Social Problem: लव जिहाद का जंजाल

Social Problem: दूसरे धर्म के लड़के से शादी करना कोई गुनाह नहीं होना चाहिए पर हर धर्म इस पर न सिर्फ नाकभौं चढ़ाता है, मरनेमारने को भी तैयार हो जाता है. धर्म के कारण चाहे न लड़के के बदन में कोई कोढ़ हो, न पैसा हो, लड़की को कोई कैंसर जैसी बीमारी न हो पर धर्मों ने ऐसा जाल बुन रखा है मानो दूसरे धर्म में शादी करना ऐसा है जैसे कोरोना के मरीज से शादी हो रही हो.

दिल्ली के पास रह रही गाजियाबाद की सोनिका चौहान की जिंदगी उस के मांबाप और आसपास के लोगों ने मुहाल कर रखी है क्योंकि उस ने एक खातेपीते मुसलिम घर के लड़के अकबर से शादी कर ली. हिंदू गैंग इसे लव जिहाद मान कर अकबर को भी परेशान कर रहे हैं और सोनिका के मांबाप से उन्होंने सोनिका को किडनैप करवाने की एफआईआर भी लिखवा दी. अकबर 16 दिन जेल में काट कर आया और तब उसे जमानत पर छोड़ा गया. मामला तो लंबा चलेगा और कब सोनिका के घर वाले उस को मनवा लें कि उस ने अपने प्रेमी से बहकावे व धोखे में शादी कर ली, पता नहीं.

यह शादी अगस्त, 2022 में हुई थी पर 3 साल बाद भी हिंदू गैंगों का गुस्सा ठंडा नहीं हुआ है.

अकबर व सोनिका एकदूसरे को बचपन से जानते थे और एक ही इलाके में रहते थे. शादी उन्होंने स्पैशल मैरिज ऐक्ट के तहत की थी इसलिए 3 साल की गुंडागर्दी के बाद भी दोनों आराम से नहीं रह पा रहे.

यह हाल हजारों जोड़ों का देशभर में हो रहा है जिन्होंने किसी दूसरे धर्म में शादी की, जबकि स्पैशल मैरिज ऐक्ट इसे वाजिब मानता है. जहां भाजपा सरकारों ने इस तरह की शादियों पर कानून बनाए भी हैं, वे भी सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के अनुसार काफी लचीले बनाने पड़े हैं और इन शादियों को मुश्किल बनाया गया, पूरी तरह गैरकानूनी नहीं. धार्मिक गैंगों के दबाव में पुलिस वालों को दखल देना पड़ता है.

इस की जड़ में दोनों धर्मों के दुकानदारों के पैसे खोने का डर है. हर ऐसी शादी का मतलब है कि जो दानदक्षिणा पंडितों या मुल्लाओं को मिलती है, वह बंद हो जाएगी. यही नहीं, ऐसी शादी से होने वाले बच्चों का कोई धर्म नहीं होता क्योंकि उन्हें 18 साल का होने पर धर्म चुनने का हक होता है. हर धर्म जन्म से ही बच्चों पर अपना हक जमाने लगता है और उन के जरीए कमाई करना शुरू कर देता है. तरहतरह की रीतियां धर्म के दुकानदार की मौजूदगी में उसे पैसा दे कर होती हैं. ऐसे में कोई ग्राहक को यों ही क्यों खोने दे?

लव जिहाद का नाम ले कर हिंदू गुंडों को एकजुट होने का मौका मिलता है. गाय तस्करी, मूर्ति को तोड़ना और लव जिहाद गुंडागर्दी के बड़े मौके होते हैं. खाली बैठे कट्टर हिंदू युवाओं को कमाई का अच्छा मौका हर लव जिहाद में मिलता है. इसे ऐसे ही कोई हाथ से क्यों निकलने दे?

अफसोस है कि सरकार अब युवाओं के हकों की जगह दोनों धर्मों के गुरगों की धौंस को बढ़ावा दे रही है. यह युवाओं के दिल की पुकार पर हमला है. प्रेम और शादी युवाओं का मौलिक हक है और धर्म की पैसा वसूलने की जो फटी सी मैली सी चादर उन्हें दी जाती है उस से प्रेम का जोर छिपता नहीं है. इस फटी चादर को तो सदियों पहले फेंक दिया जाना चाहिए था, पर आज भी सोनिका और अकबर जैसों के लिए यह आफत है. Social Problem

‘केदारनाथ’ पर चल रहे विवाद पर सारा खान ने तोड़ी चुप्पी

सैफ अली खान की बेटी सारा अली खान अपनी फिल्म केदारनाथ के साथ बौलीवुड में डेब्यू करने जा रही हैं. इस फिल्म में उनके अपोजिट सुशांत सिंह राजपूत हैं. फिल्म का ट्रेलर देखने के बाद दर्शकों ने दोनों की काफी तारीफे की. लोगों को इनकी केमेस्ट्री काफी पसंद आई. पर कुछ लोगों ने इसमें केवल नफरत ढूंढी. कुछ हिंदूवादी संगठनों ने इसपर ‘लव जिहाद’ का आरोप लगाया. लोगों का कहना है कि इस फिल्म की वजह से लव जिहाद को बढ़ावा मिलेगा. इस मामले पर लगातार चल रहे विवाद पर आखिरकार सारा ने चुप्पी तोड़ी है.

एक हिंदी चैनल के मुताबिक सारा ने कहा कि ‘अपनी जिंदगी के अनुभवों से मैं ये बता सकती हूं कि ऐसी कोई चीज हमें प्रभावित नहीं करती. हमारी फिल्म लव जिहाद की मानसिकता को बिल्कुल भी बढ़ावा देने वाली नहीं है. ये वाकई इस तरह की फिल्म नहीं है. फिल्म में तो यह दिखाने की कोशिश की गई है कि केदारनाथ की दुनिया, जितनी मुक्कू यानी सारा की है, उतनी ही मंसूर यानी सुशांत की भी है.’

आपको बता दें कि 7 दिसंबर को रिलीज होने वाली इस फिल्म में सुशांत सिंह राजपूत और सारा अली खान की अहम भूमिका हैं. 2013 में  केदारनाथ में आई प्राकृतिक आपदा को केंद्र में रख कर बनाई गई इस फिल्म पर केदारनाथ के पुजारियों के एक संगठन ने विरोध जताया है. पुजारियों के संगठन ने धमकी दी है कि अगर इस फिल्म को बैन नहीं किया गया तो वो आंदोलन करेंगे. क्योंकि ये फिल्म लव जिहाद को बढ़ावा देती है. इससे हिंदू भावनाएं आहत होती हैं.

 

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें