29 साला छाया पिछले कुछ दिनों से अपने पति के बरताव में आए बदलाव को देख कर बहुत फिक्रमंद थी. गौरव देर रात घर लौटने लगा था और कभीकभी तो सुबह हो जाती थी.
पूछने पर गौरव बहाना बना कर टाल जाता था कि दोस्तों के संग गप मार रहा था. कमानेखाने की कोई खास चिंता उसे थी नहीं, क्योंकि घर में 8 भैंसें बंधी थीं, जिन के दूध से अच्छीखासी आमदनी हो जाती थी. 5 बीघा पुश्तैनी जमीन से भी ठीकठाक पैसा आ जाता था.
पिछले साल ससुर की मौत के बाद से गौरव घर से बाहर ज्यादा रहने लगा था, लेकिन छाया की असल चिंता की वजह यह थी कि गौरव कुछ दिनों से सैक्स में नईनई पोजीशन ट्राई करने लगा था, जबकि इस से पहले सैक्स का उस का अपना रूटीन था, जिस में प्रयोग न के बराबर होते थे. छाया को संतुष्टि मिली या नहीं, इस से उसे कोई सरोकार नहीं रहता था. अपना काम होते ही वह सो जाता था, जिस से छाया को कोफ्त होती थी.
पर, अब गौरव को सैक्स का इतना ज्यादा सरोकार रहने लगा था कि वह बारबार छाया से पूछता था कि कैसा लग रहा है? मजा आया या नहीं? ऐसा करने में ज्यादा मजा आता है या वैसा करने में. तू हमबिस्तरी के दौरान चुप क्यों रहती है? कितनी देर और टिकेगी या अभी क्या पोजीशन है, बताती क्यों नहीं? ऐसी बातें उस ने शादी के 5 साल बाद कभी नहीं की थीं.
हद तो उस दिन हो गई, जब गौरव ने थोड़ी देर के फोरप्ले के बाद छाया से कहा, ‘‘चल, आज ओरल सैक्स करते हैं.’’
इस के पहले भी गौरव कई दफा अपने मोबाइल फोन पर ओरल सैक्स वाली पोर्न फिल्में छाया को दिखा चुका था, जिन में थोड़ी देर तो उसे मजा आता था, लेकिन फिर उबकाई सी आने लगती थी कि भला यह भी कोई तरीका है मजा लेने का.
हमेशा की तरह छाया ने आज भी ओरल सैक्स करने से इनकार कर दिया, तो गौरव को थोड़ा गुस्सा आ गया और वह बोला, ‘‘तू कौन से जमाने की औरत है… यह देख…’’ कहते हुए उस ने एक और ब्लू फिल्म उसे दिखाई, जिस में दूसरे तरीकों से वही सबकुछ था, जो पहले ही कई फिल्मों में वह देख चुकी थी या गौरव उसे जबरन दिखा चुका था.
कोई असर न होता न देख गौरव बोला, ‘‘प्लीज कर के तो देख. बहुत मजा आता है इस में.’’
इस पर छाया हमेशा की तरह खामोश रही, तो थोड़े ताव में आ कर गौरव बोला, ‘‘तू क्या जाने अदरक का स्वाद… तू न दे, लेकिन आज मैं तुझे वह मजा देता हूं, जिस के लिए तू मुझे शादी के बाद से ही तरसा रही है…’’
यह कहते हुए गौरव ने अपना सिर छाया की जांघों में घुसा दिया. यह छाया के लिए नया अनुभव था, जिस में उसे सचमुच मजा आ रहा था.
कुछ देर बाद गौरव बोला, ‘‘चल, अब तू भी कर…’’
पर छाया की हिम्मत नहीं पड़ी, क्योंकि उस के हिसाब से यह गंदा काम था, लिहाजा उस ने मना कर दिया.
इस बार गौरव आपा खो बैठा और बोला, ‘‘तो ठीक है, मैं चला…’’
इस के बाद उसी गुस्से में गौरव कपड़े पहन कर जो गया तो दूसरे दिन दोपहर को ही लौटा. सुबह उठ कर छाया उसे फोन लगाती रही, लेकिन हर बार मोबाइल स्विच औफ ही मिला.
‘‘कहां गए थे? रातभर फोन भी बंद था,’’ जैसे ही छाया ने यह पूछा, तो गुस्से से फटते हुए गौरव ने जवाब दिया, ‘‘गया था नजमा के पास, जो बिलकुल नखरे नहीं करती और 500 रुपए में वह सब कर देती है, जिस के लिए तुम्हें नखरे आते हैं…’’
इतना सुनना था कि छाया के पैरों के नीचे की जमीन खिसक गई और फिर उसे समझ आया कि सैक्स की यह तालीम नजमा उसे दे रही थी, जिसे वह उस पर आजमा रहा था.
क्यों जाते हैं धंधे वाली के पास
छाया के जी में तो आया कि गौरव को सबक सिखाने के लिए वह कुछ दिन मायके चली जाए, लेकिन फिर यह सोच कर रुक गई कि ऐसे तो गौरव के हौसले और बुलंद होंगे और कहीं वह लोकलाज छोड़ कर उस कलमुंही नजमा को घर ही न ले आए.
छाया, गौरव और नजमा की इस सच्ची कहानी, जिस में तीनों के नाम बदल दिए गए हैं, के आखिर में क्या हुआ, उस के पहले यह जानना जरूरी है कि गौरव जैसे मर्द धंधे वालियों के यहां किन वजहों से जाते हैं.
गौरव के मुताबिक, ‘‘मुझ जैसे पति नजमा जैसियों के पास इसलिए जाते हैं कि पत्नी मनमाफिक तरीकों से सैक्स करने के लिए राजी नहीं होती और न ही साथ देती, जिस से सैक्स लाइफ मुरदा होती जाती है.
‘‘और भी जो लोग नजमा जैसियों के पास जाते हैं, उन में से किसी की अपनी बीवी से पटरी नहीं बैठ रही होती है, तो किसी की बीवी का चक्कर कहीं और चल रहा होता है या कोई दिनरात कलह ही करती रहती है.
‘‘इस तरह के गम भुलाने के लिए धंधे वालियां मुफीद हैं, जो न केवल मनचाहे ढंग से जिस्मानी सुख देती हैं, बल्कि प्यार से तरहतरह की बातें करते हुए यह समझाती भी हैं कि ‘हम तो पैदा इसी नरक में हुई हैं, जो तुम्हें 2-4 घंटे के लिए जन्नत लगता है. यहां चंद नोटों का पैकेज ले कर मनमुताबिक मौज करो और घर वापस चले जाओ, क्योंकि वही तुम्हारा असल ठिकाना और सहारा है.
‘‘एक रात की दुलहन जिंदगीभर की बीवी कभी नहीं बन सकती. नशे में हर ग्राहक हमें बीवी बनाने की बात करता है, लेकिन जब सुबह नशा उतरता है और सैक्स से जी भर चुका होता है, तब कपड़े लपेट कर सीधे बीवी के पल्लू में छिपने के लिए चला जाता है, जो उस का लाइफटाइम सहारा होती है.’’
छाया की मानें तो, ‘‘इन धंधे वालियों का तो कोई घर या ईमानधरम होता नहीं, बस हमारे सीधेसादे मर्दों को फांस कर ये अपना उल्लू सीधा करती हैं और जब वे जेब और सेहत से खोखले हो जाते हैं, तो तीमारदारी और मरने के लिए हमारे पल्ले छोड़ देती हैं. एड्स और दूसरी जानलेवा बीमारियां फैलाने वाली इस गंदगी को दूर करने के लिए सरकार भी कुछ नहीं कर पाती है.
‘‘ये क्या जानें कि सुहाग, घरगृहस्थी और बच्चे समेत नातेरिश्तेदारी की अहमियत क्या होती है. मर्द की तो फितरत ही सांड़ जैसी होती है कि जहां हरा चारा दिखेगा, वहां मुंह जरूर मारेगा और इन लोगों का तो कारोबार ही मुंह से चलता है, जिस के लिए मर्द बेचैन रहते हैं.
‘‘इन्होंने मर्द की कमजोर नस होंठों में दबा रखी है. उस से और ज्यादा पैसा बने, इस के लिए ये किसी का बसाबसाया घर उजाड़ने में भी रहम नहीं खाती हैं, उलटे मर्दों को हमारे खिलाफ भड़काती हैं, उन्हें और बिगाड़ती हैं, शराब पिलाती हैं, दूसरी तरह का तमाम नशा भी मुहैया कराती हैं. इन में तो कीड़े पड़ेंगे कीड़े.’’
नजमा कुछ और ही कहती है, ‘‘हम तो सदियों और पीढि़यों से देह बेचते हुए यही इलजाम झेल रहे हैं, लेकिन कोई हमारे पास आता है तो उसे एक सुख चाहिए रहता है, जो कीमत अदा कर के वह लेता है और चलता बनता है. अच्छा लगता है, तो वह कई बार भी आता है. इस में हमारा क्या कुसूर? क्या हम अपना पेट भी न भरें?
‘‘कुछ दिनों पहले ठाकुर बिरादरी का एक खूबसूरत नौजवान आया था.
रात गुजारी तो लगा कि शादीशुदा होते हुए भी इसे सैक्स का रत्तीभर भी अनुभव नहीं है.
‘‘इस बाबत पूछा, तो उस का गला रुंध गया, आंखें भर आईं. उस की कहानी वाकई दिल को छू लेने वाली थी कि बाप ने तगड़े दहेज के लालच में शादी ऐसी लड़की से करवा दी थी,
जो दरअसल में न लड़की थी और न ही लड़का.
‘‘घर और रसूखदार ससुराल की इज्जत और डर के चलते वह नौजवान चुप रहा. एकाध बार उस ने खुदकुशी करने की भी कोशिश की, लेकिन बच गया. फिर एक दिन उस का एक दोस्त सैक्स सुख के लिए मेरे पास छोड़ गया.
‘‘एक रात का सौदा 5,000 रुपए में तय हुआ, जो मेरी हफ्तेभर की कमाई के बराबर था. वह वापस गया तो बहुत खुश था. अब जब भी वह यहां आता है, तो महंगे तोहफे भी लाता है. कहता है कि उस ने बीवी को बता दिया है, जिसे इस पर कोई एतराज नहीं.
‘‘मैं ने क्या गुनाह किया… गौरव जैसे चाहता था, वैसे उसे सैक्स सुख दिया. अगर पत्नी उसे सैक्स सुख नहीं देती तो इस में मेरा क्या कुसूर. हम कोई पीले चावल ले कर नहीं गए थे उसे बुलाने के लिए.
‘‘छाया जैसी औरतों को देख कर तो हमें अपनी मौसी की यह नसीहत याद आ जाती है कि बीवी को बिस्तर में वेश्या होना चाहिए. पति जैसे चाहे वैसे सैक्स करे. इस से न केवल गृहस्थी बची रहेगी, बल्कि दोनों के बीच प्यार भी बढ़ेगा.
‘‘पत्नियों को चाहिए कि वे पति से लड़ाईझगड़ा और कलह न करें, नहीं तो वे हमारे पास भागेंगे ही, क्योंकि हमारे पास बनावटी और दिखावटी ही सही, प्यार तो है. उन के पास तो यह भी नहीं रहता.
‘‘कई लोग इसलिए हम धंधे वालियों के पास आते हैं, क्योंकि उन की पत्नी का कोई पहले का या शादी के बाद का प्रेमी लाइफ में ऐंट्री मार चुका होता है और पत्नी इन्हें हाथ नहीं रखने देती. हमें ऐसे लोगों से हमदर्दी तो रहती है, लेकिन यह समस्या हम हल नहीं कर सकते, बस सलाह दे सकते हैं कि जब बरदाश्त की हदें टूट जाएं, तो तलाक के लिए कोर्ट चले जाओ.
‘‘अगर तलाक हो जाए, तो कोई अच्छी सी लड़की देख कर दूसरी शादी कर लो, जब तक हमारे तमाम दरवाजे खुले हैं तुम्हारे लिए.
‘‘रही बात गौरव की, तो उसी ने बताया कि छाया अब उस की पसंद का सैक्स करने के लिए राजी हो गई है. हालांकि एक रैगुलर ग्राहक के जाने का दुख जरूर हुआ, लेकिन अच्छा भी लगा कि दोनों अलग होने से बच गए.’’
नजमा धंधे वाली ही सही, लेकिन कह तुक की बातें रही है कि पति के मुताबिक सैक्स करो तो वे क्यों उन के पास जाएंगे, जहां सुख तो केवल एक है, लेकिन खतरे कई हैं. मसलन, पुलिस और गुंडों का, कंडोम न लगाओ तो बीमारियों का और पैसों का, जो यहां नहीं लुटाए जाते, तो घरगृहस्थी के काम आते.