उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में एक ऐसा अनोखा मामला सामने आया है, जिस को जानने के बाद कोई शायद ही यकीन करे. महज 7 माह के बच्चे के पेट में एक और बच्चा विकसित हो रहा था, जोकि चिकित्सा विज्ञान में काफी दुर्लभ मामला है.
मामला यह है कि 7 माह के एक मेल बच्चे का पेट लगातार फूलता जा रहा था, जिस को ले कर उस के परिजन काफी परेशान थे. परिजनों ने बच्चे को कई डाक्टरों को दिखाया. डाक्टरों ने पहले तो बताया कि बच्चे को यूरीन में कोई समस्या है जिस की वजह से पेट फूलता जा रहा है, लेकिन जब उसे कोई लाभ नहीं हुआ तो कुंडा प्रतापगढ़ से परिजन बच्चे को ले कर मैडिकल कालेज, सरोजिनी नायडू चिल्ड्रैन अस्पताल प्रयागराज पहुंचे.
डाक्टरों ने कराया अल्ट्रासाउंड
चिल्ड्रैन अस्पताल के डाक्टरों ने बच्चे का अल्ट्रासाउंड कराया और अन्य जांचें भी.
खबरों के मुताबिक, बालरोग विभाग के प्रोफैसर, डाक्टर डी कुमार ने सफल सर्जरी कर बच्चे के पेट से मृत भ्रूण निकाला. हालांकि सर्जरी के बाद बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ है.
बच्चे के पिता ने क्या कहा
बच्चे के पिता प्रवीण शुक्ला के मुताबिक,”बच्चे के पेट से मेल भ्रूण निकला है जोकि अर्धविकसित था. हालांकि भ्रूण में हाथपैर और बाल विकसित हो रहे थे.”
खबरों के मुताबिक, बच्चे की सर्जरी में शामिल रैजिडेंट डाक्टर जियाउर रहमान ने बताया कि बच्चे कि अल्ट्रासाउंड की जांच में भ्रूण होने की बात सामने आई थी. भ्रूण लगातार विकसित हो रहा था, जिस के बाद चिकित्सकों ने सर्जरी कर भ्रूण को निकालने का फैसला किया.
डाक्टर के मुताबिक, इस तरह के पहले भी मामले सामने आए हैं. लेकिन यह दुर्लभ मामला था क्योंकि पूरी दुनिया में ऐसे लगभग 200 मामले ही अब तक सामने आए हैं. डाक्टरों का दावा है कि ऐसे बच्चों में कोई न कोई बीमारी जरूर रहती है. हालांकि इस बच्चे में कोई बीमारी नहीं है.
वजह क्या है
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2 स्पर्म और 2 ओवम मिल कर 2 जाइगोट बनते हैं, जिस के कारण ऐसे हालात पैदा होते हैं. पहले जाइगोट से बच्चा बनता है और दूसरे जाइगोट बच्चे के अंदर चला जाता है, जिस से पेट में भ्रूण बनने लगता है. अगर दूसरा जाइगोट बच्चे के पेट में न जा कर बाहर रहता है तो जुड़वां बच्चे बनते हैं और जो मां के गर्भ में बनते हैं और ट्विन बच्चे पैदा होते हैं. यानि कि बच्चे के पेट के अंदर जो बच्चा है, वह असल में उस का जुड़वां है. मैडिकल साइंस में इसे ‘फीट्स इन फीटू’ कहते हैं.
ऐसे केस बहुत रेयर होते हैं. हालांकि सैल्स बच्चे के अंदर कैसे जाते हैं, कब जाते हैं इस की आज तक कोई पुख्ता जानकारी नहीं है. लेकिन जिस तरह से ऐसे केस सामने आ रहे हैं, उम्मीद है कि मैडिकल साइंस जल्द ही इस की जड़ तक पहुंचेगा.