मौडलिंग से अपने कैरियर की शुरुआत करने वाली इति आचार्य ने निफ्ट, बैंगलुरु से फैशन डिजाइनिंग में ग्रेजुएशन की और बाद में ऐक्टिंग के क्षेत्र में अपना एक अलग मुकाम बनाया. हिंदी फिल्म ‘सत्यवती’ से डेब्यू करने वाली इति आचार्य ने साउथ की फिल्मों में काम कर के अपनी ऐक्टिंग का लोहा मनवाया.
3 साल की उम्र से स्टेज शो करने वाली इति आचार्य ने कत्थक और राजस्थानी डांस में महारत हासिल की और पेशेवर मौडल के रूप में साल 2010 में अपना कैरियर संवारा. साल 2016 में उन्होंने ‘मिस्टर ऐंड मिस साउथ इंडिया’ का ताज पहना.
जहां एक ओर ‘गैस्ट हाउस’ जैसी थ्रिलर फिल्म कर के इति आचार्य ने अलग छाप छोड़ी, वहीं दूसरी ओर ‘डील राजा’ में कौमेडी का तड़का लगाया और दर्शकों के दिलों में अलग इमेज बनाई.
इति आचार्य ने ‘केरला टुडे’, ‘पोरा’, ‘सीमा बोधा अगाथे’, ‘शैतान’, ‘ध्वनि’, ‘बदमाश’, ‘कवच’ जैसी तमिल, कन्नड़ और मलयालम फिल्मों में जलवा बिखेर कर लोगों के दिलों पर राज किया.
पेश हैं, इति आचार्य से हुई बातचीत के खास अंश :
मलयालम, कन्नड़ और तमिल फिल्मों के अलावा आप ने बौलीवुड की कुछ फिल्मों में भी काम किया है. वहां आप का अनुभव कैसा रहा?
– अनुभव तो अच्छा रहा है, लेकिन मैं ने काफी शुरुआत में ही ये प्रोजैक्ट कर लिए थे. सो, थोड़ा असहज महसूस हुआ. अब आज मैं ने काफीकुछ सीखा है, काफी सुधार किया है. हिंदी प्रोजैक्ट में सभी हीरो अपना ग्राउंड वर्क कर के और पूरी तैयारी के साथ आते हैं. वे काफी मेहनत करते हैं. उन के साथ ऐक्टिंग करने के लिए आप को भी पूरी तरह तैयार होना जरूरी है.
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हिंदी फिल्मों से किनारा करने की वजह?
– किनारा जैसा कुछ नहीं है. मेरा सर्किल साउथ फिल्मों में ज्यादा है तो वहां काम आसानी से मिल जाता है. मैं निश्चित ही कह सकती हूं कि मेरा साउथ फिल्मों का अनुभव हिंदी फिल्मों में बेहतरीन काम करने में मदद करेगा.
कन्नड़ व तमिल फिल्मों में काम करने का आप का अनुभव कैसा रहा?
– बहुत ही यादगार तजरबा रहा है. अपने कैरियर की शुरुआत में ही मैं ने मलयालम और तमिल इंडस्ट्री में काम किया था. वहां सभी लोग ध्यान रखते हैं. आप बाहर से आए हो, तो आप को स्पैशल ट्रीटमैंट भी मिलता है.
क्या आप ने तमिल व तेलुगु भाषाएं सीखी हैं?
– जी हां, थोड़ीबहुत तो सीखनी पड़ती हैं. आप जिस भाषा में काम करते हैं, उस की बेसिक जानकारी लेना जरूरी होता है. इस से आप को अच्छा परफौर्म करने में मदद मिलती है.
क्या निफ्ट का फायदा ऐक्टिंग में भी मिला?
जी हां, बिलकुल मिला. ड्रैसिंग स्टाइल, नैटवर्किंग, बेसिक जानकारी, सोचने का नजरिया कालेज से ही पैदा हुआ. फिल्म इंडस्ट्री में सब को टाइपकास्ट कर दिया जाता है. जो ग्लैमरस है, उसे ट्रैडिशनल रोल नहीं मिलते. लेकिन मैं ने अब तक दोनों ही लुक्स को बरकरार रखा है.
फैशन डिजाइनिंग का कोर्स करने के बावजूद आप ने फिल्मों में ऐक्टिंग को क्यों चुना?
– मुझे कालेज के दिनों से ही फिल्मों में काम करने के औफर आ गए थे, क्योंकि मैं मौडलिंग कर रही थी. पर उस समय पर कुछ खास काम नहीं किया. लेकिन मैं ने अपना मन बना लिया था कि मैं अपना करियर ऐक्टिंग में ही बनाऊंगी.
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क्या आप ने किसी सामाजिक मुहिम में हिस्सा लिया है?
– जी हां, मैं ने ऐसी काफी फिल्मों में भी काम किया है, जो किसी सामाजिक मुद्दे पर आधारित थीं. वह अनुभव कुछ अलग ही होता है. ज्यादातर आप किसी सच्ची घटना को जोड़ते हैं और उसे स्क्रीन पर हूबहू लाने की कोशिश करते हैं. कहीं न कहीं आप ऐसे सब्जैक्ट से निजी तौर पर जुड़ जाते हैं. कहीं न कहीं उन का दर्द भी आप के दिल में बस जाता है.
अपनी नई फिल्म के बारे में कुछ बताएं?
– हालफिलहाल तो मेरी नई फिल्म ‘आशिक फिर एक बार’ रुपहले परदे पर आई हुई है.
भविष्य में और क्या-क्या करने की योजना है?
– ईमानदारी से कहूं, योजना तो सब बनाते हैं, पर अच्छे प्रोजैक्ट वे होते हैं, जो सोच से अलग हट कर होते हैं.
क्या आप ने किसी म्यूजिक वीडियो अलबम में हिस्सा लिया है?
– जी हां, मैं ने तमिल में गाना किया है. मेरा पंजाबी, हिंदी अलबम में काम करने का मन है.
अपने परिवार के बारे में कुछ बताएं?
– मेरा भाई अभी आचार्य म्यूजिशियन है. उस ने बर्कले कालेज औफ म्यूजिक से ग्रेजुएशन की है. मेरी मम्मी फैशन डिजाइनिंग में काफी अच्छी हैं. वे मुझ से कहीं ज्यादा हुनरमंद हैं. मेरे पापा थिएटर आर्टिस्ट हैं.
मातापिता मेरे हर काम में शामिल रहते हैं. वे फिल्म की स्क्रिप्ट सुनते हैं और सारे फैसले हम चारों ही मिल कर लेते हैं.
आप हमें अपने खानपान के बारे में कुछ बताएं?
– मैं तो पूरी तरह से शाकाहारी हूं. मुझे मम्मी के हाथ का बना खाना बहुत स्वादिष्ट लगता है. इस के अलावा मैं साउथ इंडियन और इटैलियन फूड खाना पसंद करती हूं. लेकिन एक अच्छी बौडी के लिए हैल्दी डाइट लेना बहुत जरूरी है. बहुत बार बिजी शैड्यूल की वजह से मेरे खानपान पर गहरा असर पड़ता है. मैं इसे बदलने की कोशिश करती रहती हूं.
आप के और क्या-क्या शौक हैं?
– सच कहूं, तो मुझे अपने काम के अलावा और कोई शौक नहीं है. इस फील्ड में सबकुछ है. ट्रैवल करना पड़ता है. नए लोगों से मिलना पड़ता है. अच्छे कपडे़ पहनना, अच्छा दिखना, डांस भी करने को मिलता है. अपने परिवार के साथ ज्यादा से ज्यादा समय गुजारना मुझे पसंद है. साथ ही, भाई अभी को परेशान करना मेरा फेवरिट टाइमपास है.
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समाज खासकर महिलाओं को क्या संदेश देना चाहेंगी?
– वैसे तो आजकल समाज में काफी उथलपुथल चल रही है. समाज में हर रोज कोई न कोई घटना सुनने को मिलती है. सोशल मीडिया भी जागरूक हो गया है. सोशल मीडिया पर सभी अपना पक्ष रख रहे हैं.
ध्यान रखें कि आप जो भी करें या कहें, उस से किसी को तकलीफ न पहुंचे. किसी तरह का नैगेटिव कमैंट या फीडबैक देने से पहले जरूर सोचें.
मैं तो यही कहूंगी कि आप इस पावर को समझें और सोचसमझ कर इस्तेमाल करें, क्योंकि पावर आने के साथ-साथ बड़ी जिम्मेदारी भी आती है.
जहां तक महिलाओं की बात है, तो कोशिश करें कि अपने बच्चों को एक अच्छा इनसान बनाएं.
हिंदी फिल्में देखना पसंद है या भाषाई फिल्में?
– मुझे सब तरह की फिल्में देखना पसंद है. सब से कुछ न कुछ सीखने को मिलता है.
हिंदी के पसंदीदा कलाकार, जिन के साथ आप काम करना चाहेंगी?
– अमिताभ बच्चन और इरफान खान.