तंत्र साधना में इतना हुआ लीन कि काट डाला दोस्त का सिर

तथाकथित तांत्रिक परमात्मा तंत्र साधना से अपार दौलत पाने का दावा करता था. इस के लिए उस ने अपने दोस्तों विकास और धनंजय से किसी इंसान का कटा सिर लाने को कहा. 5 लाख रुपए के लालच में विकास और धनंजय अपने दोस्त राजू कुमार की हत्या कर उस का सिर काट कर तांत्रिक परमात्मा के पास ले गए. तांत्रिक ने उस खोपड़ी पर 7 दिनों तक तंत्रमंत्र क्रियाएं कीं. यह सब करने के बाद क्या उन्हें दौलत मिल सकी?

सड़क किनारे जंगल में सुबह करीब साढ़े 6 बजे कुछ लोगों की नजर एक लाश पर गई. उस लाश का सिर कटा हुआ था. इस के बाद जो भी उधर से गुजर रहा था, लाश को देखने लगा. उसी दौरान किसी ने इस की सूचना गाजियाबाद के थाना टीला मोड़ पुलिस को दे दी. सूचना मिलते ही पुलिस घटनास्थल पर पहुंच गई. पुलिस ने देखा कि पेड़ों के बीच एक सिरकटी लहूलुहान लाश पड़ी है. युवक की उम्र करीब 29-30 वर्ष थी. शव के धड़ से सिर गायब था, जबकि शरीर के शेष अंग मौजूद थे. 

सूचना पर पहुंची पुलिस ने डौग स्क्वायड को भी बुला लिया. टीम ने जांचपड़ताल की. मृतक की नारंगी रंग की शर्ट खून से सनी थी, जबकि वह काला सफेद व लाल पट्टी का लोअर पहने हुआ था. पुलिस ने आसपास के क्षेत्र में उस का सिर तलाशा, लेकिन सिर नहीं मिला. एसीपी सिद्धार्थ गौतम भी मौके पर पहुंच गए. पुलिस को शव के पास एक गद्दी का कवर भी खून से सना मिला. पुलिस ने शव की पहचान कराने का प्रयास किया, लेकिन  कोई भी उस की शिनाख्त नहीं कर सका. मौके की जांच करने के बाद ऐसा लग रहा था कि उस युवक की हत्या कहीं और करने के बाद शव वहां डाला गया था. 

पुलिस टीम को मृत युवक के दाहिने हाथ पर कुछ लिखा मिला, जो समझ में नहीं आ रहा था. इस के अलावा बाएं हाथ पर किसी नुकीली चीज से काटने के निशान थे. दोपहर को फोरैंसिक टीम घटनास्थल पर पहुंची और जांच की, लेकिन कोई अहम सुराग नहीं मिला. पुलिस ने घटनास्थल की काररवाई पूरी करने के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया. यह घटना गाजियाबाद जिले के टीला मोड़ थाने से करीब एक किलोमीटर दूर लोनी भोपुरा इलाके में 22 जून, 2024 को घटी थी.

डीसीपी (ट्रांस हिंडन) निमिष पाटिल ने इस केस को सुलझाने के लिए एसीपी सिद्धार्थ गौतम के निर्देशन में 6 पुलिस टीमों का गठन किया. सभी टीमें अपनेअपने काम में जुट गईं. पुलिस टीमों ने इस सनसनीखेज वारदात के खुलासे के लिए घटनास्थल के निकट के इलाके को खंगालना शुरू किया. पुलिस ने दिल्ली के 161 थानों से भी लापता व्यक्तियों के बारे में जानकारी हासिल की, लेकिन उन थानों में इस हुलिए के किसी युवक की गुमशुदगी दर्ज नहीं थी. 

पुलिस टीम को हाथ पर बने टैटू से सुराग मिलने की संभावना थी. जांच के दौरान टीम ने दिल्ली, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के आसपास के थानों में भी दर्ज गुमशुदगी के रिकौर्ड खंगालने शुरू कर दिए, लेकिन पुलिस को कुछ हासिल नहीं हुआ. पुलिस ने मृतक की फोटो लगे पैंफ्लेट गाजियाबाद और दिल्ली के सार्वजनिक स्थानों पर चस्पा कर दिए थे. उन्हीं पैंफ्लेट को देख कर दिल्ली के ताहिरपुर का रहने वाला गणेश थाना टीला मोड़ पहुंचा.

उस ने पुलिस को बताया कि उस के साले का 29 साल का बेटा राजू कुमार अचानक 15 जून, 2024 को लापता हो गया. राजू बिहार के मोतिहारी जिला के पिपरा थाना का निवासी था. राजू के मातापिता का निधन हो चुका है. वह उन के साथ ही दिल्ली में ताहिरपुर में रहता था. राजू चाटपकौड़ी का ठेला कमला मार्केट में लगाता था. रात तक जब वह घर वापस नहीं आया, तब उन्हें चिंता हुई. अब सवाल था कि राजू बिना बताए कहां गायब हो गया? उन्होंने इस की संबंधित पुलिस थाने में जा कर शिकायत की, लेकिन पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज नहींं की और जांच का आश्वासन दे कर घर लौटा दिया था. 

हत्यारों तक कैसे पहुंची पुलिस

पुलिस ने घटनास्थल के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों को खंगालना शुरू किया. शुरुआती छानबीन के दौरान तुलसी निकेतन में एक बहुमंजिला इमारत की आठवीं मंजिल पर लगे सीसीटीवी कैमरे में एक धुंधली फुटेज हाथ लगी, जिस में एक आटो की हैड व टेल लाइट और पीछे लाल रंग के 2 ट्रायंगल रिफ्लेक्टर नजर आए थे. अब पुलिस ने उस आटो को तलाशना शुरू कर दिया. इस दौरान पुलिस सैकड़ों आटो चैक किए. पुलिस की डेढ़ महीने की मेहनत आखिर रंग लाई और पुलिस ने धुंधली फुटेज से तसवीर साफ कर उस आटोचालक के पास पहुंच गई और उस के आटो को बरामद कर लिया. पुलिस उसी आटो के आधार पर आरोपियों तक जा पहुंची.

आगे की जांच करते हुए पुलिस ने बिहार के मोतिहारी से हत्याकांड में शामिल 2 आरोपियों को 16 अगस्त, 2024 को गिरफ्तार कर लिया. इन में 24 वर्षीय विकास उर्फ मोटा निवासी गली नंबर-1,  ताहिरपुर, दिल्ली तथा उस का साथी 28 वर्षीय धनंजय निवासी कमला मार्केट, दिल्ली जो मूलरूप से हुसैनी, थाना डुमरिया घाट जिला मोतिहारी, बिहार का निवासी है, शामिल थे. जबकि तीसरा मुख्य आरोपी  विकास उर्फ परमात्मा निवासी मोतिहारी बिहार फरार हो गया. 

पता चला कि वह पुलिस से बचने के लिए नेपाल भाग गया है. इस वीभत्स हत्याकांड का खुलासा पुलिस ने घटना के पौने 2 माह बाद आखिर कर दिया. आरोपियों से पूछताछ के बाद जो कहानी सामने आई, उसे सुन कर पुलिस वालों के भी रोंगटे खड़े हो गए. पता चला कि तीनों दोस्तों ने तंत्रमंत्र के जरिए अमीर बनने के लिए राजू नाम के युवक की हत्या कर दी थी. पुलिस ने गिरफ्तार दोनों हत्यारोपियों के कब्जे से आलाकत्ल छुरियां, आटोरिक्शा, ईरिक्शा आदि बरामद कर लिए.

5 लाख के लालच में काटा सिर

आरोपी विकास उर्फ मोटा अपने मामा मुन्ना निवासी गोकुलधाम सोसाइटी शालीमार गार्डन, गाजियाबाद का आटो किराए पर ले कर चलाता था. कुछ महीने पहले उस की मुलाकात धनंजय से हुई थी. धनंजय नई दिल्ली के कमला मार्केट निवासी अपने मामा रंजीत और रणधीर साहनी के पास रह कर खाना बनाने का ठेला लगाता था. विकास उर्फ मोटा धनंजय के ठेले पर खाना खाने के लिए आता था. इस के चलते उस की उस से दोस्ती हो गई. उसी के माध्यम से धनंजय की परमात्मा से मुलाकात हुई. परमात्मा ईरिक्शा चालक था. वह कमला मार्केट के पास किराए के कमरे में रहता था. वह इन दोनों से तंत्रमंत्र विद्या और टोनेटोटके से रुपए कमाने के साथ ही सब कुछ हासिल करने की बात कहता रहता था.

परमात्मा ने धनंजय और विकास को एक दिन बताया कि वे तंत्र विद्या के जरिए बहुत पैसा कमा सकते हैं. उसे तंत्र विद्या करनी आती है. एक दिन तुम दोनों को भी बहुत पैसे मिलेंगे. परमात्मा ने दोनों को जल्द अमीर बनने का सपना दिखाया. उस ने कहा कि इस के लिए एक काम करना होगा. तुम दोनों को ऐसे अनाथ व्यक्ति की तलाश करनी होगी, जिस की हत्या कर के उस की खोपड़ी काटने के बाद उस खोपड़ी पर तंत्र क्रिया की जा सके. परमात्मा ने धनंजय से अनाथ युवक को तलाश करने के लिए 5 लाख रुपए देने का लालच भी दिया. 

रुपयों के लालच में धनंजय और विकास उर्फ मोटा एक साथ ऐसे युवक की तलाश करने लगे. इस दौरान धनंजय ने अपने पड़ोसी और दोस्त राजू कुमार, जो उस के साथ ही चाटपकौड़े का ठेला लगाता था, को निशाना बनाने के लिए अपने जाल में फंसाना शुरू कर दिया. राजू नशा करने का आदी था. इस का धनजंय और विकास ने फायदा उठाया. कई दिनों तक विकास और धनंजय ने राजू के साथ शराब पी. 15 जून, 2024 को दोनों राजू को शराब का लालच दे कर तथाकथित तांत्रिक परमात्मा के कमरे पर ले गए. वहां 6 दिन तक उसे शराब पिलाते रहे. उसे घर तक नहीं जाने दिया. सातवें दिन यानी 21-22 जून की दरमियानी रात को राजू की उन्होंने गमछे से गला दबा कर हत्या कर दी. इस के बाद शव को पंखे से लटका दिया. 

शव को छिपाने के लिए तीनों ने रात करीब ढाई बजे विकास उर्फ मोटा के आटो में शव को रखा और टीला मोड़ थाना क्षेत्र की पंचशील कालोनी ले कर गए. पुलिस द्वारा पकड़े जाने के डर से उन्होंने आटो को एक सुनसान जगह पर सड़क किनारे खड़ा किया और मीट काटने वाली छुरी से राजू का सिर काट कर अलग कर दिया. फिर उस के धड़ को जंगल में फेंक  दिया. तीनों ने राजू के कटे सिर को प्लास्टिक की बाल्टी में रखा और आटो में बैठ कर वापस दिल्ली आ गए.

कटे सिर पर 7 दिनों तक करते रहे तंत्रक्रिया

हत्या करने के बाद तीनों आरोपियों ने हैवानियत की सभी हदें पार कर दीं. परमात्मा के दिल्ली के कमला मार्केट स्थित कमरे पर चाकू से उन्होंने उस की आंखें निकालीं, फिर नाक, कान काट कर खोपड़ी की पूरी तरह खाल उतार दी. राजू की खोपड़ी के साथ परमात्मा ने काला टीका लगा कर व काले कपड़े पहन कर तंत्र साधना शुरू की. उस ने मानव खोपड़ी पर तंत्रमंत्र विद्या से पैसे कमाने का तरीका आजमाया. वह कुछ घंटे प्रयास के बावजूद सफल नहीं हुआ. लेकिन उस ने हार नहीं मानी और लगातार 7 दिनों तक वह तंत्र साधना करता रहा, फिर भी उसे कुछ हासिल नहीं हुआ.  

इस के बाद उस ने अपने दोनों साथियों से कहा कि खोपड़ी पर चोट का निशान है. यह क्रैक हो गई है. इसलिए यह खोपड़ी तंत्र साधना के लायक नहीं है. तुम लोगों को दूसरी मानव खोपड़ी लानी होगी. खोपड़ी को 7 दिनों तक कमरे में रखने से दुर्गंध आने लगी थी, तब तांत्रिक परमात्मा खोपड़ी ले कर भाग गया और उसे दिल्ली में जीटीबी अस्पताल के पास नाले में फेंक आया. अस्पताल के नाले में खोपड़ी को फेंकने की बात उस ने अपने दोनों साथियों को बताई.

आंखें निकाल कर खेले कंचे

इस घटना से 1994 की फिल्म अंदाज अपना अपनाकी याद आ जाती है. इस फिल्म में क्राइम मास्टर गोगो के किरदार में शक्ति कपूर का फेमस डायलौग था, आंखें निकाल कर गोटियां खेलूंगा.’ इन आरोपियों ने इस डायलौग को हकीकत में बदल दिया. तंत्रमंत्र क्रिया के दौरान राजू के कटे सिर से आंखें निकालने के बाद उन से तांत्रिक क्रिया करते हुए कंचे (गोटियां) भी खेले. इस बात की जानकारी पकड़े गए दोनों आरोपियों धनंजय व विकास उर्फ मोटा ने पुलिस को दी. 5 लाख रुपए का लालच दे कर परमात्मा ने जिंदा मानव की खोपड़ी लाने की बात कह कर एक निर्दोष युवक की हत्या करा दी. इस हत्याकांड का खुलासा करने व आरोपियों को गिरफ्तार करने वाली पुलिस टीम को पुलिस कमिश्नर (गाजियाबाद) अजय कुमार मिश्र की ओर से 25 हजार रुपए का तथा डीसीपी (ट्रांस हिंडन) निमिष पाटिल की ओर से 10 हजार रुपए का इनाम देने की घोषणा की गई है. 

पुलिस पूछताछ में विकास और धनंजय ने बताया कि मुख्य आरोपी परमात्मा ने राजू की खोपड़ी को दिल्ली में जीटीबी अस्पताल के नाले में फेंक दिया था. उस के साथ उस की आंखें, नाक, कान और बाल भी थे.  इस तथ्य के सामने आने के बाद टीला मोड़ पुलिस ने दिल्ली पुलिस की मदद से नाले की सफाई कराई, लेकिन कई घंटे के प्रयास के बाद भी टीम को सफलता नहीं मिली. एसीपी सिद्धार्थ गौतम ने बताया, परमात्मा ने अपने एक परिचित के पास अपना ईरिक्शा 35 हजार रुपए में गिरवी रख दिया था. उस के बाद वह अपना मोबाइल बंद कर फरार हो गया. 

राजू कुमार की हत्या के बाद दोनों हत्यारोपी धनंजय और विकास एकदूसरे से मिलते थे. दोनों ने इस बीच परमात्मा से भी मिलने का प्रयास किया, लेकिन उस का कुछ पता नहीं चला. पुलिस ने यदि मृतक राजू कुमार के फूफा गणेश की बात को गंभीरता से लेते हुए 15 जून, 2024 को राजू के लापता होने पर उन के द्वारा शिकायत करने पर राजू की गुमशुदगी दर्ज कर तलाश शुरू कर दी होती तो शायद राजू की जान बच सकती थी. क्योंकि उस की हत्या 21-22 जून की रात को की गई थी. ये लालच था जल्दी अमीर बनने का और इस लालच ने एक निर्दोष दोस्त को ऐसी मौत दी, जिसे सुन कर पुलिस भी हैरान रह गई. पैसे पाने का सपना पाले हत्यारे दोस्तों के हाथ यहीं नहीं कांपे, उन्होंने हैवानियत की सारी हदें पार कर दीं. इन के इस जघन्य अपराध ने दोस्ती को भी शर्मसार कर दिया. 

पुलिस ने दोनों आरोपियों विकास उर्फ मोटा और धनंजय को न्यायालय के समक्ष पेश किया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया. वहीं पुलिस मुख्य आरोपी काला जादू करने वाले तथाकथित तांत्रिक परमात्मा की तलाश में जुटी थी. अपनी किस्मत बदलने की चाहत में एक निर्दोष को बलि का बकरा उस के ही वहशी बने दोस्तों ने बनाया. लेकिन तंत्र साधना के चक्कर में पड़ कर दोस्त की जान लेने पर भी उन्हें धन तो नहीं मिला. हां, जेल की सलाखों के पीछे जरूर जाना पड़ा.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

जब एक पति ने पत्नी के होते हुए भी किसी ओर बनाएं समलैंगिक फिर हुआ ये…

बैडमिंटन खेलतेखेलते दीपा शादीशुदा और अपनी से दोगुनी उम्र के बबलू से इस कदर प्यार करने लगी कि अपने घर वालों की खिलाफत के बावजूद भी, उस ने बबलू से शादी कर ली. बाद में सुमन नाम की एक महिला के साथ बनी नजदीकी ने दीपा को समलैंगिक संबंधों तक पहुंचा दिया, फिर… 

‘‘मम्मी मैं जानता हूं कि आप को मेरी एक बात बुरी लग सकती है. वो यह कि सुमन आंटी जो आप की सहेली हैं, उन का यहां आना मुझे अच्छा नहीं लगता. और तो और मेरे दोस्त तक कहते हैं कि वह पूरी तरह से गुंडी लगती हैं.’’ बेटे यशराज की यह बात सुन कर मां दीपा उसे देखती ही रह गई. दीपा बेटे को समझाते हुए बोली, ‘‘बेटा सुमन आंटी अपने गांव की प्रधान है वह ठेकेदारी भी करती है. वह आदमियों की तरह कपड़े पहनती है, उन की तरह से काम करती है इसलिए वह ऐसी दिखती है. वैसे एक बात बताऊं कि वह स्वभाव से अच्छी है.’’

मां और बेटे के बीच जब यह बहस हो रही थी तो वहीं कमरे में दीपा का पति बबलू भी बैठा था. उस से जब चुप नहीं रहा गया तो वह बीच में बोल उठा,‘‘दीपा, यश को जो लगा, उस ने कह दिया. उस की बात अपनी जगह सही है. मैं भी तुम्हें यही समझाने की कोशिश करता रहता हूं लेकिन तुम मेरी बात मानने को ही तैयार नहीं होती हो.’’

‘‘यश बच्चा है. उसे हमारे कामधंधे आदि की समझ नहीं है. पर आप समझदार हैं. आप को यह तो पता ही है कि सुमन ने हमारे एनजीओ में कितनी मदद की है.’’ दीपा ने पति को समझाने की कोशिश करते हुए कहा. ‘‘मदद की है तो क्या हुआ? क्या वह अपना हिस्सा नहीं लेती है? और 8 महीने पहले उस ने हम से जो साढ़े 3 लाख रुपए लिए थे. अभी तक नहीं लौटाए.’’ पति बोला. मां और बेटे के बीच छिड़ी बहस में अब पति पूरी तरह शामिल हो गया था. ‘‘बच्चों के सामने ऐसी बातें करना जरूरी है क्या?’’ दीपा गुस्से में बोली.

‘‘यह बात तुम क्यों नहीं समझती. मैं कब से तुम्हें समझाता रहा हूं कि सुमन से दूरी बना लो.’’ बबलू सिंह ने कहा तो दीपा गुस्से में मुंह बना कर दूसरे कमरे में चली गई. बबलू ने भी दीपा को उस समय मनाने की कोशिश नहीं की. क्योंकि वह जानता था कि 2-4 घंटे में वह नारमल हो जाएगी. बबलू सिंह उत्तर प्रदेश के लखनऊ शहर के इस्माइलगंज में रहता था. कुछ समय पहले तक इस्माइलगंज एक गांव का हिस्सा होता था. लेकिन शहर का विकास होने के बाद अब वह भी शहर का हिस्सा हो गया है. बबलू सिंह ठेकेदारी का काम करता था. इस से उसे अच्छी आमदनी हो जाती थी इसलिए वह आर्थिकरूप से मजबूत था

उस की शादी निर्मला नामक एक महिला से हो चुकी थी. शादी के 15 साल बाद भी निर्मला मां नहीं बन सकी थी. इस वजह से वह अकसर तनाव में रहती थी. बबलू सिंह को बैडमिंटन खेलने का शौक था. उसी दौरान उस की मुलाकात लखनऊ के ही खजुहा रकाबगंज मोहल्ले में रहने वाली दीपा से हुई थी. वह भी बैडमिंटन खेलती थी. दीपा बहुत सुंदर थी. जब वह बनठन कर निकलती थी तो किसी हीरोइन से कम नहीं लगती थी. बैडमिंटन खेलतेखेलते दोनों अच्छे दोस्त बन गए. 40 साल का बबलू उस के आकर्षण में ऐसा बंधा कि शादीशुदा होने के बावजूद खुद को संभाल न सका. दीपा उस समय 20 साल की थी. बबलू की बातों और हावभाव से वह भी प्रभावित हो गई. लिहाजा दोनों के बीच प्रेमसंबंध हो गए. उन के बीच प्यार इतना बढ़ गया कि उन्होंने शादी करने का फैसला कर लिया.

दीपा के घर वालों ने उसे बबलू से विवाह करने की इजाजत नहीं दी. इस की एक वजह यह थी कि एक तो बबलू दूसरी बिरादरी का था और दूसरे बबलू पहले से शादीशुदा था. लेकिन दीपा उस की दूसरी पत्नी बनने को तैयार थी. पति द्वारा दूसरी शादी करने की बात सुन कर निर्मला नाराज हुई लेकिन बबलू ने उसे यह कह कर राजी कर लिया कि तुम्हारे मां बनने की वजह से दूसरी शादी करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. पति की दलीलों के आगे निर्मला को चुप होना पड़ा क्योंकि शादी के 15 साल बाद भी उस की कोख नहीं भरी थी. लिहाजा न चाहते हुए भी उस ने पति को शौतन लाने की सहमति दे दी.

घरवालों के विरोध को नजरअंदाज करते हुए दीपा ने अपनी उम्र से दोगुने बबलू से शादी कर ली और वह उस की पहली पत्नी निर्मला के साथ ही रहने लगी. करीब एक साल बाद दीपा ने एक बेटे को जन्म दिया जिस का नाम यशराज रखा गया. बेटा पैदा होने के बाद घर के सभी लोग बहुत खुश हुए. अगले साल दीपा एक और बेटे की मां बनी. उस का नाम युवराज रखा. इस के बाद तो बबलू दीपा का खास ध्यान रखने लगा. बहरहाल दीपा बबलू के साथ बहुत खुश थी.

दोनों बच्चे बड़े हुए तो स्कूल में उन का दाखिला करा दिया. अब यशराज जार्ज इंटर कालेज में कक्षा 9 में पढ़ रहा था और युवराज सेंट्रल एकेडमी में कक्षा 7 में. दीपा भी 35 साल की हो चुकी थी और बबलू 55 का. उम्र बढ़ने की वजह से वह दीपा का उतना ध्यान नहीं रख पाता था. ऊपर से वह शराब भी पीने लगा. इन्हीं सब बातों को देखने के बाद दीपा को महसूस होने लगा था कि बबलू से शादी कर के उस ने बड़ी गलती की थी. लेकिन अब पछताने से क्या फायदा. जो होना था हो चुका.

बबलू का 2 मंजिला मकान था. पहली मंजिल पर बबलू की पहली पत्नी निर्मला अपने देवरदेवरानी और ससुर के साथ रहती थी. नीचे के कमरों में दीपा अपने बच्चों के साथ रहती थी. उन के घर से बाहर निकलने के भी 2 रास्ते थे. दीपा का बबलू के परिवार के बाकी लोगों से कम ही मिलनाजुलना  होता था. वह उन से बातचीत भी कम करती थी. बबलू को शराब की लत हो जाने की वजह से उस की ठेकेदारी का काम भी लगभग बंद सा हो गया था. तब उस ने कुछ टैंपो खरीद कर किराए पर चलवाने शुरू कर दिए थे. उन से होने वाली कमाई से घर का खर्च चल रहा था.

शुरू से ही ऊंचे खयालों और सपनों में जीने वाली दीपा को अब अपनी जिंदगी बोरियत भरी लगने लगी थी. खुद को व्यस्त रखने के लिए दीपा ने सन 2006 में ओम जागृति सेवा संस्थान के नाम से एक एनजीओ बना लिया. उधर बबलू का जुड़ाव भी समाजवादी पार्टी से हो गया. अपने संपर्कों की बदौलत उस ने एनजीओ को कई प्रोजेक्ट दिलवाए. इसी बीच सन 2008 में दीपा की मुलाकात सुमन सिंह नामक महिला से हुई. सुमन सिंह गोंडा करनैलगंज के कटरा शाहबाजपुर गांव की रहने वाली थी. वह थी तो महिला लेकिन उस की सारी हरकतें पुरुषों वाली थीं. पैंटशर्ट पहनती और बायकट बाल रखती थी. सुमन निर्माणकार्य की ठेकेदारी का काम करती थी. उस ने दीपा के एनजीओ में काम करने की इच्छा जताई. दीपा को इस पर कोई एतराज था. लिहाजा वह एनजीओ में काम करने लगी

सुमन एक तेजतर्रार महिला थी. अपने संबंधों से उस ने एनजीओ को कई प्रोजेक्ट भी दिलवाए. तब दीपा ने उसे अपनी संस्था का सदस्य बना दिया. इतना ही नहीं वह संस्था की ओर से सुमन को उस के कार्य की एवज में पैसे भी देने लगी. कुछ ही दिनों में सुमन के दीपा से पारिवारिक संबंध बन गए. दीपा को ज्यादा से ज्यादा बनठन कर रहने और सजनेसंवरने का शौक था. वह हमेशा बनठन कर और ज्वैलरी पहने रहती थी. 2 बच्चों की मां बनने के बाद भी उस में गजब का आकर्षण था. उसे देख कर कोई भी उस की ओर आकर्षित हो सकता था. एनजीओ में काम करने की वजह से सुमन दीपा को अकसर अपने साथ ही रखती थी. दीपा इसे सुमन की दोस्ती समझ रही थी पर सुमन पुरुष की तरह ही दीपा को प्यार करने लगी थी.

एक बार जब सुमन दीपा को प्यार भरी नजरों से देख रही थी तो दीपा ने पूछा, ‘‘ऐसे क्या देख रही हो? मैं भी तुम्हारी तरह एक महिला हूं. तुम मुझे इस तरह निहार रही हो जैसे कोई प्रेमी प्रेमिका को देख रहा हो.’’

‘‘दीपा, तुम मुझे अपना प्रेमी ही समझो. मैं सच में तुम्हें बहुत प्यार करने लगी हूं.’’ सुमन ने मन में दबी बातें उस के सामने रख दीं. सुमन की बातें सुनते ही वह चौंकते हुए बोली, ‘‘यह तुम कैसी बातें कर रही हो? कहीं 2 लड़कियां आपस में प्रेमीप्रेमिका हो सकती हैं?’’

 ‘‘दीपा, मैं लड़की जरूर हूं पर मेरे अंदर कभीकभी लड़के सा बदलाव महसूस होता है. मैं सबकुछ लड़कों की तरह करना चाहती हूं. प्यार और दोस्ती सबकुछ. इसीलिए तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो. मैं तुम से शादी भी करना चाहती हूं.’’

‘‘मैं पहले से शादीशुदा हूं. मेरे पति और बच्चे हैं.’’ दीपा ने उसे समझाने की कोशिश की.

‘‘मैं तुम्हें पति और बच्चों से अलग थोड़े कर रही हूं. हम दोस्त और पतिपत्नी दोनों की तरह रह सकते हैं. सब से अच्छी बात तो यह है कि हमारे ऊपर कोई शक भी नहीं करेगा. दीपा, मैं सच कह रही हूं कि मुझे तुम्हारे करीब रहना अच्छा लगता है.’’

‘‘ठीक है बाबा, पर कभी यह बातें किसी और से मत कहना.’’ दीपा ने सुमन से अपना पीछा छुड़ाने के अंदाज में कहा.

 ‘‘दीपा, मेरी इच्छा है कि तुम मुझे सुमन नहीं छोटू के नाम से पुकारा करो.’’

‘‘समझ गई, आज से तुम मेरे लिए सुमन नहीं छोटू हो.’’ इतना कह कर सुमन और दीपा करीब आ गए. दोनों के बीच आत्मीय संबंध बन गए थे. सुमन ने रिश्ते को मजबूत करने के लिए एक दिन दीपा के साथ मंदिर जा कर शादी भी कर ली. सुमन के करीब आने से दीपा के जीवन को भी नई उमंग महसूस होने लगी थी कि कोई तो है जो उसे इतना प्यार कर रही है. इस के बाद सुमन एक प्रेमी की तरह उस का खयाल रखने लगी थी. समय गुजरने लगा. दीपा के पति और परिवार को इस बात की कोई भनक नहीं थी. वह सुमन को उस की सहेली ही समझ रहे थे. एनजीओ के काम के कारण सुमन अकसर ही दीपा के साथ उस के घर पर ही रुक जाती थी. 

सुमन को भी शराब पीने का शौक था. बबलू भी शराब पीता था. कभीकभी सुमन बबलू के साथ ही पीने बैठ जाती थी. जिस से सुमन और बबलू की दोस्ती हो गई. सुमन के लिए उस के यहां रुकना और ज्यादा आसान हो गया था. उस के रुकने पर बबलू भी कोई एतराज नहीं करता था. वह भी उसे छोटू कहने लगा. साल 2010 में उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव हुए तो सुमन ने अपने गांव कटरा शाहबाजपुर से ग्राम प्रधान का चुनाव लड़ा. सुमन सिंह का भाई विनय सिंह करनैलगंज थाने का हिस्ट्रीशीटर बदमाश था. उस के पिता अवधराज सिंह के खिलाफ भी कई आपराधिक मुकदमे करनैलगंज थाने में दर्ज थे. दोनों बापबेटों की दबंगई का गांव में खासा प्रभाव था. जिस के चलते सुमन ग्रामप्रधान का चुनाव जीत गई. उस ने गोंडा के पूर्व विधायक अजय प्रताप सिंह उर्फ लल्ला भैया की बहन सरोज सिंह को भारी मतों से हराया.

ग्राम प्रधान बनने के बाद सुमन सिंह सीतापुर रोड पर बनी हिमगिरी में फ्लैट ले कर रहने लगी. सन 2010 में प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार बनने के बाद उस ने अपने संबंधों की बदौलत फिर से ठेकेदारी शुरू कर दी. अपनी सुरक्षा के लिए वह .32 एमएम की लाइसैंसी रिवाल्वर भी साथ रखने लगी. उस की और दीपा की दोस्ती अब और गहरी होने लगी थी. सुमन किसी न किसी बहाने से दीपा के पास ही रुक जाती थी. ऐसे में दीपा और सुमन एक साथ ही रात गुजारती थीं. यह सब बातें धीरेधीरे बबलू और उस के बच्चों को भी पता चलने लगी थीं. तभी तो उन्हें सुमन का उन के यहां आना अच्छा नहीं लगता था. 

सुमन महीने में 20-25 दिन दीपा के घर पर रुकती थी. शनिवार और रविवार को वह दीपा को अपने साथ हिमगिरी कालोनी ले जाती थी. दीपा को सुमन के साथ रहना कुछ दिनों तक तो अच्छा लगा, लेकिन अब वह सुमन से उकता गई थी. एक बार सुमन ने दीपा से किसी काम के लिए साढ़े 3 लाख रुपए उधार लिए थे. तयशुदा वक्त गुजर जाने के बाद भी सुमन ने पैसे नहीं लौटाए तो दीपा ने उस से तकादा करना शुरू कर दिया. तकादा करना सुमन को अच्छा नहीं लगता था. इसलिए दीपा जब कभी उस से पैसे मांगती तो सुमन उस से लड़ाईझगड़ा कर बैठी थी. 27 जनवरी, 2014 की देर रात करीब 9 बजे सुमन दीपा के घर अंगुली में अपना रिवाल्वर घुमाते हुए पहुंची. दीपा और बबलू में सुमन को ले कर सुबह ही बातचीत हो चुकी थी. अचानक उस के धमकने से वे लोग पशोपेश में पड़ गए.

‘‘क्या बात है छोटू आज तो बिलकुल माफिया अंदाज में दिख रहे हो.’’ दीपा बोली.

इस के पहले कि सुमन कुछ कहती. बबलू ने पूछ लिया, ‘‘छोटू अकेले ही आए हो क्या?’’

‘‘नहीं, भतीजा विपिन और उस का दोस्त शिवम मुझे छोड़ कर गए हैं. कई दिनों से दीपा के हाथ का बना खाना नहीं खाया था. उस की याद आई तो चली आई.’’

सुमन और बबलू बातें करने लगे तो दीपा किचन में चली गई. सुमन ने भी फटाफट बबलू से बातें खत्म कीं और दीपा के पीछे किचन में पहुंच कर उसे पीछे से अपनी बांहों में भर लिया. पति और बच्चोें की बातें सुन कर दीपा का मूड सुबह से ही खराब था. वह सुमन को झिड़कते हुए बोली, ‘‘छोटू ऐसे मत किया करो. अब बच्चे बड़े हो गए हैं. यह सब उन को बुरा लगता है.’’

उस समय सुमन नशे में थी. उसे दीपा की बात समझ नहीं आई. उसे लगा कि दीपा उस से बेरुखी दिखा रही है. वह बोली, ‘‘दीपा, तुम अपने पति और बच्चों के बहाने मुझ से दूर जाना चाहती हो. मैं तुम्हारी बातें सब समझती हूं.’’ दीपा और सुमन के बीच बहस बढ़ चुकी थी दोनों की आवाज सुन कर बबलू भी किचन में पहुंच गया. लड़ाई आगे बढ़े इस के लिए बबलू सिंह ने सुमन को रोका और उसे ले कर ऊपर के कमरे में चला गया. वहां दोनों ने शराब पीनी शुरू कर दी. शराब के नशे में खाने के समय सुमन ने दीपा को फिर से बुरा भला कहा.

दीपा को भी लगा कि शराब के नशे में सुमन घर पर रुक कर हंगामा करेगी. उस की तेज आवाज पड़ोसी भी सुनेंगे जिस से घर की बेइज्जती होगी इसलिए उस ने उसे अपने यहां रुकने के लिए मना लिया. बबलू सिंह ऊपर के कमरे में सोने चला गया. दीपा के कहने के बाद भी सुमन उस रात वहां से नहीं गई बल्कि वहीं दूसरे कमरे में जा कर सो गई. 28 जनवरी, 2014 की सुबह दीपा के बच्चे स्कूल जाने की तैयारी कर रहे थे. वह उन के लिए नाश्ता तैयार कर रही थी. तभी किचन में सुमन पहुंच गई. वह उस समय भी नशे की अवस्था में ही थी. उस ने दीपा से कहा, ‘‘मुझ से बेरुखी की वजह बताओ इस के बाद ही परांठे बनाने दूंगी.’’

‘‘सुमन, अभी बच्चों को स्कूल जाना है नाश्ता बनाने दो. बाद में बात करेंगे.’’ पहली बार दीपा ने छोटू के बजाय सुमन कहा था.

‘‘तुम ऐसे नहीं मानोगी.’’ कह कर सुमन ने हाथ में लिया रिवाल्वर ऊपर किया और किचन की छत पर गोली चला दी. गोली चलते ही दीपा डर गई. वह बोली, ‘‘सुमन होश में आओ.’’ इस के बाद वह उसे रोकने के लिए उस की ओर बढ़ी. सुमन उस समय गुस्से में उबल रही थी. उस ने उसी समय दीपा के सीने पर गोली चला दी. गोली चलते ही दीपा वहीं गिर पड़ी. गोली की आवाज सुन कर बच्चे किचन की तरफ आए. उन्होंने मां को फर्श पर गिरा देखा तो वे रोने लगे. बबलू उस समय ऊपर के कमरे में था. बच्चों की आवाज सुन कर वो और उस की पहली पत्नी निर्मला भी नीचे आ गए. निर्मला सुमन से बोली, ‘‘क्या किया तुम ने?’’

‘‘कुछ नहीं यह गिर पड़ी है. इसे कुछ चोट लग गई है.’’ सुमन ने जवाब दिया. निर्मला ने दीपा की तरफ देखा तो उस के पेट से खून बहता देख वह सुमन पर चिल्ला कर बोली, ‘‘छोटू तुम ने इसे मार दिया.’’ दीपा की हालत देख कर बबलू के आंसू निकल पड़े. उस ने पत्नी को हिलाडुला कर देखा. लेकिन उन की सांसें तो बंद हो चुकी थीं. वह रोते हुए बोला, ‘‘छोटू, यह तुम ने क्या कर दिया.’’ वह दीपा को कार से तुरंत राममनोहर लोहिया अस्पताल ले गया जहां डाक्टरों ने दीपा को मृत घोषित कर दिया. चूंकि घर वालों के बीच सुमन घिर चुकी थी. इसलिए उस ने फोन कर के अपने भतीजे विपिन सिंह और उस के साथी शिवम मिश्रा को वहीं बुला लिया. तभी सुमन ने अपना रिवाल्वर विपिन सिंह को दे दिया. विपिन ने रिवाल्वर से बबलू के घरवालों को धमकाने की कोशिश की लेकिन जब घरवाले उलटे उन पर हावी होने लगे वे दोनों वहां से भाग गए

तब अपनी सुरक्षा के लिए सुमन ने खुद को एक कमरे में बंद कर लिया. बबलू के भाई बलू सिंह ने गाजीपुर थाने फोन कर के दीपा की हत्या की खबर दे दी. घटना की जानकारी पाते ही थानाप्रभारी नोवेंद्र सिंह सिरोही, एसएसआई रामराज कुशवाहा, सीटीडी प्रभारी सबइंसपेक्टर अशोक कुमार सिंह, रूपा यादव, ब्रजमोहन सिंह के साथ मौके पर पहुंच गए. हत्या की सूचना पाते ही एसएसपी लखनऊ प्रवीण कुमार, एसपी(ट्रांसगोमती) हबीबुल हसन और सीओ गाजीपुर विशाल पांडेय भी घटनास्थल पर पहुंच गए.

बबलू के घर पहुंच कर पुलिस ने दरवाजा खुलवा कर सब से पहले सुमन को हिरासत में लिया. उस के बाद राममनोहर लोहिया अस्पताल पहुंच कर दीपा की लाश कब्जे में ले कर उसे पोस्टमार्टम हाउस भेज दियापुलिस ने थाने ला कर सुमन से पूछताछ की तो उस ने सच्चाई उगल दी. इस के बाद कांस्टेबल अरुण कुमार सिंह, शमशाद, भूपेंद्र वर्मा, राजेश यादव, ऊषा वर्मा और अनीता सिंह की टीम ने विपिन को भी गिरफ्तार कर लिया. उन से हत्या में प्रयोग की गई रिवाल्वर और सुमन की अल्टो कार नंबर यूपी32 बीएल6080 बरामद कर ली. जिस से ये दोनों फरार हुए थे.

देवरिया जिले के भटनी कस्बे का रहने वाला शिवम गणतंत्र दिवस की परेड देखने लखनऊ आया था. वह एक होनहार युवक था. लखनऊ घूमने के लिए विपिन ने उसे 1-2 दिन और रुकने के लिए कहा. उसे क्या पता था कि यहां रुकने पर उसे जेल जाना पड़ जाएगा. दोनों अभियुक्तों के खिलाफ पुलिस ने भादंवि की धारा 302, 506 के तहत मामला दर्ज कर के उन्हें 29 जनवरी, 2014 को मजिस्ट्रेट के सामने पेश कर जेल भेज दियाजेल जाने से पहले सुमन अपने किए पर पछता रही थी. उस ने पुलिस से कहा कि वह दीपा से बहुत प्यार करती थी. गुस्से में उस का कत्ल हो गया. सुमन के साथ जेल गए शिवम को लखनऊ में रुकने का पछतावा हो रहा था.

अपराध किसी तूफान की तरह होता है. वह अपने साथ उन लोगों को भी तबाह कर देता है जो उस से जुड़े नहीं होते हैं. दीपा और सुमन के गुस्से के तूफान में शिवम के साथ विपिन और दीपा का परिवार खास कर उस के 2 छोटेछोटे बच्चे प्रभावित हुए हैं. सुमन का भतीजा विपिन भागने में सफल रहा. कथा लिखे जाने तक उस की तलाश जारी थी.

   — कथा पुलिस सूत्रों और मोहल्ले वालों से की गई बातचीत के आधार पर

पहले जादू के हुए शिकार, फिर तांत्रिकों ने घेरा दिल्ली का ये परिवार

लोग चाहे कितने भी जागरूक हो गए हों, भले ही डिजिटल क्रांति आ गई हो लेकिन आज भी समाज में अंधविश्वास कायम है. कुछ अंधविश्वासी अपनी समस्याओं के समाधान के लिए तांत्रिकों के पास पहुंचते हैं. तांत्रिक भी ऐसे लोगों की अंधी आस्था का लाभ उठाने से नहीं चूकते.

अंधविश्वास में डूबे ऐसे लोग आर्थिक शोषण के साथसाथ शारीरिक शोषण भी करा बैठते हैं. ऐसी बात नहीं है कि केवल अनपढ़ और निम्न तबके के लोग ही तांत्रिकों के पास पहुंचते हैं. सच्चाई तो यह है कि उच्च वर्ग के कई लोग भी तांत्रिकों की शरण में जाते हैं, मामूली पढ़ेलिखे नहीं बल्कि उच्चशिक्षित भी.

तथाकथित तांत्रिकों के चक्कर में फंस कर कई परिवार बरबाद हो चुके हैं, क्योंकि अपने स्वार्थ के लिए ये तांत्रिक कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं. दिल्ली के मंदिर मार्ग इलाके में एक तांत्रिक के क्रियाकलाप की ऐसी खौफनाक हकीकत सामने आई कि सुनने वाले का भी कलेजा कांप उठे.

सेंट्रल दिल्ली के थाना मंदिर मार्ग का एक इलाका है कालीबाड़ी, जो प्रसिद्ध बिड़ला मंदिर (लक्ष्मीनारायण मंदिर) के सामने है. वैसे इस इलाके में अधिकांशत: सरकारी फ्लैट बने हुए हैं, जिन में सरकारी कर्मचारी रहते हैं.

यहीं के एक फ्लैट में 44 साल की के.वी. रमा अपने पति डी.वी.एस.एस. शिव शर्मा (45 साल) और 2 बच्चों के साथ रहती थी. के.वी. रमा शर्मा भारत सरकार के एक मंत्रालय में स्टेनोग्राफर के पद पर नौकरी करती थी. जबकि पति शिव शर्मा डीएलएफ कंपनी में फाइनैंस मैनेजर थे. इस दंपति की बेटी 7वीं कक्षा में और बेटा 5वीं कक्षा में पढ़ रहे थे. दोनों मियांबीवी कमा रहे थे, इसलिए घर पर हर महीने सैलरी के रूप में मोटी रकम आती थी. कुल मिला कर यह छोटा सा परिवार हर तरह से खुश और सुखी था.

कहते हैं जब किसी व्यक्ति के पास जरूरत से ज्यादा पैसा आने लगता है तो उस का दिमाग और ज्यादा सक्रिय हो जाता है. वह उस पैसे से और ज्यादा पैसे कमाने के उपाय खोजता है. शिव शर्मा भी अपने पैसे को और ज्यादा करने के उपाय खोजने लगे.

किसी ने उन्हें बताया कि शेयर मार्केट की कुछ कंपनियां ऐसी हैं, जिन में पैसे लगाने पर अच्छाखासा मुनाफा कमाया जा सकता है. यह बात शिव शर्मा को समझ आ गई. उन्हें शेयर मार्केट के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी, लिहाजा उन्होंने इंटरनेट से अच्छा लाभांश देने वाली कुछ कंपनियों के बारे में जानकारी हासिल कर ली.

इस के बाद उन्होंने उन कंपनियों के शेयर खरीदने शुरू कर दिए. शुरुआत में उन्हें फायदा हुआ तो उन की दिलचस्पी और बढ़ती गई. उन्होंने शेयर मार्केट में और ज्यादा पैसा लगाया. इस में उन्हें मिलाजुला अनुभव मिलने लगा. कुछ शेयरों ने लाभ दिया तो कुछ में उन्हें नुकसान भी हुआ. हो चुके नुकसान की भरपाई के लिए उन्होंने मोटा निवेश किया.

इस का नतीजा यह निकला कि उन्हें इस में भारी नुकसान हुआ. इस से उन की जमापूंजी तो चली ही गई, साथ ही उन पर कई लाख रुपए का कर्ज भी चढ़ गया. औफिस के लोगों से भी उन्होंने काफी पैसे उधार ले लिए थे. जिन लोगों से शिव शर्मा ने पैसे उधार ले रखे थे, उन के पैसे समय पर नहीं लौटाए तो उन्होंने तकादा करना शुरू कर दिया. कुछ लोग पैसे मांगने उन के फ्लैट तक आने लगे.

फलस्वरूप शिव शर्मा तनाव में रहने लगे. पत्नी के.वी. रमा को भी लोगों की तकादा करने वाली बात अच्छी नहीं लगती थी. शिव शर्मा कर्ज निपटाने के लिए पत्नी से पैसे मांगते थे. उन का कर्ज उतारने में पत्नी भी सहयोग कर देती थी. इन सब बातों को ले कर पतिपत्नी में नोंकझोंक होने लगी. शिव शर्मा तनाव की वजह से चिड़चिड़े हो गए थे, इसलिए वह गुस्से में पत्नी की पिटाई कर देते थे.

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घर में शुरू हो गई कलह

नतीजतन जिस घर में पहले सभी लोग शांति से रहते थे, अब वहां कलह ने डेरा डाल लिया था. पत्नी सरकारी कर्मचारी थी, वह अच्छीखासी सैलरी पाती थी, इसलिए वह पति की तनाशाही सहने के बजाय करारा जवाब दे देती तो पति उस पर हाथ छोड़ देता. के.वी. रमा महसूस करने लगी कि पति की वजह से ही वह शारीरिक और मानसिक समस्या से जूझ रही है. उधर शिव शर्मा लोगों के तकादे से परेशान थे. वह पत्नी से और पैसे मांगते तो वह मना कर देती कि अब उसे फूटी कौड़ी नहीं देगी.

एक दिन रमा ने अपने एक जानकार से अपने घर की समस्या के बारे में चर्चा की. उस जानकार ने बताया कि आप के पति पर किसी ऊपरी हवा का चक्कर हो सकता है. ऐसे में अगर किसी तांत्रिक से मिला जाए तो समस्या का समाधान हो सकता है. रमा इस तरह के अंधविश्वास से दूर रहती थी. हालांकि उस ने कई सार्वजनिक स्थानों पर तांत्रिकों के पैंफ्लेट चिपके देखे थे, जिन में हर तरह की समस्या का समाधान कुछ घंटों में करने की बात लिखी होती थी. इस के अलावा लोकल केबल चैनल पर भी ऐसे तांत्रिकों के विज्ञापन देखे थे.

रमा तंत्रमंत्र, टोनेटोटकों आदि को केवल ढकोसला समझती थी. पर अब जब उन के एक जानकार ने घर की समस्या के बारे में तांत्रिक के पास जाने की सलाह दी तो रमा ने भी सोचा कि अगर घर का तनाव किसी तांत्रिक के पास जाने से ठीक हो जाए तो तांत्रिक के पास जाने में कोई बुराई नहीं है. यानी जिस बात को वह अंधविश्वास और ढकोसला बताती थी, अब जरूरत पड़ने पर वह उसी पर विश्वास करने लगी.

करना पड़ा तंत्रमंत्र पर विश्वास

रमा किसी तांत्रिक को नहीं जानती थी, उस के जानकार ने दिल्ली के दक्षिणपुरी इलाके रहने वाले तांत्रिक श्याम सिंह उर्फ भगतजी के बारे में बताया. उस से पता ले कर वह तथाकथित तांत्रिक श्याम सिंह के पास पहुंच गई. तांत्रिक ने सब से पहले बातों बातों में रमा से उस के परिवार की आर्थिक स्थिति को समझा. इस के बाद रमा ने पति के बारे में एकएक बात तांत्रिक को बता दी.

रमा की बात सुनने के बाद तांत्रिक ने अपनी आंखें मूंद लीं और अपनी गद्दी पर बैठेबैठे ही बोला, ‘‘आप के पति के साथ किसी ने कुछ कर दिया है, जिस की वजह से वह घर का एकएक सामान बेच देंगे. यानी वह घर की बरबादी कर के रहेंगे.’’

‘‘भगतजी, इस का उपाय क्या है. मैं चाहती हूं कि वह शेयर बाजार से एकदम दूर हो जाएं. इस शेयर बाजार ने तो हमारे घर की सुखशांति सब छीन ली है.’’ रमा ने कहा.

‘‘देखो, मैं समाधान तो कर दूंगा. वह शेयर में पैसे भी नहीं लगाएंगे, साथ ही बदसलूकी भी नहीं करेंगे. लेकिन इस में करीब एक लाख रुपए का खर्च आएगा.’’ तांत्रिक बोला.

‘‘कोई बात नहीं, हम आप को यह रकम दे देंगे. लेकिन हमें समस्या का समाधान चाहिए.’’ रमा ने कहा.

‘‘आप इस की चिंता न करें. आप हमारे रिसैप्शन पर 30 हजार रुपए जमा करा दीजिए, जिस से हम अपना काम शुरू कर सकें.’’ तांत्रिक ने कहा तो रमा ने पैसे रिसैप्शन पर बैठी लड़की को दे दिए.

वह इस विश्वास से घर चली आईं कि अब समस्या दूर हो जाएगी.

तांत्रिक ने कुछ मंत्र बुदबुदाने के बाद रमा को भभूत देते हुए कहा, ‘‘लो यह भभूत, तुम 7 शनिवार तक पति को शाम के खाने में मिला कर दे देना, सब कुछ ठीक हो जाएगा. ध्यान रखना केवल शनिवार को ही देना. इसे खाने में तब मिलाना जब मिलाते समय कोई टोके नहीं.’’

‘‘ठीक है भगतजी, मैं ऐसा ही करूंगी.’’ कह कर रमा घर चली आई. तांत्रिक के कहे अनुसार रमा ने ऐसा ही किया. वह हर शनिवार को शाम के खाने में पति के खाने में तांत्रिक द्वारा दी गई भभूत मिला कर देने लगी थी. उसे उम्मीद थी कि भभूत अपना असर जरूर दिखाएगी. पर 4-5 सप्ताह बाद भी पति के व्यवहार में कोई फर्क नहीं पड़ा तो रमा ने तांत्रिक को फोन किया. जवाब में तांत्रिक ने कहा कि 7 शनिवार होने दो, पूरा असर होगा. इस बीच रमा तांत्रिक से फोन पर बात करती रहती थी.

किसी तरह शिव शर्मा को इस बात का आभास हो गया था कि उस की पत्नी किसी तांत्रिक के पास जाती है. शिव शर्मा ने पत्नी से इस बारे में कभी कुछ नहीं कहा. 7 शनिवार पति को भभूत खिलाने के बाद भी पति पर कोई असर नहीं हुआ तो रमा तांत्रिक के पास पहुंची. तांत्रिक ने फिर दूसरी भभूत दी.

इतना ही नहीं, तांत्रिक से उस के फ्लैट पर पूजा, हवन भी कराया. निश्चित दिनों तक भभूत खिलाने के बाद भी पति की आदतों में कोई फर्क नहीं पड़ा तो रमा फिर से तांत्रिक से मिली. चूंकि वह पति से अब ज्यादा ही परेशान हो चुकी थी, इसलिए उस ने तांत्रिक से शीघ्र समाधान करने के लिए कहा.

बना लिया मारने का प्लान

इस पर तांत्रिक ने रमा से कहा कि अब तो इस के लिए आरपार की लड़ाई लड़नी पड़ेगी. रमा ने भी कह दिया कि पति के स्थाई निदान के लिए वह तैयार है. इस के बाद तांत्रिक ने एक बोतल पानी में कुछ घोल कर दे दिया. तांत्रिक श्याम सिंह उर्फ भगतजी मूलरूप से उत्तराखंड का रहने वाला था. वह दक्षिणपुरी में किराए के मकान में पिछले दोढाई साल से अपना धंधा चला रहा था.

वह पहाड़ों से कुछ जड़ी बूटियां लाता रहता था. उन में से ही कोई बूटी उस ने बोतल के पानी में घोल कर रमा को दे दी थी. घर पहुंच कर रमा ने एक गिलास में बोतल का पानी पति को देते हुए कहा, ‘‘लो, यह बाबाजी का दिया हुआ प्रसाद है. इसे पी लो, सारी समस्याएं दूर हो जाएंगी.’’

पत्नी के विश्वास पर शिव शर्मा ने वह पानी पी लिया. पानी पीने के बाद उन की हालत बिगड़ने लगी. हालत बिगड़ने पर पत्नी उन्हें डा. राममनोहर लोहिया अस्पताल ले गई. पति को अस्पताल में भरती कराने के बाद रमा ने जब देखा कि पति की हालत गंभीर है तो वह वहां से घर चली आई. अस्पताल में कुछ देर बाद ही शिव शर्मा की मौत हो गई.

शिव शर्मा की मौत के बाद अस्पताल के लोगों ने रमा को ढूंढा पर वह नहीं मिली. इस पर अस्पताल प्रशासन द्वारा पुलिस को खबर दे दी गई. पुलिस ने लाश अस्पताल की मोर्चरी पहुंचवा दी. थाना मंदिर मार्ग के थानाप्रभारी आदित्य रंजन भी वहां पहुंच गए.

पुलिस छानबीन कर रमा के फ्लैट तक पहुंच गई. थाने बुला कर जब उस से पूछताछ की गई तो उस ने स्वीकार कर लिया कि तांत्रिक श्याम सिंह द्वारा दिया गया पानी पीने के बाद ही उन की हालत बिगड़ी थी. रमा की निशानदेही पर पुलिस ने दक्षिणपुरी से तांत्रिक श्याम सिंह को भी हिरासत में ले लिया. उस ने पूछताछ में स्वीकार कर लिया कि उस ने रमा को दिए गए पानी में जहर मिलाया था. पुलिस तांत्रिक को भी थाने ले आई.

उधर शिव शर्मा की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी जहरीले पदार्थ के सेवन से मृत्यु होने की पुष्टि हो गई. तब पुलिस ने आरोपी के.वी. रमा और तांत्रिक श्याम सिंह को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया, जहां से दोनों को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया. इस तरह एक तांत्रिक के चक्कर में फंस कर रमा ने अपनी गृहस्थी खुद ही उजाड़ ली.

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खजाना मिलने के लालच में गंवाए 17 लाख रुपए

कहते हैं लालच बुरी बला है. ज्यादा लालच हमेशा नुकसानदायक होता है. दिल्ली के मंगोलपुरी के रहने वाले किशनलाल (परिवर्तित नाम) के साथ ऐसा ही हुआ. मंगोलपुरी के वाई ब्लौक में रहने वाले किशनलाल के परिवार में पत्नी के अलावा 5 बच्चे हैं. उन की दवाई की दुकान है. उन का कारोबार अच्छाखासा चल रहा था. करीब 6 साल पहले उन के मकान में जाहिद नाम का एक युवक किराए पर रहता था.

एक दिन जाहिद किशनलाल के घर आया. वह काफी दिनों बाद आया था, इसलिए उन्होंने जाहिद की खूब खातिरतवज्जो की. बातचीत के दौरान जाहिद ने बताया कि वह तांत्रिक है. अपनी तंत्र विद्या से लोगों का भला करता है. उस ने किशनलाल ने कहा, ‘‘आप के इस घर में काला साया है. यह परिवार के लिए अहितकर है. यदि शीघ्र ही इस का समाधान नहीं किया गया तो परिवार में किसी की जान भी जा सकती है.’’

यह सुन कर किशनलाल घबरा गए. वह बोले, ‘‘इस का समाधान कैसे होगा. तुम तो तांत्रिक हो, इसलिए तुम्हीं बताओ.’’

‘‘आप परेशान मत होइए. समाधान हो जाएगा, लेकिन इस की पूजा आदि पर करीब 30 हजार रुपए खर्च होंगे.’’ जाहिद ने बताया.

जाहिद किशनलाल से पूजा के नाम पर 30 हजार रुपए ले गया. करीब 10 दिन बाद जाहिद फिर से किशनलाल के यहां आया. वह बोला, ‘‘10 दिन की पूजा के दौरान मुझे पता चला कि आप के घर में मुगलों की दौलत गड़ी हुई है. यही मुसीबत का साया है. अगर खुदाई कर के दौलत निकाल कर पूजा की जाए तो यह साया दूर हो जाएगा.’’

घर में खजाना गड़ा होने की बात सुन कर किशनलाल खुश हो गए. उन्होंने जाहिद से मकान में खुदाई करने को कहा तो जाहिद ने कहा यह काम बड़ा है. इस काम में 2 तांत्रिकों को और लगाया जाएगा. इस के लिए उस ने किशनलाल से 60 हजार रुपए और ले लिए. जाहिद 2 तांत्रिकों को किशनलाल के घर ले आया.

तांत्रिकों ने किशनलाल के घर में पूजा कर के बताया कि वास्तव में इस घर में भारी मात्रा में खजाना दबा हुआ है. यकीन दिलाने के लिए उन तांत्रिकों ने फर्श की खुदाई शुरू कर दी. थोड़ी खुदाई करने पर सोने का एक सिक्का मिला. सिक्का देख कर किशनलाल खुश हो गए. उन्होंने वह सिक्का एक ज्वैलर को दिखाया. ज्वैलर ने सिक्के की जांच कर के बताया कि सिक्का 100 प्रतिशत सोने का है.

इस के बाद किशनलाल को लालच आ गया. उन्होंने और खुदाई कराने को कहा तो जाहिद ने कहा कि आगे की खुदाई से पहले पूजा करनी होगी, वरना वह साया इस कार्य में व्यवधान डालेगा. जाहिद ने उन से 3 लाख रुपए के अलावा 110 लोगों को खाना खिलाने और उन्हें कपड़े दान दिए जाने का खर्च मांगा. किशनलाल ने वह भी दे दिया.

इस के बाद उन तांत्रिकों ने किशनलाल से पूजा आदि के नाम पर 11 लाख रुपए और ऐंठ लिए. किशनलाल ने भी यह सोच कर रकम दे दी कि जो खजाना निकलेगा, उस के मुकाबले यह रकम मामूली है. इसी लालच में उन्होंने इतनी बड़ी रकम उन तांत्रिकों को दे दी थी. जाहिद और उस के साथी किशनलाल से अब तक 17 लाख रुपए ऐंठ चुके थे. किशनलाल ने लालच में आ कर पैसे ब्याज पर ला कर दिए थे.

अगले दिन जाहिद ने किशनलाल को फोन कर के बताया कि उन्हें अशोक विहार थाना पुलिस ने पकड़ लिया है. पुलिस 6 लाख रुपए मांग रही है. किशनलाल थाना अशोक विहार गए तो पता चला कि पुलिस ने उन्हें नहीं पकड़ा है. तब उन्हें महसूस हुआ कि उन्हें ठगा जा रहा है. किशनलाल को अपने साथ हुई ठगी का बड़ा अफसोस हुआ. उन्होंने इस की शिकायत पुलिस से की.

तांत्रिकों के चक्कर में पड़ कर कई परिवार बरबाद हो चुके हैं. 7 फरवरी, 2018 को उत्तर पश्चिमी दिल्ली के नेताजी सुभाष पैलेस क्षेत्र में तांत्रिक के बहकावे में आ कर एक व्यक्ति ने अपनी बेटी को ही उस के हवाले कर दिया. पीडि़त लड़की ने पुलिस को बताया कि तांत्रिक बुरी आत्माओं को भगाने के नाम पर पिछले 12 सालों से उस के साथ रेप करता रहा.

18 फरवरी, 2018 को भी एक महिला ने इसलिए खुदकुशी कर ली थी कि बच्चा न होने पर उस के ससुराल वालों ने उसे तांत्रिक के हवाले कर दिया था. पश्चिमी दिल्ली के जखीरा में एक महिला ने बेटे की चाह में अपनी दोनों बेटियों को मार दिया था. तांत्रिक के कहने पर वह महिला अपनी 5 साल और 6 माह की बेटी के ऊपर लेट गई थी, जिस से दोनों बेटियों की मौत हो गई थी.

दिल्ली में ही 22 फरवरी, 2018 को एक दोस्त की इसलिए हत्या कर दी थी क्योंकि तांत्रिक ने आरोपी से कहा था कि तुम्हारी बहन पर दोस्त ने जादू किया था, इसलिए बहन ने आत्महत्या कर ली थी.

आजकल तांत्रिकों ने भी अपने बिजनैस का ट्रेंड बदल दिया है. दिल्ली एनसीआर के तांत्रिकों का बिजनैस फेसबुक, वाट्सऐप और ट्विटर पर भी चल रहा है. तांत्रिक इन माध्यमों पर प्रचार कर के अपनी चमत्कारिक शक्तियों से कुछ ही घंटों में किसी भी समस्या का समाधान करने का दावा करते हैं. कई तांत्रिकों ने तो अपना प्रभाव जमाने के लिए आकर्षक वेबसाइट भी बनवा रखी है.

इन वेबसाइटों पर औनलाइन बुकिंग की भी विशेष सुविधा उपलब्ध करा रखी है. पेमेंट भी ये औनलाइन पहले ही जमा करा लेते हैं. अपनी समस्याओं का समाधान कराने के चक्कर में लोग जब तथाकथित तांत्रिकों द्वारा ठगे जाते हैं तो शर्म की वजह से यह बात किसी को बताने में हिचकते हैं. यानी ठगे जाने के बावजूद भी लोग बदनामी की वजह से चुप रहते हैं. यही वजह है कि तांत्रिकों का अंधी आस्था के नाम पर ठगी का यह बिजनैस खूब फलफूल रहा है.

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