अपना प्यार पाने के लिए एक मां बनीं हत्यारी, बेटे का कराया कत्ल

पति की मौत के बाद आरफा बेगम की जिंदगी पटरी पर लौटने लगी थी. शादीशुदा बेटे मोहम्मद नदीम (30 वर्ष) ने भी पूरी तरह अब्बू का बिजनैस संभाल लिया था. लेकिन इसी दौरान ऐसा क्या हुआ कि आरफा बेगम अपने इकलौते बेटे नदीम की कातिल बन गई? उस ने 25 लाख की सुपारी दे कर आंखों के तारे, राजदुलारे की क्रूरता से हत्या करा दी.

19 जुलाई, 2024 को एसएचओ अवनीश कुमार सिंह को एक मुखबिर से पता चला कि सलीम उन्नाव स्टेशन पर मौजूद है. चूंकि सूचना अतिमहत्त्वपूर्ण थी, इसलिए अवनीश कुमार सिंह पुलिस टीम के साथ उन्नाव स्टेशन पहुंचे और मुखबिर की निशानदेही पर टीम ने सलीम को दबोच लिया. उस समय वह स्टेशन के बाहर किसी व्यक्ति के आने का इंतजार कर रहा था. सलीम को थाना अजगैन लाया गया. यहां पुलिस टीम ने उस से नदीम की हत्या के बारे में पूछताछ की तो वह साफ मुकर गया. लेकिन जब उस से सख्ती की गई तो उस ने नदीम की हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया. 

उस ने बताया कि कानपुर निवासी कपड़ा कारोबारी मोहम्मद नदीम की हत्या उस ने ही पैसों के लालच में चाकू से गोद कर की थी तथा शव को कुएं में फेंक दिया था. उस ने यह भी बताया कि हत्या की साजिश नदीम की मां आरफा बेगम व उस के आशिक हासम अली निवासी कोडरा पसन नगर, थाना किशनगंज जिला अजमेर (राजस्थान) ने रची थी. उन्होंने ही नदीम की हत्या की सुपारी 25 लाख रुपए में उसे दी थी. 15 लाख रुपए उसे नकद दिया था. शेष रुपए काम तमाम होने के बाद देने का वादा किया था. शेष रुपए ही वह लेने आया था, लेकिन पकड़ा गया. इस के बाद सलीम ने हत्या में प्रयुक्त आलाकत्ल (चाकू) भी बरामद करा दिया, जिसे उस ने मांस तिराहे के पास पन्नी में लपेट कर छिपा दिया था. 

सलीम को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस टीम ने नाटकीय ढंग से आरफा बेगम व उस के आशिक हासम अली को भी गिरफ्तार कर लिया. उन दोनों ने जब सलीम को हवालात में देखा तो समझ गए कि अब झूठ बोलने से कोई फायदा नहीं. अत: उन दोनों ने भी सहज में ही नदीम की हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया. इंसपेक्टर अवनीश कुमार सिंह ने नदीम की हत्या का परदाफाश करने तथा कातिलों को पकडऩे की जानकारी पुलिस अधिकारियों को दी तो एडिशनल एसपी प्रेमचंद्र ने पुलिस सभागार में प्रैसवार्ता कर नदीम की हत्या का खुलासा किया. 

पुलिस ने भादंवि की धारा 302/201/120बी के तहत सलीम, हासम अली तथा आरफा बेगम को विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया. पुलिस जांच में एक ऐसी मां की कहानी सामने आई, जिस ने देहसुख के लिए अपने जवान बेटे को ही सुपारी दे कर कफन में लपेट दिया. कानपुर महानगर के अनवरगंज थाने के अंतर्गत एक मोहल्ला है-इफ्तखाराबाद. मुसलिम बाहुल्य इस मोहल्ले में ज्यादातर लोग व्यापार करते हैं. कोई कपड़े का व्यापार तो कोई लकड़ी का. कोई चमड़े का तो कोई मांसमछली का व्यापार करता है. घनी आबादी वाले इसी मोहल्ले में मोहम्मद नईम सपरिवार रहते थे. 

अलहम्द रेजीडेंसी में उन का निजी मकान था. उन के परिवार में पत्नी आरफा बेगम के अलावा एक बेटी आलिया तथा बेटा मोहम्मद नदीम था. मोहम्मद नईम रेडीमेड कपड़ा कारोबारी थे. अनवरगंज में उन की दुकान थी. बड़ी बेटी आलिया का वह निकाह कर चुके थे. मोहम्मद नदीम उन का इकलौता बेटा था. इसलिए वह सभी का दुलारा था. नदीम बचपन से ही तेज दिमाग था. वह जिद्ïदी व हठी भी था. उस के जिद्ïदी स्वभाव के कारण उस की अम्मी आरफा बेगम परेशान रहती थी. वह शौहर को उलाहना भी देती कि उन्होंने नदीम को बिगाड़ दिया है. 

नदीम का मन पढ़ाई में कम और गिल्लीडंडा खेलने में ज्यादा लगा रहता था. इस से नईम चिंतित रहते थे. जैसेतैसे नदीम ने 10वीं तक पढ़ाई की. फिर उस का मन पढ़ाई से उचट गया. नदीम कहीं गलत संगत में न पड़ जाए, इसलिए नईम ने उसे अपने कपड़ा व्यवसाय में लगा लिया. नदीम अब अब्बू के साथ कपड़े की दुकान पर जाता और दुकानदारी के गुर सीखता. मोहम्मद नदीम अब तक जवान हो चुका था और दुकान भी संभालने लगा था. इसलिए मोहम्मद नईम ने जुलाई, 2020 में उस का विवाह जीनत फातिमा नाम की लड़की से कर दिया.

जीनत फातिमा के अब्बू मोहम्मद कासिम बाकरगंज (बाबूपुरवा) कानपुर में रहते थे. बाकरगंज बाजार में उन की भी कपड़े की दुकान थी. अच्छा घरवर पा कर जीनत फातिमा भी खुश थी. घर में किसी चीज की कमी न थी और बेहद चाहने वाला शौहर मिला था. हंसीखुशी से दिन बीतते अभी एक साल ही बीता था कि नईम ऐसे बीमार पड़े कि उन्होंने खाट पकड़ ली. नदीम ने उन का कई डाक्टरों से इलाज कराया, लेकिन वह बच न पाए. आखिर उन्होंने दम तोड़ ही दिया. 

शौहर की मौत पर आरफा बेगम ने खूब आंसू बहाए. किसी तरह नदीम ने मां को संभाला. ताहिर ने भी बहन को समााया. तब कहीं जाकर वह सामान्य हुई. अब्बू के जाने का नदीम को भी बड़ा सदमा पहुंचा. उस ने अब्बू के गुजर जाने के बाद नदीम ने दुकान और घर चलाने की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली. बीवी ने भी उस का साथ दिया.

आरफा बेगम की तन्हाइयां कैसे हुईं दूर

कहते हैं वक्त बड़े से बड़ा घाव भर देता है. आरफा बेगम भी पति की मौत का गम भूल चुकी थी. बेटाबहू अपनी जिंदगी जी रहे थे और वह तन्हाइयों में जी रही थी. अकेलापन उसे बहुत खलता था. उन्हीं दिनों एक रोज हासम अली आरफा बेगम के घर आया. वह उस के मरहूम शौहर नईम का दोस्त व रिश्तेदार था. पहले भी वह घर आ चुका था. हासम अली, अजमेर (राजस्थान) शहर के कोडरा पसन नगर का रहने वाला था. वह कपड़ा व्यापारी था. दोनों में जानपहचान पहले से थी. इसलिए आरफा बेगम ने उस की खूब मेहमाननवाजी की. हासम अली ने दोस्त के गुजर जाने का दुख जताया और आरफा बेगम को धैर्य बंधाया. इस के बाद उस का वहां आनाजाना बढ़ गया.

आरफा बेगम के घर आतेजाते दोनों के बीच नजदीकियां बढऩे लगीं. उन के बीच छेड़छाड़ और हंसीमजाक भी होने लगी. दोनों तन्हा जिंदगी जी रहे थे. इसलिए दोनों को ही साथी चाहिए था. सो एक रात जब बेटाबहू सो गए, तब हासम अली आरफा बेगम के कमरे में पहुंचा और उसे अपनी बांहों में जकड़ लिया. आरफा बेगम भी फिसल गई. फिर दोनों ने ही अपनी हसरतें पूरी कीं. उन के बीच नाजायज रिश्ता बना तो उस का दायरा बढ़ता ही गया. अधेड़ उम्र की बेवा आरफा बेगम के जीवन में अब बहार आ गई थी. वह हासम अली पर दिलोजान से फिदा हो गई थी. हासम भी उस का दीवाना था. हासम अली अब होटल में भी रुकने लगा था. आरफा को वह होटल में ही बुला लेता था. 

उधर नदीम की बीवी जीनत फातिमा ने अनुभव किया कि जब से हासम अली घर आने लगा, तब से सासू मां की चालढाल में बदलाव आ गया है. क्योंकि अब वह सजसंवर कर रहने लगी थी और चेहरा खिलाखिला सा रहने लगा था. एक रात जीनत फातिमा बाथरूम जाने को उठी तो उस ने सासू आरफा बेगम के कमरे से अजीब सी आवाजें सुनीं. वह कमरे के अंदर तो नहीं गई, लेकिन समझ गई कि सासूमां हासम अली के साथ मौजमस्ती में डूबी हुई है. अब वह सासू की चालढाल व संजनेसंवरने का मकसद समझ चुकी थी.

सुबह नाश्ते के समय जीनत फातिमा ने नाजायज रिश्तों की बात शौहर नदीम को बताई तो वह नाराज होते हुए बोला, ”जीनत, तुम उन दोनों की उम्र का लिहाज करो. हमारी मां को बदनाम करोगी तो मैं सहन नहीं करूंगा. तुम अपनी गलती सुधारो.’’ नदीम ने बीवी की बातों पर यकीन नहीं किया और उसे फटकार लगाई तो वह रूठ कर मायके चली गई. कुछ दिन बाद मिन्नतें कर नदीम उसे वापस घर लाया. उस के बाद उस ने चुप्पी साध ली. 

इधर आरफा बेगम हासम अली की मोहब्बत में इतनी अंधी हो गई थी कि उस ने दुकानमकान बेच कर हासम अली के साथ रहने का फैसला कर लिया. उस ने इस बाबत हासम अली से बात की तो वह उसे अपने साथ अजमेर ले जाने को राजी हो गया. वह तो चाहता ही था कि आरफा बेगम सदैव उस के साथ रहे.

एक रोज आरफा बेगम ने दुकानमकान बेचने की चर्चा बेटे नदीम से की तो वह मां पर भड़क उठा. उस ने साफ कह दिया कि वह पैतृक संपत्ति बेच कर दूसरे शहर बसने नहीं जाएगा. उस ने यह भी कहा कि वह किसी के बहकावे में न आए, वरना कुछ भी हो सकता है. इस के बाद तो आए दिन मांबेटे के बीच संपत्ति बेचने को ले कर झगड़ा होने लगा. कभीकभी तो झगड़ा इतना बड़ जाता कि नदीम घर के बजाय दुकान पर सोने चला जाता. 

आरफा बेगम जब समझ गई कि नदीम दुकानमकान नहीं बेचने देगा और वह उस के प्यार में भी बाधा बन सकता है तो उस ने उसे अपने आशिक हासम अली के साथ मिल कर इकलौते बेटे को ही रास्ते से हटाने का निश्चय किया. आरफा बेगम ने इस बाबत हासम से बात की तो वह राजी हो गया. उस ने आरफा से कहा, ”तुम रकम तैयार करो. हम सुपारी किलर को सुपारी दे कर नदीम को रास्ते से हटवा देंगे. इस की किसी को कानोकान खबर भी न होगी.’’

हासम अली की जानपहचान सुपारी किलर मोहम्मद सलीम से थी. वह अजमेर नवल नगर मोहल्ला लौंगिया का रहने वाला था. हासम अली ने सलीम से बात की और नदीम की हत्या की सुपारी 25 लाख में दे दी. सुपारी देने की बात हासम अली ने आरफा बेगम को बताई. आरफा बेगम ने तब अपने इकलौते बेटे को मरवाने के लिए 25 लाख रुपया हासम अली को दे दिए. इस रकम में से 15 लाख रुपया हासम अली ने सलीम को दे दिए. शेष काम होने के बाद देने को कहा. 

रकम मिलने के बाद सलीम 3 जून, 2024 को कानपुर शहर आ गया. वह परेड के एक साधारण होटल में रुका. सुपारी किलर के पहुंचने की जानकारी तथा उस का मोबाइल नंबर हासम अली ने आरफा बेगम को बता दिया. 4 जून, 2024 की दोपहर आरफा बेगम ने बेटे नदीम से कहा कि एक रिश्तेदार बाहर से आए हैं. वह परेड पर हैं. उन्हें शहर घुमा दो. नदीम ने पहले तो नानुकुर की फिर मान गया. उस की बीवी जीनत फातिमा एक सप्ताह से मायके में थी, सो वह निश्चिंत था. नदीम तैयार हुआ फिर अपनी बाइक से परेड के लिए निकल पड़ा. जाने से पहले उस ने मां से रिश्तेदार का फोन नंबर ले लिया था. वह कोई रिश्तेदार नहीं, बल्कि उस की मौत बन कर आया सलीम था.

परेड चौराहा पर पहुंच कर उस ने रिश्तेदार को काल की तो वह चौराहे पर ही मिल गया. दोनों में बातचीत हुई फिर सलीम ने कहा, ”मुझे देवा शरीफ ले चलो. वहां जाने की बड़ी इच्छा है. तुम पेट्रोल की चिंता मत करो.’’ इस के बाद लखनऊ होते हुए शाम को वह देवा शरीफ पहुंच गए. वहां दोनों घूमेफिरे, फिर वापस कानपुर को चल पड़े.  लखनऊ पहुंचने तक रात के 10 बज गए थे. यहां दोनों ने खाना खाया. फिर कानपुर की ओर निकल पड़े. इस बीच दोनों खूब हिल मिल गए थे. रात 11 बजे के लगभग सलीम व नदीम दरबारी खेड़ा गांव पहुंचे. यह गांव उन्नाव जिले के अजगैन थाना अंतर्गत आता है. हाइवे रोड किनारे एक वीरान मंदिर था. मंदिर के पास ही एक कुआं था.

समीप सलीम ने बाथरूम (पेशाब) के बहाने बाइक रुकवा दी. सलीम बाथरूम करने चला गया और नदीम बाइक की सीट पर बैठ कर मोबाइल देखने लगा. उचित मौका देख कर सलीम ने चाकू निकाला और पीछे से नदीम के सिर पर चाकू से 2 प्रहार किए. नदीम जख्मी हो कर जमीन पर गिर पड़ा. इस के बाद सलीम ने उस के गले व गरदन पर चाकू के प्रहार कर उसे मौत के घाट उतार दिया. इस के बाद शव कुएं में फेंक दिया. फिर बाइक कुएं पर ही छोड़ कर फरार हो गया. चाकू को उस ने फरार होते समय मांस फैक्ट्री तिराहे के पास फेंक दिया था. 

सचमुच कुएं में पानी पर एक लाश उतरा रही थी. इस के बाद तो जिस ने भी यह बात सुनी, वह मंदिर के पास स्थित उस कुएं की तरफ चल दिया. कुछ ही देर में सैकड़ों की भीड़ वहां जमा हो गई. इसी बीच किसी व्यक्ति ने फोन के जरिए कुएं में लाश पड़ी होने की सूचना थाना अजगैन पुलिस को दे दी. यह बात 5 जून, 2024 की सुबह की थी.

सूचना पाते ही एसएचओ अवनीश कुमार सिंह पुलिस बल के साथ घटना स्थल की तरफ रवाना हो गए. रवाना होने से पूर्व उन्होने प्राप्त सूचना से पुलिस अधिकारियों को भी अवगत करा दिया था. कुछ देर बाद ही अवनीश कुमार सिंह घटनास्थल पहुंच गए. वह भीड़ को परे हटाते कुएं के पास पहुंचे और झांक कर देखा तो सच में कुएं में किसी युवक की लाश उतरा रही थी. कुएं के पास खून फैला था और एक बाइक खड़ी थी. एसएचओ ने अनुमान लगाया कि बाइक या तो मृतक की है या फिर कातिल की होगी. 

चूंकि बाइक के नंबरों से उस के मालिक का पता चल सकता था. अत: उन्होंने आरटीओ औफिस से उस नंबर के संबंध में जानकारी जुटाई. इस जांच में पता चला कि उक्त बाइक का रजिस्ट्रैशन मोहम्मद नदीम निवासी अलहम्द रेजीडेंसी इफ्तखाराबाद थाना अनवरगंज, कानपुर नगर के नाम है. रजिस्ट्रैशन से बाइक के बारे में तो पता चल गया, लेकिन कुएं में उतराती लाश नदीम की है या किसी और की, बिना शिनाख्त के कहना मुश्किल था. 

इस के बाद पुलिस ने कुएं से लाश बाहर निकलवाई. वहां मौजूद उस युवक की लाश की कोई शिनाख्त नहीं कर सका. पुलिस ने शिनाख्त के लिए नदीम के घर वालों को बुलवा लिया. शव देख कर एक अधेड़ उम्र की महिला फूटफूट कर रोने लगी. उस ने अपना नाम आरफा बेगम बताया और कहा कि यह लाश उस के इकलौते बेटे मोहम्मद नदीम की है. घर वालों ने बताया कि कुछ दिनों पहले ही आरफा बेगम के पति की मृत्यु हुई और अब इकलौता बेटा भी चला गया.

इस के बाद एसएचओ अवनीश सिंह ने शव का निरीक्षण किया. मृतक की उम्र 30 वर्ष के आसपास थी. उस की हत्या चाकू से गोद कर की गई थी. उस के सिर व गरदन पर गहरे जख्म थे. उस का मोबाइल फोन व पर्स गायब था. यह सामान या तो कुएं में गिर गया था या फिर कातिल अपने साथ ले गए.

किस ने की नदीम की हत्या

कुछ ही देर में एडिशनल एसपी उन्नाव (दक्षिणी) प्रेमचंद्र तथा सीओ (हसनगंज) संतोष कुमार सिंह भी आ गए. पुलिस अधिकारियों ने मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुलवा लिया. फोरैंसिक टीम ने जहां साक्ष्य जुटाए, वहीं पुलिस अधिकारियों ने भी घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया. एडिशनल एसपी प्रेमचंद्र ने मौके पर मौजूद मृतक की मां आरफा बेगम व मामा ताहिर से पूछताछ की. आरफा बेगम ने बताया कि मोहम्मद नदीम घर से दुकान जाने के लिए कल 2 बजे बाइक से निकला था. जब वह रात 10 बजे तक घर नहीं पहुंचा तो उस ने उस के मोबाइल फोन पर काल की, लेकिन उस का फोन बंद था. आज उस की लाश मिल गई.

पूछताछ में पता चला कि नदीम रेडीमेड कपड़ों का कारोबारी था. अनवरगंज में उस की अपनी दुकान है. वह बेहद सीधा था. किसी से लड़ताझगड़ता नहीं था. उस की न तो किसी से दुश्मनी थी और न ही लेनदेन का झगड़ा था. पूछताछ के बाद पुलिस ने नदीम के शव को पोस्टमार्टम हेतु उन्नाव के जिला अस्पताल भेज दिया. वापस थाने आ कर मृतक के मामा ताहिर की तहरीर पर अज्ञात हत्यारों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली. एडिशनल एसपी प्रेमचंद्र के निर्देश पर एसएचओ अवनीश कुमार सिंह ने इस ब्लाइंड मर्डर की जांच बड़ी बारीकी से शुरू की. उन्होंने सब से पहले एक बार फिर घटनास्थल का निरीक्षण किया तथा पोस्टमार्टम रिपोर्ट का अध्ययन किया. इस के बाद उन्होंने मृतक नदीम की मां आरफा बेगम व मामा ताहिर से पूछताछ कर उन के बयान दर्ज किए.

लाश उन्नाव जिले के गांव दरबारी खेड़ा के पास मिली थी, इसलिए एसएचओ अवनीश कुमार सिंह ने दरबारी खेड़ा व उसके आसपास के गांवों के कई अपराधी किस्म के लोगों को हिरासत में लिया तथा उन से सख्ती से पूछताछ की, लेकिन नदीम की हत्या का सुराग न लगा. इस के अलावा मुखबिर भी कोई खास जानकारी नहीं जुटा पा रहे थे. अब तक एक महीना से ज्यादा का समय गुजर गया था, लेकिन वह नदीम के हत्यारों के बारे में कोई सुराग नहीं मिल पा रहा था. पुलिस अधिकारी भी जांच टीम पर दबाव बना रहे थे. नदीम की मां आरफा बेगम व मामा ताहिर भी जबतब थाने आ जाते और जवाबसवाल करते.

एक रोज एसएचओ अवनीश कुमार सिंह अपने सहयोगियों के साथ नदीम की हत्या के संबंध में विचारविमर्श कर रहे थे, तभी एक युवती ने उन के कक्ष में प्रवेश किया. वह मुसलिम समुदाय की लग रही थी. एसएचओ अवनीश कुमार सिंह ने सहयोगियों को बाहर जाने का इशारा करने के बाद उस युवती को कुरसी पर बैठने को कहा. वह फिर बोले, ”मोहतरमा, आप अपने बारे में बता कर अपनी समस्या बताएं, ताकि हम आप का सहयोग कर सकें.’’

उस युवती ने दाएंबाएं नजर घुमाई फिर बोली, ”हुजूर, मेरा नाम जीनत फातिमा है. मैं मरहूम नदीम की बीवी हूं. छिपतेछिपाते किसी तरह थाने आई हूं. मैं आप को एक ऐसा राज बताने आई हूं, जिस पर शायद आप को यकीन ही न हो.’’

”कैसा राज?’’ इंसपेक्टर अवनीश ने पूछा. 

”यही कि मेरे शौहर की हत्या का राज मेरी सास आरफा बेगम के पेट में छिपा है. मुझे शक है कि उन्होंने ही कोई योजना बना कर मेरे शौहर को मरवाया है.’’

इंसपेक्टर अवनीश कुमार सिंह ने एक सरसरी निगाह जीनत फातिमा पर डाली, फिर बोले, ”न जानें क्यों मुझे तुम्हारी बातों पर यकीन नहीं हो रहा है. भला एक मां अपने एकलौते बेटे का कत्ल क्यों कराएगी? फिर भी मैं तुम्हारे शक का कारण जानना चाहता हूं.’’

हुजूर, शक का पहला कारण यह है कि आरफा बेगम मकान व दुकान बेचना चाहती थी, लेकिन मेरे पति इस का विरोध कर रहे थे. इस को ले कर मांबेटे में तकरार होती थी. शक का दूसरा कारण आरफा बेगम की यारी. यानी उस के नाजायज संबंध अजमेर निवासी एक रिश्तेदार से हैं. वह मकानदुकान बेच कर उस के साथ रहना चाहती थी. लेकिन मेरे पति विरोध करते थे. मुझे शक है कि इसी विरोध के चलते सासू अम्मी ने उन का काम तमाम करा दिया.’’

इंसपेक्टर अवनीश कुमार सिंह सोच में पड़ गए, ”क्या एक मां इतनी बेरहम हो सकती है कि देहसुख के लिए जवान बेटे का कत्ल करा दे?’’

इस के बाद अवनीश कुमार सिंह ने एडिशनल एसपी प्रेमचंद्र से मुलाकात की और उन्हें पूरी बात बताई. शक के आधार पर उन्होंने इस ब्लाइंड मर्डर को खोलने का आदेश दिया. यही नहीं उन्होंने एक पुलिस टीम का गठन भी कर दिया. इस टीम में इंसपेक्टर अवनीश कुमार सिंह, इंसपेक्टर (क्राइम ब्रांच) राम नारायण, हैडकांस्टेबल राधेश्याम, कांस्टेबल पवन, अर्पित, सूरजपाल, अरुण कुमार, तथा महिला कांस्टेबल विमल को शामिल किया गया. टीम की बागडोर सीओ (हसनगंज) संतोष कुमार सिंह को सौंपी गई. 

पुलिस टीम ने शक के आधार पर मृतक की मां मोहम्मद आरफा बेगम की निगरानी शुरू कर दी. यही नहीं, आरफा बेगम व मृतक नदीम के मोबाइल फोन नंबरों की काल डिटेल्स रिपोर्ट निकलवाई. आरफा बेगम की काल डिटेल्स में कोई संदिग्ध नंबर नहीं मिला. वह किसी बाहरी व्यक्ति से बात नहीं करती थी. घटना वाले दिन भी उस ने किसी से बात नहीं की थी. रात 10 बजे उस ने नदीम को फोन किया था. 

लेकिन नदीम के मोबाइल फोन नंबर की काल डिटेल्स में टीम को एक संदिग्ध नंबर मिला. इस नंबर पर नदीम ने 4 जून, 2024 को बात की थी. इस संदिग्ध नंबर की पुलिस टीम ने जानकारी जुटाई तो पता चला यह नंबर सलीम पुत्र सिद्ïदीकी निवासी गली न 15 नवल नगर मोहल्ला लौंगिया थाना गंज, जिला अजमेर (राजस्थान) के नाम दर्ज है. संदिग्ध व्यक्ति सलीम पुलिस की रडार पर आया तो टीम उस की टोह में अजमेर जा पहुंची. टीम ने लौंगिया बस्ती में सलीम के घर दबिश दी, लेकिन वह घर से फरार था. पता चला कि वह किसी काम से उत्तर प्रदेश गया है. 

पुलिस टीम तब हाथ मलते हुए वापस लौट आई, लेकिन टीम हाथ पर हाथ रख कर नहीं बैठी. टीम ने खबरियों का जाल बिछा दिया और स्वयं भी टोह में लग गई. टीम ने उन्नाव के बस अड्ïडा व रेलवे स्टेशन पर निगरानी बढ़ा दी. 

इधर सुबह दरबारी खेड़ा के कुछ लोग खेतों की तरफ गए तो उन्होंने कुएं में उतराती लाश देखी. उन्होंने थाना अजगैन पुलिस को सूचना दी. 21 जुलाई, 2024 को पुलिस ने आरोपी आरफा बेगम, मोहम्मद सलीम व हासम अली को उन्नाव कोर्ट में पेश किया, जहां से उन को जिला जेल भेज दिया गया. 

-कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें