मोनिका की दास्तां

जब औरत अपने प्रेमी से मिलना चाहे तो वह हर बाधा को पार कर सकता है. दिल्ली की मोनिका की 2016 में शाद हुई पर वह पति के सामने प्रेमी के साथ फोन पर बात करती रही और उस के मना करने पर मिलती भी रही. उस के सासससुर का मकान भागीरथी विहार में था और शायद बहू के कारनामों से तंग आ कर परचून की दुकान चलाने वाले ससुर ने मकान बेचना चाहा. मोनिका मकान के मिलने वाले 1 करोड़ रुपए हथियाना चाहती थी और चूंकि ससुर उस से डरते नहीं थे उस ने उन का सफाया करना था.

मोनिका के वाउंसर प्रेमिका ने एक शातिर अपराधी को पकड़ा और दोनों की सहायाता से सासससुर दोनों की हत्या कारवा दी. पति तो प्रेमी से डरता था इसलिए उस को बाद में काबू करना मुश्किल नहीं था. पर जैसा अपराधों के मामलों में होता है, अपराधी फूल प्रूफ प्लान नहीं बना पाते. ज्यादातर अपराधी बेहद कम पढ़ेलिखे होते हैं और उन्हें अपराध पकड़े कैसे जाते हैं, इस की जानकारी कम होती है और बहुत से फ्लू छोड़ते चले जाते हैं.

महीनों की तैयारी के बाद मोनिका ने जो हत्या की उसे पुलिस ने 10 घंटे में सुलटा दिया  जबकि मामला कोई हाई प्रोफाइल नहीं था. मोनिका के सासससुर तो गए ही, वह खुद जेल में न कितने साल रहेगी और पति खुद इधरउधर भटकता रहेगा. जिन प्रेमियों ने प्रेमिका की खातिर जोखिम लिया. वे भी जेलों में सड़ेंगे अगर उन के रिश्तेदार होंगे तो उन्हें वकील मिलेगा क्या एक तरफा फैसले में जेल से जेल जाना होगा.

अपराधी आमतौर पर फंसते इसलिए हैं कि वे सोचते हैं कि पकड़े नहीं जाएंगे जबकि हर ऐसा अपराध जिस में थोड़ा बहुत प्लान किया हो, आसपास के किसी विक्टिम का हो, पकड़े जाने के अवसर बहुत होते हैं, फिल्मों में अक्सर दिखाते हैं कि अपराधी बच निकला जैसा अजय देवगन की फिल्म दृश्य में दिखाया गया है पर उस में मृतक के प्रति किसी की भी सहानुभूति नहीं थी, न सिस्टम की न जनता की. हां हमारे देश में अगर कोई अपराध है जिन में गारंटीड सजा नहीं मिलेगी तो वे हैं धर्म के मामलों में. ङ्क्षहदू अपराधी मुसलिम नागरिकों के खिलाफ जो भी कर लें,

आज कानून ऐसा हो गया हैकि उन्हें कोई कुछ नहीं कहेगा. मोनिका की गलती यह थी कि उस ने अपराध करना था मुसलिम सासससुर ढूंढती. फिर तो उस के हजार समर्थक निकल आते जो कहते कि वह तो खुद लव जेहाद की मारी थी, वह भला हत्यारिन कैसे कही जा सकती है चाहे उस ने 10 खून किए हो.

अब अपराधियों को यह भी ख्याल रखना पड़ेगा कि चप्पेचप्पे पर लगे कैमरे उन की हर गतिविधि को देख रहे हैं रिकार्ड कर रहे हैं. अब पफेन रिकार्ड और कैमरों के सहारे किसी को भी पकडऩा आसान होता जा रहा है. अपराध कम हो रहे हैं इसलिए नहीं कि मंदिर ज्यादा बन रहे हैं बल्कि इसलिए कि कैंमरे ज्यादा लग रहे हैं और ज्यादा कामयाब हो रहे हैं.

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