‘कहे तोसे सजना’ गाने के लिए शारदा सिन्‍हा को मिले थे 76 रुपए, सास नहीं चाहती थीं बहू गाए

भोजपुरी गीतों की मशहूर गायिका शारदा सिन्‍हा नहीं रहीं, लेकिन 90 के आखिरी दशक में हिट फिल्म ‘मैं ने प्‍यार किया’ के एक गाने ने उनको हर घर तक पहुंचा दिया था. इसके बोल थे, ‘कहे तोसे सजना ये तोहरी सजनिया…’

 

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भोजपुरी को बौलीवुड में पौपुलर बनाने का श्रेय

‘मैं ने प्‍यार किया’ मूवी ने इंडियन सिनेमा को बहुत कुछ दिया. इस मूवी से सलमान खान की पहचान मजबूत हुई थी. इस के साथ ही राजश्री प्रोडक्‍शन की नई पीढ़ी के रूप में डायरैक्‍टर सूरज बड़जात्‍या एक बड़ा नाम बन कर उभरे थे. इतना ही नहीं, एक साधारण नाम भाग्‍यश्री रातोंरात मशहूर हीरोइन बन गई थीं. इस के अलावा इस सुपरहिट मूवी की जो बात दर्शकों को बहुत पसंद आई थी, वह था इस का मशहूर गाना ‘कहे तोसे सजना ये तोहरी सजनिया, पगपग लिए जाऊं तोहरी बलैया…’

उस दौर में कोई कल्‍पना भी नहीं कर सकता था कि हिंदी मूवी के रोमांटिक गाने में भोजपुरी भाषा का इतनी खूबसूरती से इस्‍तेमाल किया जा सकता है. यही वजह थी कि उस दौर की यंग जनरेशन की जबान पर यह गाना आसानी से चढ़ गया था, जो आज भी कानों में गूंज रहा है.

पहला गाना केवल 76 रुपए में गाया

कहा जाता है कि ‘मैं ने प्‍यार किया’ मूवी में गाने के लिए लोकगायिका शारदा सिन्‍हा को 76 रुपए मिले थे, जबकि इस मूवी से बतौर ऐक्‍टर डैब्‍यू कर रहे सलमान खान को 30,000 रुपए मिले थे. इस मूवी का बजट 1 करोड़ रुपए था, जबकि इस ने 45 करोड़ रुपए की कमाई की थी.

‘मैं ने प्‍यार किया’ में गाए अपने गाने के अलावा शारदा सिन्‍हा के 2 गाने और भी बहुत पौपुलर हुए थे. शारदा सिन्‍हा ने मूवी ‘हम आप के हैं कौन’ में ‘बाबुल जो तुम ने सिखाया, जो तुम से पाया, सजन घर ले चली…’ गाया था. यह गाना दुलहन की विदाई के सीन के साथ रखा गया था. यह गाना इतना पौपुलर हो चुका है कि आज साल 2024 में भी दुलहनों की विदाई के दौरान इसे बजाया जाता है.

डायरैक्‍टर अनुराग कश्‍यप की फेमस मूवी ‘गैंग्स औफ वासेपुर’ में भी शारदा सिन्‍हा ने एक गाना गाया है, जिस के बोल हैं, ‘तार बिजली के जैसे हमारे पिया…’ लेकिन धीरेधीरे कर के शारदा सिन्‍हा ने बौलीवुड से दूरी बना ली. काफी सालों बाद इन्‍होंने हुमा कुरैशी की एक्टिंग से सजी वैब सीरीज ‘महारानी’ में ‘निर्मोहिया’ गाना भी गाया.

संगीत के साथ स्‍टडी भी करती रहीं

शारदा सिन्‍हा का जन्‍म बिहार के सुपौल जिले में साल 1952 में हुआ था. इनके पिता सुखदेव ठाकुर शिक्षा विभाग से जुड़े थे. ऐसा कहा जाता है कि शारदा सिन्‍हा के परिवार में कई दशकों तक बेटी का जन्‍म नहीं हुआ था, इसलिए इन के जन्‍म के बाद इन्‍हें काफी लाड़दुलार मिला. शारदा सिन्‍हा 8 भाईबहनों में एकलौती लड़की थीं. गाने की शौकीन होने की वजह से ही शारदा का दाखिला उन के पिताजी ने भारतीय नृत्‍य कला केंद्र में कराया. संगीत की स्‍टडी करने के साथसाथ उन्‍होंने सामान्‍य शिक्षा भी जारी रखी. उन्‍होंने ग्रेजुएशन और पोस्‍ट ग्रैजुएशन किया.

सास को पसंद नहीं था बहू गाना गाए

मैथिली गीतों से अपनी पहचान बनाने वाली शारदा सिन्हा की शादी 1970 में ब्रज किशोर सिन्‍हा से हुई. इन के 2 बच्‍चे हैं बेटा अंशुमन सिन्‍हा और बेटी वंदना. एक इंटरव्‍यू के दौरान शारदा सिन्‍हा ने कहा था कि उन की सासु मां नहीं चाहती थीं कि वे गाना गाएं. यहां तक कि गांव की ठाकुरबाड़ी में भी उन्‍हें गाने की इजाजत नहीं थी.

बाद में शारदा सिन्‍हा ने पीएचडी किया और बिहार के समस्‍तीपुर कालेज में लेक्‍चरर के रूप में जौइन किया और बाद में वहीं प्रोफैसर भी बनीं.

कैसे हुआ लोकगीत से साक्षात्‍कार

एक इंटरव्‍यू के दौरान शारदा सिन्‍हा ने बताया था कि जब भी उन के पिता का ट्रांसफर होता, तो वे छुट्टियों में गांव चली जाती थीं. इसी दौरान उन्‍होंने गांव में लोकगीत सुने. धीरेधीरे यह रुचि में बदल गई. क्‍लास 6 से उन्‍होंने संगीत सीखना शुरू किया. इन के गुरु पंडित रघु झा पंचगछिया घराने के संगीतज्ञ थे.

लोक‍गायिका शारदा सिन्‍हा को ‘ब‍ि‍हार की स्‍वर कोकिला’ कहा जाता है. 1991 में ‘पद्मश्री’ और 2018 में ‘पद्मभूषण’ से सम्‍मानित लोकगायिका शारदा सिन्‍हा ने दिल्‍ली के आल इंडिया इंस्‍टीट्यूट औफ मैडिकल साइंसेज में आखिरी सांस ली. करीब डेढ़ महीना पहले ही शारदा सिन्‍हा के पति बृज किशोर सिन्‍हा का ब्रेन हैमरेज की वजह से देहांत हो गया था. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार साल 2017 से ही शारदा सिन्‍हा ब्लड कैंसर से जूझ रही थीं. शारदा सिन्‍हा को बिहार में राजकीय सम्‍मान के साथ अंतिम विदाई दी जाएगी.

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