दरअसल, किसी छोटे सी सनसनीखेज बात से कभीकभार जान पर बन जाती है और कई दफा तो जान तक चली जाती है. ऐसे ही आजकल ‘स्मोक पान’ के चलते देशभर में हादसे हो रहे हैं.
दरअसल, पलभर के जोश या लीक से हट कर दिखने के चक्कर में जान पर खेलने का काम हो रहा है. अगर आप के आसपास भी शादीब्याह, किसी समारोह में कुछ ऐसा हो, तो दूसरे लोगों को सावधान करें और खुद भी सावधान हो जाएं.
लिक्विड नाइट्रोजन यानी ‘स्मोक पान’ खाने के बाद एक 12 साल की बच्ची के पेट में दर्द शुरू हो गया. दर्द बहुत ज्यादा होने पर उसे अस्पताल ले जाने पर पता चला कि उस के पेट में छेद है. यह सब हुआ सिर्फ थोड़े से मजे के लिए, मगर जान सांसत में पड़ गई.
ऐसी अनेक घटनाएं हमारे आसपास घट रही हैं, मगर हम अनदेखी कर के आगे बढ़ जाते हैं और खुद अपने परिवार या अपने आसपास के लोगों को जोखिम में डाल देते हैं. समाज में फैल रही अनदेखी के चलते इस तरह की घटनाएं घट रही हैं और लोगों की जिंदगी जोखिम में पड़ जाती है.
पहली घटना
झारखंड के रांची में हुए एक समारोह में पान में आग लगा कर खिलाया जा रहा था. एक शख्स ने जैसे ही जलता हुआ पान मुंह में लिया, उसे उलटी होने लगी और उसे डाक्टर के पास ले जाना पड़ा.
दूसरी घटना
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के अशोका रत्न क्षेत्र में एक पारिवारिक कार्यक्रम में एक बच्चे ने जलता हुआ पान खाया और बीमार पड़ गया.
तीसरी घटना
छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में एक समारोह में जलता हुआ पान खाने के बाद एक महिला दहशत में आ गई और बेहोश हो कर गिर पड़ी. काफी इलाज के बाद ही वह ठीक हो पाई.
इस तरह की अनेक घटनाएं हमारे आसपास घट रही हैं. बहुत सारी घटनाएं तो खबरों में नहीं आ पाती हैं और बहुत सी घटनाओं को लोग गंभीरता से नहीं लेते हैं, तो उन पर चर्चा भी नहीं हो पाती है.
करना पड़ा आपरेशन
कर्नाटक के बैंगलुरु में ‘स्मोक पान’ खाने से 12 साल की एक लड़की के पेट में छेद होने के चलते उस का आपरेशन किया गया. वहां के नारायण मल्टीस्पैशलिटी अस्पताल में उस लड़की का आपरेशन किया गया.
अस्पताल के मुताबिक, बैंगलुरु के एक शादी समारोह में एक लड़की ने ‘स्मोक पान’ खाया और उस के बाद उस की हालत बिगड़ती चली गई. अस्पताल ने मरीज की पहचान का खुलासा नहीं किया.
अस्पताल ने एक बयान में कहा, ‘लड़की के पेट में एक छेद का पता चला था. आगे के जोखिमों को रोकने के लिए तुरंत आपरेशन करने की जरूरत थी. मरीज के गंभीर हालात को देखते हुए तत्काल उस की आधुनिक तकनीक से सर्जरी की गई.’
उस लड़की का आपरेशन करने वाले डाक्टरों की टीम के हैड डाक्टर विजय एचएस ने कहा, “एक ‘इंट्राआपरेटिव ओजीडी स्कोपी’ तकनीक के जरीए सर्जरी की गई.”
अस्पताल ने कहा कि सर्जरी के बाद लड़की को 2-3 दिन आईसीयू में रखा गया और 6 दिन बाद उसे घर जाने दिया गया.
इस सिलसिले में डाक्टरों ने बताया कि खानेपीने की कई चीजों को आकर्षक बनाने के लिए लिक्विड नाइट्रोजन का इस्तेमाल किया जा रहा है, जबकि जरा सी असावधानी आप के लिए समस्या पैदा कर सकती है.
एक रिपोर्ट में कर्नाटक स्वास्थ्य आयुक्त ने कहा कि खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के मुताबिक, भोजन तैयार करने में तरल नाइट्रोजन का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए. हालांकि, कई मामलों में इन नियमों की अनदेखी की जा रही है, जिस का सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है.
याद रहे कि लिक्विड नाइट्रोजन एक तरल है, जिस का बौयलिंग पौइंट काफी कम होता है और यह कमरे के तापमान पर गैस के रूप में मौजूद होती है.