अग्निपथ भर्ती स्कीम को स्वाहा क्यों कर दिया गया है

सैनिक भर्ती में बचत की खातिर इस तरह का फैसला लेना जिस में सैनिकों के न तो ज्यादा वेतन देना पड़े, न पेंशन का बोझ हो, न परमानैंट फैमिली क्वार्टर बनाने हो और न सैनिक कैंटिन से घरगृहस्थी के सस्ते सामान को दिलवाना हो एक गहरी सोचीसमझी चाल है. सेना देश की रक्षा के लिए होती है, यह ठीक है पर सैनिक अपने लिए एक घरबार को बसाने के लिए जाते जोखिम में डालने के लिए आते हैं और सरकार ने अपनी अग्निपथ भर्ती स्कीम से उस को स्वाह कर दिया है.

यह वह सरकार है जो हर तरफ अरबों रुपए स्वाह कर रही है. ङ्क्षहदूमुसिलम झगड़ा बढ़ा कर देश भर में पुलिस बंदोबस्त पर भारी खर्च हो रहा है. मुसलमानों, दलितों, एक्टिविस्टों को जेलों में बंद कर कर के करोड़ों रुपए उन पर हर रोज खर्च करे जा रहे हैं.

यह सरकार बेमतलब में नया संसद भवन बनवा रही है, नया प्रधानमंत्री घर बनवा रही है, नया उप राष्ट्रपति घर बनवा रही है, नया सैक्रिटरियट बनवा रही है. यह सरकार देश भर में अमीरों के लिए नए हवाई अड्डे बनवा रही है जिन पर लाखों करोड़ खर्च हो रहे हैं. यह सरकार बूलेट ट्रेन चलवाने के लिए नई जमीन पर नई पटरियां बीछवा रही हैं जिस पर अरबों खर्च हो रहा है.

इस सरकार को खजाना सरदार पटेल की मूॢत बनवाने पर खर्च की कमी महसूस नहीं हुई इस सरकार ने देशभर में नोटबंदी कर के अरबों रुपए नए नोट छापने में खर्च कर दिए. यह सरकार अरबों रुपए लगा कर कभी काशी कौरेडोर बनवा रही है, कभी अमरनाथ पर डैली रोड बनवाती है तो कभी चारधाम जाने के लिए सडक़े थौड़ी कराने पर खर्च करती है.

देशभक्ति के नारे लगाने में कभी धीमी न पडऩे वाली सरकार को देश के लिए जान देने को तैयार सैनिकों की पेंशन भारी पड़ रही है कि वह 4 साल उन से गोलियां चलवा कर निकाल देना चाहती है, यह वैसा अक्लमंदी का फैसला है. यह बचत नहीं बेवकूफी है, खुदगर्जी है.

जिस देश में मंदिरों के बुर्जे पर सोना मढ़ा जा रहा हो, फर्श पर संगमरमर लगाया जा रहा हो, नएनए मंदिर बवाए जा रहे हों, सरकार अरबों तीर्थ यात्राओं के आयोजनों पर खर्च रही हो, वह देश के लिए मरने को तैयार जवानों को पेंशन देने से घबराए यह समझ से परे है.

लगता है कि देश के आका उन पुरुषों से बहुत लिख रहे हैं जिन में युद्धों की बातें तो है पर सैनिकों की देखरेख और उन के मरने के बाद उन के घरवालों का क्या हुआ का छोटा सा जिक्र नहीं है. रामायण का युद्ध कुछ दिन चला पर उस के बाद सैनिकों का राजा राम ने क्या किया पता नहीं. महाभारत के युद्ध में तो सारे सैनिक मारे गए थे पर जीतने वाले कृष्ण के चेलों ने उन सैनिकों के घरवालों की देखभाल कैसे की इस का जिक्र नहीं है. शायद इसी तर्ज पर 4 साल के टैपरेरी सैनिक बनेंगे जिन्हें न पेंशन देनी होती, न मैडल. देश की रक्षा के लिए हर साल अब सिर्फ 1000 अनुभवी सैनिक जुड़ेंगे, बाकि सब कौंट्रैक्स लेकर होगा.

यह बचत देश पर भारी पड़े तो अगली पीढ़ी को किस का दोषी ठहराएग, समझ से बाहर है.

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