इंटरव्यू : ‘भोजपुरी इंडस्ट्री मांसल बदन वाली हीरोइनों की है’- पल्लवी गिरि

बृहस्पति कुमार पांडेय

अपनी खूबसूरती, छरहरे बदन और अदाओं से भोजपुरी सिनेमा जगत में बहुत ही कम समय में पहचान बनाने वाली पल्लवी गिरी ने कई गानों में अपने लटके?ाटकों से लोगों का दिल जीता है. उन के मशहूर होने का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि उन के पास इन दिनों कई फिल्मों के औफर हैं.

उन्हीं में से एक फिल्म ‘भैया जइसन केहू न’ के सैट पर पल्लवी गिरि से हुई मुलाकात में उन के फिल्मी कैरियर पर ढेर सारी बातें हुईं. पेश हैं, उसी के खास अंश :

आप ने भोजपुरी के सभी बड़े गायकों और नायकों के साथ काम किया है. यह सब फिल्मी सफर शुरू करने में कितना मददगार साबित हो रहा है?

मैंने भोजपुरी सिनेमा में सभी बड़े चेहरों के साथ काम किया है, जिन में पवन सिंह, रितेश पांडेय, खेसारी लाल यादव, अंकुश राजा, गोलू गोल्ड खास हैं. इन बड़े चेहरों के साथ फिल्मी कैरियर की शुरुआत करना मेरे लिए मददगार रहा.

भोजपुरी सिनेमा मांसल बदन वाली हीरोइनों की इंडस्ट्री है और आप बेहद पतली और स्लिम हैं. ऐसे में आप भोजपुरी इंडस्ट्री से कैसे तालमेल बना पा रही हैं?

आप ने सच ही कहा है कि भोजपुरी सिनेमा में मांसल बदन वाली हीरोइनों को ज्यादा काम मिलता है, जबकि पतली लड़कियां भोजपुरी सिनेमा में रिजैक्ट कर दी जाती हैं. जब मैं ने भोजपुरी सिनेमा में कदम रखा, तो मेरे सामने भी यही समस्या थी, क्योंकि मैं बेहद पतली थी. मैं ने अपने शरीर को थोड़ा मांसल बनाया है, लेकिन भोजपुरी सिनेमा के हिसाब से आज भी मैं पतली हूं.

भोजपुरी सिनेमा में ज्यादातर हीरोइनों को नाममात्र का मेहनताना दिया जाता है. ऐसा दोहरा मापदंड क्यों है?

महिला कलाकारों को शुरू से ही दबा कर रखा गया है, जबकि वे हर काम कर सकती हैं. भोजपुरी सिनेमा में हीरो और हीरोइनों का काम बराबर होता है, लेकिन हीरोइनों को हीरो की तुलना में कमतर आंकते हुए इतना कम मेहनताना दिया जाता है, जिसे किसी को बताते हुए शर्म आती है, इसलिए हमेशा पेमेंट को बढ़ाचढ़ा कर बताना पड़ता है.

मैं ने कई बार इस बात को उठाया, लेकिन निर्माताओं का कहना है कि फिल्मों में हीरो का बहुत सारा ऐक्शन होता है, बहुत मेहनत होती है. लेकिन मेरा मानना है कि हीरोइनों को खुद को फिल्मों के काबिल बनाए रखने के लिए अपने मेकअप, कपड़े वगैरह पर ज्यादा खर्च करना पड़ता है.

सिनेमा में महिलाओं की भूमिका में आप क्या बदलाव देखती हैं?

सिनेमा में पहले महिला आधारित फिल्में कम बनती थीं, लेकिन अब तो बहुत सारी फिल्में महिला केंद्रित बनने लगी हैं. बौलीवुड में इस की शुरुआत हो चुकी है, जिस में सोनाक्षी सिन्हा की ‘अकीरा’ जैसी फिल्में उदाहरण हैं.

आप बतौर ऐक्ट्रैस अपने सब से हिट अलबम की श्रेणी में अब तक किस गाने को रखती हैं?

मेरे सभी वीडियो अलबम हिट रहे हैं. ‘मजनुआ पिटाता’, ‘गरईया मछरी’ जैसे दर्जनों वीडियो अलबम करोड़ दर्शकों की तादाद पार कर चुके हैं.

आप ने वीडियो अलबम से भोजपुरी फिल्मों में कदम रखा है, जबकि भोजपुरी अलबम वाली हीरोइनों को फिल्मों में काम न के बराबर मिल पाता है. ऐसा कैसे हुआ?

हां, यह सच है कि भोजपुरी अलबम वाली हीरोइनों को फिल्मों में जल्दी काम नहीं मिल पाता है, लेकिन मेरे साथ यह उलटा है. इस की वजह यह है कि मु?ो डांस, ऐक्टिंग सब आता है.

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