जानें सिक्स पैक की बैलेंस्ड डाइट

आज के वक्त में लोग अपनी फूड हैबिट्ज को ले कर काफी सचेत हो गए हैं. लो फैट, फैट फ्री, डाइट फूड इसी नए ट्रैंड की देन है. लेकिन अब हम इस से भी एक कदम आगे आ चुके हैं और वह है सिक्स पैक डाइट. बौलीवुड की कुछ चर्चित हस्तियों ने पूरी सोसाइटी को सिक्स पैक ऐब्स की तरफ रुख करने की दिशा दी है. पहले जहां केवल कसा हुआ शरीर और मांसपेशियों को दर्शाती बौडी ही काफी थी, वहीं अब तराशे हुए ऐब्स का चलन बढ़ा है.

इंसानी शरीर में ऐबडोमिनल एरिया की जो मांसपेशियां होती हैं उन्हें ऐब्स कहा जाता है. ऐब्स गिनती में 2 से ले कर 4, 6, 8 तक होते हैं. ऐसा नहीं है कि ऐब्स केवल कुछ ही लोगों के होते हैं. हर इंसानी शरीर में ऐब्स मौजूद होते हैं, लेकिन वसा यानी फैट की परत के चलते वे ढक जाते हैं. लेकिन कसरत और अच्छी डाइट से उन्हें तराश कर उभारा जा सकता है, बशर्ते आप के पास सही ऐक्सरसाइज और बैलेंस डाइट पर परफैक्ट प्लान हो.

इस वक्त डाइट से जुड़े ढेरों प्लान मौजूद हैं. डाक्टर से ले कर इंटरनैट तक से आप अपनी फूड डाइट के बारे में प्लानिंग कर सकते हैं. लेकिन जरूरी है यह जानना कि आखिर आप का लक्ष्य क्या है और आप के लिए सही क्या है. लेकिन असल परेशानी है कि जब आप बिना जाने अपने शरीर के साथ चीजों को ट्राई करना शुरू करते हैं तो आप सही लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाते और हो सकता है कि आप अपने शरीर से ही खिलवाड़ कर बैठें.

सिक्स पैक के लिए डाइट कई मानो में एक आम बैलेंस डाइट से अलग होती है. सब से पहले जानते हैं कि आखिर डाइट का मतलब क्या है? ज्यादातर लोग डाइट या डाइटिंग को भूखे रहने से जोड़ कर देखते हैं. जबकि ऐसा नहीं है, क्योंकि भूखे रह कर आप शायद रिकौर्ड दिनों में कई किलो तक वजन कम कर लें लेकिन यह कोई लंबा रास्ता नहीं है. क्योंकि इस से शरीर में कमजोरी रहती है, साथ ही इच्छाशक्ति में बेहद कमी आती है. इस तरह शारीरिक और मानसिक दोनों ही तरह का बुरा प्रभाव शरीर पर पड़ता है.

सिक्स पैक के लिए बैलेंस डाइट हर आदमी के लिए अलग है. किसी के लिए यह एक फैशन है तो दूसरे के लिए फिट रहने का जरिया. बिना डाइट पर कंट्रोल किए सिक्स पैक पाना बेहद मुश्किल काम है. लेकिन डाइट का मतलब भूखे रहना नहीं है, बल्कि सही खानपान से है. सिक्स पैक बैलेंस डाइट में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट आदि बेहद नपेतुले तरीके से लिए जाते हैं ताकि फायदा सही जगह दिखाई दे.

ज्यादातर लोग आज फैट फ्री चीजों की तरफ जा रहे हैं. वे फैट फ्री चीजें खा कर सम?ाते हैं कि शरीर में वसा की मात्रा नहीं बढ़ेगी. लेकिन यह जान लेना जरूरी है कि अगर आप लगातार फैट फ्री चीजें खाने में ले रहे हैं लेकिन उस से मिलने वाली कैलोरीज को बर्नआउट नहीं कर रहे हैं तो भी आप का शरीर फैट को इकट्ठा करने लगेगा. ऐसे में आप के सिक्स पैक रेजोल्यूशन पर असर पड़ सकता है.

सिक्स पैक ऐब्स पर काम करते वक्त ध्यान रखें कि खाने में बहुत ज्यादा गैप न रहे. दिनभर में 5-6 बार मिनी मील्स लें, यानी थोड़ाथोड़ा खाएं. दिनभर में 2 से 3 चम्मच ही तेल इस्तेमाल में लाएं. अगर कुछ तलाभुना खाने का दिल भी हो तो हफ्ते में एक बार स्नैक्स के तौर पर ले सकते हैं, लेकिन बेहद कम मात्रा में. इस के अलावा अंडे का सफेद हिस्सा भी लिया जा सकता है जो प्रोटीन का अच्छा स्रोत है. रेशेदार यानी फाइबर वाली चीजें, दालें, कच्ची सब्जियां भी सिक्स पैक डाइट का अहम हिस्सा हैं.

काफी लोग यह भी मानते हैं कि सिक्स पैक के लिए वर्कआउट करते वक्त कैलोरीज से दूर रहना चाहिए. जबकि, बौडी में एनर्जी बनाए रखने के लिए ऊर्जा जरूरी है जो कैलोरीज से मिलती है. सिक्स पैक के लिए अगर आप हैवी वर्कआउट करते हैं तो यही एनर्जी आप को मानसिक ताकत देगी. लेकिन कैलोरी का जरिया क्या है, यह ज्यादा जरूरी है क्योंकि जो कैलोरीज जंक फूड से आएंगी वे अभी भी अच्छी ऊर्जा का स्रोत नहीं बन सकतीं.

प्रोटीन डाइट भी यहां बेहद जरूरी है. प्रोटीन में एक तरह का थरमल इफैक्ट होता है जो फैट और कार्बोहाइड्रेट्स को बर्न करने में सहायता करता है. इस के लिए अंडा, सालमन मछली, दालें, कौटेज चीज, बादाम आदि कारगर हैं, जो मैटाबोलिज्म की गति को सही रखता है.

पुरुषों और महिलाओं की जहां तक बात है तो यह उन के बीएमआर यानी बैसल मैटाबोलिक रेट पर निर्भर करता है कि कौन सी चीज किस के लिए सही है. महिलाओं को आयरन के लैवल को मैंटेन रख सकने वाले फूड आइटम्स लेने की सलाह दी जाती है.

डाइट में हरी सब्जियों को प्रयोग में लाएं. हरी सब्जियां जिनोएस्ट्रोजंस के असर को कम करती हैं जो कि एबडोमिनल एरिया में फैट को बढ़ने में मदद करता है. सिक्स पैक डाइट के वक्त पानी की मात्रा को भी बढ़ा देना चाहिए क्योंकि पानी शरीर को स्वाभाविक तरीके से साफ कर उसे कई बीमारियों से बचाता है. दूसरी बात यह भी है कि पानी डिहाइड्रेशन से भी बचाता है और पाचन प्रणाली को सही रखता है.

ज्यादातर लोगों को स्ट्रिक्ट डाइट पर रहना होता है क्योंकि यह वह वक्त होता है जब व्यक्ति को अपने ऊपर काफी कंट्रोल करना पड़ता है. वर्कआउट के वक्त एक स्टेज ऐसी भी आती है जब नमक पर भी काफी कंट्रोल करना पड़ता है. सिक्स पैक पर काम करते वक्त ट्रेनर को भी पूरी मेहनत करनी होती है. उसे ध्यान देना होता है कि क्लाइंट सही डाइट फौलो कर रहा है या नहीं.

असल परेशानी यह होती है कि वर्कआउट के वक्त ही क्लाइंट एक घंटे के लिए ट्रेनर के साथ होता है बाकी 23 घंटे वह क्या खातापीता है, यह उस पर ही निर्भर है. इसलिए सैल्फ मोटिवेशन और सैल्फ कंट्रोल के जरिए ही सिक्स पैक पाए जा सकते हैं. कुछ लोग स्टेरौयड का भी इस्तेमाल करने लगते हैं. इस से रिजल्ट तो जल्दी दिखाई देता है लेकिन इस का असर बहुत ही घातक हो सकता है.

इस के अलावा अल्कोहल यानी शराब आप की सारी मेहनत खराब कर सकता है. अल्कोहल पैक्स को मैल्ट कर उन की शेप शराब कर देता है. हफ्ते में एक बार अल्कोहल लेने पर भी आप की कई दिनों की मेहनत बरबाद हो सकती है.

18 से 35 साल के बीच का कोई भी इंसान सिक्स पैक बना सकता है. लेकिन इस के बाद परेशानी आ सकती है. ऐसा नहीं है कि बढ़ती उम्र में सिक्स पैक नहीं बनाए जा सकते. लेकिन इस के लिए व्यक्ति के पैशन और डिवोशन दोनों काम करते हैं.

अब बात आती है मेंटिनैंस की तो यह जान लेना जरूरी है कि सिक्स पैक को बनाए रखना भी बेहद मुश्किल है. पैक्स बनने के बाद भी आप को अपना डाइट प्लान फौलो करते रहना होता है. इसे लगभग एक से 2 महीने तक लगातार फौलो करना होता है. इस के साथ ही साथ वर्कआउट भी बेहद जरूरी हिस्सा है. एक हफ्ते में लगभग 3 दिन, 30 से 45 मिनट का वर्कआउट भी आप को सिक्स पैक मैंटेन करने में सहायता दे सकता है. अब अगर आप भी चाहते हैं सिक्स पैक लुक तो बैलेंस डाइट को फौलो करें और फिट रहें.

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