जिम जाएं पर जरा संभल कर

मुंबई में रहने वाले 26 साल के राकेश को जिम जाने का बहुत शौक था, क्योंकि उन्हें फिल्मों में हीरो के सिक्स पैक एब्स बहुत अच्छे लगते थे. उन्होंने जिम जौइन किया और एक दिन कुछ ज्यादा वजन उठा लिया, जिस से उन की कमर की मांसपेशी में दर्द शुरू हो गया.

डाक्टर ने राकेश को एक महीने का रैस्ट बताया. उन्होंने रैस्ट किया, पर मसल्स में दर्द अभी भी है, इसलिए उन्होंने जिम करना तकरीबन छोड़ रखा है.

वर्कआउट करने के शौकीन लोग आजकल ज्यादातर जिम में जाने से नहीं कतराते हैं, क्योंकि वहां का एयरकंडीशन और इंस्ट्रक्टर की ट्रेनिंग पसंद होती है. साथ ही, वहां रखी महंगी मशीनें भी लुभाती हैं, पर देखा जाए तो जिम में वर्कआउट करने की कई मशीनें होती हैं, जिन से हमें कई तरह के इंफैक्शन होने का खतरा बना रहता है.

आइए जानते हैं, जिम जाने से होने वाली बीमारियों के बारे में और हमें सावधानी बरतना जरूरी क्यों है :

हार्टअटैक आने का खतरा

एक रिसर्च में वर्कआउट के दौरान दिल को होने वाले नुकसान के संबंध में जानने की कोशिश की गई है. रिसर्च में उम्रदराज मर्द एथलीटों को शामिल किया गया. इस दौरान टीम ने पाया कि हैवी वर्कआउट से कोरोनरी ऐथेरोस्क्लेरोसिस नामक बीमारी के होने का खतरा बढ़ जाता है.

दरअसल, इस बीमारी की वजह से आप के दिल की धमनियों के ऊपर और अंदर वसा व बैड कोलैस्ट्रौल जमा होने लगता है. इस हालत में हार्टअटैक होने का खतरा बढ़ जाता है.

रिसर्च में सामने आए नतीजों के मुताबिक, ये धमनियां पूरे शरीर में खून भेजती हैं और जब उन की भीतरी त्वचा ब्लौक होने लगती है तो खून का दौरा रुक जाता है. यही वजह है कि किसी शख्स को चलतेफिरते या फिर जिम करते हुए हार्टअटैक आ जाता है.

मांसपेशी में खिंचाव व दर्द

जिम में ज्यादा ऐक्सरसाइज करने से मांसपेशियों में खिंचाव व दर्द की समस्या हो सकती है. ज्यादा ऐक्सरसाइज करने से बौडी मसल्स पूरी तरह से ऐक्टिवेट हो जाते हैं. ऐसे में ओवर वर्कआउट करने से मसल्स में ज्यादा खिंचाव हो सकता है. बौडी पर ज्यादा दबाव डालने से दर्द या चोट लगने का खतरा भी बढ़ जाता है.

भूख कम लगना

वर्कआउट करने के बाद आमतौर पर भूख ज्यादा लगती है, लेकिन जरूरत से ज्यादा ऐक्सरसाइज करने से भूख में कमी आ सकती है. इस के अलावा शरीर में हार्मोनल चैंजेज आने लगते हैं, जिस वजह से भूख कम हो जाती है. ओटीएस यानी ओवरट्रेनिंग सिंड्रोम भूख में कमी, थकावट और वजन कम होने की वजह बन सकता है.

नींद में परेशानी

जब बौडी के स्ट्रैस हार्मोन का संतुलन बिगड़ जाता है, तो बौडी सोते हुए भी तनाव महसूस करती है. तनाव में होने की वजह से सही नींद नहीं आती. ऐक्सरसाइज करने के बाद बौडी को रिकवरी की जरूरत होती है और नींद न आने की वजह से बौडी रिलैक्स नहीं हो पाती. कई बार पूरी नींद न आना थकान, मूड स्विंग और चिड़चिड़ेपन की वजह बन जाती है.

कमजोर इम्यूनिटी

ऐक्सरसाइज करने के बाद अगर थकान या कमजोरी महसूस हो रही है, तो सम?िए बौडी की इम्यूनिटी कमजोर हो रही है. ऐसा होने पर बौडी में इंफैक्शन और बीमारी आसानी से हो सकती है. ऐक्सरसाइज के साथ बौडी की इम्यूनिटी बढ़ाने पर भी जोर देना जरूरी होता है.

इतना ही नहीं, जिम में जाने से कई तरह की त्वचा संबंधी बीमारियां भी हो सकती हैं, जिस का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि एक शख्स के एक मशीन के इस्तेमाल के बाद दूसरा शख्स भी उसे इस्तेमाल करता है. कुछ बीमारियां इस तरह हैं :

* इंपैटिगो एक तरह का त्वचा से जुड़ा इंफैक्शन है, जो बैक्टीरिया के चलते होता है. इस इंफैक्शन से त्वचा लाल हो जाती है और प्रभावित जगह पर खुजली होनी शुरू हो जाती है. इस के बाद त्वचा पपड़ी छोड़ती है. यह इंफैक्शन एक इनसान से दूसरे इनसान में भी फैल सकता है.

* फंगस की वजह से अकसर स्किन पर दाद की समस्या हो जाती है. दाद इंफैक्शन वाली जगह या किसी शख्स को छूने पर फैलता है. रिंग की बनावट वाला यह इंफैक्शन लाल और पपड़ीदार होता है. दाद में खुजली और चुभन जैसी समस्या होती है.

* एथलीट फुट एक बेहद साधारण फंगल इंफैक्शन है और इसे ‘टिनिया पेडिस’ के नाम से जाना जाता है. यह पैरों में होता है और हाथ से खरोंचने पर हाथों में भी फैल सकता है.

* जिम में ह्यूमन पेपिलोमा वायरस का जोखिम भी होता है. जिम में नंगे पैर चलने से इस इंफैक्शन के होने का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए जिम करने के दौरान हमेशा जूते पहन कर चलें.

* जिम के अंदर हाईजीन का बहुत खयाल रखने की जरूरत होती है. किसी से भी किसी सामान को शेयर करने से बचें. मसलन, किसी का तौलिया, बोतल या दूसरे किसी भी निजी सामान का इस्तेमाल करने से बचें. किसी भी मशीन का इस्तेमाल करने से पहले उसे साफ करें.

 प्रोटीन की सही मात्रा

आम सोच यह है कि फैट और कार्बोहाइड्रेट वाला खाना खाने से वजन बढ़ता है, इसलिए फिटनैस की दौड़ में शामिल लोग ज्यादा से ज्यादा ऐनर्जी, प्रोटीन वाला खाना लेना चाहते हैं. मैडिकल जर्नल नेचर मैटाबौलिज्म में पब्लिश हुई एक स्टडी के मुताबिक, रोजाना शारीरिक जरूरत की 22 फीसदी से ज्यादा कैलोरी अगर प्रोटीन से ली जाए, तो यह इम्यून सेल्स को सक्रिय कर सकता है, शरीर में एमीनो एसिड बढ़ा सकता है. इस से आर्टरीज में ब्लौकेज आने लगती है, जो हार्टअटैक की वजह बन सकता है.

ऐक्सपर्ट की लें सलाह

मुंबई की कोकिलाबेन धीरूबाई हौस्पिटल की कंसल्टैंट स्पोर्ट्स न्यूट्रिशनिस्ट पूजा उदेशी समझाते हुए कहती हैं, ‘‘प्रोटीन पाउडर या सप्लीमैंट अपने शरीर और वजन के हिसाब से लेना पड़ता है. ज्यादा लेने पर उस का असर खराब हो सकता है. प्रोटीन के भी कई सारी वैराइटी वाले प्रोडक्ट होते हैं, जो मार्केट में मिलते हैं. इस के साइड इफैक्ट की अगर बात करें तो ज्यादा मात्रा में लेने पर किडनी की समस्या, कार्डिएक अरैस्ट या लिवर की समस्या वगैरह कुछ भी हो सकती है.

‘‘जिम करने वाले हर शख्स की प्रोटीन की जरूरत अलगअलग होती है, जिसे न्यूट्रिशनिस्ट की सलाह ले कर लेना पड़ता है, ताकि शरीर को किसी तरह का नुकसान न हो.

‘‘एक किलोग्राम के वजन पर एक ग्राम प्रोटीन लिया जा सकता है. इस के अलावा किसी बीमारी, खेल खेलने या व्यायाम से प्रोटीन की जरूरत ज्यादा पड़ती है. शाकाहारी लोग जो ज्यादा प्रोटीन नहीं खा पाते, उन्हें प्रोटीन शेक लेने की जरूरत पड़ सकती है.

‘‘कितनी मात्रा में कोई शख्स प्रोटीन ले, इस की जानकारी ऐक्सपर्ट से ले लेना अच्छा होता है. नैचुरल प्रोडक्ट पर ज्यादा ध्यान देना अच्छा होता है, मसलन शाकाहारी लोग पनीर, अंकुरित दाल, सोयाबीन, ब्राउन राइस वगैरह ले सकते हैं, जबकि नौनवेज खाने वाले लोग अंडा, मछली, मांस वगैरह को नियमित खा सकते हैं.’’

जिम जाएं, पर कुछ बातों का ध्यान जरूर रखें, ताकि आप की फिटनैस और सेहत दोनों बनी रहें. कुछ सुझाव ये हैं :

* वर्कआउट या ऐक्सरसाइज हमेशा डाक्टर या ट्रेनर की सलाह से ही करना बेहतर है.

* फिटनैस को मेंटेन रखने के लिए नौर्मल लैवल की ऐक्सरसाइज ही करनी चाहिए.

* हैवी ऐक्सरसाइज करने से बौडी और हार्ट दोनों पर नैगेटिव इफैक्ट पड़ने लगता है.

* ट्रेडमिल या किसी कार्डियो ऐक्सरसाइज करते समय एक बार में 10 मिनट से ज्यादा वक्त न बिताएं.

* हर कार्डियो ऐक्सरसाइज के बाद कम से कम 5 मिनट का ब्रेक जरूर लें, ताकि हार्ट को रिलैक्स फील हो.

* वर्कआउट के दौरान अगर छाती की लेफ्ट साइड में दर्द हो, तो तुरंत ऐक्सराइज रोक कर डाक्टर से मिलें.

अगर आप भी करते हैं स्टेरौइडस का इस्तमाल, तो हो जाइए सावधान

पिछले कुछ सालों से लोगों में बौडी बनाने के लिए जिम जा कर घंटों वर्कआउट करने का चलन तेजी से बढ़ा है. यहां तक कि महिलाएं भी छरहरी काया के लिए शरीर की अतिरिक्त चरबी कम करने की कोशिश करती हैं. लोगों के बीच व्यायाम करने के चलन को बढ़ावा मिलने के साथसाथ स्टेरौइड और प्रोटीन सप्लिमैंट जैसे अननैचुरल प्रोडक्ट्स भी चलन में आए हैं, जिन का प्रयोग लोग तेजी से मांसपेशियां बनाने की चाह में करते हैं.

मगर ज्यादातर लोगों को यह मालूम नहीं कि लंबे समय तक ली गई स्टेरौइड की मात्रा दिल के लिए घातक साबित हो सकती है. यहां तक कि इस से दिल का दौरा या अचानक कार्डिएक अरैस्ट भी हो सकता है. विशेषरूप से बौडी बिल्डर्स जो लंबे समय तक स्टेरौइड और प्रोटीन सप्लिमैंट का सेवन भारी मात्रा में करते हैं, उन के लिए जरूरी है कि वे इन से सेहत पर होने वाले बुरे असर के बारे में सजग हों.

आइए, विस्तार से जानें कि स्टेरौइड और प्रोटीन एकदूसरे से कैसे अलग हैं और इन के स्वास्थ्य पर क्या बुरे प्रभाव पड़ते हैं:

1. जरूरी स्टेरौइड और प्रोटीन की भूमिका

स्टेरौइड शब्द आमतौर पर दवाओं की एक श्रेणी के तहत आता है, जिस का प्रयोग विभिन्न चिकित्सा स्थितियों के इलाज के लिए किया जाता है जैसे पुरुषों में यौन हारमोन को बढ़ावा देना, प्रजनन क्षमता को बढ़ाना, मैटाबोलिज्म और रोगप्रतिरोधक क्षमता को नियमित करने के अलावा मसल मास, बोन मास बढ़ावा आदि.

प्रोटीन पाउडर मुख्यरूप से सोया, दूध या पशु प्रोटीन से बना होता है और इस का प्रयोग अधिक समय तक वर्कआउट के बाद शरीर की प्रोटीन की जरूरत को पूरा करने के लिए किया जाता है.

2. स्टेरौइड और प्रोटीन सप्लिमैंट के प्रभाव

बौडी बनाने में असल में प्रोटीन बहुत फायदेमंद होते हैं और पोषण सुरक्षित स्रोत भी हैं, क्योंकि ये प्रतिरक्षा प्रणाली को नुकसान नहीं पहुंचाते. यदि इन का सेवन सही मात्रा में किया जाए तो ये किसी भी शारीरिक बीमारी का कारण नहीं बनते हैं. मगर स्टेरौइड के लिए ऐसा नहीं कहा जा सकता है.

स्टेरौइड मुख्यरूप से टैस्टोस्टेरौन का बनावटी संस्करण है. यह कृत्रिम रूप से मांसपेशियों के विकास में मदद करता है. हृदय भी मांसपेशियों की तरह होता है, मगर स्टेरौइड के सेवन से इस का आकार बढ़ भी सकता है. दिक्कत तब होती है जब दिल के आसपास मौजूद सतहों यानी वौल्स तक उस की मोटाई पहुंचने लगती है, तब यह सही तरीके से काम नहीं कर पाता है और रक्तसंचार में समस्या होने लगती है.

3. स्टेरौइड का दिल पर प्रभाव

स्टेरौइड का सेवन करने वालों का दिल इस का सेवन न करने वालों की तुलना में बहुत कमजोर होता है. एक कमजोर दिल शरीर के लिए जरूरी पर्याप्त रक्त पंप नहीं कर पाता है और इस स्थिति में दिल काम करना बंद कर सकता है. अचानक दिल की धड़कन रुकने से मौत भी हो सकती है.

स्टेरौइड का सेवन न करने वालों की तुलना में इस का सेवन करने वालों की धमनियों में प्लेक यानी गंदगी या मैल बढ़ जाता है. जो पुरुष लंबे समय तक स्टेरौइड लेना जारी रखते हैं, उन की धमनियों की स्थिति बहुत बदतर हो जाती है.

4. अन्य समस्याएं 

दिल को नुकसान पहुंचाने के अलावा स्टेरौइड गुरदों की विफलता, लिवर की क्षति, टैस्टिकल्स के संकुचन यानी सिकुड़ना और शुक्राणुओं की संख्या घटाने का काम भी कर सकता है. शौर्टकट के जरीए बौडी बनाना भी दिल को नुकसान पहुंचा सकता है.

क्या जिम जाने वाला अग्रेसिव होता है?

कुछ साल पहले की बात है. मैं दिल्ली देहात के एक गांव में एक इंटरनैशनल पहलवान के सगाई समारोह में गया था. वहां कई नामचीन लोग आए थे और माहौल बड़ा खुशनुमा था कि अचानक वहां कुछ नौजवान लड़कों का ग्रुप आया. सभी गांवदेहात के थे, पर पैसे वाले भी दिख रहे थे.

हैरत की बात थी कि उन नौजवानों में से कइयों के पास महंगी और मौडर्न पिस्टल थीं और ज्यादातर जिम में जा कर बौडी बनाए हुए थे. उन में जो लड़का सब से बीच में चल रहा था, वह बहुत हैंडसम था और उस की बौडी के तो कहने ही क्या. उस की महंगी शर्ट से बौडी के कट्स साफसाफ दिख रहे थे.

वे लड़के वहां कुछ देर रहे, चंद लोगों और दूल्हे से मुलाकात की और फिर अपनी महंगी गाड़ियों में चले गए.

यह सोच कर मेरे मन में सवाल उठा था कि जो लोग जिम जा कर बौडी बनाते हैं, क्या वे सभी अग्रेसिव होते हैं या हो जाते हैं? वजह, जो लड़के शादी में आए थे, वे दिखने में बदमाश जैसे नहीं थे, पर हाथ में पिस्टल और कसी हुई बौडी से ऐसा लग था कि अगर कोई उन से पंगे लेगा तो वे उसे छोड़ेंगे नहीं.

पैसे दे कर जिम में बौडी बनाने का चलन आजकल बहुत ज्यादा बढ़ गया है. बड़े शहरों में ही नहीं, बल्कि छोटे कसबों में भी अब जिम खुलने लगे हैं. वहां ज्यादातर लड़के इसलिए बौडी बनाने जाते हैं कि दुनिया पर उन का रोब जमे, खासकर जवान लड़कियों पर. जब उन की बौडी दिखाने लायक बन जाती है, तो उन में अकड़ आ जाती है. पर क्या इस के पीछे कोई अग्रेशन होती है, जो उन्हें जिम तक ले जाती है?

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अंजू गुप्ता

इस मसले पर मुंबई के ‘आइडियल बौडी फिटनैस’ जिम में फिटनैस इंस्ट्रक्टर अंजू गुप्ता ने बताया, “जिम जाने से अग्रेशन का कुछ लेनादेना नहीं है, बल्कि जिम जाने से बौडी में जो बदलाव आता है, उस से तो बहुत अच्छा महसूस होता है.

“अमूमन जिम जाने वाले लोग अपने रूटीन को ले कर बहुत अनुशासित होते हैं, तो शायद देखने वाले को लगे कि वे अग्रेसिव हैं. एक बात और है कि जब जिम जाने वाले लोग किसी स्ट्रिक्ट डाइट पर होते हैं, तो उन का मैटाबौलिक रेट बढ़ जाता है, हार्ट रेट ज्यादा हो जाती है, पर यह फिटनैस का हिस्सा है.

“लेकिन अगर हम किसी एक तरह के ऐक्सरसाइज स्टाइल को अपनाते हैं तो ब्रेन को उसी की आदत पड़ जाती है, जिस से अग्रेशन बढ़ने का डर बना रहता है, इसलिए हमेशा जिम और ऐक्सरसाइज के बारे में ही नहीं सोचना चाहिए. अपने को दूसरे ऐसे काम में बिजी रखना चाहिए, जो मन को शांत करते हैं. इस के अलावा खानपान का भी खास ध्यान चाहिए.”

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कपिल गुप्ता

फरीदाबाद के 47 साल के कारोबारी कपिल गुप्ता अपने कालेज के दिनों से जिम में जाने लगे थे. एक समय ऐसा था जब वे अपने सिक्स पैक्स एब्स के लिए जाने जाते थे. तब उन्होंने अपना वजन 106 किलो से घटा कर 82 किलो किया था.

कपिल गुप्ता ने बताया, “मैं जिम में तरहतरह के लोगों से मिला हूं, पर मेरी नजर में कोई ऐसा नहीं आया, जो जिम जौइन करने के बाद अग्रेसिव हुआ हो. हां, अगर कोई शुरू से ही अग्रेसिव सोच का रहा होगा तो कहा नहीं जा सकता.

“जिम अपने शरीर को सेहतमंद रखने की ठीक वैसे ही जगह है, जैसे कोई दूसरे खेल की जगह. यहां आने वाले लोगों का मकसद यही रहता है कि वे अच्छी बौडी बनाएं और अपनी फिटनैस बरकरार रखें.

“जहां तक किसी के अग्रेसिव होने की बात है तो अगर कोई अपने स्वभाव से अग्रेसिव है, तो वह जिम क्या कहीं भी जैसे अपने घर, औफिस, बाजार या फिर किसी दूसरी जगह वैसा ही बरताव करेगा. यह तो बच्चों पर भी लागू होता है. अगर किसी बच्चे में एनर्जी ज्यादा है तो वह दूसरे बच्चों के मुकाबले अग्रेसिव होता है. अगर उस अग्रेसिवनैस का सही से इस्तेमाल किया जाए तो बच्चा शांत रहता है.

“हां, अगर जिम में कोई ऐक्सरसाइस के लिए सप्लीमैंट्स लेता है तो कभीकभार उस के साइड इफैक्ट के तौर पर ऐसे लोग अग्रेसिव हो जाते हैं, पर यह नहीं कहा जा सकता है कि जिम जाने वाले लोग अग्रेसिव हो जाते हैं या होते हैं.”

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निश्चिंत कटोच

भारत के अल्ट्रा रनर निश्चिंत कटोच एक समय अपने ज्यादा वजन से परेशान थे. उन्होंने अपनी लगन से खुद में इस हद तक बदलाव किया कि वे आज कईकई किलोमीटर तक आसानी से दौड़ लेते हैं. इस सब बदलाव में जिम ने बड़ा रोल निभाया है.

निश्चिंत कटोच ने बताया, “यह सब वर्कआउट की इंटैंसिटी पर डिपैंड करता है. हार्ड ट्रेनिंग ऐक्सरसाइज से टैस्टोस्टेरोन के कुदरती लैवल में बढ़ोतरी होती है, जिस से अग्रेशन का लैवल बढ़ सकता है. इस पर कंट्रोल करने का तरीका यही है कि वर्कआउट और इंटैंसिटी में बैलैंस बनाया जाए. गुड मैंटल हैल्थ के लिए वर्कआउट को इस ढंग से करना चाहिए कि जिम जाने वाला अग्रेसिव न हो.”

इस मुद्दे पर एक बात बहुत ज्यादा अहम है कि जिम जाने वाले लोगों में से बहुत से ऐसे होते हैं, खासकर नौजवान, जो बौडी बनाने को ही जिंदगी की सब से बड़ी कामयाबी मानते हैं और उन के पास ऐसी कोई उपलब्धि नहीं होती है, जिस पर वे या उन का परिवार गर्व कर सके.

अगर आपके अंदर भी है सिक्स पैक ऐब्स का जुनून तो जरूर पढ़ें ये खबर

युवा अपने बौडी लुक और फिटनैस को ले कर कुछ ज्यादा ही क्रेजी हो गए हैं, लेकिन वे यह नहीं समझते कि सिक्स पैक बनाना इतना आसान नहीं है. इस के लिए संतुलित डाइट के साथसाथ ट्रेनर की देखरेख में ऐक्सरसाइज करने की जरूरत भी होती है.

अगर आप फिट हैं तो हर खुशी हासिल कर सकते हैं और फिटनैस आप को मिलेगी संतुलित डाइट और नियमित व्यायाम से.

बौडी बनाने का अर्थ है मांसपेशियों को कसना, जिस से कि आप सुडौल दिखें. इस काम में खासी मशक्कत करनी पड़ती है. ऐब्स बनाने के लिए कार्बोहाइड्रेट तथा फैट की मात्रा को घटा कर प्रोटीन की मात्रा बढ़ाई जाती है, ताकि मांसपेशियां सख्त हो सकें.

चाहिए सिक्स पैक तो देना होगा समय

यदि आप चाहते हैं कि आप की बौडी सुडौल व आकर्षक बने, तो इस के लिए आप को समय निकालना होगा. ‘बौडी फिटनैस सैंटर’ के ट्रेनर पवन मान के मुताबिक, ‘‘युवाओं को सिक्स पैक बनाने से पहले इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि उन की बौडी पर फैट कितना चढ़ा है. यदि शरीर अधिक फैटी है तो पहले उसे घटाने के लिए कुछ खास तरह की ऐक्सरसाइज करनी होती है. साथ ही डाइट पर भी ध्यान देना होता है.’’

यदि आप फैटी हैं तो जिम जाने से पहले नियमित व्यायाम बहुत जरूरी है. नियमित व्यायाम में स्विमिंग, साइकिलिंग, जौगिंग आदि जरूरी हैं. इन के अलावा मौर्निंगवाक भी बहुत जरूरी है.

वैसे सिक्स पैक ऐब्स बनाने के लिए जिम ट्रेनर कई प्रकार के डाइट सप्लिमैंट्स देते हैं, जिन में सिंथैटिक पोषक तत्त्व मौजूद होते हैं. ये तत्त्व शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं. आमतौर पर लिए जाने वाले सप्लिमैंट्स में क्रिएटिन, प्रोटीन, स्टीरायड आदि हारमोन होते हैं. इस बारे में वरिष्ठ चिकित्सक डा. उमेश सरोहा कहते हैं, ‘‘ये पोषक तत्त्व शरीर को सुडौल बनाने के बजाय नुकसान ज्यादा पहुंचाते हैं. सुडौल बौडी पाने के लिए नियमित व्यायाम और संतुलित डाइट ज्यादा लाभदायक है.’’

कुछ लोग फैट कम करने के लिए अपने भोजन से फैट वाली चीजें बिलकुल हटा देते हैं, जिस से शरीर को लाभ पहुंचने के बजाय नुकसान ज्यादा पहुंचता है. फैट की अधिक कमी से शरीर के अन्य महत्त्वपूर्ण अंगों पर बुरा असर पड़ता है. इसलिए फैट की प्रचुर मात्रा शरीर के लिए बहुत जरूरी है.

फिटनैस के लिए जरूरी डाइट

–       सिक्स पैक बौडी के लिए फाइबरयुक्त भोजन लेना बहुत आवश्यक है, क्योंकि इस से शरीर का विकास होता है. प्रोटीन की मात्रा बनाए रखने के लिए मौसमी फलों का सेवन बहुत लाभदायक है.

–       सुबह का नाश्ता अति आवश्यक है. नाश्ता हैवी व लंच हलका लें. डिनर तो नाश्ते व लंच से भी हलका लें. इस तरह का चार्ट बना लें. यह आप की सेहत के लिए जरूरी है.

–       दिन भर में कम से कम 10 गिलास पानी पीएं. पानी हमारे शरीर को स्वस्थ रखता है, क्योंकि अधिक ऐक्सरसाइज करने से शरीर में डिहाइडे्रशन की आशंका बनी रहती है, इसलिए इस से बचने के लिए व्यक्ति को अपने वजन के हिसाब से पानी पीना चाहिए.

–       ढेर सारा भोजन एकसाथ न लें. हिस्सों में बांट कर दिन में कई बार भोजन करें. इस से पाचन तंत्र मजबूत बना रहता है. साथ ही ऐक्सरसाइज करने के लिए और अधिक ताकत मिलती है.

–       हरी सब्जियों का सेवन ज्यादा करें. ये शरीर को ऊर्जा देने के साथसाथ आप को तरोताजा रखती हैं. प्रोटीन डाइट में अंडा, पनीर, दूध, दही, मछली आदि लें.

–       अलकोहल का सेवन बिलकुल न करें. यह आप के शरीर को बेकार करता है.

–       भोजन नियमित मात्रा में ही लें. संतुलित आहार शरीर को रोगमुक्त रखता है. एक सीमा में रह कर ही जिम में वर्कआउट करें. ऐसी किसी दवा का सेवन न करें, जो शरीर को नुकसान पहुंचा सकते हैं.

बौडी टोंड तो स्ट्रौंग होगा बौंड

लड़का हो या लड़की या फिर औरत हो या मर्द, सभी के लिए ऐक्सरसाइज करना फायदेमंद रहता है. ऐक्सरसाइज पुराने रोगों की रोकथाम से ले कर मौडर्न लाइफस्टाइल को ठीक करने तक में लाभदायक होती है. यह तनाव और घबराहट से मुक्ति दिलाती है. ऐक्सरसाइज आप के वजन पर भी नियंत्रण रखती है.

अगर आप रोज 30 मिनट तक  ऐक्सरसाइज करें तो उस के आप को ये लाभ होंगे :

  • दिल का दौरा पड़ने का खतरा कम होगा.
  •  वजन नियंत्रण में रहेगा.
  • ऐक्सरसाइज कोलैस्ट्रौल को नियंत्रित रखेगी.
  • टाइप टू डायबिटीज और कई तरह के कैंसर के खतरे को कम करेगी.
  • ब्लडप्रैशर कम होगा.
  • हड्डियां मजबूत होंगी और मांसपेशियों के कमजोर होने का खतरा कम होगा.
  • अधिक ऊर्जा महसूस करेंगे, खुश रहेंगे और नींद अच्छी आएगी.

तनाव से मुक्ति

इस के अलावा वर्कआउट नकारात्मक विचारों और टैंशन को भी कम करता है. अगर आप फिट हैं तो मन भी खुश रहेगा.

ऐक्सरसाइज सैरोटोनिन, ऐंडोर्फिन और स्ट्रैस के प्रभाव को कम कर मस्तिष्क के रसायन स्तर को संतुलित करती है.

जब आप ऐक्सरसाइज करते हैं तो आप का शरीर फिट रहने के साथसाथ सही आकार में भी रहता है, जिस से आप के पार्टनर का ध्यान आप की ओर सहजता से खिंचता है.

आत्मविश्वास में बढ़ोत्तरी

पूरे दिन की थकान के बाद जब आप ऐक्सरसाइज करते हैं, तो आप रिलैक्स हो जाते हैं. इस से सकारात्मक सोच और आत्मविश्वास बढ़ता है.

जिस तरह दांतों को ठीक रखने के लिए ब्रश करना जरूरी होता है उसी तरह फिट बौडी और सकारात्मक सोच के लिए कम से कम सप्ताह में 5 दिन 30 मिनट तक ऐक्सरसाइज करना आवश्यक है.

शारीरिक रूप से फिट व्यक्ति की सैक्सुअल लाइफ भी अच्छी रहती है, क्योंकि ऐक्सरसाइज से आप की मांसपेशियां टोंड रहती हैं.

एक शोध में पता चला है कि रोज ऐक्सरसाइज करने वाले दंपती का आपसी रिश्ता अधिक मजबूत होता है. अधिक उम्र तक वे एकदूसरे को आकर्षक मानते हैं.

इस तरह के ऐक्सरसाइज में ऐरोबिक, कुछ दूर पैदल चलना सब से अधिक प्रभावशाली होती है. ऐक्सरसाइज से ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है और व्यक्ति काफी समय तक अपनेआप को युवा महसूस करता है. पूरे दिन में आप आसानी से 30 मिनट ऐक्सरसाइज के लिए निकाल सकते हैं.

लड़कियों के लिए तो ऐक्सरसाइज खासतौर पर फायदेमंद रहती है. इस से तनाव, ब्लडप्रैशर, कोलैस्ट्रौल जैसी कई समस्याओं से राहत मिलती है.

सिक्स पैक बौडी युवाओं की पहली पसंद

सिक्स पैक दिखने में जितने आकर्षक होते हैं, बनाने में उतनी ही मेहनत लगती है. अगर आप सिक्स पैक और आकर्षक बौडी की चाहत रखते हैं तो इसे पढ़ लें एक बार. सिक्स पैक एब्स आजकल के युवाओं की पहली पसंद है. दुनिया में शायद ही कोई ऐसा शख्स होगा जो खूबसूरत आकर्षक बौडी न चाहता हो. लड़कियों को जहां जैकलीन, कैटरीना और दीपिका जैसी फिगर की चाहत होती है, वहीं लड़कों को जौन अब्राहम, ऋतिक रोशन या टाइगर श्रौफ जैसे सिक्स पैक बौडी की चाहत होती है.

पर यह तभी मिल सकती है जब युवाओं में सिक्स पैक एब्स के लिए डैडिकेशन, विलपावर, धैर्य, साहस, समय और डाइट का संतुलन हो. इन के बिना सिक्स पैक एब्स बनाना नामुमकिन है. इस संदर्भ में जिम ट्रेनर पवन मान का कहना है कि सिक्स पैक एब्स बनाने के लिए डैडिकेशन, विलपावर, धैर्य, साहस और समुचित व्यायाम व खानपान पर नियंत्रण करने की बहुत सख्त जरूरत है. पेश हैं कुछ जरूरी टिप्स जो सिक्स पैक बौडी बनाने में कारगर साबित होते हैं. डाइट सिक्स पैक एब्स के लिए संतुलित डाइट बहुत जरूरी है. आप की डाइट में ऐसे खाद्य पदार्थ शामिल होने चाहिए जिन में फैट कम हो व कार्बोहाइड्रेट व प्रोटीन समुचित मात्रा में हो.

कार्बोहाइड्रेट जहां बौडी को एनर्जी देता है वहीं प्रोटीन मसल टिशूज को मजबूत बनाता है. कार्बोहाइड्रेट 3 प्रकार के होते हैं- सिंपल, कौंप्लैक्स व सौलिड. इन तीनों प्रकार के कार्बोहाइड्रेट्स का संतुलित इस्तेमाल सिक्स पैक एब्स पाने के लिए बहुत जरूरी है. ऐक्सरसाइज सिक्स पैक का सीधा संबंध ऐक्सरसाइज से है. इसलिए सिक्स पैक बनाने के लिए रोज व्यायाम करना बहुत जरूरी है. रोज आधेपौने घंटे व्यायाम करने से शरीर में जमी अतिरिक्त कैलोरी कम होती है. लगातार मोटिवेशन और मेहनत द्वारा सिक्स पैक बनाए जा सकते हैं. रैगुलर ऐक्सरसाइज स्वस्थ शरीर के साथसाथ शरीर की बनावट को भी सुडौल बनाती है. व्यायाम तनाव को दूर भी करता है.

अध्ययनों से पता चला है कि नियमित व्यायाम उच्च रक्तचाप, मोटापा, आघात, दिल की बीमारियों की रोकथाम में भी मददगार है. विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि सप्ताह में कम से कम 4 दिन 30-40 मिनट की एरोबिक्स एक्टिविटी करना बहुत लाभकारी होता है. संगीत की ताल के साथ ऐक्सरसाइज करना तन और मन दोनों को स्वस्थ रखता है. हार्ड वर्कआउट भी सिक्स पैक एब्स बनाने में काफी सहायक होता है. फैट घटाने के लिए डाइट कम करने के बजाय वर्कआउट करना सही विकल्प है. इस के अलावा साइक्लिंग, जौगिंग, नियमित वाक और स्विमिंग अच्छी एरोबिक ऐक्सरसाइज हैं.

यों कहिए कि मसल्स बढ़ाने और कैलोरी बर्न करने का यही नैचुरल तरीका है. आजकल युवाओं पर सिक्स पैक एब्स का जनून इस कदर छाया है कि वे अपनी आकर्षक बौडी बनाने के लिए आतुर हैं. इस आतुरता को कैसे अंजाम देना चाहते हैं, ये युवा. आइए, जानते हैं. उन्हीं की जबानी. एक मल्टीनैशनल कंपनी में बतौर मार्केटिंग एक्जीक्यूटिव के पद पर कार्यरत 25 वर्षीय प्रमोद कुमार का कहना है, ‘‘मैं चाहता हूं कि अच्छी फिटनैस के साथसाथ मेरी बौडी व लुक भी काफी आकर्षक लगे.

इस के लिए मेरे शरीर का सुगठित होना बहुत जरूरी है. मैं अपने लुक व बौडी को ले कर काफी गंभीर हूं. अपनी बौडी और लुक को अपने मनमाफिक बनाने के लिए रोजाना सुबह जिम में जा कर वर्कआउट करूंगा.’’ 35 वर्षीय सौफ्टवेयर इंजीनियर पंकज कुमार का कहना है, ‘‘मैं समय से पहले बूढ़ा नहीं होना चाहता. मैं फिट रहना चाहता हूं. इसलिए मैं सुबह 5 बजे सैर पर निकल जाता हूं. पार्क में एक घंटे ऐक्सरसाइज करता हूं. औफिस में सीढि़यों का इस्तेमाल ज्यादा करता हूं. मैं अपने शरीर में इन वर्कआउट करने से फुरती महसूस करता हूं.

मैं लोगों को यही कहना चाहूंगा कि फिट रहने के लिए हमेशा सैर करें. व्यायाम के लिए समय निकालें. फैट कम करने के लिए दवाइयों का कतई इस्तेमाल न करें.’’ युवा अपनी सेहत और शरीर के प्रति जागरूक हो गए हैं. वे अपने को फिट रखने के लिए जिम व ऐक्सरसाइज की सहायता लेने लगे हैं. कुल मिला कर यही कहा जा सकता है कि जिम व ऐक्सरसाइज करने में केवल सेहत ही नहीं, एक आकर्षक लुक भी मिलता है. साथ ही, जिम कई तरह की बीमारियों से भी हमें दूर रखते हैं.

अगर आप चाहते हैं सलमान जैसी बौडी तो फौलो करें ये टिप्स

बौलीवुड के भाई जान यानी सलमान खान 53 साल की उम्र में बौलीवुड के किसी भी यंग एक्टर्स को मात दे रहे है. चाहे उनकी फिटनेस हो या उनकी पौपुलेरिटी वो किसी भी एक्टर से कम नहीं हैं. सलमान खान की फेटनेस के सभी दिवाने है. 90 के दशक से ही अपनी जबरदस्त बौडी के लिए फैंस के बीच सलमान ने एक खास जगह बनाई है. वो पिछले कई सालों से लगातार जिम में जाकर पसीना बहाते हैं, जिससे वो अपने गठीले शरीर को मेंटेन रख सकें. तो चलिए जानते है कि कैसे सलमान खुद को फिट और हेल्दी रखते हैं.

जिम में घंटों पसीना बहाना है जरुरी

यदि आप भी सलमान जैसी बौडी चाहते है तो आपको भी जिम में घंटों पसीना बहाना पड़ेगा. सलमान खान एक भी दिन जिम को मिस नहीं करते हैं. साथ ही वो डायट का खास ख्याल रखते हैं. उनके मजबूत शरीर में जितना योगदान कसरत का है, उतना ही परफेक्ट डायट का है. भारी-भारी वजन उठाने से पहले सलमान खान ट्रेड मिल पर खूब दौड़ते हैं. इससे शरीर की सारी मांस-पेशियां खुल जाती हैं.वो अपने शरीर के ऊपर भाग का जितना ख्याल रखते हैं, उतना ही ख्याल शरीर के निचले भाग का रखते हैं. वो पैरों को मजबूत बनाने के लिए घंटों वर्जिस करते हैं. साथ ही वो अपने बाइसेप्स को शेप में रखने के लिए अलग से एक दिन निकालकर रखते हैं. इस दिन वो केवल अपने हाथों पर ध्यान देते हैं ताकि उनके बाइसेप्स मजबूत बने रहें.

 

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साइकिलिंग करते हैं भाईजान

सलमान जिस दिन काम के कारण जिम नहीं जा पाते हैं, उस दिन साइकिलिंग करते हैं. जिससे उनके पूरे शरीर की वर्जिस हो जाती है. रोज जिम करना कभी-कभी बोरिंग हो जाता है, जिस कारण वो जिम में भी दोस्तों के साथ मस्ती करते रहते हैं. इसके साथ ही सलमान केवल मशीनों के ही भरोसे नहीं रहते हैं. वो कभी-कभी अखाड़े में भी अपने हाथ आजमा लेते हैं.

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सलमान बौलीवुड के अकेले ऐसे खान हैं जो न्यू-कमर्स को जिम में ट्रेनिंग देने से गुरेज नहीं करते हैं. उन्हें जब भी मौका मिलता है वो अपने जूनियर्स को ट्रेनिंग देने लगते हैं.

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