नक्सली ने खोली नक्सलवाद की पोलपट्टी

झारखंड के हार्डकोर नक्सली कुंदन पाहन ने आत्मसमर्पण करने के बाद माओवादियों और नक्सलियों की पोलपट्टी खोल कर रख दी है. कुंदन पाहन ने पुलिस को बताया कि माओवादी संगठन के ज्यादातर नक्सली नेता खुद ही नए जमींदार बन बैठे हैं. वे सूद पर पैसा लगाने से ले कर ठेकेदारी का काम करने लगे हैं.

करोड़पति नक्सली कुंदन पर 128 मामले दर्ज हैं. उस के सिर पर 15 लाख रुपए का इनाम था. गौरतलब है कि कुछ समय पहले खुफिया विभाग ने सरकार को रिपोर्ट सौंपी थी कि सरकारी योजनाओं में कई नक्सली पेटी कौंट्रैक्टर के तौर पर काम कर रहे हैं. वे सरकारी योजनाओं के ठेके हासिल करने वाली बड़ीबड़ी कंपनियों को धमका कर छोटेछोटे कामों के ठेके अपने हाथ में ले लेते हैं. बड़ी कंपनियां इस डर से नक्सलियों को ठेके दे देती हैं कि काम आसानी से हो सकेगा और दूसरे अपराधियों की ओर से कोई परेशानी खड़ी नहीं की जाएगी.

खुफिया विभाग ने कुछ साल पहले ही राज्य सरकार को बताया था कि पेटी कौंट्रैक्टर के काम में लग कर कई नक्सली करोड़पति बन बैठे हैं. पुलिस महकमे से मिली जानकारी के मुताबिक, कुछ समय पहले पटना, बिहार में पकड़े गए नक्सलियों के पास से 68 लाख रुपए बरामद हुए थे. जहानाबाद में गिरफ्तार नक्सलियों के पास से 27 लाख, 50 हजार रुपए और 5 मोबाइल फोन जब्त किए गए थे.

औरंगाबाद में नक्सलियों के पास से 3 लाख, 34 हजार रुपए और एक बोलैरो गाड़ी, गया में 15 लाख रुपए, मुंगेर में एक कार, 50 हजार रुपए, पिस्तौल वगैरह सामान बरामद किए गए थे.

कुंदन पाहन ने बताया कि माओवादी संगठन के ऊंचे पदों पर बैठे नक्सलियों के बच्चे बड़ेबड़े अंगरेजी स्कूलों में पढ़ते हैं और छोटे नक्सलियों से गांवों के स्कूलों को बम से उड़ाने को कहा जाता है. जहां एक ओर बड़े नक्सली शानोशौकत की जिंदगी गुजारते हैं, वहीं दूसरी ओर जंगल में दिनरात बंदूक ढोने वाले नक्सलियों के परिवार दानेदाने को मुहताज रहते हैं.

पुलिस हैडर्क्वाटर के सूत्रों पर भरोसा करें, तो बिहार के कई नक्सलियों की करोड़ों की दौलत पता लगाने का काम शुरू किया गया है. उस के बाद उन की गैरकानूनी तरीके से बनाई गई जायदाद को जब्त करने का काम शुरू किया जा सकता है.

हार्डकोर नक्सली कुंदन पाहन का पुलिस ने 14 मई को आत्मसमर्पण कराया था. 77 हत्याएं करने की बात कबूलने वाले कुंदन ने पुलिस को कोई हथियार नहीं सौंपा था.

कुंदन करोड़पति है और उस ने झारखंड के बुंडू, तमाड़, अड़की, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम जिलों के कारोबारियों समेत ओडिशा के दर्जनों कारोबारियों को सूद पर रकम दे रखी है.

कुंदन किसी राजनीतिक दल से चुनाव लड़ने का मन बना रहा है. वह इस की पूरी तैयारी भी कर चुका है. उस ने साफतौर पर कहा है कि वह जेल से ही चुनाव लड़ेगा और चुनाव जीतने के बाद अपने इलाके की तरक्की करेगा.

भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी (माओवादी), झारखंड की क्षेत्रीय समिति के सचिव कुंदन ने साल 2008 में स्पैशल ब्रांच के इंस्पैक्टर फ्रांसिस इंडवर की हत्या की थी. उसी साल सरांडा के जंगल में डीएसपी प्रमोद कुमार की हत्या की थी. आईसीआईसीआई बैंक के 5 करोड़ रुपए और सवा किलो सोना लूटने के बाद संगठन में उस की तूती बोलने लगी थी. उस के बाद उस ने सांसद सुनील महतो और विधायक रमेश मुंडा को मार डाला था.

कुंदन के खिलाफ रांची में 42, खूंटी में 50, चाईबासा में 27, सरायकेला में 7 और गुमला जिले में एक मामला अलगअलग थानों में दर्ज है. उस से पूछताछ के बाद मिली जानकारी के बाद झारखंड पुलिस रांची, खूंटी, लोहरदगा, गुमला, सरांडा, पूर्वी सिंहभूम और पश्चिम बंगाल से सटे इलाकों में जम कर छापामारी कर रही है.

बैंक से करोड़ों की लूट के बाद रुपए के बंटवारे को ले कर कुंदन और उस के करीबी दोस्त राजेश टोप्पो के बीच तीखी झड़प हो गई थी. कुंदन लूट की रकम में ज्यादा हिस्सा लेना चाहता था और राजेश बराबरबराबर बांटने की जिद पर अड़ा हुआ था. दोनों के बीच का झगड़ा इतना बढ़ा कि उन्होंने अपने रास्ते अलगअलग कर लिए.

राजेश ने अपना अलग दस्ता बना लिया. उस के बाद वह संगठन में कुंदन को नीचा दिखाने की ताक में रहने लगा. कुछ दिनों के बाद ही उसे बड़ा मौका मिल भी गया. राहे इलाके में राजेश की अगुआई वाले दस्ते ने 5 पुलिस वालों की हत्या कर दी और उन से हथियारों को लूट लिया.

इस के बाद संगठन में राजेश की हैसियत रातोंरात काफी बढ़ गई. उसे संगठन में काफी तवज्जुह मिलने लगी. संगठन के बड़े नक्सली नेताओं द्वारा राजेश को ज्यादा तरजीह देने से कुंदन नाराज रहने लगा. उस ने राजेश को अपने रास्ते से हटाने की साजिश रचनी शुरू कर दी. उस ने झांसा दे कर राजेश को अड़की के जंगल में बुलवाया और वहीं उस की हत्या कर दी.

पहले तो नक्सली नेता यह समझ बैठे कि पुलिस की मुठभेड़ में राजेश की जान गई है, पर बाद में उन्हें पता चला कि कुंदन ने उसे धोखे से मार डाला है, तो संगठन के सभी नक्सली नेता उस से नाराज हो गए. संगठन ने कुंदन के पर कतर डाले और उसे अलगथलग कर दिया. इस के बाद से ही उस ने आत्मसमर्पण करने की प्लानिंग शुरू कर दी थी.

रांचीटाटा हाईवे पर कुंदन की दहशत पिछले कई सालों से कायम थी. शाम ढलते ही हाईवे पर सन्नाटा पसरने लगता था. बुंडू और तमाड़ इलाकों के बाजार शाम होते ही बंद हो जाते थे. नेताओं और सरकारी अफसरों के बीच उस का खौफ इतना ज्यादा था कि अगर उन्हें शाम के बाद हाईवे से गुजरना होता था, तो पूरे रास्ते पर सीआरपीएफ के जवानों की तैनाती कर दी जाती थी.

खूंटी जिले का रहने वाला कुंदन साल 1998-99 में अपने 2 बड़े भाइयों डिंबा पाहन और श्याम पाहन के साथ नक्सली दस्ते में शामिल हुआ था. उस समय कुंदन की उम्र महज 17 साल थी. कुंदन और उस के परिवार वालों के पास अड़की ब्लौक के बाड़गाड़ा गांव में 27 सौ एकड़ जमीन है. उस में से तकरीबन 1350 एकड़ जमीन पर उस के एक चाचा ने कब्जा जमा रखा है.

तमाड़ में आल झारखंड स्टूडैंट यूनियन के विधायक विकास मुंडा कुंदन के आत्मसमर्पण करने के तरीके को गलत बताते हुए सरकार से नाराज हैं. कुंदन ने ही लैंडमाइंस ब्लास्ट कर के उन के पिता रमेश मुंडा की हत्या कर दी थी.

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