कैसे हो कॉलेज में पर्सनालिटी डेवलपमेंट

स्कूल की दहलीज पार कर जब लड़केलड़की कालेज में प्रवेश करते हैं तो उन के पर निकल आते हैं. वे हवा में उड़ने लगते हैं. स्कूल जैसा अनुशासन कालेजों में नहीं होता. छात्र कक्षाओं में बैठते हैं या नहीं, खाली समय में क्या करते हैं, इस से न तो प्रोफैसरों को कोई वास्ता होता है और न ही प्रिंसिपल को. इसलिए अधिकांश लड़केलड़कियां कालेज को मौजमस्ती का केंद्र मानते हैं.

कालेज में पढ़ने का औचित्य तभी है जब शिक्षा के साथसाथ छात्र अपने व्यक्तित्व का विकास भी करें. नियमित अध्ययन के साथसाथ खाली या अतिरिक्त समय का सार्थक उपयोग कर के आप व्यक्तित्व और जीवन को संवार सकते हैं.

व्यक्तित्व विकास शब्दों का व्यापक अर्थ में इस्तेमाल किया जाता है. इस में व्यक्तित्व के सभी पहलुओं पर ध्यान दिया जाता है ताकि जब युवा कालेज छोड़ कर निकले तो उस का व्यक्तित्व संपूर्ण रूप से निखर चुका हो.

व्यक्तित्व विकास के विभिन्न तत्त्व हैं. इन में प्रमुख हैं- व्यवहार, कुशलता, उत्साह, आत्मविश्वास, सकारात्मकता, संप्रेषण कला, वाकपटुता, मिलनसारिता, कर्मठता, अच्छी आदतों का समावेश तथा मुसकान. इस के अलावा, चालढाल, भावभंगिमा को भी इस में शामिल किया जाता है. अध्ययनकाल में इन सब पहलुओं पर विशेष ध्यान देना चाहिए. आज विद्यार्थियों को न केवल अपना पाठ्यक्रम पढ़ने की जरूरत है बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में ज्ञान की जरूरत है. इसलिए उन्हें अपने व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान देना चाहिए.

अब शिक्षा का स्वरूप परंपरागत नहीं रहा है. डिग्री के अलावा आवश्यक कौशल अर्जित करना भी जरूरी हो गया है. तभी शिक्षा की कोई उपयोगिता है. पढ़ाई करने के तत्काल बाद अगर विद्यार्थियों ने पाठ्यक्रम के अतिरिक्त कुछ और नहीं पढ़ासीखा तो उन्हें लगता है कि वे बहुत पिछड़े हुए हैं. सो, शिक्षा के दौरान ही उन्हें अपने भविष्य की योजनाओं और रुचियों के अनुरूप अतिरिक्त योग्यता हासिल करनी चाहिए.

आमतौर पर स्कूलकालेज 5 से 6 घंटे तक लगते हैं. जबकि वास्तविक पढ़ाई या कक्षाएं 3 से 4 घंटे तक ही होती हैं. यानी

2 घंटे छात्र खाली रहते हैं. इस खाली समय का सार्थक प्रयोग करना चाहिए, न कि व्यर्थ में नष्ट करना चाहिए.

क्लासरूम पढ़ाई के अलावा बहुतकुछ है जिसे आप खाली समय में संपन्न कर सकते हैं. इस से न केवल आप का ज्ञान बढ़ेगा बल्कि व्यक्तित्व विकास भी होगा.

आप को महज किताबी कीड़ा ही बन कर नहीं रहना है बल्कि अपना सर्वांगीण विकास करना है. इसलिए पढ़ाई के साथसाथ अन्य यह पाठ्यक्रम गतिविधियों में भी भाग लेना चाहिए. इस से आप का बहुमुखी विकास होगा.

कालेजों में व्यक्तित्व विकास के अनेक अवसर विद्यमान होते हैं. यह आप पर निर्भर करता है कि आप उन्हें लपक पाते हैं या नहीं? अवसर निकल जाने के बाद हाथ मलते रह जाने से कुछ हासिल नहीं होगा.

जब कभी आप की क्लास न हो, आप को उस का सदुपयोग करना चाहिए. सब से अच्छा तो यही होगा कि यह समय आप ग्रंथालय या लाइब्रेरी में बिताएं. वहां जा कर गपें लड़ाने के बजाय पुस्तकों का अवलोकन करें. जरूरी नहीं कि वे पाठ्य पुस्तकें ही हों, इस से इतर पुस्तकों, पत्रिकाओं को पढ़ने से भी ज्ञानवर्धन होता है.

पुस्तकालय में तरहतरह के समाचारपत्र, पत्रिकाएं भी उपलब्ध रहते हैं. आप आदत बना लें कि खाली समय में वहां जा कर उन्हें पढ़ेंगे. अखबार पढ़ने से देशविदेश की ताजा घटनाओं से अद्यतन रहेंगे. पत्रिकाओं में अनेक रोचक, ज्ञानवर्धक और मनोरंजक लेख, कहानी, कविता और अन्य साहित्यिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, साहसी व प्रेरणादायी सामग्री छपी होती है. निश्चित ही ये सब आप की प्रतिभा को निखारेंगी ही.

खेलकूद में रुचि

यदि आप की खेलकूद में रुचि है तो इस से जुड़ सकते हैं. जहां तक संभव हो, मैदानी खेलों को प्राथमिकता दें, जैसे क्रिकेट, हौकी, खोखो, कबड्डी, फुटबौल आदि. इस से आप शारीरिक रूप से भी चुस्तदुरूस्त रहेंगे और आप को अपनी खेल प्रतिभा विकसित करने का मौका भी मिलेगा.

आप को अपने कैंपस की स्वच्छता को भी बनाए रखने में मददगार होना चाहिए. खाली समय में उस की सफाई करें. इसे करने में हीनता का अनुभव न करें. जब आप अपने घर को साफसुथरा रख सकते हैं, तो कैंपस को क्यों नहीं? इस में शर्म न करें.

आप को यह पता होना चाहिए कि आप के स्कूलकालेज में कब और कौन सी गतिविधियां संचालित होने वाली हैं. उन में भाग लेना चाहिए. भाग न भी लें, तो श्रोता या दर्शक के रूप में तो शामिल हो ही सकते हैं.

हो सकता है कि आप में भाषागत कमजोरी हो. हिंदी या इंग्लिश किसी भी भाषा में कमजोर हों तो खाली समय में अपने दोस्तों के समक्ष उच्चारण करें. उन से कहें कि वे उसे दुरुस्त करें. परस्पर भाषा सुधारने का यह एक अच्छा मौका है.

आप की संस्था में अनेक साहित्यिक गतिविधियां भी होती हैं, जैसे रचनात्मक लेख, वादविवाद प्रतियोगिता, भाषण प्रतियोगिता, कविता पाठ आदि. इन में अपनी प्रतिभा दिखाएं.

विद्यार्थी आपस में मुहावरे, विशिष्ट शब्द प्रयोग, सूक्ति वाक्य, पुस्तकों के नाम, लेखकों के नाम आदि के बारे में परस्पर संवाद कर सकते हैं. इस सब से मनोरंजन के साथसाथ ज्ञानार्जन भी होता है.

यदि सांस्कृतिक गतिविधियां हो रही हों और उस दौरान आप की कक्षा न हो तो उस का आनंद लेना चाहिए. नाटक, एकांकी, संगीत, नृत्य आदि कार्यक्रमों में अवश्य ही शामिल होना चाहिए.

कालेजों में एनसीसी और एनएसएस होती है, इन से जुड़ें. इन की गतिविधियों में भाग लें. ये न केवल आप को शारीरिक रूप से सक्रिय रखेंगी बल्कि बौद्धिक विकास भी करेंगी. इन से आप के भीतर, समाज और देश के प्रति लगाव होगा. ये आप को एक आदर्श नागरिक बनाएंगी.

कालेजों में युवा उत्सव का भी आयोजन होता है. उस में विभिन्न गतिविधियां होती हैं. आप को उन में भी अवश्य भाग लेना चाहिए.

परस्पर संवाद और अभ्यास करने से संप्रेषण की बाधाएं दूर हो सकती हैं. धारा प्रवाह बोलने के गुण में वृद्धि होती है. मौखिक प्रस्तुतीकरण में कौशल हासिल होता है.

अपने भीतर डायरी लेखन की रुचि पैदा करें. हर दिन की समस्त घटनाओं को लिखें. जब आप की पढ़ाई पूरी हो जाएगी और आप अपनी संस्था छोड़ देंगे, तब भविष्य में जबजब यह डायरी आप पढ़ेंगे, रोमांचित होंगे. डायरी लेखन आप की रचनात्मकता को बढ़ाती है.

व्यक्तित्व को ऐसे निखारें

कुछ छात्रछात्राएं शर्मीली प्रकृति के होते हैं. वे बहुत कम बात करते हैं, जल्दी से किसी से घुलमिल नहीं पाते. वे समूह से अलग अकेले ही रहते हैं. इस की कई वजहें हो सकती हैं, जैसे बचपन से मातापिता द्वारा अत्यधिक रोकटोक, कम बोलने देना, बातबात पर डांटना, मारना आदि. इसी प्रकार, दोस्तों या साथियों द्वारा मजाक उड़ाना भी एक कारण है. इन सब से वे खुद को कमजोर सम झते हैं तथा कुछ भी करने से डरते हैं. उन्हें लगता है कि उन की बात सुन कर सब हंसेंगे. इस से वे अपने मन की बात खुल कर नहीं कह पाते और कालेज की तमाम गतिविधियों के प्रति उदासीन रहते हैं. इस से उन का व्यक्तित्व निखर नहीं पाता, बल्कि दब कर रह जाता है. उन्हें व्यक्तित्व विकास के अवसर तो मिलते हैं लेकिन वे पीछे हट जाते हैं.

हीनभावना से ग्रस्त या शर्मीली प्रकृति के युवकयुवतियों को चाहिए कि वे अपना आत्मविश्वास बढ़ाएं. अपने मन की बात दोस्तों अथवा प्रोफैसरों से बे िझ झक कहें और व्यर्थ में न डरें. अपने सहपाठियों के साथ  बात करें. खेलकूद या अन्य गतिविधियों में भाग लें. अपने दोस्तों के समूह में रहें. प्रोफैसरों से अपनी समस्या सा झा करें. उन्हें अपना आदर्श मानें. वे आप के सच्चे शुभचिंतक और आप के व्यक्तित्व विकास में सहायक होते हैं.

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