गुप्त रोग का इलाज कराएं, परम सैक्स को एंजौय करें

सैक्स का जिक्र आते ही युवा मन में एक विशेष प्रकार की सरसराहट होने लगती है. मन हसीन सपनों में खो जाता है, क्योंकि यह प्रक्रिया है 2 जवां दिलों के आपसी मिलन की. रमेश का विवाह नेहा से तय हो गया था. रमेश नेहा की खूबसूरती देख पहली ही नजर में उस का दीवाना हो गया था. नेहा को ले कर उस ने हसीन सपने बुन रखे थे. बस, इंतजार था शादी व मिलन की रात का. रमेश ने पहले कभी शारीरिक संबंध नहीं बनाए थे, इसलिए उस के लिए तो यह नया अनुभव था. मिलन की रात जब रमेश ने नेहा को अपने आगोश में लिया तो उस का धैर्य जवाब देने लगा. उस ने जल्दी से नेहा के कपड़े उतारे और सैक्स को तत्पर हो गया, पर अभी वे एकदूसरे में समा भी न पाए थे कि वह शांत हो गया. नेहा अतृप्त रह गई. जिस आनंद के सपने उस ने संजो रखे थे सब धराशायी हो गए. रमेश अपने को बहुत लज्जित महसूस कर रहा था.

रमेश जैसी स्थिति किसी भी युवा के साथ आ सकती है. अकसर युवा इसे अपनी शारीरिक कमजोरी या गुप्त रोग मान लेते हैं और उन्हें लगता है कि वे कभी शारीरिक संबंध स्थापित नहीं कर पाएंगे.

बहुत से युवा अपने मन की बात किसी से संकोचवश कर नहीं पाते और हताशा का शिकार हो कर आत्महत्या तक कर लेते हैं. कुछ युवा नीमहकीमों के चक्कर में पड़ जाते हैं जो उन्हें पहले नामर्द ठहराते हैं और फिर शर्तिया इलाज की गारंटी दे कर लूटते हैं. युवाओं को समझना चाहिए कि ऐसी समस्या मानसिक स्थिति के कारण उत्पन्न होती है.

प्रसिद्ध स्किन व वीडी स्पैशलिस्ट डा. ए के श्रीवास्तव का कहना है कि ‘पहली रात में सैक्स न कर पाना एक आम समस्या है, क्योंकि युवाओं को सैक्स की जानकारी नहीं होती. वे सैक्स को भी अन्य कामों की तरह निबटाना चाहते हैं, जबकि सैक्स में धैर्य, संयम और आपसी मनुहार अत्यंत आवश्यक है.

डा. श्रीवास्तव कहते हैं कि सैक्स से पहले फोरप्ले जरूरी है, इस से रक्त संचार तेज होता है और पुरुष के अंग में पर्याप्त कसाव आता है. कसाव आने पर ही सैक्स क्रिया का आनंद आता है और वह पूर्ण होती है. इसलिए युवाओं को सैक्स को गुप्त रोग नहीं समझना चाहिए. यदि फिर भी कोई समस्या है तो स्किन व वीडी विशेषज्ञ की राय लें.

आइए, एक नजर डालते हैं कुछ खास यौन रोगों पर :

शीघ्रपतन

अकसर युवाओं में शीघ्रपतन की समस्या पाई जाती है. यह कोई बीमारी नहीं है बल्कि दिमागी विकारों की वजह से ऐसा होता है. इस समस्या में युवा अपने पार्टनर को पूरी तरह से संतुष्ट करने से पहले ही स्खलित हो जाते हैं. यह बीमारी वैसे तो दिमागी नियंत्रण से ठीक हो जाती है, लेकिन अगर समस्या तब भी बनी रहे तो किसी योग्य चिकित्सक से परामर्श ले कर इस समस्या से छुटकारा मिल सकता है.

नपुंसकता

नपुंसकता एक जन्मजात बीमारी है. इस रोग से ग्रसित लोग स्त्री को शारीरिक सुख देने में सक्षम नहीं होते और न ही संतान पैदा कर पाते हैं. कुछ युवाओं में क्रोमोसोम्स की कमी भी नपुंसकता का कारण होती है. युवाओं को शादी से पहले पता ही नहीं चलता कि उन के क्रोमोसोम्स या तो सक्रिय नहीं हैं या उन में दोष है. कुछ युवा शुरू में नपुंसक नहीं होते पर अन्य शारीरिक विकारों की वजह से वे सैक्स क्रिया सही तरीके से नहीं कर पाते. इसलिए उन को नपुंसक की श्रेणी में रखा जाता है. आजकल तो इंपोटैंसी टैस्ट भी उपलब्ध हैं. अगर ऐसी कोई समस्या है तो इस टैस्ट को अवश्य कराएं.

पुरुष हारमोंस की कमी

पुरुषों में टैस्टेटोरोन नाम का हारमोन बनता है. यही हारमोन पुरुष होने का प्रमाण है. कभीकभी किन्हीं वजहों से टैस्टेटोरोन स्रावित होना बंद हो जाता है तो वह व्यक्ति गुप्त रोग का शिकार हो जाता है. 50 से 55 वर्ष की आयु के बाद इस हारमोन के बनने की गति धीमी पड़ जाती है इसलिए ऐसे व्यक्ति सैक्स क्रिया में जोश से वंचित रह जाते हैं.

सिफलिस

यह वाकई एक गुप्त रोग है जो किसी अनजान के साथ यौन संबंध बनाने से होता है. अकसर यह रोग सफाई न रखने या ऐसे पार्टनर से सैक्स संबंध कायम करने से होता है जो अलगअलग लोगों से सैक्स संबंध बनाता है.

इस रोग में यौनांग पर दाने निकल आते हैं. कभीकभी इन दानों से खून या मवाद का रिसाव तक होता रहता है. यदि आप के यौन अंग पर ऐसे दाने उभरते हैं तो तुरंत त्वचा व गुप्त रोग विशेषज्ञ से राय लें और इलाज कराएं. इस का इलाज संभव है.

जिस तरह पुरुषों में यौन या गुप्त रोग होते हैं, उसी तरह महिलाओं में भी गुप्त रोग हो सकते हैं. अकसर बहुत सी युवतियों की सैक्स में रुचि नहीं होती. सैक्स के नाम से वे घबरा जाती हैं ऐसी युवतियां या तो बचपन में किसी हादसे का शिकार हुई होती हैं या फिर किसी गुप्त रोग से पीडि़त होती हैं, यहां तक कि वे शादी करने तक से घबराती हैं.

महिलाओं के कुछ खास गुप्त रोग

बांझपन

युवतियों में 12-13 वर्ष की उम्र से माहवारी आनी शुरू हो जाती है. कभीकभी यह 1-2 साल आगेपीछे भी हो जाती है पर ऐसी भी युवतियां हैं जिन के माहवारी होती ही नहीं. ऐसी युवतियां बांझपन का शिकार हो जाती हैं. स्त्री बांझपन भी पुरुष नपुंसकता की तरह जन्मजात रोग है. बहुतों में अनेक शारीरिक व्याधियों के चलते भी हो जाती है लेकिन वह अस्थायी होती है और इलाज से ठीक भी हो जाता है. अगर किसी किशोरी को माहवारी की समस्या है तो उसे तुरंत किसी योग्य स्त्रीरोग विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए.

जननांगों में खुजली

जब से समाज में खुलापन आया है युवा मस्ती में कब हदें पार कर देते हैं पता ही नहीं चलता. चूंकि इन्हें जननांगों की साफसफाई कैसे रखी जाए, यह पता नहीं होता इसलिए ये खुजली जैसे यौन संक्रमणों का शिकार हो जाते हैं. यदि बौयफ्रैंड को कोई यौन संक्रमण है तो गर्लफ्रैंड को इस यौन संक्रमण से बचाया नहीं जा सकता. अत: दोनों को ही शारीरिक संबंध बनाने से पहले अपने यौनांगों की अच्छी तरह सफाई कर लेनी चाहिए.

एंड्रोजन हारमोन का अभाव

जिस तरह पुरुषों में पुरुष हारमोन टैस्टेटोरोन होता है, उसी तरह युवतियों में एंड्रोजन हारमोन होता है. जिन युवतियों में इस हारमोन की कमी होती है, उन में सैक्स के प्रति उत्साह कम देखा गया है, क्योंकि यही हारमोन सैक्स क्रिया को भड़काता है. यदि कोई युवती एंड्रोजन हारमोन की कमी का शिकार है तो उसे तुरंत गाइनोकोलौजिस्ट से राय लेनी चाहिए. यह कोई लाइलाज रोग नहीं है.

लिकोरिया

लिकोरिया गंदगी की वजह से होने वाला एक महिला गुप्त रोग है. इस रोग में योनि से सफेद बदबूदार पानी का स्राव होता रहता है, जिस से शरीर में कैल्शियम व आयरन की कमी हो जाती है. इस रोग से बचने के लिए युवतियों को अपने गुप्तांगों की नियमित सफाई रखनी चाहिए और किसी दूसरी युवती के अंदरूनी वस्त्र नहीं पहनने चाहिए. लिकोरिया की शिकार युवतियों को तुरंत लेडी डाक्टर से सलाह लेना चाहिए, वरना यह रोग बढ़ कर बेकाबू हो सकता है.

सैक्स में भ्रांतियां न पालें

सैक्स की अज्ञानता की वजह से अकसर युवकयुवतियां सैक्स को ले कर तरहतरह की भ्रांतियां पाल लेते हैं.

हस्तमैथुन

यह एक स्वाभाविक क्रिया है. अकसर युवकों को हस्तमैथुन की आदत पड़ जाती है. ज्यादा हस्तमैथुन करने वाले युवकों को लगता है कि उन का अंग छोटा या टेढ़ा हो गया है और वे विवाह के बाद अपनी पत्नी से शारीरिक संबंध बनाने में कामयाब नहीं होंगे. कई नीमहकीम भी युवकों को डरा देते हैं कि हस्तमैथुन से अंग की नसें कमजोर पड़ जाती हैं और वे अपनी पत्नी को खुश नहीं रख सकेंगे, पर वास्तव में ऐसा नहीं है. हस्तमैथुन शरीर की आवश्यकता है. शरीर में वीर्य बनने पर उस का बाहर आना भी जरूरी है. इस में किसी प्रकार की कोई बुराईर् नहीं है. युवक ही नहीं युवतियां भी हस्तमैथुन करती हैं. डाक्टरों का भी मत है कि हस्तमैथुन का कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ता.

ज्यादा सैक्स सेहत के लिए हानिकारक

अकसर लोगों को यह कहते सुना जाता है कि ज्यादा सैक्स सेहत के लिए हानिकारक है पर ऐसा बिलकुल भी नहीं है. बल्कि सैक्स से महरूम रहना सेहत पर असर डालता है. सैक्स से मानसिक थकावट कम होती है, चित्त प्रफुल्लित रहता है जो सेहत के लिए अत्यंत जरूरी है.

पूरे दिन में ये है सेक्स के लिये सबसे बेहतर समय

सेक्स के लिये दोपहर तीन बजे का समय सबसे बेहतर माना जाता है लेकिन ये बात अलग है कि उस समय ज्यादातर लोग औफिस में होते हैं.

हार्मोन विशेषज्ञ एलिसा विटी के अनुसार ये वो समय होता है जब पुरुष और महिला की सेक्स की इच्छा बराबर की होती है. दोपहर को महिला का हार्मोन कॉर्टिसोल का स्तर बढ़ जाता है जिससे वह अधिक ऊर्जावान हो जाती है. इसी समय पुरुष का भी एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ा रहता है जिसकी वजह से सेक्स के दौरान दोनों भावनात्मक रुप से एक दूसरे के और करीब आ जाते हैं.

एलिसा का कहना है कि दोपहर के समय सेक्स करने से सबसे ज्यादा संतुष्टि मिलती है. इस समय जहां महिला को जहां पुरुष से भावनात्मक लगाव मिलता है वही सेक्स का परम आनंद भी प्राप्त होता है.

एलिसा के अनुसार सोते समय पुरुष के शरीर में टेस्टोस्टेरोन बनता है जो उत्तेजना के बेहद जरुरी हार्मोन होता है. इसका स्तर बहुत सुबह या कुछ देर बाद चरम पर पहुंच जाता है, इसलिये ये समय सेक्स के लिये बेहतर होता है. इस समय सेक्स करने करने के लिये पहल करने की पुरुषों की ज्यादा दिलचस्पी रहती है और वे बेहतर तरीके से सेक्स करते हैं.

लेकिन पुरुषों के लिये सेक्स करने का दोपहर का भी समय बोहतर होता है क्योंकि जहां उनका टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम हो जाता है वहीं एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ जाता है.

एलिसा का ये भी कहना है कि अंडोत्सर्ग (ovulation) के दस दिन के बाद का समय सेक्स के लिये बहुत अच्छा होता है, क्योंकि इस समय महिला का एस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरोन का स्तर बढ़ जाता है जिससे सेक्स की तीव्र इच्छा पैदा होती है.

इसके पहले के शोध में कहा गया है कि सुबह सेक्स के लिये सबसे अच्छा समय होता है क्योंकि उस समय पुरुष और महिला एकदम तरोताज़ा रहते हैं.

पति के एक रिश्तेदार अजीब नजरों से मुझे देखते हैं और छूने की भी कोशिश हैं, मैं क्या करूं?

सवाल
मेरे पति के एक दूर के रिश्तेदार का हमारे घर में काफी आनाजाना है. वे मेरे पति के काफी करीब हैं. और वक्तबेवक्त कभी भी आ धमकते हैं. कई बार मुझे उन का रवैया सही नहीं लगता. वे कुछ अजीब नजरों से मेरी तरफ देखते हैं और कई दफा जबरन मुझे स्पर्श करने का प्रयास भी करते हैं. मैं पति से कुछ कह नहीं पाती यह सोच कर कि पता नहीं वे क्या सोचेंगे. 1-2 बार तो ऐसा मौका भी आया जब वे उस वक्त आ पहुंचे जब पति औफिस में और ससुरजी बाहर होते हैं, मैं घर में अकेली होती हूं. मुझे बहुत डर लगता है.

जवाब
डरने या घबराने की कोई बात नहीं है. आप को सब से पहले अपने पति से ये सारी बातें शेयर करनी चाहिए. पति से कहें कि वे उस रिश्तेदार को ताकीद कर दें कि फोन करने के बाद ही वे आप के घर आया करें. पति घर में न हों तो आप स्वयं कोई बहाना बना कर उन्हें दरवाजे से ही वापस भेज सकती हैं. उस रिश्तेदार से किसी भी तरह दूरी बढ़ा लें ताकि वह अकसर आ कर आप को परेशान न करे. सिर्फ पति से ही नहीं, अपने ससुर से भी इस बारे में चर्चा जरूर करें.

मेरी शादी मेरे बौयफ्रेंड से नहीं हो पाई और वह अब भी मेरे पीछे पड़ा है, मैं क्या करूं?

सवाल
मैं जिस लड़के से प्यार करती थी, उस से मेरी शादी नहीं हो पाई. हम दोनों की अलग अलग शादी हो गईं. लेकिन वह अब भी मेरे पीछे पड़ा रहता है और न मिलने पर जान देने की धमकी देता है. क्या करूं?

जवाब
अगर उसे आप से बहुत प्यार था, तो हर हालत में उसे आप से ही शादी करनी चाहिए थी. अब चूंकि ऐसा नहीं हुआ, तो आप उसे भूल कर पूरी तरह पति का ही खयाल रखें. वह जान कतई नहीं देगा. अलबत्ता, उस के चक्कर में आप अपने पति का यकीन खो सकती हैं.

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सुरक्षित सेक्स के इन खतरों के बारे में भी जानिए

हम सभी की तरह मार्केटिंग प्रोफेशनल प्रिया चौहान को भी पूरा भरोसा था कि कंडोम का इस्तेमाल उन्हें हर तरह की सेक्स से फैलनेवाली बीमारियों (एसटीडीज) से महफूज रखेगा. आखिरकार इस बात को लगभग सभी स्वीकार करने लगे हैं. वे तब अचरज से भर गईं, जब उन्हें वेजाइनल हिस्से में लालिमा और जलन की वजह से त्वचा विशेषज्ञ के पास जाना पड़ा.

‘‘डौक्टर ने मुझे बताया कि मुझे सिफलिस का संक्रमण हुआ है, जो एक तरह की एसटीडी है,’’ गायत्री बताती हैं. ‘‘मुझे लगता था कि कंडोम मुझे इस तरह की बीमारियों से सुरक्षित रखता है और जलन की वजह के बारे में मैं सोचती थी कि शायद मैं पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं पी रही हूं.’’

ये चुंबन से भी हो सकता है

गायत्री और उनके बौयफ्रेंड को कुछ ब्लड टेस्ट कराने कहा गया और ऐंटीबायोटिक्स दिए गए, ताकि सिफलिस के वायरस को फैलने से रोका जा सके. ये वो सबसे आम एसटीडी है, जिसे रोकने में कंडोम सक्षम नहीं है.

सेक्सोलौजिस्ट डा. राजीव आनंद, जो कई जोड़ों को कंडोम और एसटीडीज से जुड़े इस मिथक की सच्चाई बता चुके हैं, कहते हैं कि अधिकतर लोग कंडोम को एसटीडीज से बचने का सबसे सुरक्षित तरीका मानते हैं, लेकिन कुछ इन्फेक्शंस ऐसे हैं, जो ओरल सेक्स या चुंबन के जरिए भी फैल सकते हैं.

‘‘ये भ्रांति शायद इसलिए है कि एड्स से जुड़ी जानकारी के केंद्र में कंडोम ही है. हालांकि यह एड्स की रोकथाम में कारगर है, लेकिन यह कुछ एसटीडीज की रोकथाम में कारगर नहीं है,’’

वे कहते हैं. ‘‘कंडोम प्रेगनेंसी और कुछ एसटीडीज से बचाव करता है, लेकिन हरपीज वायरस के इन्फ़ेक्शन से बचाने में यह कारगर नहीं है. यह एचपीवी (ह्यूमन पैपिलोमा वायरस) और कुछ फंगल इन्फ़ेक्शंस, जो त्वचा के उन हिस्सों के संपर्क के कारण फैलते हैं, जो कंडोम से नहीं ढंके हैं, से भी बचाव नहीं कर पाता.’’

कंडोम के इस्तेमाल से शारीरिक स्राव का विनिमय तो रुक जाता है, लेकिन हरपीज, एचपीवी और गोनोरिया आदि होने की संभावना बनी रहती है.

इस खतरे को कम करें

अपने साथी को अच्छी तरह जानना तो जरूरी है ही, पर ऐसे लोगों की संख्या को सीमित रखें, जिनसे आप सेक्शुअल संबंध रखती हैं, ताकि आप एसटीडीज के खतरे से बच सकें. यदि आप किसी नए साथी के साथ संबंध बना रही हैं तो उसका चेकअप जरूर कराएं.

‘‘यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने साथी से चेकअप कराने को कहें और उसकी रिपोर्ट्स देखें. मुझे पता है कि ये थोड़ा अटपटा लगेगा, लेकिन हमें समय के साथ चलना होगा,’’ कहती हैं रश्मि बंसल, जो दो वर्षों तक लिव-इन रिश्तों में थीं. ‘‘यदि वह आपको सच में पसंद करता है तो ऐसा करने में उसे कोई समस्या नहीं होगी.’’ इसके अलावा हेपेटाइटिस बी और एचपीवी के लिए वैक्सीन लेना भी अच्छा रहता है.

इस तरह करें सुहागरात की तैयारी, बनी रहेगी प्यार की खुमारी

जीवन के कुछ बेहद रंगीन पलों, जिन की कल्पना मात्र से धड़कनें तेज हो जाती हैं और माहौल में रोमानियत छा जाती है, में से एक है शादी की पहली रात यानी मिलन की वह रात जब दो धड़कते जवां दिल तनमन से मिलन को तैयार होते हैं.

चाहे किसी भी उम्र का कोई भी व्यक्ति क्यों न हो? वह अपनी पहली रात की यादों की खुशबू को हमेशा अपने जेहन में बसाए रखना चाहता है. मिलन की यह रात एक प्रेम, रोमांस और रोमांच तो पैदा करती ही है साथ ही अगर सावधानीपूर्वक इस के आगमन की तैयारी न की जाए तो यह पूरे जीवन के लिए टीस बन कर रह जाती है. जीवन की इस खास रात को यादगार बनाने के लिए अगर थोड़ा ध्यान दिया जाए तो बेशक यह रात हमेशाहमेशा के लिए खास बन जाएगी.

घूंघट में लिपटी, फूलों की सेज पर बैठी दुलहन के पारंपरिक कौंसैप्ट से अलग बदलाव आने लगे हैं. अब तो युवा शादी तय होते ही बाकायदा इसे सैलिब्रेट करने की योजना में विवाह से पहले ही जुट जाते हैं.

रोमानियत और रोमांच की इस रात को अगर थोड़ी तैयारी और सावधानी के साथ मनाया जाए तो जिंदगी फूलों की तरह महक उठती है वरना कागज के फूल सी बिना खुशबू हो जाती है. दो लफ्जों की यह कहानी ताउम्र प्यार की सुरीली धुन बन जाए इस के लिए कुछ बातों का जरूर खयाल रखें.

मुंह की दुर्गंध करें काबू : यह समस्या किसी को भी हो सकती है. मुंह से दुर्गंध आना एक आम समस्या है पर यही समस्या मिलन की रात आप के पार्टनर पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है. चूंकि नवविवाहितों को इस खास रात बेहद करीब आने का अवसर मिलता है. ऐसे में थोड़ी सी भी लापरवाही आप के पार्टनर के मन में आप के लिए खिन्नता व दूरी पैदा कर सकती है. इसलिए बेहतर है कि अगर आप के मुंह से दुर्गंध आती है तो पहले ही इस का बेहतर इलाज करा लें या फिर इसे दूर करने के लिए मैंथौल, पीपरमैंट या फिर सुगंधित पानसुपारी आदि लें. आप बेहतर क्वालिटी के माउथ फ्रैशनर का भी प्रयोग कर सकते हैं.

सैंट का प्रयोग करें : कहते हैं शरीर की सुगंध सामने वाले को सब से ज्यादा प्रभावित करती है. पसीने के रूप में शरीर से निकलने वाली दुर्गंध आप की छवि खराब कर सकती है. मिलन की रात ज्यादातर लोग इसे ले कर गंभीर नहीं होते जबकि यह सब से अहम है.

आप के तन की खुशबू सीधे आप के पार्टनर के मन पर प्रभाव डालती है जिस से मिलन का मजा दोगुना हो जाता है. शारीरिक दुर्गंध कोई बड़ी समस्या नहीं है. आजकल बाजार में आप की पसंद और चौइस के अनुसार ढेरों फ्लेवर व विभिन्न ब्रैंड्स के डिओ उपलब्ध हैं.

‘आप चाहें तो अपने पार्टनर की पसंद पूछ कर उसी ब्रैंड का डिओ, सैंट, स्पे्र आदि इस्तेमाल कर सकते हैं. इस के दो फायदे हैं एक तो आप की सकारात्मक इमेज बनेगी दूसरे पसीने की दुर्गंध से बचेंगे, जिस से आप की पार्टनर आप से खुश भी हो जाएगी.

अनचाहे बालों से मुक्ति : कई बार अनाड़ीपन में पहली रात का मजा किरकिरा हो जाता है. लापरवाही और बेफिक्री आप को इम्बैरेंस फील करा सकती है. बोयोलौजिकली हमारे शरीर के हर हिस्से में बाल होते हैं जिन में गुप्तांगों के बाल भी शामिल हैं. मिलन की रात से पहले ही अपने शरीर के इन अंगों के बालों को अवश्य हटा लें. यह न केवल हाइजिनिक दृष्टि से जरूरी है बल्कि यह कम्फर्टेबिलिटी का पैमाना भी है. बाजार में कई तरह के हेयर रिमूवर व क्लीनर मिलते हैं, जिन से आसानी से इन बालों को रिमूव किया जा सकता है. अगर इम्बैरेंस होने से बचना है तो इस बात का खयाल अवश्य रखें.

मासिक धर्म न आए आड़े : कई बार ऐसा होता है कि मिलन की रात वाले दिन ही मासिक धर्म एक बड़ी समस्या के रूप में सामने आ कर आप के हसीन सपनों पर पानी फेर देता है. इस रात मासिक धर्म आप के मिलन पर भारी न पड़े, इस के लिए जरूरी है कि अगर आप के मासिक धर्म की तिथि इस दौरान है तो पहले ही डाक्टर से मिल कर इस का समाधान कर लें. माहवारी ऐक्सटैंड या डिले करने वाली दवाएं बाजार में उपलब्ध हैं. डाक्टर की सलाह से उन का उपयोग करें.

कुछ यों करें साथी को तैयार

–       कई बार मिलन की हड़बड़ी में पार्टनर की भावनाओं की परवा किए बगैर युवा गलती कर बैठते हैं. इसलिए जब तक साथी मिलन के लिए पूरी तरह तैयार न हो उस पर बिलकुल दबाव न डालें.

–       बेसब्र होने के बजाय धीरज से पार्टनर के पास जाएं. बातचीत करें. उस के शौक, चाहत, लक्ष्य आदि के बारे में बात करें.

–       अगर पार्टनर अपने अतीत के बारे में स्वयं कुछ बताना चाहे तो ठीक अन्यथा कुरेदकुरेद कर उस के अतीत को जानने का प्रयत्न न करें.

–       पार्टनर के हावभाव, तेवर व आंखों की भाषा पढ़ने की कोशिश करें, उसे जो पसंद हो, वही करें. अपनी चौइस उस पर न थोपें.

–       आप की पार्टनर अपने घर को अलविदा कह कर आप के घर में  सदा के लिए आ गई है, ऐसे में जल्दबाजी में संबंध बनाने के बजाय उस का विश्वास जीतने की कोशिश करें व सामीप्य बढ़ाएं.

– संभव हो तो अपने परिवार के सदस्यों के बारे में उस की पसंदनापसंद, स्वभाव, प्रवृत्ति तथा घर के तौरतरीकों के बारे में हलकीफुलकी बातें कर सकते हैं.

–       पार्टनर की कमियां निकालने के बजाय उस की खूबियों की चर्चा करें, फिर देखिए मिलन की रात कैसे सुपर रात बनती है. –

इन बातों का भी रखें ध्यान 

–  अपने बैडरूम का दरवाजाखिड़की अच्छी तरह बंद करें. उन्हें खुला बिलकुल न छोड़ें.

– ड्रिंक न करें, जरूरी हो तो ओवरडोज से बचें. नशा सारी खुमारी पर पानी फेर सकता है.

– कमरे में तेज रोशनी न करें. हलके गुलाबी या रैड लाइट वाले जीरो वाट के बल्ब का इस्तेमाल करें.

– पार्टनर के साथ जोरजबरदस्ती बिलकुल न करें. उसे प्यार से तैयार करें. पहले बातचीत से नजदीक आएं फिर मिलन के लिए आलिंगनबद्ध करें व बांहों के आगोश में समा जाएं.

– भारीभरकम वैडिंग गाउन, लहंगे, साड़ी पहनने से बचें. हलकेफुलके नाइट गाउन को तरजीह दें. सैक्सी अंत:वस्त्र ऐसे में माहौल को रोमानियत प्रदान करते हैं.

–  रूम फ्रैशनर का प्रयोग करें पर जरूरत से ज्यादा नहीं. हो सकता है आप के पार्टनर को इस से ऐलर्जी की समस्या हो.

–  बैड की पोजिशन जरूर चैक करें. ज्यादा आवाज करने वाले बैड आप को इम्बैरेंस कर सकते हैं.

सेक्स से जुड़ी बीती बातें पार्टनर को बताने से पहले पढ़ें ये खबर

क्या आपके पार्टनर को पता है कि आप आखिरी बार किसके साथ हमबिस्तर हुईं थीं? इससे भी प्रासंगिक सवाल यह है कि क्या उन्हें यह जानने की जरूरत है? ये दो महत्वपूर्ण सवाल हैं, जिनको लेकर महिलाओं (और पुरुष) के मन में अपने वर्तमान पार्टनर के साथ एक अच्छा सेहतमंद भावनात्मक और सेक्शुअल रिश्ता बनाए रखने के लिए खींचतान लगी रहती है.

क्या आपको अपने पार्टनर से सच्ची बातचीत के लिए अपने अतीत की सारी बातें उनके सामने खोलकर रख देनी चाहिए? या फिर अपने रिश्ते को खुशहाल बनाए रखने के लिए चुनकर बातें बतानी चाहिए? हमने काउंसलर्स और थेरैपिस्ट्स से बात की, ताकि आप दोनों स्थितियों में से चुनाव कर सकें.

शुरू से सच्ची रहें

रीमा शाह, क्लीनिकल साइकोलौजिस्ट, पुणे, कहती हैं,“शुरू से ही सच्चे रहना सबसे उपयुक्त है. आपका अतीत आपका हिस्सा है और उसके बारे में शर्मिंदा होने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है. यदि आपके पार्टनर को आपके अतीत से परेशानी है तो कम से कम आप शुरू से ही सबकुछ सोच-समझकर फैसला ले सकती हैं.”

जरूरत हो तभी कहें

डॉ मोहित शाह, कंसल्टेंट साइकियाट्रिस्ट और साइकोथेरैपिस्ट, अनलिमिटेड पोटेंशियलिटीज, मुंबई, सचेत करते हैं,“आपको अपनी सेक्शुअल हिस्ट्री तभी शेयर करनी चाहिए, जब आपका पार्टनर सुनना चाहता हो. और अपनी बातें संक्षिप्त ही रखें. ‘अद्भुत’ या ‘लाजवाब’ जैसे शब्दों का प्रयोग न करें और अपनी अतीत की सेक्शुअल परफौमसेंस को लेकर शेखी न बघारें.”

कुछ बातों के लिए कहें ‘ना’

वहीं दूसरी ओर मुंबई की सीनियर कंसल्टेंट साइकियाट्रिस्ट और थेरैपिस्ट, माइंडफ्रेम्स की डॉ शेफाली बत्रा का कहना है,“किसी भी रिश्ते के लिए संवाद बेहद अहम होता है; यह सलाह देना कि पार्टनर्स एक-दूसरे से चीजें छिपाएं, बिल्कुल गलत होगा, लेकिन बात जब सेक्शुअल हिस्ट्री की हो तो कुछ बातें हैं, जिन्हें न कहना ही बेहतर होगा. क्योंकि इससे आपको कोई फायदा नहीं होता. इसका मतलब यह नहीं कि आप झूठ कहें. पर अपने सेक्शुअल अतीत का पूरा बायो डेटा खोलकर रख देना भी कोई विकल्प नहीं है.”

पार्टनर और दोस्त में अंतर होता है

डॉ बत्रा इस ओर इशारा करते हुए कहती हैं कि अपने पार्टनर के साथ अपनी सेक्शुअल उपलब्धियों के बारे में बात करना, दोस्तों के सामने अपनी जीत का परचम लहराने से बिल्कुल अलग है. “दोस्तों के बीच आप अपने पूर्व प्रेमियों, सेक्शुअल पोजिशन्स इत्यादि के बारे में बातचीत कर सकती हैं, लेकिन कपल्स में यह पूरी तरह से आप दोनों के संवेदनशीलता और परिपक्वता पर निर्भर करता है. और यहां तक कि जो जोड़े बहुत करीब होते हैं, उनमें भी जलन की भावना होती है. इससे कोई फर्क़ नहीं पड़ता कि आप कितनी खुली सोच रखती हैं, असल में तो आप इंसान ही हैं और जलन महसूस करना स्वाभाविक है.

अतीत के सेक्शुअल अनुभवों की बातें करना आपके रिश्ते के बीच शक और द्वेष के बीज बोएगा. इसके अलावा, परिपक्व जोड़ों को इस तरह के सवाल पूछने ही नहीं चाहिए, क्योंकि कौन अतीत में रहना पसंद करेगा?” पूछती हैं डॉ बत्रा. “यह बिल्कुल निरर्थक बातचीत है, जो आपके रिश्ते को नुक़सान पहुंचा सकती है. यह तो ऐसा हुआ कि आप अपने पार्टनर से कह रही हों कि आपके भूतपूर्व प्रेमी का पीनिस उनके से बड़ा था-अब जब भी आप दोनों सेक्स करेंगे, तब उनके दिमाग में यह बात गूंजेगी कि उनका पीनिस उतना बड़ा नहीं कि वे आपको संतुष्ट कर सकें,” वे आगे जोड़ती हैं.

लेकिन यदि शेयर करना ही पड़े तो…

और हो सकता है कि जिज्ञासा हमारे कमजोर मानवीय दिमाग पर हावी हो जाए. अतः यदि आपको लगता है कि आप या आपके पार्टनर अपनी सेक्शुअल हिस्ट्री एक-दूसरे से बांटना चाहते हैं तो काउंसलर्स का कहना है कि आपको पहले खुद सचेत होना होगा. खुद से पूछें कि क्या आप तैयार हैं अपने पार्टनर द्वारा साझा की गई बातों को सुनने के लिए या क्या वे आपकी बातें सुन पाएंगे? डॉ बत्रा कहती हैं,“मैं सेक्शुअल हिस्ट्री को एक हौरर फिल्म मानती हूं-आपको लगता है कि आप इसे झेल सकती हैं, लेकिन बाद में रातों की नींद उड़ जाती है. और वह भी किसी अच्छी वजह से नहीं.”

सीधा और स्पष्ट

सीधे दो टूक बात करने में विश्वास रखती हैं तो इन नियमों का पालन करें:

  • याद रखें कि आप अपने अतीत की सेक्शुअल बातें अस्पष्ट तौर पर ग़ुस्से में सज़ा देने के लिए न कह रही हों. इस तरह की मानसिक लड़ाई आपके रिश्ते को नुकसान पहुंचा सकती है.
  • यदि वे आपके खट्टे-मीठे सेक्शुअल अनुभवों के बारे में पूछ रहे हों तो इसके पीछे की उनकी भावना को समझें. आपको लगता है कि इससे समस्याएं बढ़ जाएंगी तो महत्वपूर्ण पहलुओं को शेयर करने से इनकार कर दें. जरूरत हो तो थेरैपिस्ट की मदद लें.
  • यदि आप दोनों की सहमति से यह निर्णय लिया गया है तो इसके लिए सही समय चुनें. रात के डिनर के वक्त इस पर बात करें, ताकि आपके पास पूरी प्राइवसी हो.
  • पहले से सीमाएं तय कर लें, ताकि आप जिन बातों को शेयर करने में सहज हैं, केवल वही बातें करें.
  • याद रखें कि आप दोनों एक-दूसरे को कठोरता से जज न करें. एक-दूसरे को अपने अतीत में प्रवेश करने का मौका दें और अच्छे भविष्य की ओर आगे बढ़ें.

मेरे जीजाजी मुझसे काफी स्नेह करते हैं पर मेरे पति उन्हें पसंद नहीं करते, पति को कैसे समझाऊं?

सवाल
मेरी शादी को 1 साल हुआ है. यों तो पति और ससुराल वाले सब अच्छे हैं, पर पति को मेरा मायके जाना पसंद नहीं है. दरअसल, हमारा कोई भाई नहीं है. इसीलिए मेरी बड़ी बहन सपरिवार मम्मी पापा के पास रहती है. बहन मुझ से 10 साल बड़ी है. मेरे जीजा जी बिलकुल बड़े भाई की तरह मुझ से स्नेह करते हैं पर मेरे पति उन्हें पसंद नहीं करते. मुंह से कुछ नहीं कहते पर उन का चेहरा सब बयां कर जाता है. पति को कैसे समझाऊं?

जवाब
आप की शादी को थोड़ा ही वक्त बीता है, अभी आप को अपने पति को समय देना चाहिए. यदि आप के पति नहीं चाहते कि आप मायके ज्यादा जाएं या अपने बहनोई से खुल कर बात करें. तो आप उन्हें शिकायत का मौका न दें. हो सकता है कि समय के साथ उन का व्यवहार बदल जाए और उन्हें रिश्तों की अहमियत समझ आने लगे.

अच्छी बात नहीं सैक्स में नानुकुर

आज यह लगातार चौथी रात थी जब सुरभि बिस्तर पर आने के बाद तकरीबन घंटाभर अपने मायके वालों से ले कर दोस्तों तक फोन पर लगी रही थी. टैलीविजन देख रहा उस का मर्द विवेक उस से बीचबीच में जोकुछ भी कहता, उस का वह ‘हांहूं’ में जवाब देती जाती. यही करतेकरते उसे खर्राटे आने लगे. विवेक ने मन मसोस कर टैलीविजन बंद किया और बगल में लेट गया.

आधी रात को जब विवेक की आंख खुली तो उस ने अपने में कड़ापन पाया. उसे सैक्स की तलब हो रही थी. उस ने सुरभि को जगाना चाहा लेकिन उस ने अपना रोज का ‘सोने दो न…’ वाला डायलौग बोल दिया.

झल्ला कर विवेक को आज भी खुद से ही काम चलाना पड़ा और वह नाराज मूड लिए ही सो गया.

इस तरह की हालत केवल विवेक की ही नहीं है बल्कि हर दूसरे घर में मर्दों को अपनी औरतों की यह ‘न’ झेलनी पड़ती है.

औरतों की सैक्स को ले कर नानुकर या इस के बल पर अपने मर्द को ब्लैकमेल करने की यह आदत अकसर अच्छेखासे रिश्ते को खराब कर देती है. ऐसा करना खुद औरतों को भी कई तरह से नुकसान पहुंचाता है.

बारबार सैक्स के लिए मना करने से औरत के साथी को लगने लगता है कि शायद उस में कोई कमी है जिस के चलते ही औरत को उस के साथ सैक्स करने में मजा नहीं आ रहा है. इस से जिंदगी के प्रति उस की चाहत कम हो सकती है.

अगर सैक्स के दौरान सचमुच औरत को अपने साथी की कोई बात खटके तो वह उसे सीधे शब्दों में बताए ताकि उस का हल निकाला जा सके.

लगाव कम होना

अपने साथी से लगातार सैक्स संबंध न बनाना या बहुत कम यानी महीने में 1-2 बार बनाना मर्दऔरत दोनों के रिश्ते में कड़वाहट घोल सकता है. सैक्स के दौरान मर्दऔरत जितने घुलतेमिलते जाते हैं, वैसा किसी और मौके पर होना अकसर मुश्किल होता है.

नए रिश्ते बनाना बुरा नहीं है लेकिन बारबार नएनए रिश्ते बनाना न आसान होता है और न ही अच्छा, इसलिए अगर औरत को अपना रिश्ता प्यारा है तो वह उसे और मजबूत करने पर ध्यान दे.

जिस तरह कोई गायक रियाज करना छोड़ दे तो वह गाना भी भूलने लगता है, उसी तरह सैक्स कम करने से सैक्स की चाहत में भी कमी आनी शुरू हो जाती है. वैसे, सैक्स करने से नीचे खून का दौरा सही रहता?है, पेशाब पर जोर बढ़ता है.

शक को जन्म देना

जी हां, औरत की रोजरोज की यह नानुकर उसे इस तरह की समस्या से भी दोचार करा सकती है खासकर अगर वह कामकाजी औरत है. फिर वह चाहे जो भी बहाने बना ले, अपने साथी को बिस्तर पर समय न देना उस के मन में यह शक पैदा करेगा कि उस की औरत की जिस्मानी जरूरतें कहीं और से पूरी हो रही हैं. मर्द का इस बात का गुस्सा दूसरे मौकों पर निकलने लगेगा जो घर में कलह की वजह बनेगा.

न करें ये गलतियां

कई औरतों को अकसर अपना बदन एक हथियार जैसा लगने लगता है. सासससुर, ननद वगैरह से नोकझोंक की हालत में वे अपने पति को सैक्स के नाम पर धमकाना शुरू कर देती हैं. साथी अगर बौयफ्रैंड है तो मामला खर्च, औफिस जैसे मसलों पर टिक जाता है.

औरत को यह समझना होगा कि सैक्स केवल मर्द की गरज नहीं है, बल्कि औरत को भी सैक्स की उतनी ही जरूरत होती है. अगर ऐसा नहीं होता तो ‘पति के अंग में तनाव कम होता है’ जैसे मुद्दों पर घर नहीं टूटते. सैक्स को ले कर ब्लैकमेल करने की आदत औरत को एक दिन किसी लायक नहीं छोड़ती है.

बिना वजह ‘न’ कहना

ऐसा हो सकता है कि किसी दिन या कुछ दिनों तक औरत सैक्स के लिए तैयार न हो, पर इस की सही वजह होनी चाहिए. ‘थकी हुई हूं’ जैसी बातें हमेशा अच्छी नहीं लगतीं. औरत का साथी भी उसी की ही तरह थका हुआ होता है. इस के अलावा एक कामयाब सैक्स औरत की थकान भी उतारेगा, इस को भी समझें.

प्यार भरी छेड़छाड़ तक तो ठीक है लेकिन औरत का साथी अगर उस से सैक्स करने के लिए चिरौरी कर रहा है, तो यह सोच कर मजे लेना शुरू न करें. इस का भारी खमियाजा भी भुगतना पड़ सकता है. लिहाजा, सैक्स करने का मजा लें और अपनी जिंदगी को खुशहाल बनाएं.

मैं अपने स्टूडेंट के साथ सेक्स करना चाहती हूं, मैं क्या करूं?

सवाल

मेरी जिंदगी में एक लड़का आया है जो मुझ से कम उम्र का है. वह मुझे बहुत चाहता है. वह मेरे पास मैथ्स की क्लासेज लेने आता था. धीरे-धीरे हमारे बीच अजीब सा आकर्षण पैदा हुआ. मैं मानती हूं कि यह गलत है, क्योंकि मैं शादीशुदा हूं. मगर मैं स्वयं नहीं जानती कि ऐसा कैसे हो गया. आप ही बताएं, मैं क्या करूं?

जवाब

आप के और उस लड़के के बीच आकर्षण का पैदा होना स्वाभाविक प्रक्रिया है. विपरीतलिंगी व्यक्ति के साथ जब आप समय बिताते हैं तो सहज ही आप के बीच ऐसा रिश्ता कायम हो सकता है. मगर इस रिश्ते को आप को अपने जीवन की गलती नहीं बनानी चाहिए.

आप का अपना परिवार है. यह संबंध परिवारों में तनाव पैदा कर सकता है. उस लड़के से आप कम से कम मिलें. उस के साथ सिर्फ हैल्दी फ्रैंडशिप का रिश्ता रखें.

कुछ महिलाएं इस वजह से भी अपने से कम उम्र के पुरुषों के प्रति आकर्षित हो जाती हैं क्योंकि वे अपने पति की बढ़ती उम्र, उदासीनता और सपाट रवैए से नाखुश रहने लगती हैं. यदि ऐसा है तो अपने पति से इस संदर्भ में बात करें. इस प्रकार का दिल का संबंध आमतौर पर तर्क व व्यावहारिकता नहीं देखता और नितांत प्राकृतिक है. आप अपराधबोध नहीं रखेंगी तो ज्यादा खुश रहेंगी.

कैसा था उस लड़की का खुमार

दरवाजा खुला. जिस ने दरवाजा खोला, उसे देख कर चंद्रम हैरान रह गया. वह अपने आने की वजह भूल गया. वह उसे ही देखता रह गया.

वह नींद में उठ कर आई थी. आंखों में नींद की खुमारी थी. उस के ब्लाउज से उभार दिख रहे थे. साड़ी का पल्लू नीचे गिरा जा रहा था. उस का पल्लू हाथ में था. साड़ी फिसल गई. इस से उस की नाभि दिखने लगी. उस की पतली कमर मानो रस से भरी थी.

थोड़ी देर में चंद्रम संभल गया, मगर आंखों के सामने खुली पड़ी खूबसूरती को देखे बिना कैसे छोड़ेगा? उस की उम्र 25 साल से ऊपर थी. वह कुंआरा था. उस के दिल में गुदगुदी सी पैदा हुई.

वह साड़ी का पल्लू कंधे पर डालते हुए बोली, ‘‘आइए, आप अंदर आइए.’’

इतना कह कर वह पलट कर आगे बढ़ी. पीछे से भी वह वाकई खूबसूरत थी. पीठ पूरी नंगी थी.

उस की चाल में मादकता थी, जिस ने चंद्रम को और लुभा दिया था. उस औरत को देखने में खोया चंद्रम बहुत मुश्किल से आ कर सोफे पर बैठ गया. उस का गला सूखा जा रहा था.

उस ने बहुत कोशिश के बाद कहा, ‘‘मैडम, यह ब्रीफकेस सेठजी ने आप को देने को कहा है.’’

चंदम ने ब्रीफकेस आगे बढ़ाया.

‘‘आप इसे मेज पर रख दीजिए. हां, आप तेज धूप में आए हैं. थोड़ा ठंडा हो जाइएगा,’’ कहते हुए वह साथ वाले कमरे में गई और कुछ देर बाद पानी की बोतल, 2 कोल्ड ड्रिंक ले आई और चंद्रम के सामने वाले सोफे पर बैठ गई.

चंद्रम पानी की बोतल उठा कर सारा पानी गटागट पी गया. वह औरत कोल्ड ड्रिंक की बोतल खोलने के लिए मेज के नीचे रखे ओपनर को लेने के लिए झुकी, तो फिर उस का पल्लू गिर गया और उभार दिख गए. चंद्रम की नजर वहीं अटक गई.

उस औरत ने ओपनर से कोल्ड ड्रिंक खोलीं. उन में स्ट्रा डाल कर चंद्रम की ओर एक कोल्ड ड्रिंक बढ़ाई.

चंद्रम ने बोतल पकड़ी. उस की उंगलियां उस औरत की नाजुक उंगलियों से छू गईं. चंद्रम को जैसे करंट सा लगा.

उस औरत के जादू और मादकता ने चंद्रम को घायल कर दिया था. वह खुद को काबू में न रख सका और उस औरत यानी अपनी सेठानी से लिपट गया. इस के बाद चंद्रम का सेठ उसे रोजाना दोपहर को अपने घर ब्रीफकेस दे कर भेजता था. चंद्रम मालकिन को ब्रीफकेस सौंपता और उस के साथ खुशीखुशी हमबिस्तरी करता. बाद में कुछ खापी कर दुकान पर लौट आता. इस तरह 4 महीने बीत गए.

एक दोपहर को चंद्रम ब्रीफकेस ले कर सेठ के घर आया और कालबेल बजाई, पर घर का दरवाजा नहीं खुला. वह घंटी बजाता रहा. 10 मिनट के बाद दरवाजा खुला.

दरवाजे पर उस की सेठानी खड़ी थी, पर एक आम घरेलू औरत जैसी. आंचल ओढ़ कर, घूंघट डाल कर.

उस ने चंद्रम को बाहर ही खड़े रखा और कहा, ‘‘चंद्रम, मुझे माफ करो. हमारे संबंध बनाने की बात सेठजी तक पहुंच गई है. वे रंगे हाथ पकड़ेंगे, तो हम दोनों की जिंदगी बरबाद हो जाएगी.

‘‘हमारी भलाई अब इसी में है कि हम चुपचाप अलग हो जाएं. आज के बाद तुम कभी इस घर में मत आना,’’ इतना कह कर सेठानी ने दरवाजा बंद कर दिया.

चंद्रम मानो किसी खाई में गिर गया. वह तो यह सपना देख रहा था कि करोड़पति सेठ की तीसरी पत्नी बांहों में होगी. बूढ़े सेठ की मौत के बाद वह इस घर का मालिक बनेगा. मगर उस का सपना ताश के पत्तों के महल की तरह तेज हवा से उड़ गया. ऊपर से यह डर सता रहा था कि कहीं सेठ उसे नौकरी से तो नहीं निकाल देगा. वह दुकान की ओर चल दिया.

सेठानी ने मन ही मन कहा, ‘चंद्रम, तुम्हें नहीं मालूम कि सेठ मुझे डांस बार से लाया था. उस ने मुझ से शादी की और इस घर की मालकिन बनाया. पर हमारे कोई औलाद नहीं थी. मैं सेठ को उपहार के तौर पर बच्चा देना चाहती थी. सेठ ने भी मेरी बात मानी. हम ने तुम्हारे साथ नाटक किया. हो सके, तो मुझे माफ कर देना.’ इस के बाद सेठानी ने एक हाथ अपने बढ़ते पेट पर फेरा. दूसरे हाथ से वह अपने आंसू पोंछ रही थी.

मुझे लड़कियों के कपड़े पहनने और उन की तरह सजने संवरने का शौक है, मैं क्या करूं?

सवाल –

मैं 24 साल का लड़का हूं, लेकिन मुझे लड़कियों के कपड़े पहनने और उन की तरह सजने संवरने का शौक है. मैं औरतों जैसी जिंदगी जीना चाहता हूं. मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब –

आप ने लड़के के रूप में जन्म लिया है. लिहाजा, आप को लड़कों की तरह ही रहना चाहिए. वैसे, आप किसी माहिर डाक्टर से अपनी जांच कराएं, क्योंकि आप के हारमोनों में खलल हो सकता है, जो इलाज से ठीक हो जाएगा.

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सिर्फ बदन चाहिए प्यार नहीं

मैं एक ट्रांसजैंडर सैक्स वर्कर हूं. यह मेरी अपनी खुद की कहानी है. 12 जून, 1992 को आजमगढ़, उत्तर प्रदेश के एक मिडिल क्लास परिवार में मेरा जन्म हुआ. हमारा बड़ा सा परिवार था. प्यार करने वाली मां और रोब दिखाने वाले पिता. चाचा, ताऊ, बूआ और ढेर सारे भाईबहन.

मैं पैदा हुआ तो सब ने यही समझा कि घर में लड़का पैदा हुआ है. मुझे लड़कों की तरह पाला गया, लड़कों जैसे बाल कटवाए, लड़कों जैसे कपड़े पहनाए, बहनों ने भाई मान कर ही राखियां बांधीं और मां ने बेटा समझ कर हमेशा बेटियों से ज्यादा प्यार दिया.

हमारे घरों में ऐसा ही होता है. बेटा आंखों का तारा होता है और बेटी आंख की किरकिरी.

सबकुछ ठीक ही चल रहा था कि अचानक एक दिन ऐसा हुआ कि कुछ भी ठीक नहीं रहा. मैं जैसेजैसे बड़ा हो रहा था, वैसेवैसे मेरे भीतर एक दूसरी दुनिया जन्म ले रही थी.

घर में ढेर सारी बहनें थीं. बहनें सजतींसंवरतीं, लड़कियों वाले काम करतीं तो मैं भी उन की नकल करता. चुपके से बहन की लिपस्टिक लगाता, उस का दुपट्टा ओढ़ कर नाचता.

मेरा मन करता कि मैं भी उन की ही तरह सजूं, उन की ही तरह दिखूं, उन की तरह रहूं. लेकिन हर बार एक मजबूत थप्पड़ मेरी ओर बढ़ता.

छोटा था तो बचपना समझ कर माफ कर दिया जाता. थोड़ा बड़ा हुआ तो कभी थप्पड़ पड़ जाता तो कभी बहनें मार खाने से बचा लेतीं. बहनें सब के सामने बचातीं और अकेले में समझातीं कि मैं लड़का हूं. मुझे लड़कों के बीच रहना चाहिए, घर से बाहर जा कर उन के साथ खेलना चाहिए.

लेकिन मुझे तो बहनों के बीच रहना अच्छा लगता था. बाहर मैदान में जहां सारे लड़के खेलते थे, वहां जाने में मुझे बहुत डर लगता. पता नहीं, क्यों वे भी मुझे अजीब नजरों से देखते और तंग करते थे. उन की अजीब नजरें वक्त के साथसाथ और भी डरावनी होती गईं.

मैं स्कूल में ही था, जब वह घटना घटी. दिसंबर की शाम थी. अंधेरा घिर रहा था. तभी उस दिन स्कूल के पास एक खाली मैदान में कुछ लड़कों ने मुझे घेर लिया. उन्हें लगता था कि मैं लड़की हूं. वे जबरदस्ती मुझे पकड़ रहे थे और मैं रो रहा था.

मैं खुद को छुड़ाने की हर मुमकिन कोशिश कर रहा था. उन्होंने जबरदस्ती मेरे कपड़े उतारे और यह देख कर छोड़ दिया कि मेरे शरीर का निचला हिस्सा तो लड़कों जैसा ही था.

इस हाथापाई में मेरे पेट में एक सरिया लग गया. मेरी पैंट खुली थी और पेट से खून बह रहा था. वे लड़के मुझे उसी हालत में अंधेरे में छोड़ कर भाग गए.

मैं पता नहीं, कितनी देर तक वहां पड़ा रहा. फिर किसी तरह हिम्मत जुटा कर घर आया. मैं ने किसी को कुछ नहीं बताया. चोट के लिए कुछ बहाना बना दिया. घर वाले मुझे अस्पताल ले गए. मैं ठीक हो कर घर आ गया.

दुनिया से अलग मेरे भीतर जो दुनिया बन रही थी, वह वक्त के साथ और गहरी होती चली गई. मेरी दुनिया में मैं अकेला था. सब से अपना सच छिपाता, कई बार तो अपनेआप से भी. मैं अंदर से डरा हुआ था और बाहर से जिद्दी होता जा रहा था.

घर में सब मुझे प्यार करते थे, मां और बहन सब से ज्यादा. लेकिन जब बड़ा हो रहा था तो लगा कि उन का प्यार काफी नहीं है. स्कूल में एक लड़का था सनी. वह मेरा पहला बौयफ्रैंड था, मेरा पहला प्यार.

लेकिन बचपन का प्यार बचपन के साथ ही गुम हो गया. जैसेजैसे हम बड़े होते हैं, दुनिया देखते हैं, हमें लगता है कि हम इस से ज्यादा के हकदार हैं, इस से ज्यादा पैसे के, इस से ज्यादा खुशी के, इस से ज्यादा प्यार के. जब साइकिल थी तो मैं उस में ही खुश था. स्कूटी आई तो लगा कि स्कूटी की खुशी इस के आगे कुछ नहीं. साइकिल से मैं कुछ ही किलोमीटर जाता था और स्कूटी से दसियों किलोमीटर. लगा कि आगे भी रास्ते में और प्यार मिलेगा और खुशी.

मैं दौड़ता चला गया. लेकिन जब आंख खुली तो देखा कि रास्ता तो बहुत तय कर लिया था, पर न तो प्यार मिला, न खुशी. मेरे 9 बौयफ्रैंड रहे. हर बार मुझे लगता था कि यह प्यार ही मेरी मंजिल है, लेकिन हर बार मंजिल साथ छोड़ देती. सब ने मेरा इस्तेमाल किया, शरीर से, पैसों से, मन से. लेकिन हाथ किसी ने नहीं थामा.

सब को मुझ से सिर्फ सैक्स चाहिए था. सब ने शरीर को छुआ, मन को नहीं. सब ने कमर में हाथ डाला, सिर पर किसी ने नहीं रखा.

फिर एक दिन मैं ने फैसला किया कि अगर यही करना है तो पैसे ले कर ही क्यों न किया जाए.

मैं बाकी लड़कों की तरह पढ़लिख कर अपने पैरों पर खड़ा होना चाहता था, अपना कैरियर बनाना चाहता था. मैं ने कानपुर यूनिवर्सिटी से एमकौम किया और सीए का इम्तिहान भी दिया.

अब तक जिंदगी उस मुकाम पर पहुंच चुकी थी कि मैं घर वालों और आसपास के लोगों के लिए शर्मिंदगी का सबब बन गया था. मैं समाज में, कालेज में मिसफिट था.

मैं लड़का था, लेकिन लड़कियों जैसा दिखता था. मर्द था, लेकिन औरत जैसा महसूस करता था. मेरा दिल औरत का था, लेकिन उस में बहुत सारी कड़वाहट भर गई थी.

प्यार की तलाश मुझे जिंदगी के सब से अंधेरे कोनों में ले गई. बदले में मिली कड़वाहट और गुस्सा.

अपनी पहचान छिपाने के लिए मैं दिल्ली आ गया. नौकरी ढूंढ़ने की कोशिश की, लेकिन मिली नहीं. शायद उस के लिए भी डिगरी से ज्यादा यह पहचान जरूरी थी कि तुम औरत हो या मर्द. मुझे यह खुद भी नहीं पता कि मैं क्या था.

यहां मैं कुछ ऐसे लोगों से मिला, जो मेरे जैसे थे. उन्हें भी नहीं पता था कि वे औरत हैं या मर्द. अजनबी शहर में रास्ता भूल गए मुसाफिर को मानो एक नया घर मिल गया.

कोई तो मिला, जिसे पता है कि मेरे जैसा होने का मतलब क्या होता है. कोई तो मिला, जो सैक्स नहीं करना चाहता था, लेकिन उस ने सिर पर हाथ रखा. थोड़ी करुणा मिली तो मन की सारी कड़वाहट आंखों के रास्ते बह निकली.

इन नए दोस्तों ने मुझे खुद को स्वीकार करना सिखाया, शर्म से नहीं सिर उठा कर. मैं ने उन के साथ एनजीओ में काम किया, अपने जैसे लोगों की काउंसिलिंग की, उन के मांबाप की काउंसिलिंग की.

सबकुछ ठीक होने लगा था. लेकिन दिल के किसी कोने में अब भी कोई कांटा चुभा था. प्यार की तलाश अब भी जारी थी. कुछ था, जिसे सिर्फ दोस्त नहीं भर सकते थे.

प्यार किया, फिर धोखा खाया. जिस को भी चाहा, वह रात के अंधेरे में प्यार करता और दिन की रोशनी में पहचानने से इनकार कर देता. और फिर मैं ने तय किया कि यह काम अब मैं पैसों के लिए करूंगा. शरीर लो और पैसे दो.

मुझे आज भी याद है मेरा पहला काम. एक सैक्स साइट पर तन्मय राजपूत के नाम से मेरा प्रोफाइल बना था. उसी के जरीए मुझे पहला काम मिला. नोएडा सैक्टर 11 में मैट्रो अस्पताल के ठीक सामने वाली गली में मैं एक आदमी के पास गया. वह आदमी मुझ से सिर्फ 4-5 साल बड़ा था.

मैं ने पहली बार पैसों के लिए सैक्स किया. उन की भाषा में इसे सैक्स नहीं, सर्विस कहते हैं. मैं ने उसे सर्विस दी, उस ने मुझे 1,500 रुपए. तब मेरी उम्र 22 साल थी.

उस दिन वे 1,500 रुपए हाथ में ले कर मैं सोच रहा था कि जेरी, तू ने जो रास्ता चुना है, उस में हो सकता है तुझे बदनामी मिले, लेकिन पैसा खूब मिलेगा. लेकिन हुआ यह कि बदनामी और गंदगी तो मिली, लेकिन पैसा नहीं.

इस रास्ते से कमाए गए पैसों का कोई हिसाब नहीं होता. यह जैसे आता है, वैसे ही चला जाता है. यह सिर उठा कर की गई कमाई नहीं होती, सिर छिपा कर अंधेरे में की गई कमाई होती है.

एक बार जो मैं उस रास्ते पर चल पड़ा तो पीछे लौटने के सारे रास्ते बंद हो गए. अब हर रात यही मेरी जिंदगी है. एक शादीशुदा आदमी की जिंदगी में कुछ दिनों या हफ्तों का अंतराल हो सकता है, लेकिन मेरी जिंदगी में नहीं. हर रात हमें तैयार रहना होता है. 15 ग्राहक हैं मेरे. कोई न कोई तो मुझे बुलाता ही है.

आप को लगता है कि सैक्स बहुत सुंदर चीज है, जैसे फिल्मों में दिखाते हैं. लेकिन मेरे लिए वह प्यार नहीं, सर्विस है. और सर्विस मेहनत और तकलीफ का काम है. हमारी लाइन में सैक्स ऐसे होता है कि जो पैसे दे रहा है, उस के लिए वह खुशी है और जो पैसे ले रहा है, उस के लिए तकलीफ.

ग्राहक जो डिमांड करे, हमें पूरी करनी होती है. जितना ज्यादा पैसा, उतनी ज्यादा तकलीफ. लोग वाइल्ड सैक्स करते हैं, डर्टी सैक्स करते हैं, मारते हैं, कट लगाते हैं. लोगों की अजीबअजीब फैंटैसी हैं. किसी को तकलीफ पहुंचा कर ही मजा मिलता है. किसी को तब तक मजा नहीं आता, जब तक सामने वाले के शरीर से खून न निकल जाए.

मैं यह सबकुछ बिना किसी नशे के पूरे होशोहवास में करता हूं. जो कर रहा हूं, उस से मेरे शरीर को काफी नुकसान हो रहा है. अगर नशा करूंगा, तो मैं अच्छी सर्विस नहीं दे पाऊंगा.

ग्राहक नशा करते हैं और मैडिकल स्टोर से सैक्स पावर बढ़ाने की दवा ले कर आते हैं और मैं पूरे होश में होता हूं. कई बार पूरीपूरी रात यह सब चलता है.

दिन के उजाले में शहर की सड़कों पर बड़ीबड़ी गाडि़यों में जो इज्जतदार चेहरे घूम रहे हैं, कोई नहीं जानता कि रात के अंधेरे में वही हमारे ग्राहक होते हैं. बड़ेबड़े अफसर, नेता, पुलिस वाले… मैं नाम गिनाने लग जाऊं तो आप की आंखें फटी की फटी रह जाएं.

क्या पता कि आप के हाईफाई दफ्तर में घूमने वाली कुरसी पर बैठा सूटबूट वाला आदती रात के अंधेरे में हमारा ग्राहक हो.

एक बार मैं कनाट प्लेस में एक औफिस में इंटरव्यू देने गया. वह एक वक्त था, जब मैं इस जिंदगी से बाहर आना चाहता था. वहां जो आदमी मेरा इंटरव्यू लेने के लिए बैठा था, वह मेरा क्लाइंट रह चुका था.

उस ने कहा, ‘‘इंटरव्यू छोड़ो, यह बताओ, फिर कब मिल रहे हो?’’

मैं कोई जवाब नहीं दे पाया. पता नहीं, मुझे क्यों इतनी शर्मिंदगी महसूस हुई थी. मैं उस का सामना नहीं कर पाया या अपना. मैं बिना इंटरव्यू दिए ही वापस लौट आया.

मेरी नजर में सैक्स शरीर की भूख है. प्यार कुछ नहीं होता. जहां प्यार हो, सैक्स जरूरी नहीं. दुनिया में जो प्यार का खेल चलता है, उस का सच कभी हमारी दुनिया में आ कर देखिए. अच्छेखासे शादीशुदा इज्जतदार लोग आते हैं हमारे पास अपनी भूख मिटाने.

एक बार एक आदमी मेरे पास आया और बोला, ‘‘मेरी बीवी पेट से है. मुझे रिलीज होना है.’’

मैं ने उस आदमी के साथ ओरल सैक्स किया था. यह सब क्या है? एक औरत जो तुम्हारी पत्नी है, उस के पेट में तुम्हारा ही बच्चा पल रहा है, वह तुम्हें सैक्स नहीं दे सकती तो तुम सैक्स वर्कर के पास जाओगे?

ज्यादातर मर्दों के लिए औरत के सिर्फ 2 ही काम हैं कि वह उन के साथ सोए और उन के मां बाप की सेवा करे. 90 फीसदी मर्दों की यही हकीकत है. ज्यादातर लोग अपनी बीवी से प्यार नहीं करते हैं.

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