Shubh Mangal Zyada Saavdhan: दिल जीत लेगी आयुष्मान खुराना की ‘गे’ लव स्टोरी

रेटिंग: चार स्टार    

निर्माताः भूषण कुमार,आनंद एल राय, हिमांशु शर्मा और किशन कुमार

निर्देशकः हितेश केवल्य

कलाकारः आयुष्मान खुराना, जीतेंद्र कुमार, मानवी गागरू, नीना गुप्ता, गजराज राव और पंखुड़ी अवस्थी

अवधिः एक घंटा 57 मिनट

‘गे’ यानी समलैंगिकता के मुद्दे पर बौलीवुड में कई फिल्में बन चुकी हैं. मगर वह सभी गंभीर किस्म की फिल्में रही हैं और इन फिल्मों में सभी ‘गे’ किरदार बेबस नजर आते रहे हैं. मगर फिल्मकार हितेश केवल्य की फिल्म ‘‘शुभ मंगल ज्यादा सावधान’’ में ऐसा नही है. इस फिल्म के ‘गे’ किरदार बेबस नजर नहीं आते हैं, बल्कि खुलकर स्वीकार करते हैं कि यह उनकी सेक्सुएलिटी है.

हितेश केवल्य ने अपनी इस फिल्म के माध्यम से समलैंगिक परिवार के संघर्ष और उनकी बेबसी को रेखांकित किया है. फिल्म के किरदार अपने संवादो के माध्यम से इस बात को रेखांकित करने में पूरी तरह से सफल रहते है कि भले ही समलैंगिकता को कानूनी रूप से अपराध के दायरे से बाहर कर दिया गया हो, मगर समलैंगिक इंसानों को होमोफोबिया के तौर पर हर दिन अपने परिवार से घृणा ही मिलती है.

कहानीः

यह कहानी है दिल्ली में रह रहे कार्तिक (आयुष्मान खुराना) और अमन त्रिपाठी (जीतेंद्र कुमार) की. दोनो समलैंगिक हैं और एक दूसरे से गहरा प्यार करते हैं. अमन त्रिपाठी का लंबा चैड़ा परिवार है, जो कि इलहाबाद में रहता है. अमन के पिता शंकर त्रिपाठी (गजराज राव) वैज्ञानिक हैं. उनकी मां सुनयना (नीना गुप्ता) घरेलू महिला हैं. चाचा चमन (मनु रिषि) एडवोकेट और चाची (सुनीता राजभर) गृहिणी हैं. जबकि चचेरी बहन गॉगल अपनी शादी को लेकर परेशान है. बड़ी मुश्किल से गॉगल की शादी एक बुजुर्ग इंसान के साथ तय होती है. इस शादी में शामिल होने के लिए अमन भी कार्तिक के साथ पहुंचता है. पूरा त्रिपाठी परिवार शादी के लिए ट्रेन से बनारस जा रहा है. रास्ते में ट्रेन के अंदर कार्तिक और अमन को चुंबन करते देखकर शंकर त्रिपाठी को सदमा सा लग जाता है. शंकर अपनी तरफ से अमन को काफी कुछ समझाते हैं. बारात पहुंच जाती है. विवाह स्थल पर डांस के समय एक बार फिर सभी के सामने कार्तिक और अमन एक दूसरे को गले लगाकर किस कर लेते हैं. फिर कई घटनाक्रम तेजी से बदलते हैं. गॉगल की शादी टूट जाती है. गॉगल भागकर आत्महत्या करने का प्रयास करती है, पर कार्तिक उसे रोक लेता है. अमन की मां सुनयना, पंडित जी से कर्म-कांड करवा कर अमन का अंतिम संस्कार कर उसे नया जन्म देने की विधि भी करवाती है. उधर शंकर त्रिपाठी और उसने भाई चमन के बीच दूरी बढ़ जाती है. पारिवारिक कलह के बीच कई गड़े मुर्दे उखड़ते हैं. तो वहीं कुसुम (पंखुड़ी अवस्थी) की चालाक सलाह में फंस कर अमन ऐसा फंसते हैं कि नया घटनाक्रम पैदा होता है. अंततः शंकर त्रिपाठी अपने बेटे अमन को पूरी स्वतंत्रता दे देते हैं और फिर अमन व कार्तिक दिल्ली के लिए रवाना हो जाते हैं.

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लेखन व निर्देशनः

फिल्मकार हितेश केवल्य ने हास्य व व्यंग के साथ अपनी इस फिल्म में इस बात पर जोर दिया है कि समलैंगिकता/ होमोसेक्सुआलिटी कोई बीमारी नहीं बल्कि कुदरत, प्रकृति है. जिससे आप नफरत नहीं कर सकते. फिल्मकार की उपलब्धि केवल उस स्थिति में नहीं है, जहां बौलीवुड पहले नहीं गया है. यह फिल्म कार्तिक (आयुष्मान खुराना) और अमन (जितेंद्र कुमार) को सिर्फ एक जोड़े के रूप में चित्रित कर रहा है, न कि ‘होमो‘ के रूप में. फिल्मकार ने समलैंगिकों की सैक्सुआलिटी पर जोर देने की बनिस्बत उनकी परिवार में स्वीकृति पर जोर दिया है. फिल्म में एक संवाद है कि ‘प्यार का कोई रंग नहीं होता.’ तो वहीं फिल्म पति और पत्नी,  पिता और पुत्र,  माता और बच्चों को लेकर कई प्रासंगिक सवाल उठाती है. एक बिंदु पर अमन पूछता है, “केवल बेटों को ही नायक बनने की आवश्यकता क्यों है? एक पिता एक बार के लिए क्यों नहीं हो सकता? ” फिल्म के कुछ संवाद काफी चुटीले हैं. फिल्म के कुछ सीन काफी अच्छे बन पड़े हैं. इंटरवल से पहले फिल्म काफी सशक्त है, मगर इंटरवल के बाद फिल्म शिथिल हो गयी है. क्लायमेक्स में निर्देशक पूरी तरह से हड़बड़ा गए हैं. क्लायमेक्स काफी गड़बड़ है. फिल्मकार ने क्लामेक्स में यह दिखाने की कोशिश की है कि सुप्रीम कोर्ट अब भारतीय संस्कार तय करने लगा है, जबकि ऐसा नहीं है. 377 खत्म करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान नहीं लिया था.

अभिनयः

कार्तिक के किरदार को आयुष्मान खुराना ने अपने शानदार अभिनय से जीवंतता प्रदान की है. उन्होने ‘गे’ किरदार को निभाने का खतरा उठाने के साथ उसे उत्कृष्टता के साथ अंजाम तक पहुंचाया भी है. यह उनके अभिनय का कमाल है कि उनका समलैंगिक किरदार किसी भी मोड़ पर दर्शकों को विरक्त नहीं करता है. अमन के किरदार में जीतेंद्र कुमार ने भी काफी सहज अभिनय कर साबित किया है कि उनके अंदर अभिनय को लेकर काफी संभावनाएं हैं. मातापिता के किरदार में नीना गुप्ता और गजराज राव की केमिस्ट्री जबरदस्त है. गॉगल के किरदार में मानवी गागरू लोगों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करने में सफल रही है.

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