्हें ‘बुक’ करने आए हैं. अनिल के लिए तुम्हें बुक करना है. पूरी जिंदगी के लिए. बोलो, मंजूर है?’’

वह लड़की ठगी सी कुछ देर के लिए खड़ी रह गई. फिर उस की आंखों में खुशी के आंसू छलछला आए. उस ने मां के सीने में अपना मुंह छिपा लिया. मां उस के सिर पर प्यार से हाथ फेरने लगीं. Family Story In Hindi

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