जब हो छोटा घर और भरापूरा परिवार तो कैसे करें सैक्स और छेड़छाड़

साल 1972 में एक छोटे बजट की फिल्म ‘पिया का घर’ आई थी, जिस में अनिल धवन और जया भादुड़ी की शादी के बाद की लव स्टोरी को बड़े ही मनोरंजक ढंग से दिखाया गया था.

इस फिल्म में अनिल धवन ने राम का और जया भादुड़ी ने मालती का किरदार निभाया था. शादी के बाद मालती एक कमरे के मकान, जिसे मुंबई में ‘चाल’ कहते हैं, रहने आती है. वहां राम का भरापूरा परिवार रहता है. हर समय भगदड़ सी मची रहती है.

असली समस्या तब शुरू होती है जब मालती और राम को रसोईघर में सोना पड़ता है. उन की सुहागरात पर तुषारापात हो जाता है. पूरी फिल्म में वे अकेले में प्यार और सैक्स करने के लाख जतन करते हैं, पर कामयाब नहीं हो पाते हैं. एक बार तो वे सस्ते से होटल में रात गुजारने के चक्कर में बड़ी मुसीबत में भी फंस जाते हैं.

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अब एक दूसरी फिल्म के बारे में बात करते हैं ‘भाग मिल्खा भाग’. इस फिल्म में मिल्खा अपने खड़ूस जीजा और बड़ी बहन के साथ 1947 के बंटवारे के बाद भारत आता है तो रिफ्यूजी कैंप में रहता है. वहां उस का जीजा जब मन करता है अपनी पत्नी को पकड़ लेता है और एक चादर की ओट के पीछे अपनी हवस मिटा लेता है. अपनी बड़ी बहन की सिसकियां सुन कर गुस्साया मिल्खा वहां से भाग जाता है.

अब सवाल उठता है कि जब आप के आसपास लोगों का मेला लगा हो तो अपने साथी के साथ सुकून वाला सैक्स करने के लिया क्या तरीका अपनाया जाए? राम और मालती की तरह होटल में रात गुजारी जाए या मिल्खा के जीजा की तरह परदे की ओट में काम चला लिया जाए, दुनिया जाए भाड़ में?

हमारे देश की भी कमोबेश यही समस्या है. बड़े शहरों के दड़बों जैसे छोटे कमरों में रहने वालों के लिए शांति से होने वाला सैक्स परी कथाओं जैसा काल्पनिक है. गांवदेहात में बेशक कच्चेपक्के घर होते हैं, संयुक्त परिवार होते हैं, पर वहां ज्यादा छोटे घर नहीं होते. लोग खेतीबारी करते हैं, तो दिन में खेत में रहते हैं. ऐसे में शादीशुदा जोड़ों को एकांत मिल ही जाता है. पर समस्या वहां नहीं है, ऐसा भी नहीं कह सकते.

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एक कमरे के मकान में अगर पतिपत्नी और उन का छोटा बच्चा रहते हैं तो पतिपत्नी को प्यार करने में ज्यादा समस्या नहीं आती है. बच्चे को बहका कर उसे बाहर खेलने भेजा जा सकता या पढ़ाई के बहाने दोस्त के घर जाने को कहा जा सकता है या रात को उस के सोने के बाद पतिपत्नी एक हो सकते हैं, पर अगर वहां कोई बालिग रहता हो जैसे मातापिता, देवर या ननद तो दिक्कत बढ़ जाती है.

रमेश की नईनई शादी हुई थी. एक कमरे के मकान में उस की सेज रसोईघर में सजा दी गई. सुहागरात पर उस ने अपनी पत्नी के साथ सैक्स करना शुरू किया तो बाहर से उस की बहन की हंसी छूटने की आवाज आई. उस के बाद ही मां के डांटने का भी स्वर सुनाई दिया. इस से रमेश के रंग में भंग पड़ गया.

रात तो किसी तरह बीती, पर अगले ही दिन रमेश ने अपनी मां से बात की और समस्या का समाधान चाहा. उस के बाद मातापिता और बहन किसी न किसी बहाने घर से बाहर रहने लगे जिस से रमेश अपनी पत्नी के साथ बिना झिझके प्यारमनुहार करने लगा.

पर यह हर घर में नहीं होता. बहुत से जोड़े रमेश की तरह अपने मन की बात कह ही नहीं पाते हैं. ज्यादातर तो अपनी पूरी जिंदगी सुखमय सैक्स की तलाश में ही गुजार देते हैं.

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फिर भी कुछ ऐसे तरीके हैं जिन्हें अपना कर एक कमरे के घर में भी सुकून वाले सैक्स का मजा लिया जा सकता है :

-अगर पति काम करता है और पत्नी घर पर रहती है तो पति औफिस में कह कर रात की ड्यूटी लगवा सकता है. इस का फायदा यह होगा कि जब पति दिन में घर पर रहेगा तो ज्यादातर दूसरे लोग नौकरी या काम के बाहर रहेंगे. अगर मां घर होगी भी तो उसे किसी बहाने बाहर भेज कर पत्नी सुख लिया जा सकता है.

-अगर ऐसा नहीं हो पाता है तो देर रात का अलार्म लगा कर रात को जब सब गहरी नींद में हों तो सैक्स क्या जा सकता है.

-आपसी रजामंदी से भी अपने हमउम्र लोगों को कह कर उन्हें घर से बाहर भेजा जा सकता है. बस थोड़ा सा बोल्ड होने की जरूरत है. वे समझते हुए आप की बात मान जाएंगे.

-चूंकि बाहर किसी होटल में जा कर मस्ती करना पैसे के लिहाज से महंगा पड़ सकता है, उस से अच्छा है कि घर के दूसरे सदस्यों को अपने खर्चे पर 1-2 घंटे के लिए कहीं आसपास घूमने के लिए भेज दें. अगर वे पास के पार्क में या बाजार चले जाएं तो यह खर्च भी बचेगा.

-रात को छत, रसोईघर में जा कर सोया जा सकता है. बस पायल और चूड़ी उतार दें, ताकि बेवजह की आवाज न हो.

-बच्चों के स्कूल जाने के बाद भी एकांत का फायदा उठाया जा सकता है.

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