बाइक, बस और मेट्रो में खुल्लमखुल्ला चोंच लड़ाना पड़ा भारी, कपलपुलिस आमनेसामने

हमारी तेजतर्रार और हमेशा जगी रहने वाली दुनिया में, एक चीज ऐसी है जो कभी आराम नहीं करती, सोशल मीडिया. यह सोशल मीडिया का जादू ही है कि वह आप को दुनिया की हर जानकारी से ले कर, चुटकी में सब कुछ परोस देता है. लेकिन, जहां यह प्लेटफौर्म ज्ञान का भंडार है, वहीं यह प्राइवेट मोमेंट्स को कैप्चर, टेलीकास्ट और वायरल भी कर सकता है.

 

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अब आप सोच रहे होंगे कि ये कौन सी ‘सोशल हरकतें’ हैं, तो भई, ये हरकतें हैं पब्लिक प्लेस पर कपल्स के बीच होने वाली ‘खुल्लमखुल्ला आशिकी’. भारत के यूथ की बात करें तो ये देश का सब की प्रौब्लम हैं ही, साथ ही ‘प्राइवेट मोमेंट्स को पब्लिक प्लेस पर लाना’ इन की नई हौबी बन चुकी है.

जहां कभी पार्क और गार्डन ही प्रेमी जोड़ियों के मिलने का ठिकाना हुआ करते थे, वहीं अब मेट्रो, बस, औटो और ओला ऊबर इन की ‘रोमांटिक प्लेस’ बन गई हैं. आप सोच रहे होंगे कि “अरे, इस में नया क्या है?” लेकिन जनाब, ये प्रेम की पेंगें अब सोशल मीडिया की सुर्ख़ियों का नया सितारा बन चुकी हैं.

मेट्रो में मस्ती, पुलिस की गस्ती

दिल्ली मेट्रो, जहां एक ओर लोगों के लिए सस्ती और सुविधाजनक सवारी है, वहीं कुछ कपल्स के लिए ये ‘रोमांस का रूम’ बन चुकी है. सोशल मीडिया पर कहा जा रहा है कि दिल्ली की मेट्रो ‘ओयो रूम’ बन चुकी है. Society

हाल ही में वायरल हुए एक वीडियो में देखा गया कि एक कपल मेट्रो की सीट पर बैठा इतना मगन था कि आसपास बैठे लोगों का भी ख्याल नहीं किया. पहले हाथ पकड़ना, फिर गले लगा, और आखिर में पब्लिक के सामने ही किस किया. भई मामला यहीं नहीं रुका, आगे वो हुआ जिसे सेंसर कहा जाता है– ऐसा लगा मानो मेट्रो के कोच का टिकट नहीं, बल्कि प्यार का परमिट लिया हो.

जब बीच सड़क बनी लव लेन

सोशल मीडिया पर फेमस होने की होड़ में लोग न जाने क्याक्या कर गुजरते हैं. बाइक पर स्टंट करना, हाईवे पर चलती गाड़ियों में रोमांस करना, यह सब तो पुरानी बात हो गई. अब तो लोग बीच सड़क पर भी ‘लव स्टोरी’ शूट करने लगे हैं. हाल ही में एक वीडियो वायरल हुआ जिस में एक कपल बाइक पर जा रहा था और पीछे बैठी लड़की ‘राइड’ से ज़्यादा ‘राइडर’ का आनंद ले रही थी. यह आनंद इतना बढ़ गया कि ड्राइवर साहब ने बीच सड़क पर बाइक चलातेचलाते अपनी मोहतरमा को किस कर डाला. किस भी कतई जानलेवा. अगर बाइक का हैंडल इधरउधर होता तो किस जानलेवा होती ही.

पार्क में प्यार, पब्लिक में तकरार

सोशल मीडिया ट्रेंड्स की बात करें, तो यह किसी जंगल की आग से कम नहीं. कब, कौन सी वीडियो वायरल हो जाए, कोई नहीं जानता. इसी कड़ी में एक वीडियो तेजी से वायरल हो रही है, जिस में एक कपल पार्क की हरी घास पर प्यार की बारिश कर रहा था. खुलेआम एकदूसरे को किस करते और लिपटालिपटी करते ये प्रेमी जोड़ा न जाने क्या सोच रहा था, लेकिन वीडियो वायरल होते ही लोगों में गुस्सा भड़क गया. और क्यों न हो, आखिरकार ये पब्लिक प्लेस जो है, कोई बेडरूम तो नहीं.

बस में प्यार की बेबसी

पार्क, मेट्रो, और बाइक के बाद अब बारी आती है बसों की. सार्वजनिक स्थलों पर प्यार का प्रदर्शन अब बसों तक भी पहुंच चुका है. हाल ही में वायरल हुए एक वीडियो में एक कपल बस की पिछली सीट पर ऐसे लिपटा हुआ था, मानो वह उन की निजी जगह हो. लोग बैठेबैठे देख रहे थे, लेकिन इन कपल्स को इन सब से कोई फर्क नहीं पड़ा. सोशल मीडिया पर यह वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस को भी हरकत में आना पड़ा.

पब्लिक में पिंग, प्राइवेट में पुलिस की रिंग

बात सिर्फ मेट्रो, बस, या बाइक तक सीमित नहीं है. यह ‘प्राइवेट पब्लिक रोमांस’ आजकल की युवा पीढ़ी का नया ‘ट्रेंड’ बन गया है. लेकिन हकीकत यह है कि यह प्यार का प्रदर्शन अकसर भारी पड़ता है. आखिरकार, सार्वजनिक स्थलों पर इस तरह की हरकतें न सिर्फ अश्लीलता को बढ़ावा देती हैं, बल्कि यह कानूनी रूप से भी अपराध है. चाहे दिल्ली की मेट्रो हो, मुंबई की लोकल, या फिर किसी शहर का पार्क – ‘रोमांस’ करने के लिए सही जगह का चुनाव करना न सिर्फ आप के रिश्ते बल्कि समाज के लिए भी बेहतर है.

स्कैटिंग : रिस्क और रोमांच का मजा

दुनिया में ऐडवैंचर प्रेमियों की कमी नहीं है. कभी वे पर्वत की ऊंचाइयों को छूने की कोशिश करते हैं तो कभी लहरों के बीच जा कर भीगने का आनंद उठाते हैं. कभी बाइक पर खतरनाक स्टंट कर के देखने वालों का दिल दहला देते हैं. दरअसल, ऐडवैंचर का शौक ही ऐसा है.

इन्हीं ऐडवैंचर्स खेलों में स्कैटिंग भी काफी पौपुलर है, जिसे आप स्कूलकालेज के ग्राउंड से ले कर बर्फ पर भी कर सकते हैं. बस, आप को जरूरत है अपने कदमों को बैलेंस बनाते हुए हवा को चीरते हुए आगे बढ़ कर स्कैटिंग का लुत्फ उठाने की. इस में पांवों के दबाव से गति और घुमाव देखते ही बनता है.

स्कैट्स के आविष्कार का श्रेय

1760 में पहला रोलर स्कैट बनाने का श्रेय जौन जोसफ मर्लिन को जाता है, जिन के दिमाग में एक आइडिया आया कि क्यों न छोटे धातु के पहिए लगा कर स्कैट्स तैयार किए जाएं. उन का यह विचार सफल भी हुआ, लेकिन शुरुआती चरण में कुछ कमियां रहीं, जिन्हें बाद में सुधार कर बेहतरीन स्कैट्स तैयार किए गए. आज जो इनलाइन स्कैट्स से मिलतेजुलते हैं. अभी तक इनलाइन स्कैट्स का ही चलन था, लेकिन 1863 में क्वाड स्कैट्स आए, जो विकसित डिजाइन था. इस में हर पैर के लिए 2 आगे और 2 पीछे पहिए होते थे. इस स्कैट से टर्न लेने और तेजी से आगे बढ़ कर खुद को कंट्रोल करने में आसानी होती थी. इसे बनाने का श्रेय न्यूयौर्क के जेम्स लेनौर्ड प्लिंपटन को जाता है.

1990-93 में सेफ्टी के उद्देश्य से रोलर ब्लेड आधारित ब्रैंडेड स्कैट्स लौंच किए गए, जिन्हें काफी पसंद किया गया और इन की बढ़ती प्रसिद्धि को देखते हुए दूसरी कंपनियों ने भी इन से मिलतेजुलते स्कैट्स बना कर प्रतिस्पर्धा को और बढ़ाया.

आज तो ऐडवांस स्कैट्स दुनिया के सामने हैं, जिन्हें प्रयोग में ला कर स्कैट्स प्रेमी स्कैटिंग का लुत्फ उठाते हैं.

स्कैटिंग की श्रेणियां

रोलर स्कैटिंग

रोलर स्कैटिंग ऐसी स्कैटिंग है, जिस का मजा आप घर और बाहर दोनों जगह उठा सकते हैं. इस में आप किसी भी समतल सतह पर रोलर स्कैट्स की मदद से आनंद उठा सकते हैं. इस तरह के स्कैट्स में 2 पहिए आगे और 2 पीछे लगे होते हैं.

इनलाइन स्कैटिंग

इनलाइन स्कैटिंग में स्कैटर बहुत ही हलके बूट्स, जिन के नीचे 3 से 5 पहिए एक ही लाइन में अटैच होते हैं, पहन कर स्कैटिंग करते हैं. इन्हें बनाने का श्रेय अमेरिका के स्कौट ओल्सेन को जाता है. इन स्कैट्स में धातु के ब्रेक, यूरेथेन व्हील्स और हील ब्रेक लगे होते हैं. इन की मदद से स्कैटर को बैलेंस बनाने में आसानी होती है साथ ही जब उन्हें रोकना होता है, तो हील बे्रक का यूज करते हैं, जिस में रबड़ पैड स्कैट्स के पीछे अटैच होता है, जिस से चोट लगने का डर नहीं रहता.

आइस स्कैटिंग

आइस स्कैटिंग के खेल में जो स्कैटर्स होते हैं वे खास तरह के स्कैट्स पहन कर बर्फ पर इस खेल का आनंद उठाते हैं. यह खेल ज्यादातर उन देशों में खेला जाता है जहां ज्यादा ठंड पड़ती है.

बर्फ पर स्कैटिंग किस तरह की

  • आइस स्कैटिंग में आइस स्कैट्स की मदद से बर्फ पर स्कैटिंग की जाती है.
  • फिगर स्कैटिंग में अलग या आइस पर स्कैटिंग की जाती है. इसे 1908 में पहली बार ओलिंपिक में विंटर स्पोर्ट्स में शामिल किया गया.
  • स्पीड स्कैटिंग में कड़ी प्रतिस्पर्धा के बीच प्रतियोगी एकदूसरे से आगे निकलने की कोशिश करते हैं.
  • टूर स्कैटिंग में बर्फ पर स्कैट्स की सहायता से लंबी सैर का लुत्फ उठाया जाता है.
  • ठोस सतह पर स्कैटिंग किस किस तरह की
  • रोलर और इनलाइन स्कैटिंग में समतल जगह पर घूमने का आनंद उठाया जाता है.
  • वर्ट स्कैटिंग में वर्ट रैंप पर राइड का लुत्फ उठाया जाता है.
  • जिस तरह हम सड़क पर साइकिल चला कर खुद को रोमांच प्रदान करते हैं, ठीक उसी तरह रोड स्कैटिंग में सड़क पर स्कैटिंग करते हैं.
  • स्कैट बोर्ड को प्रयोग कर के भी स्कैटिंग के मजे को कई गुना बढ़ाया जाता है.
  • आर्टिस्टिक रोलर स्कैटिंग भी फिगर स्कैटिंग से मिलताजुलता खेल ही है, लेकिन इस में भाग लेने वाले आइस स्कैट्स की जगह रोलर स्कैट्स पर दौड़ते हैं.

  • स्कैटिंग चैंपियनशिप
  • ‘द फ्रैंच फिगर स्कैटिंग चैंपियनशिप’ फ्रांस में प्रतिवर्ष आयोजित की जाती है, जिस का उद्देश्य प्रतियोगिता के माध्यम से देश के बैस्ट स्कैटर्स की पहचान कर के उन्हें आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करना है. इस में मैडल बैस्ट महिला व बैस्ट पुरुष स्कैटर के साथ पियर स्कैटिंग व आइस डांसिंग में बैस्ट प्रदर्शन करने वालों को दिया जाता है.
  • ‘द स्विस फिगर स्कैटिंग चैंपियनशिप’ जो स्विट्जरलैंड में आयोजित की जाती है, में विजेताओं को ताज पहना कर सम्मानित किया जाता है.
  • 2016 में दक्षिण कोरिया के सियोल में वर्ल्ड शौर्ट ट्रैक स्पीड स्कैटिंग चैंपियनशिप का आयोजन हुआ, जिसे काफी पसंद किया गया.
  • इसी तरह देशदुनिया में स्कैटिंग प्रतियोगिताओं का आयोजन होता है.
  • स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद
  • खुद को स्वस्थ रखने के लिए हमें नियमित ऐक्सरसाइज करना जरूरी होता है. वैसे तो यह आप पर निर्भर करता है कि आप खुद को स्वस्थ रखने के लिए जौगिंग, ब्रिस्क वौक, स्किपिंग वगैरा में से क्या करना पसंद करते हैं लेकिन चाहें तो रोलर स्कैटिंग से बहुत कम समय में ज्यादा कैलोरी बर्न कर सकते हैं. जैसे अगर एक सामान्य पुरुष का वजन 190 पाउंड के बराबर है, तो वह रोलर स्कैटिंग से हर मिनट में 10 कैलोरीज बर्न करता है जबकि 163 पाउंड वजन वाली महिला हर मिनट में 9 कैलोरीज बर्न करती है. साथ ही इस से हड्डियों को भी मजबूती मिलती है.
  • अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के एक शोध के अनुसार रोलर स्कैटिंग से हार्ट को भी मजबूती प्रदान होती है यानी इस से फायदे अनेक हैं.
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