‘मुददा ३७० जे एंड के’
– निर्देशक: राकेश सावंत
– निर्माते: डा. अतुल कृष्णा
– सह-निर्माते: भंवर सिंह पुंडीर
– पटकथा: दिलीप मिश्रा और राकेश सावंत
– संवादः निसार अख्तर
– कलाकार: हितेन तेजवानी, मनोज जोशी, राज झुशी, जरीना वहाब, पंकज धीर, अनीता राज, मोहन कपूर, सुजाता मेहता, अंजन श्रीवास्तव, भंवर सिंह पुंदिर, शाबाझ खान, ब्रिज गोपाळ, मास्टर अयान और राखी सावंत, अंजली पांडे, आदिता जैन और तन्वी टंडन.
– संगीतः सय्यद अहमद, साहिल मल्टी खान और राहुल भट्ट.
– गीतः निसार अख्तर, सीमा भट्ट, शाहिद अंजुमन
– गायकः आशा भोसले, शान, पलक मुंचल, असीस कौर, शाहिद माल्या, मुद्दसर अली, अविक दोजन चटर्जी
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पृथ्वी पर एक स्वर्ग, कश्मीर के सुरम्य स्थानों में स्थित, ‘मुददा ३७० जे एंड के’ उन खूबसूरत स्थानों की कहानी बतलाता है जो १९४७ के युद्ध बाद से लहू लोहान हो गया. कई बार जम्मू और कश्मीर में विद्रोहियों को बर्फ को लाल करते देखा है, तो कई बार नौजवानों ने आतंकवादी बनकर उसकी खूबसूरत फिजाओं में बारूद बिखेरा.
यह कहानी विस्थापित कश्मीरी पंडितों की है, उनके दर्द और पीड़ा की है जो अपनी ही मातृभूमि में शरणार्थी बन गए थे. कश्मीर दशकों से ३७० और ३५ (अ) जैसे धाराओं के घावों से घिर गया है. फिर भी कश्मीर की भावना निरंकुश है, और यह कहानी एकदम सही जगह साबित हुई, एक कश्मीरी पंडित दीनानाथ के बेटे सूरज और एक मुस्लिम लड़की अस्मा के बीच की एक प्रेम कहानी की है.
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यह कहानी १९८९ की है, जहां सूरज और अस्मा का प्यार कश्मीरी सीमा उग्रवाद की सीमा पार कर जाता है. क्या सूरज और अस्मा का प्यार रक्तपात को पछाड़ पाएगा? जम्मू-कश्मीर घाटी, राजनीतिक पृष्ठभूमि में कश्मीर की भावना, आशा और प्रेम की इसी कहानी को बतलाता है राकेश सावंत की फिल्म ‘मुददा ३७० जे एंड के’.