Oral Sex करते समय रखें इन खास बातों का ध्यान

सैक्स करना सभी को पसंद होता है और खासतौर पर जब बात Oral Sex की आती है तो यह एक ऐसा एक्सपीरियंस है जो सभी को मदहोश कर देता है. चाहे लड़का हो या लड़की सभी को सैक्स करने से पहले Oral Sex जरूर करना चाहिए, क्योंकि Oral Sex के दौरान हम काफीकुछ ऐसा एक्सपीरियंस करते हैं, जो हम सिर्फ सैक्स करने पर नहीं कर पाते.

कैसे करें ओरल सैक्स

बात करें अगर ओरल सैक्स की तो सब से पहले हमें अपने पार्टनर को कंफर्टेबल फील कराना चाहिए और डायरैक्ट सैक्स न करते हुए पहले गले लगाना, किस करना, पार्टनर के नाजुक अंगों से छेड़छाड़ करना चाहिए और एकदूसरे के शरीर को हर जगह टच करने से आप के पार्टनर को जो सैटिस्फैक्शन मिलेगी वह डायरैक्ट सैक्स करने से कभी नहीं मिल सकती.

आज हम आप को बताएंगे कि ओरल सैक्स करते समय आप को किन बातों का ध्यान रखना है जिस से कि आप और आप के पार्टनर की हाइजीन को कोई नुकसान न पहुंचे.

हाथों को रखें साफ

सब से पहले तो आप को अपने हाथों को साबुन से अच्छी तरह से धो लेना चाहिए, ताकि जब आप अपने पार्टनर के नाजुक अंगों और प्राइवेट पार्ट्स को टच करें तो कोई इंफैक्शन न फैले.

बैड पर जाने से पहले करें ब्रश

अपने पार्टनर के साथ बैड पर जाने से पहले आप को ब्रश करना चाहिए, ताकि आप के पार्टनर को आप के मुंह से बदबू न आए, क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो यह आप का और आप के पार्टनर का मूड खराब कर सकता है. ठीक उसी तरह सैक्स करने के बाद भी आप को पानी से कुल्ला और ब्रश करना चाहिए.

पसंदनापसंद जानें

आप को अपने पार्टनर की पसंदनापसंद को अच्छे से जान लेना चाहिए, क्योंकि अगर आप ओरल सैक्स करते समय कुछ ऐसा करेंगे जो आप के को पसंद न हो तो ऐसे में आप के पार्टनर का मूड खराब हो सकता है.

प्राइवेट पार्ट्स को रखें साफ

आप को अपने प्राइवेट पार्ट्स को अच्छे से साफ करना चाहिए, जिस से की आप के पार्टनर को इंफेक्शन होने का खतरा न रहे.

शादी नहीं हुई है Safe Sex के लिए क्या उपाय करूं ?

अगर आप भी अपनी समस्या भेजना चाहते हैं, तो इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें..

सवाल :

मेरी उम्र 26 साल है और मेरे घर वाले शादी का रिश्ता ढूंढ़ रहे हैं. मैं हमेशा से अपने पढ़ाई के लिए काफी गंभीर रही हूं। इसी वजह से मैं ने आजतक स्कूल या कालेज में कभी कोई बौयफ्रैंड नहीं बनाया. मेरी कई फ्रैंड्स हैं जिन की शादी हो चुकी है और कुछ के तो बौयफ्रैंड्स भी रह चुके हैं. मेरी फ्रैंड्स जब भी मुझ से मिलती हैं तो वे अपनी सैक्स लाइफ के बारे में बातें करती हैं पर मैं हमेशा खामोश रहती हूं. मेरा बहुत मन करता है सैक्स करने का लेकिन डर लगता है. मैं चाहती हूं कि जिस से भी मेरी शादी हो मैं सिर्फ उसी के साथ सैक्स करूं. मैं हमेशा सैक्स को ले कर काफी चिंतित रही हूं क्योंकि मुझे हमेशा से ऐसा लगता है कि सैक्स को हमेशा ऐसे करना चाहिए जिस से कि हम दोनों को कभी कोई परेशानी न हो. मुझे बताएं कि सेफ सैक्स के लिए किनकिन बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है?

जवाब :

सैक्स एक ऐसा टौनिक है जो दोनों पार्टनर्स को एकदूसरे के करीब लाता है. शादी के बाद आप पहली बार सैक्स करेंगी इसलिए आप को बहुत सी बातों का खयाल रखना चाहिए. जैसाकि आप ने बताया कि आप का कोई बौयफ्रैंड नहीं रहा और आप ने आजतक कभी सैक्स का आनंद नहीं लिया है तो सैक्स को ले कर आप को चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है.

सैक्स को हमेशा पूरी फील के साथ ऐंजौय करना चाहिए। अगर आप सैक्स के दौरान खुद को स्ट्रैस में रखेंगी या फिर इस बारे में ज्यादा सोचेंगी तो औप सैक्स को कभी ऐंजौय नहीं कर पाएंगी. अपनी पूरी बौडी को फ्री छोड़ कर और दिमाग को बिलकुल स्ट्रैसफी रख कर ही सैक्स को अच्छे से फील किया जा सकता है.

आप को इस बात का खास खयाल रखना चाहिए कि सैक्स के दौरान आप या आप के पार्टनर को कुछ ऐसा नहीं करना है जिस से कि आप दोनों के प्राइवेट पार्ट्स को कोई नुकसान पहुंचे. अकसर ऐसा देखा गया है कि सैक्स के दौरान हम कुछ ऐसी चीजें करते हैं जिस से कि हमारे पार्टनर को आनंद मिलने की बजाय दर्द होने लगता है। तो खुद भी और अपने पार्टनर से भी कहें कि वह सैक्स के दौरान मजा दे नकि सजा।

अगर आप को कभी सैक्स के दौरान ऐसा लगे कि आप के पार्टनर कुछ ऐसा कर रहे हैं जिस में आप बिलकुल सहज नहीं हैं तो आप अपने पार्टनर को साफसाफ बोल कर मना कर सकती हैं.

सैक्स में हमेशा जरूरी है कि एकदूसरे की भावनाओं का खयाल रखना. आप को अपने पार्टनर से सैक्स संबंधित बात करने में शरमाना बिलकुल भी नहीं चाहिए। आप के पार्टनर को भी अच्छा लगेगा कि आप उन से अपनी फीलिंग्स शेयर कर पा रही हैं.

सैक्स करने से पहले आप को अपने पार्टनर के साथ रोमांस करना चाहिए ताकि आप दोनों एकदूसरे के साथ सहज हो पाएं. रोमांस करने से रिश्ता और भी ज्यादा गहरा बन जाता है. शुरुआत हमेशा धीरेधीरे होनी चाहिए जिस से कि दोनों सैक्स का भरपूर आनंद उठा पाएं.

अच्छा तो यही है कि संसर्ग से पहले फोरप्ले का आनंद उठाएं। चुंबन, एकदूसरे के अंगों को सहलाने के साथ पोजीशन बदलबदल कर सैक्स करने से आनंद को कई गुणा तक बढ़ाया जा सकता है।

याद रखें, सैक्स कुदरत का दिया एक अनमोल तोहफा है। इसलिए सैक्स को खूब ऐंजौय करें, मगर ऐहतियात के साथ.

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युवाओं के लिए बेहद जरूरी है सेक्स एजुकेशन

आज जिस तेजी से युवाओं की सोच बदल रही है, उन में जो खुलापन आया है वह मानसिक विकास के लिए तो जरूरी है, लेकिन खुलापन शारीरिक स्तर तक बढ़ जाए, यह गलत है. गलत इसलिए है क्योंकि हर कार्य को करने का समय होता है. किसी काम को समय से पहले ही अंजाम दिया जाए, तो उस का परिणाम भी गलत ही होता है. आज युवाओं में सेक्स के प्रति बढ़ती रुचि का ही नतीजा है कि युवतियां प्रैग्नैंट हो जाती हैं और अपनी जान तक गंवा देती हैं.

किशोरों के शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ विकास के लिए सब से जरूरी है, उन्हें सेक्स से संबंधित हर तरह की जानकारी से अवगत कराया जाए. खासकर पेरैंट्स को अपने जवान होते बच्चों को सेक्स से संबंधित जानकारी देने में जरा भी संकोच नहीं करना चाहिए, लेकिन अपने देश में बहुत कम ऐसे पेरैंट्स होते होंगे, जो अपने बच्चों को इस बारे में जागरूक और सचेत करने की पहल करते हों. यही कारण है कि हमारे देश में अधिकतर बच्चे सेक्स ऐजुकेशन से संबंधित जानकारी दोस्तों, किताबों, पत्रिकाओं, पौर्नोग्राफिक वैबसाइट्स और अन्य कई साधनों के जरिए चोरीछिपे हासिल करते हैं. उन्हें यह नहीं मालूम कि सेक्स से संबंधित ऐसी अधकचरी जानकारी मिलने से नुकसान भी होता है.

दरअसल, किशोर या युवा इन स्रोतों के जरिए सेक्स के प्रति अपने मन में गलत धारणाएं विकसित कर लेते हैं. उन्हें लगता है कि सेक्स मात्र ऐंजौय करने की चीज है, जिस से उन्हें कोई नुकसान नहीं होगा.

एशिया के तमाम देशों जैसे भारत में सेक्स ऐजुकेशन को पाठ्यक्रम में शामिल करने के सफल प्रयास किए गए हैं, लेकिन यह आज भी एक बहस का मुद्दा बना हुआ है. यदि ऐसा संभव हुआ तो सेक्स ऐजुकेशन के जरिए बच्चों को इस की पूरी जानकारी दी जा सकेगी, जिस से किशोरों का विकास सही रूप में हो सकेगा.

1. सेक्स ऐजुकेशन क्यों जरूरी

सेक्स के प्रति युवाओं की अधूरी जानकारी न केवल सेक्स के प्रति धारणाओं को बदल रही है बल्कि इन पर शारीरिक और मानसिक रूप से नकारात्मक असर को भी उन्हें झेलना पड़ता है.

साइकोलौजिस्ट अरुणा ब्रूटा कहती हैं, ‘‘सेक्स ऐजुकेशन किशोरों को सब से पहले घर से ही मिलनी चाहिए, लेकिन पेरैंट्स आज भी इस विषय पर बात करना पसंद नहीं करते. उन्हें इस बारे में बात करने पर शर्म महसूस होती है, लेकिन वे यह भूल जाते हैं कि युवाओं को सेक्स की पूरी जानकारी न होने से उन का भविष्य खराब भी हो सकता है.

‘‘आज बच्चे लैपटौप, टैलीफोन, कंप्यूटर आदि पर निर्भर हो गए हैं और इस का कहीं न कहीं वे गलत इस्तेमाल भी कर रहे हैं. मुझे याद है कि एक बार मेरे पास एक 8वीं कक्षा में पढ़ने वाले लड़के का केस आया था. वह लड़का प्रौस्टीट्यूट एरिया में पकड़ा गया था.

‘‘जब मैं ने उस से पूछताछ की कि तुम वहां कैसे पहुंचे, तो उस का कहना था कि वह 11वीं क्लास के एक छात्र के कहने पर वहां चला गया था. उस बच्चे का कहना था कि वह औरत का शरीर देखना चाहता था. इस तरह की जिज्ञासा किशोर में तभी संभव है, जब वह दोस्तों की गलत संगत में रह कर चोरीछिपे उन की बातें सुनता है.

‘‘यदि किशोर ऐसा करता है, तो युवा होतेहोते सेक्स के प्रति उस का ऐटीट्यूड वल्गर होता चला जाएगा. हालांकि सेक्स कोई वल्गर चीज नहीं है. यह एक नैचुरल प्रोसैस है, जो स्त्रीपुरुष के जीवन का एक अहम हिस्सा है.

‘‘यह सिर्फ मीडिया का ही नतीजा है कि बच्चे सेक्स को गलत रूप में लेते हैं. ऐसे में पेरैंट्स को चाहिए कि वे युवा होते बच्चों को सही और पूरी जानकारी दें. किशोरों को भी ऐसी वर्कशौप अटैंड करनी चाहिए, जिस में 10-15 किशोरों का समूह हो और जहां खुल कर सेक्स से संबंधित मुद्दों पर चर्चा होती हो. इस से बच्चे भी शांत माहौल में सब कुछ समझ सकेंगे.’’

‘‘किशोरावस्था के दौरान खासकर यौनांगों का विकास होता है और साथ ही शरीर में हारमोनल बदलाव भी होते हैं, जो किशोरों को यह जानने के लिए उत्तेजित करते हैं कि वे इन बदलावों को ऐक्सप्लोर कर सकें. जो उन्होंने मीडिया के जरिए ऐक्सपीरियंस किया है, उसे वे सही में ट्राई कर बैठते हैं. ऐसे किशोरों के बीच ‘सैक्सुअल ऐरेना’ हौट टौपिक होता है. सही जानकारी न होने से इस से किशोरों को शारीरिक और मानसिक रूप से नुकसान पहुंचता है.’’

2. पेरैंट्स की भूमिका

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, सेक्स ऐजुकेशन उन सभी बच्चों को देनी चाहिए, जो 12 वर्ष और इस से ऊपर के हैं. खासकर जिस तरह से देश में टीनएज प्रैग्नैंसी और एचआईवी के मामले सामने आ रहे हैं, ऐसे में यह काफी गंभीर विषय बनता जा रहा है.

लगातार स्कूलों या आसपास के इलाकों में बलात्कार, यौन शोषण, स्कूली छात्रछात्राओं को डराधमका कर उन के साथ जबरदस्ती करना, उन्हें अश्लील वीडियो, पिक्चर्स देखने पर मजबूर किया जाता है. इसलिए पेरैंट्स की भूमिका काफी बढ़ जाती है कि वे अपनी युवा होती बेटी को उस के शरीर के बदलावों के बारे में समय रहते ही जानकारी दें ताकि वह खुद को सुरक्षित रख सके, अच्छेबुरे लोगों की पहचान कर सके, सेक्स और प्यार में फर्क समझ सके.

यह बताना भी जरूरी है कि सेक्स जैसे विषय पर शर्म नहीं बल्कि खुल कर बात करें. इस तरह की शर्म और भय को अपने मन से निकाल दें कि कहीं आप का युवा होता बच्चा असमय ही इस ज्ञान का अनुचित लाभ न उठा ले.

ऐसी स्थिति को पैदा ही न होने दें कि जब उस की शादी हो तो उसे अपने हसबैंड के पास जाने में घबराहट हो. मां की सही भूमिका निभाते हुए आप बेटेबेटियों को शरीर से संबंधित ज्ञान, विकास, काम से संबंधित थोड़ीबहुत जानकारी, प्रैग्नैंसी, कौंट्रासैप्टिव पिल्स, ऐबौर्शन आदि के नकारात्मक असर के बारे में जरूर बता दें. इस से वे जिंदगी में कई तरह की परेशानियों से बच सकते हैं. वह अपनी शारीरिक सुरक्षा और जीवन के सभी सुखों को प्राप्त कर सकते हैं.

3. स्कूलों में शामिल हो सेक्स ऐजुकेशन

कई अध्ययनों से पता चला है कि प्रभावकारी ढंग से जब किशोरों को सेक्स ऐजुकेशन के बारे में जानकारी दी गई, तो उन्होंने सही उम्र में ही सेक्स का आनंद लेना ठीक समझा. हालांकि देश में आज भी स्कूलों में सेक्स ऐजुकेशन को पाठ्यक्रम के रूप में स्वीकार नहीं किया गया है. आज भी हमारी शिक्षा प्रणाली स्कूलों में सेक्स ऐजुकेशन से संबंधित वर्कशौप और प्रोग्राम्स आयोजित करने में असहमति दिखाती है. इस की मुख्य वजह पेरैंट्स, समाज के कुछ रूढि़वादी तत्त्वों और स्कूल के शिक्षकों का मानना है कि सेक्स ऐजुकेशन से किशोर लड़केलड़कियां और भी ज्यादा आजाद खयालों के हो जाएंगे, जिस से वे सैक्सुअल इंटरकोर्स में ज्यादा फ्री हो कर लिप्त होंगे.

4. सेक्स ऐजुकेशन का फायदा

द्य इस से टीनएज प्रैग्नैंसी में बहुत हद तक कमी आएगी. युवतियां हैल्थ, शिक्षा, भविष्य यहां तक कि गर्भ में पलने वाले भू्रण पर होने वाले अप्रत्यक्ष परिणामों से भी बच सकती हैं. उन में सेक्स के प्रति जागरूकता आएगी.

समय पर सेक्स ऐजुकेशन की जानकारी होने से आगे चल कर बहुत हद तक तनाव से बचा जा सकता है.

यहां तक कि यदि कोई किशोर सैक्सुअल इंटरकोर्स में शामिल होता है, तो भी कौंट्रासैप्टिव मैथड्स जैसे कंडोम का इस्तेमाल, कौंट्रासैप्टिव पिल्स की जानकारी होने पर सैक्सुअल ट्रांसमिटेड डिसीज और टीनएज प्रैग्नैंसी से बचा जा सकता है.

सैक्सुअली ट्रांसमिटेड डिसीज जैसे गौनोरिया, पैल्विक इंफ्लैमैटरी डिसीज और सिफिलिस से बचाव होता है.

युवाओं और किशोरों में सेक्स ऐजुकेशन की जानकारी इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि उन्हें गर्भनिरोधक और मौर्निंग पिल्स, कंडोम और ऐबौर्शन के बारे में जानकारी मिल सकती है.

मिडलाइफ में सैक्स को बनाना चाहते है रोमांच तो है जाने ये टौप सीक्रेट्स

मिड एज आते-आते सेक्स लाइफ थोडी सी बोरिंग और नीरस होने लग जाती है. जिससे रिश्तों में दरार आने लगती है. कई बार एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर होने लग जाते हैं या मामला डिवोर्स तक पहुंच जाता है, या फिर इसी नीरसता के साथ जिंदगी उलझती हुई चलने लग जाती है.

हालांकि, कोई भी व्यक्ति अपनी सैक्स लाइफ को खत्म करना नहीं चाहता है. क्योकि इससे आपकी पर्सनल और प्रोफेशनल दोनों ही लाइफ बहुत अच्छी रहती है. अब सवाल उठता है कि इस बोरियत और नीरसता को कैसे दूर किया जाए? तो इसके कुछ टिप्स जो कि टौप सीक्रेट्स है.

नई चीजों के साथ करें एक्सपेरिमेंट

नए एक्सपेरिमेंट में आप टच को फील कर सकते है. इसमें शरीर में सबसे सेंसेटिव पार्ट्स को टच करने के बारें में बताया गया है. जैसे कि रिप्रोडक्टिव ऑर्गेन के अलावा निपल्स, मुंह और होंठ, कान, गर्दन की नस, भीतरी जांघ, पीठ के निचले हिस्से आदि शामिल हैं. इनके टच का आप एक्सपेरिमेंट कर सकते है.

पुरुषों और महिलाओं को इन संवेदनशील स्पौट को टच करने भर से ही टर्न औन किया जा सकता है, इसलिए टच के साथ नए प्रयोग करना बुरा विचार नहीं होगा. इसे आप जरूर ट्राई करें. खासतौर पर, जब आपकी सैक्स लाइफ आपको थोड़ी बोरिंग लगने लगे.

सेक्स के बाद इसके बारे में करें बातें

सैक्स करने का हम जितना आनंद उठाते है. उससे कहीं ज्यादा उसे करने के बाद बातों का भी आनंज उठाना चाहिए. अब आप मिडल लाइफ में है और सैक्स के बारे में अपने पार्टनर से बात करेंगी. तो ये सेक्स लाइफ का रोमांचक बनाने में मदद करेगा. इस बारे में सेक्सोलोजिस्ट भी कहते है. कि सैक्स करने के बाद आप आप उसके बारे में बात जरूर करे.

इस समय में आप उन चीजों पर चर्चा करें जिन्हें आप पसंद करते हैं और उन चीजों पर भी चर्चा करें जिन्हें आप अगली बार नहीं करना चाहेंगे. इसके साथ ही ईमानदारी से यह भी बताना जरूरी है कि आपको क्या अच्छा नहीं लगा.

सैक्स टौय का करें इस्तेमाल

सेक्सोलॉजिस्ट ऐसा सुझाव देते है कि आप अपने पार्टनर के साथ मिलकर सैक्स टौय जैसे नए प्रोडक्ट खरीदें और इसका इस्तेमाल करें. सैक्स टौय आपके सैक्स लाइफ के लिए एक बहुत ही बढ़िया एक्सेसरीज है. अगर आप अपने या अपने पार्टनर के लिए कुछ बढ़िया काम करने वाला प्रोडक्ट की तलाश कर रहे हैं तो सैक्स टौय एक बेहतर चुनाव है. इसमें वाइब्रेटर, बट प्लग, मसाज औइल या बौडी पेंट आदि हो सकता है.

अलग-अलग सैक्स पोजीशन करें ट्राई

एक ही पार्टनर के साथ लंबे समय बिताने के बाद बोरियत हो जाती है. इसे आप अपने रिश्ते में भी महसूस कर सकते हैं. यह कभी भी एक हेल्दी सैक्स लाइफ की पहचान नहीं हो सकती है. इसलिए अपने सैक्स लाइफ को थोड़ा मजेदार बनाए.

आपके पार्टनर के साथ भी हर बार एक ही तरह के दो या तीन सैक्स पोजीशन हो रहे हैं, तो इससे आपको भी एक तरह की उबाऊपन महसूस हो सकता है. इसके साथ इस दौरान मिलने वाले सुख में भी कमी महसूस हो सकती है. इसलिए, यह बेहद जरूरी है कि आप अलग-अलग पोजीशन को ट्राई करें. इसके साथ ही आप दिन के अलग-अलग समय में भी आप ट्राई कर सकते हैं.

आज नही करना चाहता आपका पार्टनर सैक्स, कैसे बताएं हाल ए दिल

आपके कौलेज का आखिरी सेमेस्टर है और कल सुबह की परीक्षा के बाद कौलेज खत्म हो जाएगा. यह सबसे कठिन विषय है और आप काफी समय से इसके लिए काफी मेहनत से पढ़ रहे हैं, और इसलिए इस समय सेक्स के खयाल आपके दिमाग के आस पास भी नहीं फटक रहे. फिर चाहे आपकी गर्लफ्रेंड आपके साथ बिस्तर पर निर्वस्त्र ही क्यूं ना हो. उसके इम्तिहान खत्म हो चुके हैं और उसके दिमाग में अब कोई दबाव नहीं है और शायद इसलिए वो सेक्स के बारे में सोच रही है. तो ऐसे में आप उसे सेक्स के लिए कैसे मना करेंगे और इससे क्या फर्क पड़ेगा?

लेकिन सच ये है कि आपके मना करने के तरीके से दरअसल फर्क पड़ेगा. किसी भी रिश्ते में ऐसा समय आ सकता है जब एक साथी मूड में हो और दूसरा नहीं. इस स्थिति को सही तरीके से सम्भालना महत्वपूर्ण है क्यूंकि सेक्स को लेकर हुई असमर्थता से भावनाओं को ठेस पहुंच सकती है.

काफी कुछ दांव पर

‘मेरे विचार में इसका सम्बन्ध भावनात्मक अति संवेदनशीलता से है’, कनेडीयन शोधकर्ता जेम्स किम ने 2016 की इंटर्नैशनल असोसीएशन फोर रेलेशन्शिप रीसर्च कॉन्फ़्रेन्स के दौरान बताया “एक रिश्ते में दो लोगों के बीच में कई बातों को लेकर मतभिन्नता हो सकती है, जैसे कि घर की सफाई, खाने में क्या बनाना है, बच्चो को किस स्कूल में डालना है वगैरह, वगैरह. लेकिन जहां तक सेक्स की जरूरतें हैं, उनके लिए आपकी अपेक्षाएं केवल आपके साथी से होती हैं. और ऐसे में अकसर काफी कुछ दांव पर लगा होता है, क्यूंकि अपने साथी से यह सुनना तकलीफदेह हो सकता है कि वो आपके साथ सेक्स करने के इच्छुक नहीं हैं.’

बातचीत में शामिल हों

किम ये पता लगाना चाहते थे कि लोग अपने साथी को सेक्स के लिए कैसे मना करते हैं. वो ये भी देखना चाहते थे कि रिश्तों और सेक्स की संतुष्टि के नजरिए से क्या ना कहने के कुछ तरीके दूसरे तरीकों से बेहतर थे?

पहले, उन्होंने शोध में शामिल 1200 लोगों से पूछा कि वो सेक्स के लिए कैसे मना करते हैं. उन्होंने चार वर्गीकरण किए और हर एक का उदाहरण सामने रखा. प्रयोग के दूसरे चरण में उन्होंने ‘ना’ कहने के बेहतर तरीक़ों को बारीकी से देखा.

ना कहने के चार तरीके

किम ने ना कहने तरीकों को चार हिस्सों में बांटा

  1. ‘केवल चुंबन और आलिंगन करते हैं ना’

सकारात्मक से शुरू करते हैं. यदि आप सेक्स के मूड में नहीं हैं, तो अपने साथी को चुम्बन और आलिंगन करने के लिए कहें. इस तरह आपको उन्हें निराश नहीं करना पड़ेगा और उन्हें बुरा नहीं लगेगा. ये एक तरह से एक संदेश है, ‘कि मूड नहीं होने की वजह तुम नहीं हो, तुम से मुझे बेहद प्यार है और आकर्षण भी है.’

2.’उफ्फ, दूर हटो’

ये अगला वर्गीकरण जरा कटुतापूर्ण है. इसके फलस्वरूप आपके साथी के आत्मसम्मान को ठेस पहुंच सकती है और इस तरीके का सम्बन्ध कमजोर और नाखुश रिश्तों और असंतुष्ट सेक्स जीवन से होता है.

3.’नहीं, मूड नहीं है’

ये ना कहने का एक निर्णयपूर्ण तरीका है जो बिना अपने साथी की भावनाओं की कद्र किए, बस सेक्स की पेशकश को खारिज करने जैसा है. जैसे कि, “नहीं, मेरा सेक्स करने का मूड नहीं है.”

  1. संकेत देना

और अंत में किम की रिसर्च में एक पहलू ड्रामेबाजी का भी सामने आया. यानि मुंह पर मना करने की बजाय सोने का नाटक करना या दूर रहने का शारीरिक संकेत देना.

सबसे बेहतर क्या?

तो सबसे सही और सबसे ख़राब तरीका कौनसा है? देखिए अगर आप सेक्स के मूड में नहीं हैं तो भी अपने साथी के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाना किसी भी लिहाज से सही नहीं है. सेक्स ना सही, आप कम से कम प्यार और पुनः आश्वासन तो दे ही सकते हैं, ताकि आपके साथी को ये महसूस हो सके कि आप उनसे प्यार करते हैं और यह रिश्ता और आप, दोनों ही, उनके लिए बहुत मायने रखता है.

निर्णयपूर्ण ‘ना’ या बहाने बनाना कैसा है? हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि इन तरीकों का रिश्तों पर क्या असर पड़ता है, लेकिन यह सच है कि स्पष्ट ‘ना’ कहना उस समय बुरा अवश्य लग सकता है लेकिन लम्बे समय में यह स्पष्टवादिता रिश्ते के लिए अनुकूल सिद्ध हो सकती है.

ना कैसे कहें

इस भाव का शिकार होना आसान है कि ‘शायद मेरा साथी मेरे साथ सेक्स करना पसंद नहीं करता या शायद मैं उन्हें आकर्षक नहीं लगता/लगती.’

अपने साथी को विश्वास दिलाकर आप उन्हें इन नकारात्मक विचारों के चंगुल से मुक्त कर सकते हैं. आपको उन्हें अक्सर ये याद दिलाते रहना चाहिए कि वो आपको कितने आकर्षक लगते हैं और आज भले ही आपकी मनोदशा सेक्स करने की ना हो लेकिन इसका उनके प्रति आपके आकर्षण से कोई सम्बन्ध नहीं है.

सहमति से बने संबंधों में आखिर बंदिशें क्यों

व्यक्तिगत स्वतंत्रताओं में पत्नियों की किसी से प्रेम करने व यौन संबंध बनाने की स्वतंत्रता है या नहीं, यह अच्छी रोचक बहस का मामला है. भारतीय दंड विधान स्पष्ट कहता है कि किसी की पत्नी के साथ संबंध बनाने पर पुरुष को दंड दिया जा सकता है पर पत्नी किसी पर पुरुष से संबंध बनाए तो उसे दंड नहीं दिया जा सकता. ऐसे मामले में पति पत्नी को तलाक अवश्य दे सकता है. नौसेना ने ब्रिगेडियर रैंक के एक अफसर को इसलिए निकाला है क्योंकि उस ने अपने एक सहयोगी की पत्नी के साथ अपनी पत्नी की इच्छा के बिना संबंध बना लिए थे. पतिपत्नी के बीच क्या हुआ यह तो नहीं मालूम पर इस संबंध को अपराध या दुर्व्यवहार की संज्ञा देना गलत होगा. कहा यही जाता है कि विवाह के बाद पतिपत्नी को एकदूसरे के प्रति निष्ठा रखनी चाहिए और किसी तीसरे की ओर नजर नहीं डालनी चाहिए. पर यह सलाह है, कानूनी निर्देश नहीं. अगर दोनों में से कोई इस वादे को तोड़ता है तो उसे विवाह तोड़ने का हक कानून में है और उस का इस्तेमाल किया जा सकता है पर इस के लिए तीनों में से किसी को भी दंडित करना गलत होगा.

विवाह से पतिपत्नी को एकदूसरे पर बहुत से अधिकार मिलते हैं पर ये अधिकार आपसी समझौते और समझदारी के हैं. समाज का काम इन पर पहरेदारी करना नहीं है.

समाज ने इस बारे में सदा एकतरफा व्यवहार किया है. सदियों से औरतों को कुलटा कहकह कर इसलिए बदनाम और घर से बेदखल किया जाता है, क्योंकि उन को पति की संपत्ति का सा हक दे दिया गया है.

भारतीय दंड कानून के अंतर्गत कभी भी पति उस बिग्रेडियर के खिलाफ फौजदारी का मुकदमा कर सकता है और उसे जेल भेजवा सकता है जबकि उस ब्रिगेडियर ने सहमति व प्यार में दूसरे की पत्नी से संबंध बनाए थे.

कुछ लोगों को यह बात भले ही अनैतिकता फैलाने वाली लगे पर सच यह है कि इस कोरी नैतिकता के दंभ के कारण पौराणिक गाथाओं की सीता और अहिल्या ने दुख भोगे और द्रौपदी ने बारबार अपमान सहा. राजा दशरथ की 3 पत्नियों को तो सहज लिया जाता है पर औरतों पर बंदिशें लगाई जाती हैं.

विवाहिता अपने शरीर व दिल के सारे अधिकार पुरुष को सौंप दे और बदले में सिर्फ घर की छत, रोटी, कपड़ा और शायद डांट, मार, तनाव पाए यह गलत है. अगर पति की बेरुखी के कारण पत्नी को कोई और आकर्षित करे तो समाज, कानून और ऐंपलायर को हक नहीं कि वे नैतिकता के ठेकेदार बन जाएं.

पतिपत्नी का प्यार दोनों की आपसी लेनदेन पर निर्भर है. जैसे प्रेम करते हुए युवक को एक लड़की के अलावा कोई और नहीं दिखता, उसी तरह लड़की को भी प्रेमी के अलावा सब तुच्छ लगते हैं. इसी तरह का व्यवहार पतिपत्नी में अपनेआप होना चाहिए. वह थोपा हुआ न हो.

पत्नियां ही अपना मन मारें, किसी के प्रति चाहत पर अपराधभाव महसूस करें, यदि किसी से हंसबोल लें तो मार खाएं जबकि पति पूरी तरह छुट्टा घूमे यह न्याय कैसे है, नैतिक कैसे है?

गलती असल में धर्मों की है जिन्होंने औरतों पर तरहतरह की बंदिशें लगाईं. विडंबना यह है कि औरतें ही सब से ज्यादा अपना मन, धन और यहां तक कि तन भी धर्म के नाम पर निछावर करती हैं. उस धर्म पर जो औरतों के लिए अन्यायी है, अत्याचारी है, अनाचारी है, असहनशील है.

Top 10 Sex Tips : टॉप 10 सेक्स से जुड़े आर्टिकल

Top 10 Sex Tips : दिल्ली प्रैस की ‘सरस सलिल’ मगैजीन सबसे पढ़ी जानी वाली मैगजीन है. जिसमें आप कहानियों के साथ साथ कुछ ऐसे लेख भी पाएंगे. जो आपको सेक्स एजुकेशन देने का भी काम करती हैं. इस मैगजीन में सेक्स के जुड़े कई आर्टिकल है जो आपके सेक्शुअल रिलेशन बनाने में मदद करती है. तो आज हम आपको सेक्स से जुड़े कुछ खास टिप्स बताने जा रहे हैं जिन्हें पढ़कर आप अपनी सेक्स लाइफ बेहतर बना सकते हैं. तो पढ़े TOP 10 SEX Tips.

1. कुछ ऐसी होती है उन पलों में आपकी सैक्स फैंटेसीsex tips

शारीरिक संबंधों में अनावश्यक सहना या अपनेआप समय गुजरने के साथ उन में तबदीली हो जाने की गुंजाइश मान कर चलना भ्रम है. यह इन संबंधों के सहज आनंद को कम करता है. कुछ महिलाओं ने बताया कि उन्हें पति की आक्रामकता पसंद नहीं आती थी. लेकिन लज्जा या संकोचवश कुछ कहना अच्छा नहीं लगता था. कुछ महिलाओं का कहना है कि पति को खुद भी समझना चाहिए कि पत्नी को क्या पसंद आ रहा है, क्या नहीं. मगर इस पसंदनापसंद के निश्चित मानदंड तो हैं नहीं, जिन से कोई अपनेआप ही समझा जाए और आनंद के क्षण जल्दी और ज्यादा मिल जाएं.

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2. एकतरफा नहीं, दोनों की मंजूरी से Enjoy करें सेक्सsex tips

पार्टनर के साथ संबंध बनाना एक सुखद अनुभूति प्रदान करता है. लेकिन इसमें आनंद के लिए शारीरिक जुड़ाव के साथसाथ भावनात्मक लगाव होना भी बहुत जरुरी होता है तभी इसका जी भरकर मज़ा लिया जा सकता है. लेकिन कई बार पार्टनर को सेक्स के दौरान इतना अधिक दर्द महसूस होता है कि वे सेक्स से कतराने लगती है और यह पल उसके लिए खुशी देने के बजाए दर्द देने वाला एहसास बनकर रह जाता है. ऐसे में अगर आप इस पल का बिना किसी रूकावट आनंद लेना चाहते हैं तो अपनाएं ये टिप्स.

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3. मनगढ़ंत बातों के जाल में फंसा सैक्सsex tips

हाल में कहीं पढ़ा था कि इनसान के पूर्वज माने जाने वाले चिंपांजी जब आपस में मिलते थे, तब वे सैक्स कर के एकदूसरे का स्वागत करते थे. इस बात से समझा जा सकता है कि सैक्स किसी भी जीव के बहुत जरूरी होता है और इस से मिलने वाली खुशी और मजे को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता.

यह भी दावा किया जाता है कि हफ्ते में 2 से 3 बार सैक्स करने से इनसान की बीमारी से लड़ने की ताकत बढ़ जाती है. अच्छी नींद के लिए सैक्स बहुत अच्छी दवा माना जाता है. अगर वर्तमान की बात करें तो अभी इसी पल में दुनिया के 25 फीसदी लोग सैक्स के बारे में सोच रहे होंगे.

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4. छोटे घर में कैसे करें पार्टनर से प्यार, जानें यहां

बड़े शहरों में सब से बड़ी समस्या आवास की होती है. 2 कमरों के छोटे से फ्लैट में पतिपत्नी, बच्चे और सासससुर रहते हैं. ऐसे में पतिपत्नी एकांत का नितांत अभाव महसूस करते हैं. एकांत न मिल पाने के कारण वे सैक्स संबंध नहीं बना पाते या फिर उन का भरपूर आनंद नहीं उठा पाते क्योंकि यदि संबंध बनाने का मौका मिलता है तो भी सब कुछ जल्दीजल्दी में करना पड़ता है. संबंध बनाने से पूर्व जो तैयारी यानी फोरप्ले जरूरी होता है, वे उसे नहीं कर पाते. इस स्थिति में खासकर पत्नी चरमसुख की स्थिति में नहीं पहुंच पाती है.

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5. गले पड़ने वाले आशिक से बचें ऐसेsex tips

इतना ही नहीं, वे उसे अपने साथ कहीं भी ले जा सकेंगी. इस प्रोडक्ट का नाम ‘बॉयफ्रेंड हग स्पीकर्स’ (Boyfriend Hug Speakers) है. 2 बड़ी बांहों वाले इस प्रोडक्ट की बाजुओं में ब्लूटुथ स्पीकर्स भी लगे हैं जिन को गले लगाने पर म्यूजिक बजता है. सवाल उठता है कि ऐसा नकली बौयफ्रेंड बनाने की जरूरत ही क्या है? इस का जवाब यह है कि जापान (Japan) ही नहीं, बल्कि अब हर कहीं ऐसे भावनात्मक लड़कों की कमी हो गई है जो अपनी गर्लफ्रेंड को गले लगा कर उस को राहत दे सकें. हां, गले पड़ने वाले लड़कों की कमी नहीं है.

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6. 4 टिप्स से जानें औरत की सैक्स चाह गंदी बात क्योंsex tips

समाज में स्त्रीपुरुष (Male Female) के हर क्षेत्र में समान होने का गुणगान हो रहा है, पर वैवाहिक जीवन (Married Life) में बिस्तर पर स्त्रियों की समानता शून्य है. महिलाएं जब अपनी पसंद के भोजन का मेन्यू तय नहीं कर सकतीं तो बिस्तर पर सैक्स संबंध (Sex Relation) में अपनी पसंद की बात तो बहुत दूर की है. हमारे यहां दांपत्य जीवन में सैक्स संबंध में मेन्यू क्या होगा, इस का निर्णय केवल पुरुष ही लेता है. हमारे समाज में पब्लिक प्लेस पर सैक्स, हस्तमैथुन, सैक्स में पसंद और कामोन्माद अर्थात और्गेज्म (Orgasum) आदि.

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7. सैक्स के भ्रम से निकलें युवा, नहीं तो होगा यह नुकसान sex tips

अकसर युवा सैक्स को ले कर कई तरह की भ्रांतियों से घिरे रहते हैं. अपनी गर्लफ्रैंड से सैक्स को ले कर अपने इमैच्योर फ्रैंड्स से उलटीसीधी ऐडवाइज लेते हैं और जब उस ऐडवाइज का सेहत पर प्रतिकूल असर पड़ता है तो शर्मिंदगी से किसी से बताने में संकोच करते हैं. यहां युवाओं को यह बात समझनी जरूरी है कि सैक्स से सिर्फ मजा ही नहीं आता बल्कि इस से सेहत का भी बड़ा गहरा संबंध है. सैक्स (Sex) और सेहत (Health) को ले कर कम उम्र के युवकों और युवतियों में ज्यादातर नकारात्मक भ्रांतियां फैली हैं.

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8. कंडोम मुसीबत नहीं दोस्त है आपकाSex tip

फिल्म ‘डियर जिंदगी’ (Dear Zindagi) में शाहरुख खान ने दिमाग के डाक्टर का किरदार निभाया था और दिमागी बीमारी या परेशानी को ले कर एक बात समझाई गई कि लोग शरीर की बीमारी को तो नहीं छिपाते हैं, पर जैसे ही उन्हें पता चलता है कि घर में कोई दिमागी तौर पर बीमार है, तो उन्हें जैसे सांप सूंघ जाता है.फुसफुसाहट सी शुरू हो जाती है, जैसे दिमागी बीमारी होना जिंदगी की सब से बड़ी दुश्वारी है. अनपढ़ ही नहीं, बल्कि पढ़ेलिखे लोग भी दिमागी समस्याओं पर दिमाग खोल कर बात नहीं कर पाते हैं.

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9. अब बैडरूम में मूड औफ नहीं, लव औन होगा Sex tips

रागिनी पिछले 5 सालों से खुशहाल विवाहित जीवन (Married Life) जी रही हैं. रागिनी और गगन के प्यार की निशानी उत्सव 4 साल का है. आजकल वे कुछ बुझीबुझी लगती हैं. इस का कारण है उन की उदासीन बैडरूम लाइफ (Bedroom Life). दिन भर रागिनी घर के हर छोटेबड़े काम को मैनेज करने में बिजी रहती हैं. दोपहर से रात तक उत्सव की देखरेख में अलर्ट रहती हैं. उत्सव को सुलाने के बाद अपने बैड पर जाने से परहेज करती हुई वे उत्सव के कमरे में उस के साथ ही सो जाती हैं. इस का कारण पता चला कि हड़बड़ी वाली रोजाना की सैक्स लाइफ (Sex Life) जो रागिनी और गगन दोनों का मूड औफ कर तनाव का कारण बनती है.

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10. सिर्फ दम दिखाने के लिए नहीं होती सुहागरात!Sex tips

इस रात का इंतजार हर युवा को होता है. लेकिन अगर कहा जाए कि हर किशोर को भी होता है तो भी यह कुछ गलत नहीं होगा. क्योंकि मनोविद कहते हैं 15 साल की होने के बाद लड़की और 16 साल के बाद लड़के, इस सबके बारे में कल्पनाशील ढंग से सोचने लगते हैं. सोचे भी क्यों न, आखिर इस रात को ‘गोल्डेन नाइट’ जो कहते हैं.इस रात में दो अजनबी हमेशा हमेशा के लिए एक हो जाते हैं. दो जिस्म एक जान हो जाते हैं. इस एक रात में न कोई पर्दा होता है, न दीवार. बत्तियां बुझी होती हैं, सांसें उफन रही होती हैं, फिजा में जिस्मानी गंध होती है और धीमी सी मुस्कान लाती रहे. जब भी इसका जिक्र हो तो उम्र चाहे कोई भी हो चेहरे पर एक गुलाबी आभा खिल जाए.

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सैक्स एजुकेशन : इशारों में बात करने का समय नहीं रहा

हिंदी फिल्म ‘पति, पत्नी और वो’ के एक सीन में हीरो कार्तिक आर्यन बोलता है, ‘‘बीवी से सैक्स मांग लें तो हम भिखारी. बीवी को सैक्स के लिए मना कर दें तो हम अत्याचारी. और किसी तरह जुगाड़ लगा के उस से सैक्स हासिल कर लें तो बलात्कारी भी हम हैं.’’

इस संवाद पर बवाल हुआ था और बहुत से लोगों को यह एतराज था कि इस तरह के संवाद मैरिटल रेप (शादी के बाद पत्नी के साथ जबरदस्ती या बहलाफुसला कर सैक्स करना) को बढ़ावा देता है और मर्दों की घटिया सोच को भी दिखाता है. कोई भी मर्द सैक्स पाने के लिए भिखारी, अत्याचारी और यहां तक कि बलात्कारी भी बन सकता है.

क्या वाकई ऐसा है? क्या जब कोई लड़की ‘नो मींस नो’ बोलती है, तो मर्द को सम?ा जाना चाहिए कि उसे अपनी हद नहीं पार करनी चाहिए? लेकिन क्या लड़कियों, खासकर भारतीय समाज में जहां लड़की को मर्दवादी सोच के चलते दोयम दर्जे का सम?ा जाता है, को इतनी सम?ा भी है कि वे सैक्स के लिए कब हां करनी और कब मना करना है, पर अपनी राय मजबूती के साथ रख सकें?

शायद नहीं, तभी तो भारत में सैक्स को ले कर आज भी उतनी गंभीरता से बहस नहीं होती है, जितनी पश्चिमी देशों में. यही वजह है कि जब पतिपत्नी या कोई और जोड़ा बिस्तर पर होते हैं, तो वे सैक्स पर अपनी बात कहने से घबराते हैं.

लड़की को लगता है कि अगर कहीं वह ज्यादा खुल गई, तो उसे धंधे वाली या सैक्स के लिए उतावली सम?ा लिया जाएगा. लड़का भी यही सोच कर चुप्पी साध लेता है कि अगर कहीं लड़की ने बोल दिया कि उसे मजा नहीं आया, तो वह अपना मुंह कैसे उसे दिखा पाएगा.

भारत में अमूमन घरों में भी औरतें या मर्द आपस में ऐसे जुमले बोलते हैं कि सैक्स को ले कर बात भी हो जाती है और किसी को भनक तक नहीं लगती है. बड़ी औरतें नई ब्याही लड़की से जब पूछती हैं कि पति से ‘सही’ निभ रही है न, तो इस ‘सही’ का मतलब यही होता है कि सैक्स लाइफ में कोई दिक्कत तो नहीं है.

सुहागरात पर ‘बिल्ली मारना’ मुहावरा भी यही बात कहता है कि पति को पहली रात को ही अपनी मर्दानगी का नमूना दिखा देना चाहिए, ताकि पत्नी उम्रभर उस के काबू में रहे. ‘सुहागरात पर दूध का असर हुआ या नहीं’, ‘मैं ने तो हनीमून पर छत और पंखा ही देखा’, ‘पलंग सहीसलामत है न’, ‘पति ने छतरी का इस्तेमाल किया या नहीं’ जैसे बहुत से वाक्य हैं, जो सैक्स लाइफ को ही कोडवर्ड में बयां करते हैं.

दरअसल, भारत में सैक्स ऐजूकेशन की कमी के चलते ऐसा है. बच्चों को जो जानकारी परिवार के बड़े लोगों से आसान भाषा में सहज रूप से मिलनी चाहिए, वह नदारद है. परिवार में सैक्स पर बात करना अच्छा नहीं माना जाता है.

लेकिन बच्चे अपनी जिज्ञासा के चलते कहीं से तो जानकारी लेंगे ही, फिर वे उन के दोस्त हों या सोशल मीडिया, अधकचरी जानकारी को ही वे सही मान लेते हैं. इस का नतीजा भयावह भी हो सकता है.

उदाहरण के तौर पर, हमारे समाज में यह सोच बनी हुई है कि अगर सुहागरात पर सैक्स करने के दौरान अगर लड़की के खून नहीं आया तो वह कुंआरी नहीं है, बल्कि खेलीखाई है. पर हकीकत इस से अलग भी हो सकती है, क्योंकि लड़की के अंग की ?िल्ली तो किसी और वजह जैसे खेलकूद या साइकिल चलाने से भी टूट सकती है.

इसी तरह अगर कोई लड़का शादी की पहली रात को अपने साथी को सैक्स का पूरा सुख नहीं दे पाया या वह सैक्स करने में ही नाकाम रहा, तो वह खुद को नामर्द मान लेता है और फिर तनाव में जीने लगता है, जबकि इन दोनों समस्याओं का समाधान उस जोड़े की आपसी बातचीत से ही निकल सकता है.

हाल के सालों में टैलीविजन के इश्तिहारों में माहवारी और कंडोम को ले कर जो खुलापन दिख रहा है, पहले वैसा नहीं था. यहां तक कि ब्रा और पैंटी के इश्तिहार भी छिपेछिपाए से होते थे. इश्तिहार तो बदल गए, पर समाज की सोच अभी भी पुरानी ही है.

मांबाप को आज भी यह लगता है कि अगर उन के बच्चों को कम उम्र में ही सैक्स की जानकारी मिल गई, तो वे उसे अपनी नादानी में आजमाना चाहेंगे, पर ऐसा नहीं है. अगर उन्हें अपने मांबाप से ही सटीक जानकारी मिलने लगेगी तो उन की सैक्स को ले कर फैंटेसी से भी परदा हटने लगेगा. सरकार जो खर्चा एड्स जैसी बीमारियों से जागरूक बनाने के लिए कर रही है, उसे अगर सैक्स ऐजूकेशन पर खर्च करे तो ऐसी बीमारियां बहुत कम पनपेंगी.

लिहाजा, इशारों की भाषा में सैक्स को  सम?ाने के दिनों को अब भूल जाना चाहिए और साफ और सरल अंदाज में बच्चों को इस की तालीम देनी चाहिए. यह परिवार और सरकार दोनों की बराबर की जिम्मेदारी है. फिर किसी मर्द को भिखारी, अत्याचारी या बलात्कारी बनने की नौबत ही नहीं आएगी.

इन 7 वजहों से लड़कियों को दी जानी चाहिए यौन शिक्षा

अमेरिका के सेंटर फौर डिसीज कंट्रोल के अनुसार हाल ही वर्षों में शेमिडिया, गोनोरिया और शिफलिस के मामलों में काफी बढ़ोतरी हुई है. STD (यौन रोग) से सबसे ज़्यादा युवतियां प्रभावित होती हैं.

स्थिति कितनी गंभीर है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि चार में से एक युवती यौन रोग से प्रभावित है. युवतियों में बढ़ते यौन रोग का प्रमुख कारण है यौन शिक्षा का अभाव. आज भी कई ऐसे देश हैं जहां स्कूल के पाठ्यक्रम में यौन शिक्षा विषय नहीं है.

यौन शिक्षा के अभाव में 13 से 19 साल की युवतियां प्रभावित हो रही हैं. यहां हम आपको बताने जा रहे हैं 7 ऐसे कारण जिसकी वजह से युवतियों के लिये यौन शिक्षा जरूरी है.

  1. युवा महिलाओं में यौन रोग होने की अधिक संभावना

एक अध्ययन नो द फैक्ट्स के अनुसार पुरुष की तुलना में युवतियों के शरीर चूंकि कुछ कमजोर रहते हैं, इसलिये उन्हें यौन रोग लगने की ज्यादा संभावना रहती है. इस बारे में कई युवतियों को खबर भी नहीं रहती. इस समय 15 से 24 साल की उम्र के ग्रुप में 51 प्रतिशत युवतियां यौन रोग की शिकार हैं. पुरुषों के मामले में ये प्रतिशत 49 है.

  1. 19 की होने तक 60 फीसद युवतियां सेक्स कर चुकी होती हैं

नो द फैक्ट्स के अनुसार 15 साल पूरे करने तक 13 फीसद युवतियां सेक्स का अनुभव करने लगती हैं और 19 की होते तक 68 फीसद युवतियां पूरी तरह सेक्स करने लगती हैं. इस संख्या को देखकर ही यौन शिक्षा की जरुरत महसूस होती है.

  1. यौन रोग से अनजान रहती हैं युवतियां

ज्यादातर युवतियों को पता ही नहीं होता कि यौन रोग कैसे होता है. इनमें से कई युवतियों को लगता है कि टॉयलेट की सीट पर बैठने से यौन रोग हो जाता है.

  1. तीस लाख से ज्यादा युवतियां यौन रोग से ग्रस्त हैं

एक अध्ययन के अनुसार तीस लाख से ज्यादा युवतिया शेमिडिया, हरपीस और ट्रिख जैसे यौन रोग से ग्रस्त हैं. ये संख्या और अधिक हो सकती है क्योंकि अध्ययन में सिफलिस, HIV, गोनोरिया जैसे रोग को शामिल नहीं किया गया है.

  1. महिलाओं को अधिक होते हैं यौन रोग

पुरुष की तुलना में महिलाओं को यौन रोग होने का सबसे ज्यादा खतरा रहता है. महिलाओं में यौन रोग का इलाज न करने पर सरवाइकल कैंसर भी हो सकता है और गर्भधारण करने में भी मुश्किल हो सकती है.

  1. 10 फीसद से ज्यादा युवतियों को एक से ज्यादा यौन रोग होते हैं

कंडोम का प्रयोग न करने या ठीक से प्रयोग न करने से एक से ज्यादा यौन रोग हो सकते हैं. सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल के अनुसार 14 से 19 साल के बीच की 15 फीसद युवतियों को एक से ज्यादा यौन रोग होते हैं.

  1. तीन या इससे अधिक पुरुषों से संबंध बनाने वाली आधी से ज्यादा युवतियों को होता है यौन रोग

हालंकि अगर आप कंडोम इस्तेमाल करते हैं तो यौन रोग होने की संभावना कम ही रहती है भले ही आप कितनों के भी साथ शारीरिक संबंध बनाए, लेकिन सेंटर फौर डिसीज कंट्रोल के अनुसार युवतियों के मामले में ऐसा नहीं है. 50 फीसद से ज्यादा युवतियों में, जिन्होंने तीन या इससे अधिक पुरुषों के साथ शारीरिक संबंध बनाए हैं, यौन रोग पाए गए हैं.

युवाओं के लिए है बेहद जरूरी सैक्स एजुकेशन

Sex News in Hindi: दिया की उम्र महज 20 साल है. वह अविवाहित (Unmarried) है, लेकिन कैसे गर्भवती (Pregnant) हो गई, दिया के मातापिता की समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर उन से कहां कमी रह गई? क्या दिया की परवरिश में कहीं कोई कमी रह गई थी? क्या वे अपनी जवान हो रही बेटी की हरकतों पर समय की कमी के चलते ध्यान नहीं दे पाए? दिल्ली यूनिवर्सिटी के एक अच्छे कालेज में पढ़ने वाली दिया के मातापिता को जब उस के गर्भवती होने की बात पता चली तो वे सन्न रह गए. उन्होंने तुरंत सामान पैक किया और दिया को ले कर दिल्ली से बाहर दूसरे शहर चले गए, ताकि बात आसपड़ोस या फिर रिश्तेदारों में न फैले. शहर के बाहर उस के पिता ने किसी अच्छे डाक्टर से उस का गर्भपात (Abortion) कराया और कुछ समय तक वहीं होटल में रहे. बाद में उसे दिल्ली वापस ले आए.

यह उदाहरण सिर्फ दिया का ही नहीं है, बदलते समय के साथसाथ यंगस्टर्स की सोच में काफी बदलाव आया है, पश्चिमी सभ्यता उन के सिर चढ़ कर बोल रही है. उम्र का यह दौर ऐसा होता है कि अगर मातापिता बच्चों को कुछ समझाएं तो उन्हें समझ नहीं आता. उन्हें पूरी दुनिया गलत नजर आती है.

एक अनुमान के मुताबिक, भारत की मैट्रो सिटीज से ले कर गांवों तक 25 से 30 फीसदी युवतियां किसी न किसी कारण गर्भपात कराती हैं. ये आंकड़े 25 साल से कम उम्र की युवतियों के हैं. अधकचरी जानकारी में टीनऐज में गर्भपात के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. सरकारी संस्था नैशनल सैंपल सर्वे औफिस के आंकड़ों पर गौर करें तो ग्रामीण क्षेत्रों में 20 साल से कम उम्र की युवतियों में गर्भपात का प्रतिशत मात्र 0.7 है, जबकि शहरों में यह 14त्न है.

युवती की बढ़ जाती हैं मुश्किलें

 अविवाहिता जब संबंध बनाती है तब क्या सही और क्या गलत है, इस का खयाल तक उस के दिमाग में नहीं आता. तब मन गहरे समंदर में प्यार के गोते लगाता है. इस के दुष्परिणाम तब सामने आते हैं जब कम उम्र में युवती गर्भवती हो जाती है. इस उम्र में न तो प्रेमी शादी के लिए तैयार होता है और न ही प्रेमिका. लिहाजा, दोनों के सामने बस एक ही रास्ता होता है और वह है गर्भपात.

जब यह बात घर वालों को पता चलती है तो पूरे घर में बवंडर आ जाता है जो लाजिमी है, लेकिन इस गलती का युवती को भारी नुकसान उठाना पड़ता है. उसे न केवल गर्भपात जैसे जटिल दौर से गुजरना पड़ता है बल्कि कई तरह की मानसिक परेशानियों से भी दोचार होना पड़ता है. प्रेमी के बदलते रवैए और घर वालों के तानों से पीडि़ता डिप्रैशन में चली जाती है जबकि कई मामलों में युवती ऐसे हालात में मौत को भी गले लगा लेती है.

कौन है जिम्मेदार

देश में अब टीनऐजर्स के लिए गर्भपात कोई नई बात नहीं है. युवा पहले शादी फिर सैक्स जैसी बातों को अब दकियानूसी मानते हैं और इस की वजह है उन्हें आसानी से सबकुछ उपलब्ध हो जाना, ऐसे में वे क्यों शादी का इंतजार करें और जिम्मेदारियों के बोझ तले दब जाएं.

इस के पीछे मुख्य कारण एकल परिवार भी है, जहां मातापिता दोनों कामकाजी हैं. ऐसे में वे बच्चों पर ज्यादा निगरानी नहीं रख पाते. बच्चे अकेले टीवी पर क्या देख रहे हैं या फोन पर क्या डाउनलोड कर रहे हैं, ये सब देखने की उन्हें फुरसत ही नहीं है. आजकल टीवी और इंटरनैट के माध्यम से सब चीजें उपलब्ध हैं, जिस के दुष्परिणाम आगे चल कर हमारे सामने गर्भपात के रूप में आते हैं.

प्रेमी का व्यवहार भी है इस की वजह

 प्यार की शुरुआत में तो सबकुछ अच्छा लगता है और कई बार युवती इस उम्मीद में रिश्ता भी बना लेती है कि उस की प्रेमी से शादी हो जाएगी, लेकिन जब वह गर्भ ठहरने की बात प्रेमी को बताती है तो अधिकतर मामलों में वह प्रेमिका से पीछा छुड़वाने की भरपूर कोशिश करता है. वह न तो बच्चे को अपना नाम देना चाहता है और प्रेमिका से शादी करने से भी मना कर देता है, जिस के चलते युवती के पास सिवा गर्भपात के कोई उपाय नहीं बचता और फिर उसे कई तरह की परेशानियों से गुजरना पड़ता है. इस से न केवल उस का स्वास्थ्य प्रभावित होता है बल्कि मानसिक रूप से भी उसे गहरा सदमा लगता है.

गर्भपात के बाद युवती खुद को अलगथलग महसूस करती है. बारबार उसे लगता है कि उस के साथ धोखा हुआ है. धीरेधीरे उस के व्यवहार पर भी इस का गहरा असर दिखाई देता है.

गलती दोनों की

 यदि शादी से पहले कोई युवती गर्भवती हो गईर् है तो इस में सिर्फ उस की ही गलती नहीं है, जितनी दोषी वह युवती है उतना ही दोष उस युवक का भी है. दोनों इस में बराबर के हकदार हैं. हमारा समाज शादी से पूर्व युवती के गर्भवती होने पर उसे कई तरह के ताने जैसे बदचलन, कुलटा, कलमुंही कह कर उस का तिरस्कार करता है, लेकिन उस युवक का क्या, जो गर्भ में पल रहे बच्चे का बाप है? क्या उस का कोई कुसूर नहीं? लिहाजा, किसी एक पर गलती का दोष न डाला जाए तो अच्छा है.

कैसे निबटें ऐसे हालात से

 अगर आप कामकाजी या हाउसवाइफ हैं तो जरूरी है कि अपने बढ़ते बच्चों का ध्यान रखें. वे क्या कर रहे हैं, कब कहां जा रहे हैं, किस से बात कर रहे हैं? इन सब बातों को नजरअंदाज न करें बल्कि बच्चे का खयाल रखें, उस के साथ दोस्त की तरह व्यवहार करें. ध्यान रखिए डराधमका कर वह आप को कभी कुछ नहीं बताएगा. यदि आप का बच्चे के साथ व्यवहार दोस्ताना रहेगा तो वह आप के साथ सारी बातें शेयर करेगा. उस का फोन और लैपटौप भी समयसमय पर चैक करते रहिए.

हम यह नहीं कह रहे हैं कि आप जासूसी कीजिए, लेकिन यदि आप कभीकभार ये सब चीजें चैक करेंगे तो आप को पता चल जाएगा कि आप का बच्चा किस दिशा में जा रहा है.

सैक्स शिक्षा बच्चों के लिए आज काफी अहम हो गई है. स्कूलकालेजों में यदि सैक्स शिक्षा दी जाए तो बच्चों को इस के सही और गलत प्रभाव का पता चल जाएगा जिस से टीनऐज में गर्भपात के हालात से निबटा जा सकता है.

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