एक कुत्ते की मौत: युवती के फांसी लगाने का मनोविज्ञान

जी हां! यह एक सच्ची घटना है. छत्तीसगढ़ के आदिवासी बाहुल्य जिला रायगढ़ में घटित घटना सौ फीसदी सच है. मामला पुलिस जांच में है इसलिए जो तथ्य सामने आए हैं उनकी बिनाह पर कहा जा सकता है कि एक युवती ने सचमुच अपने कुत्ते, जिसे वह “बाबू” कह कर पुकारती थी,की मौत के बाद अवसाद ग्रस्त होकर फांसी लगा आत्महत्या कर ली.

छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिला के गोरखा गांव निवासी दिलीप सिंह ने लगभग चार वर्ष पहले घर में एक कुत्ता लाया था. विगत दिनों कुछ दिनों की बीमारी के पश्चात कुत्ते की मृत्यु हो गई . इधर पालतू कुत्ते बाबू की मौत से दु:खी होकर युवती फांसी पर चढ़ गई. इस घटनाक्रम के पश्चात लोगों में यह जन चर्चा का विषय बना हुआ है और लोग चकित हैं. रायगढ़ जिले के पुलिस कप्तान संतोष सिंह ने बताया कि जिले के कोतरा रोड थाना क्षेत्र के अंतर्गत गोरखा गांव में पालतू कुत्ते की मौत से दुखी 21 वर्षीय प्रियांशु सिंह ने फांसी लगाकर कथित तौर पर आत्महत्या कर ली. प्रियांशु स्थानीय महाविद्यालय में एम कॉम की छात्रा थी.

पुलिस अधीक्षक ने बताया कि पुलिस को युवती की आत्महत्या की जानकारी मिली तब गोरखा गांव के लिए पुलिस दल रवाना किया गया तथा शव बरामद किया गया. ग्राम गोरखा गांव निवासी दिलीप सिंह के द्वारा करीब चार वर्ष पहले एक कुत्ता पाला गया था. इस दौरान युवा होती युवा होती प्रियांशु सिंह का अपने घरेलू पालतू कुत्ते से स्नेह बढ़ता चला गया और जब वह बिमार हुआ तब भी प्रियांशु बहुत दुखी रहा करती थी मगर किसी ने यह नहीं सोचा था कि कुत्ते की मौत के बाद प्रियांशु ऐसा सख्त कदम भी उठा सकती है. दरअसल, अक्सर इस तरह की घटनाएं घटती हैं मगर यह घटनाएं दुर्लभ होती हैं. ऐसे में आज हमारे इस लेख का विषय यह है कि इस घटनाक्रम के पीछे आखिर मनोविज्ञान क्या होता है और इससे कैसे बचा जा सकता है.

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हम साथ साथ हैं!

रायगढ़ जिला के पुलिस अधीक्षक संतोष सिंह ने हमारे संवाददाता को जानकारी दी कि दिलीप सिंह की बेटी प्रियांशु कुत्ते बाबू की खुद देखभाल करती थी और कुत्ता अक्सर प्रियांशु के साथ ही रहता था. उन्होंने बताया कि लगभग 12 दिनों तक बीमार रहने के बाद विगत दिनों कुत्ते की मृत्यु हो गई . पालतू कुत्ते की अप्रत्याशित मौत का सदमा संभवतः प्रियांशु सिंह बर्दाश्त नहीं कर पाई अपने पालतू कुत्ते की मौत से प्रियांशु दु:खी थी. घटना दिवस सुबह सात बजे जब घर के सदस्य कुत्ते के शव को दफनाने की तैयारी कर रहे थे तब उन्होंने प्रियांशु को वहां नहीं देखा. बाद में जब परिजन प्रियांशु के कमरे में पहुंचे तब उन्होंने उसके शव को एक गंमछे से फांसी पर लटकते हुए पाया.

आत्महत्या की पालतू कुत्ते बाबू के साथ थ्योरी इसलिए पुलिस और लोग सच मान रहे हैं क्योंकि
घटनास्थल से एक पत्र बरामद किया है जिसमें प्रियांशु ने कहा है- वह बाबू( कुत्ते) की मौत से दु:खी है और उसने अपने शव को कुत्ते के साथ दफनाने का अनुरोध किया है.

इस संपूर्ण घटनाक्रम के पश्चात स्पष्ट हो जाता है कि प्रियांशु सिंह अपने पालतू कुत्ते बाबू के साथ कितना घुल मिल चुकी थी.

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आत्महत्या का मनोविज्ञान

पुलिस ने युवती के शव को पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप दिया है तथा मर्ग कायम कर लिया गया है. प्रियांशु के परिजन बताते हैं बाबू (कुत्ते) के शव को प्रियांशु की अंतिम इच्छा के अनुसार दफनाया गया है. वहीं डॉक्टर जी. आर. पंजवानी ऐसी “आत्महत्याओं” के मनोविज्ञान के बारे में बताते हुए कहते हैं- दरअसल यह किशोर अवस्था की एक ग्रंथि है जिसमें कोमल मन के साथ किशोर मन अपने आसपास के पशुओं आदि के साथ इतना आत्मीय हो जाता है कि उन्हें अगर कुछ हो जाए तो जीवन निरर्थक लगने लगता है ऐसे संक्रमण समय में परिजनों को चाहिए कि उन्हें ढाढस बंधाते हुए उन पर निगाह रखें. प्रियांशु सिंह मामले में भी अगर परिजन होश मंदी के साथ काम लेते तो शायद यह बड़ी घटना घटित होने से रह जाती. वहीं डॉक्टर आशीष अग्रवाल के मुताबिक ऐसी घटना दुर्लभ ही घटित होती है मगर यह सच है कि जब घर के पालतू पशु से अत्यधिक आत्मीयता लगा हो जाता है तो भावुक मन के लोग आत्महत्या का कदम उठा लेते हैं. ऐसे में यही सलाह दी जा सकती है कि घर की बड़े बुजुर्गों को विशेष रूप से बच्चों और युवाओं को समझाइश देते रहना चाहिए.

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