फिल्म रिव्यू ‘होटल मर्डर केस- बेहतरीन मर्डर मिस्ट्री वाली फिल्म बनने से कुछ दूर रही

रेटिंगः दो स्टार

निर्माता: संजीवनी मीडिया एंड टेक्नाॅलाजीज प्रा. लिमिटडढ

निर्देषकः नवीन कुमार सिन्हा

लेखकःसंजय कुमार कंुदन

कलाकारः अभिजीत सिन्हा,कृतिन अजितेष,बिनीता सिंह,अपर्णा राज,आदर्ष केसरी,राजबीर गंुजन, लाड़ली राय,अनुभव के सिन्हा व अन्य

अवधि: एक घंटा बीस मिनट

प्लेटफार्म: यूट्यूब

एक तरफ बड़े बड़े बजट की हिंदी फिल्में बाक्स आफिस पर अपनी लागत नही वसूल कर पा रही हैं,तो दूसरी तरफ कम लागत में बनने वाली फिल्मों को सिनेमाघर या ओटीटी प्लेटफार्म पर भी जगह नहीं मिल पा रही है.ऐसे में कई फिल्मकार मजबूरन अपनी फिल्मों को यूट्यूब पर रिलीज कर रहे हैं.ऐसी ही एक मर्डर मिस्ट्ी’ फिल्म ‘‘होटल मर्डर केस’’ है.जिसे निर्माता ने मजबूरन यूट्यूब पर डाल दिया और इस फिल्म ने महज बारह घंटे में ही चार हजार से अधिक व्यूज प्राप्त कर लिए.

कहानीः

फिल्म ‘‘होटल मर्डर केस’’ की कहानी के केंद्र में बिहार का बोधगया षहर है,जो कि देश विदेश के पयर्टकों के लिए एक अद्भुत शहर है.लोग देष विदेष से यहाँ घूमने आते हैं.एक हसीन जोड़ा मोहिनी अरोड़ा ( बिनीता सिंह) और रोहित सक्सेना(आदर्ष केसरी ) भी शहर के एक आलीशान होटल में अगल बगल का कमरा लेकर ठहरता है.एक दिन दोनों देर रात नशे की हालत में होटल वापस आते हैं और सीधे रेस्टोरेंट में पहुँचते हैं.वेटर प्रकाष को खाने का आर्डर देते हैं,मगर जब वेटर प्रकाष खाना लेकर आता है,तो वेटर को दोनों अपने टेबल पर मृत मिलते हंै. होटल के वेटर से सूचना मिलने पर जांच करने के लिए पुलिस इंस्पेक्टर शमशाद शेख अपनी टीम व फोरंासिक जांच टीम के साथ पहुँचते हैं और फौरन अपनी टीम के साथ तफ्तीश शुरू करते है.शहर के चर्चित होटल में इस तरह की रहस्मय कत्ल पुलिस विभाग के लिए बहुत चिंता की वजह थी.इसकी खास वजह यह थी कि देष विदेश के हजारों सैलानियों का जत्था उस वक्त शहर में मौजूद था.इंस्पेक्टर शमशाद शेख की पहचान षहर में कानून व्यवस्था बनाए रखने वाले सख्त अफसर के रूप में होती है. मगर मोहिनी अरोड़ा व रोहित सक्सेना की मौत से रहस्य बढ़ जाता है. षमषाद षेख व डाक्ठर की भी समझ में मौत की वजह नही आती?सवाल उठते है कि इनकी मौत कैसे हुई? क्या किसी ने इनका कत्ल किया है?पर खून बहा नही,षरीर पर चोट के निषान भी नहीं है. आखिर इन्हे किसने,कब और कैसे मारा?रात में रेस्टारेंट में कोई अन्य षख्स भी बाहर से नहीं आया? आखिर यह दोनों हैं कौन? और इनके बीच रिष्ता क्या था ?कौन इनकी जान का दुश्मन था ? षमषाद षेख को तफ्तीश से पता चलता है कि मोहिनी अपने पति व संघर्ष रत कलाकार नवनीत अरोड़ा (राजबीर गंुजन ) को धोखा दे रही थी,जो एक जमाने में उसका प्यार था.वहीं रोहित सक्सेना(आदर्ष केसरी ) अपनी पत्नी स्मृति सक्सेना (लाडली राय ) को धोखा दे रहा था.दोनों षादियां टूटने के कगार पर थीं.पर अहम सवाल था कि मोहिनी और रोहित की मौत से किसको फायदा था? आखिर कौन दोनों को मार सकता था?इन्हे मारने का मौका कातिल को कब मिला? यह दो मौतें कैसे हुईं?जब षमषाद षेख कातिल को बेनकाब करते हैं,तो दर्षक भी सकते में आ जाता है.

लेखन व निर्देषनः

लेखक ने रहस्य को लगातार गहराने की कोषिष की है.अंत तक दर्षक अनुमान नहीं लगा पाता कि कातिल कौन है? मगर पटकथा काफी कमजोर हैं.रहस्य का रोमांच पैदा नही होता.इसके अलावा कैमरामैन व निर्देषक की कमजोरी के चलते कुछ दृष्य डार्क फिल्माए गए हैं.एक दृष्य में जब पुलिस इंस्पेक्टर षमषद षेख, रोहित सक्सेना की पत्नी स्मृति सिन्हा को फोन करात है?उस वक्त जिस बिस्तर पर स्मृति बैठी हुई है,उस बिस्तर पर अच्छी खासी रोषनी है,मगर स्मृति के चेहरे पर रोषनी का अभाव है.इसी तरह कई दृष्यों में प्रीति सिंन्हा के चेहरे पर भी अंधेरा ही नजर आता है.रोहित सक्सेना व स्मृति सक्सेना के रिष्ते को ठीक से रेख्ंााकित ही नही किया गया.सब इंस्पेक्टर प्रीति सिंन्हा ( अपर्णा राय ) और लेखक विक्रम सिंह (कृतिन अजितेष ) की प्रेम कहानी भी ठीक से विकसित नही की गयी है.फिल्म की गति भी धीमी है.यदि लेखक व निर्देषक ने थोड़ी सूझबूझ दिखाने क ेसाथ मेहनत की हाती तो यह फिल्म एक बेहतरीन मर्डर मिस्ट्ी वाली बन सकती थी.

अभिनयः

अमीर,कुटिल व चालाक महिला स्मृति सक्सेना के किरदार में लाड़ली राय निराया करती हैं.पुलिस इंस्पेक्टर षमषाद षेख के किरदार में अभिजीत सिन्हा का अभिनय षानदार है.दृष्यों की मंाग के अनुरूप उनके चेहरे के भाव और उसी के अनुरूप उनकी बौडी लैंगवेज बदलती हैं.सब इंस्पेक्टर प्रीति के किरदार में अपर्णा राय का अभिनय कुछ दृष्यांे में ही प्रभावित करता है.उन्हें अभी काफी मेहनत करने की जरुरत है.मोहिनी अरोड़ा के किरदार में बिनीता सिंह सिर्फ संुदर नजर आयी हैं.पर उनका अभिनय बोलता नही है.अन्य कलाकार ठीक ही हैं.

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