प्यार का ऐसा नशा कि कर दी मां की हत्या

बलराम ने जल्दीजल्दी इंटरव्यू लैटर, नोट बुक, पैन आदि बैग में रख कर सोनिया को आवाज दी, ‘‘दीदी, जल्दी से मेरा नाश्ता लगा दीजिए, मुझे देर हो रही है.’’

‘‘आ कर नाश्ता कर लो, मैं ने तुम्हारा नाश्ता तैयार कर दिया है.’’ सोनिया ने रसोईघर से ही कहा.

बलराम ने जल्दीजल्दी नाश्ता किया और अपना बैग ले कर मां के पास पहुंचा. शकुंतला देवी चारपाई पर लेटी थीं. बेटे को देख कर उन्होंने कहा, ‘‘जाओ बेटा, सफल हो कर लौटो. लेकिन तुम ने यह तो बताया ही नहीं कि इंटरव्यू देने कहां जा रहे हो?’’

‘‘मां चंडीगढ़ जा रहा हूं, एक बहुत बड़ी कंपनी में. अगर यह नौकरी मिल गई तो जिंदगी सुधर जाएगी.’’

‘‘जैसी प्रभु की इच्छा.’’ शकुंतला देवी ने कहा.

मां के पैर छू कर बलराम घर से निकल गया. यह 5 जून, 2015 की बात है. इंटरव्यू देने के बाद वह शाम के 7, साढ़े 7 बजे घर लौटा तो सोनिया रात का खाना बना रही थी. बैग रख कर बलराम मां के कमरे में पहुंचा तो वहां मां नहीं थी. बाहर आ कर उस ने बहन से मां के बारे में पूछा तो उस ने कहा, ‘‘शाम को कीर्तन करने की बात कह कर गई थीं, पर अभी तक लौटी नहीं हैं.’’

बलराम को पता था कि मां अकसर कीर्तन पर जाती थीं तो देर रात को लौटती थीं. पिताजी के घर छोड़ कर जाने के बाद मां ने खुद को भजनकीर्तन में लगा लिया था. मां की चिंता छोड़ कर उस ने हाथमुंह धोया तो बहन ने उस के लिए खाना परोस दिया.

खाना खा कर बलराम अपने कमरे में आराम करने चला गया. दिन भर का थका होने के कारण लेटते ही उसे नींद आ गई. रात के लगभग 1 बजे उस की आंख खुली तो उठ कर वह मां के कमरे में गया. मां वहां नहीं थी. समय देखा, रात के सवा बज रहे थे. वह बड़बड़ाया, ‘मां अभी तक नहीं आई?’

बलराम को चिंता हुई. उस के मन में बुरे विचार आने लगे. उस की चिंता यह थी कि पिताजी की तरह कहीं मां भी तो उसे छोड़ कर नहीं चली गईं?

पंजाब के जिला खन्ना के थाना जुलकां का एक गांव है मलकपुर कंबोआ. इसी गांव में लाल सिंह अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी शकुंतला के अलावा 2 बेटे और एक बेटी थी.

बड़ा बेटा सोहनलाल खेती करने के अलावा दूसरे राज्यों में जा कर कंबाइन मशीन से फसल काटने का काम करता था. उस से छोटी सोनिया थी, जो दसवीं तक पढ़ाई कर के अब घर में रहती थी. सब से छोटा बलराम बारहवीं पास कर के नौकरी की तलाश में था.

लाल सिंह के पास जो जमीन थी, उसी में मेहनत कर के जैसेतैसे तीनों बच्चों को पालापोसा और पढ़ायालिखाया था. बड़ा बेटा सोहन काम करने लगा तो उन्हें थोड़ी राहत मिली. अचानक न जाने ऐसा क्या हुआ कि लाल सिंह के ऊपर काफी कर्ज हो गया, जिस की वजह से उन्हें अपनी कुछ जमीन बेचनी पड़ी.

जमीन बेचने के बाद लाल सिंह गुमसुम रहने लगे. वह ना किसी से बात करते थे और ना किसी मामले में दखलंदाजी करते थे. ऐसे में ही एक दिन वह बिना किसी को कुछ बताए घर से निकले तो लौट कर नहीं आए. यह 5 साल पहले की बात है.

शकुंतला पति के इंतजार में दरवाजे की ओर टकटकी बांधे देखती रहती थी. उस दिन मां के कीर्तन से न लौटने पर बलराम चिंतित हो उठा. उस ने बहन को जगा कर कहा, ‘‘दीदी उठो, अभी तक मां लौट कर नहीं आई है.’’

‘‘क्या कहा, मां अभी तक लौट कर नहीं आई है?’’

‘‘हां दीदी, रात के 2 बज रहे हैं. इस समय कौन सा मंदिर खुला होगा, जो मां कीर्तन कर रही हैं?’’ रुआंसा हो कर बलराम बोला.

सोनिया घबरा कर उठी. उस ने चिंतित हो कर कहा, ‘‘बल्लू, इस समय हम मां को ढूंढने कहां चलेंगे?’’

बात सही भी थी. उस समय रात के 2 बज रहे थे. उतनी रात को वे कहां जाते. लेकिन मां के बारे में पता तो करना ही था. भाईबहन हिम्मत कर के घर से बाहर निकले. पूरे गांव में सन्नाटा पसरा था, सिर्फ कुत्ते भौंक रहे थे. दोनों मंदिर तक गए. वहां घुप्प अंधेरा था. गांव की हर गली में चक्कर लगाया कि शायद किसी के घर कथाकीर्तन हो रही हो, लेकिन गांव में ऐसा कुछ भी आयोजन नहीं था.

सवेरा होने पर बलराम ने मंदिर जा कर पूछा तो पता चला कि शकुंतला तो कल मंदिर आई ही नहीं थी. थोड़ी ही देर में शकुंतला के गायब होने की बात पूरे गांव में फैल गई. हर कोई अफसोस जता रहा था कि 5 साल पहले बच्चों का बाप गायब हो गया और अब मां गायब हो गई. गांव के कुछ लोग भी शकुंतला की तलाश में लग गए.

बलराम ने बड़े भाई सोहन को भी फोन कर के मां के गायब होने की बात बता दी. उस समय वह मध्य प्रदेश में कंबाइन मशीन ले कर फसल की कटाई कर रहा था. छोटे भाई को सांत्वना दे कर उस ने कहा कि वह तुरंत आ रहा है. अगले दिन दोपहर बाद सोहन घर पहुंचा तो कुछ रिश्तेदार एवं गांव वालों के साथ थाना जुलकां जा कर मां की गुमशुदगी दर्ज करा दी.

शकुंतला का फोटो ले कर पुलिस ने इश्तेहार शोरेगोगा छपवा कर सभी थानों, बसअड्डों, रेलवे स्टेशनों तथा प्रमुख स्थानों पर लगवा दिए, साथ ही वायरलैस द्वारा उस का हुलिया भी प्रसारित करवा दिया.

दिन, सप्ताह, महीने बीतने लगे, शकुंतला का कुछ पता नहीं चला. धीरेधीरे साल बीत गया. उस की गुमशुदगी के रहस्य से परदा नहीं उठ सका. सोनिया और सोहन ने तो संतोष कर लिया, पर बलराम, जो मां का चहेता भी था, वह मां के गायब होने के रहस्य को जानना चाहता था. इसलिए मार्च, 2016 में उस ने मां की गुमशुदगी की एक चिट्ठी लिखी और खन्ना जा कर एसपी (डी) जसकरण सिंह तेजा से मिला. उन से उस ने हाथ जोड़ कहा, ‘‘सर, मेरी मां को ढुंढवा दीजिए.’’

जसकरण सिंह तेजा ने बलराम के निवेदन को गंभीरता से लिया और डीएसपी (देहात) हरविंदर सिंह विर्क और डीएसपी (सिटी) हरवंत कौर को बलराम द्वारा दी गई चिट्टी दे कर सख्त आदेश दिया कि जल्द से जल्द वे इस मामले का खुलासा करें.

हरविंदर सिंह और हरवंत कौर ने शकुंतला का पता लगाने के लिए थाना जुलकां के थानाप्रभारी इंसपेक्टर रणवीर सिंह को नियुक्त किया. उन की मदद के लिए इंसपेक्टर जगजीत सिंह को लगा दिया गया.

शकुंतला की गुमशुदगी की फाइल को निकाल कर फिर से जांच शुरू हुई. पुलिस अधिकारियों ने अपने मुखबिरों को भी शकुंतला की गुमशुदगी का रहस्य पता करने को लगा दिया.

शकुंतला के दोनों बेटों, बेटी तथा रिश्तेदारों से भी पूछताछ की गई. सोहन उन दिनों मध्य प्रदेश में था. उस से छोटा बलराम इंटरव्यू देने चंडीगढ़ गया था. सिर्फ बेटी सोनिया ही घर में थी. पूछताछ में पुलिस ने देखा कि सोनिया बारबार बयान बदल रही है.

रणवीर सिंह ने यह बात डीएसपी हरवंत कौर को बताई तो उन्होंने कहा कि वह अपने मुखबिर सोनिया पर नजर रखने के लिए लगा दें, साथ ही उस के बारे में पता करें.

मुखबिरों से पुलिस को पता चला कि सोनिया के गांव के ही कुलविंदर से प्रेमसंबंध थे. जब से पुलिस दोबारा इस मामले की जांच कर रही है, तब से वह काफी बेचैन और परेशान रहती है. अकसर वह गांव से बाहर खेतों में कुलविंदर से सलाहमशविरा करती दिखाई देती है.

रणवीर सिंह और जगजीत सिंह ने समय न गंवाते हुए एएसआई सुरजीत सिंह से कहा कि वह शकुंतला के घर जा कर उस के बेटों सोहन, बलराम और बेटी सोनिया तथा नजदीकी रिश्तेदारों को थाने ले आएं. अगर वे थाने आने की वजह पूछें तो उन्हें बता देना कि शकुंतला का पता चल गया है. सुरजीत सभी को थाने ले आए. जैसा रणवीर सिंह ने सोचा था वैसा ही था.

सोनिया के चेहरे का रंग उड़ा हुआ था. उस के पैर कांप रहे थे. उन्होंने बड़े नाटकीय ढंग से कहा, ‘‘सोहन सिंह, तुम्हारी मां का पता चल गया है. यह मेरे अलावा तुम्हारी बहन सोनिया को भी पता है कि तुम्हारी मां कहां है? इसलिए तुम उस से पूछ लो कि वह कहां हैं, वरना मैं तो तुम्हारी मां से तुम्हें मिलवा ही दूंगा.’’

रणवीर की इस बात पर सोहन सिंह ने हैरानी से बहन की ओर देखा. वह खुद हैरानी से रणवीर सिंह को देख रही थी. उस का चेहरा एकदम सफेद पड़ा हुआ था. टांगें पहले से ज्यादा कांप रही थीं. सोहन सिंह ने जब उस से पूछा कि क्या वह जानती है कि मां कहां हैं तो वह कांपती आवाज में बोली, ‘‘नहीं भैया, मुझे नहीं पता कि मां कहां है.’’

‘‘बताओ न तुम्हारी मां कहां है?’’ रणवीर सिंह ने डांट कर कहा तो सोनिया ने सिर झुका लिया. उस के दोनों भाई और साथ आए रिश्तेदार उसे हैरानी से देख रहे थे.

उन की समझ में नहीं आ रहा था कि जब सोनिया को मां के बारे में पता था तो उस ने अब तक बताया क्यों नहीं. रणवीर सिंह ने जब दोबारा डांट कर पूछा तो उस ने रोते हुए अपनी मां की लगभग 11 महीने की गुमशुदगी के रहस्य से परदा उठाते हुए कहा कि उस ने अपने प्रेमी कुलविंदर के साथ मिल कर उस की हत्या कर दी है.

इस के बाद उस ने शकुंतला की गुमशुदगी के पीछे की जो कहानी सुनाई, वह इस प्रकार थी—

सोनिया और कुलविंदर कभी साथसाथ पढ़ा करते थे. दसवीं पास कर के सोनिया ने पढ़ाई छोड़ दी तो दोनों अलग हो गए. सालों बाद युवा होने पर जब उन की मुलाकात हुई तो बचपन की यादें ताजा हो उठीं. युवा होने पर उन के शरीरों में जो बदलाव आया था, वह काफी आकर्षक था.

दोनों ही खूबसूरत तो थे ही, कुलविंदर का कसरती बदन काफी लुभावना था, जिस से दोनों ही एकदूसरे के आकर्षण में बंधते गए. परिणामस्वरूप दोनों गांव के बाहर खेतों में मिलने लगे. जब इस बात की जानकारी शकुंतला को हुई तो वह परेशान हो उठी.

उस ने कुलविंदर को देखा था. वैसे तो उस में कोई कमी नहीं थी, लेकिन वह नशा करता था. इस के अलावा वह दूसरी जाति का भी था, यही वजहें थीं कि शकुंतला ने बेटी को मर्यादा में रहने को कहा.

जबकि सोनिया पर तो कुलविंदर के प्यार का ऐसा नशा चढ़ा था कि उस ने मां की एक नहीं सुनी, बल्कि वह खुश थी कि मां को उस के और कुलविंदर के प्यार के बारे में पता चल गया था.

इस के बाद वह कुलविंदर को घर बुलाने लगी. अगर शकुंतला कुछ कहती तो वह कुलविंदर को ले कर अपने कमरे में चली जाती. गायब होने से 2 दिन पहले 3 जून, 2015 को शकुंतला गांव में किसी के यहां गई थी. मां के जाते ही सोनिया ने कुलविंदर को बुला लिया था.

अचानक शकुंतला आ गई और उस ने सोनिया और कुलविंदर को आपत्तिजनक स्थिति में पकड़ लिया. कुलविंदर तो डर के मारे भाग गया, बेटी को शकुंतला ने खूब खरीखोटी सुनाई. चुप रहने के बजाय सोनिया विद्रोह कर बैठी. उस ने मां को धमकाते हुए कहा, ‘‘सुन मां, अगर मेरे और कुलविंदर के बीच कोई आया तो मैं उसे छोड़ूंगी नहीं.’’

फिर उसी दिन शाम को सोनिया ने कुलविंदर के साथ मिल कर मां को ठिकाने लगाने की योजना बना डाली. उस ने यह योजना कुलविंदर को समझा दी. 5 जून को सोनिया ने दोपहर को खाना बनाया और मां के खाने में नींद की गोलियां मिला दीं. खाना खाने के कुछ देर बाद ही शकुंतला गहरी नींद में सो गई थी. सोनिया ने मां को हिलाडुला कर देखा. जब देखा कि मां होश खो बैठी है तो उस ने फोन कर के कुलविंदर को बुला लिया. कुलविंदर के आने पर सोनिया ने उसे फावड़ा दे कर आंगन में गड्ढा खोदवाया और शकुंतला की गला दबा कर हत्या कर दी.

इस के बाद लाश को उसी गड्ढे में डाल कर मिट्टी भर दी. ऊपर से गोबर का लेप लगा दिया, ताकि किसी को संदेह न हो. सारे काम निपटा कर दोनों ने शकुंतला के कमरे में उसी के बिस्तर पर इच्छा पूरी की. इस के बाद क्या हुआ आप पढ़ ही चुके हैं. सोनिया के अपराध स्वीकार करने के बाद शकुंतला की गुमशुदगी को हत्या में तब्दील कर सोनिया और कुलविंदर को दोषी बनाया गया.

सोनिया की निशानदेही पर मैट्रोपौलिटन मजिस्ट्रैट बहादुर सिंह, एसपी (डी) जसकरण सिंह तेजा, डीएसपी (देहात) हरविंदर सिंह विर्क, डीएसपी (सिटी) हरवंत कौर, थाना जुलकां के प्रभारी रणवीर सिंह एवं जगजीत सिंह, सोहन, बलराम और गांव के सरपंच की मौजूदगी में आंगन में गड्ढा खोद कर शकुंतला की लाश बरामद की गई, जो कंकाल बन चुकी थी.

लाश का पंचनामा तैयार कर फौरैंसिक लैब भेजा गया. इस के बाद सोनिया को गिरफ्तार कर अदालत में पेश कर एक दिन के पुलिस रिमांड पर लिया गया. चूंकि कुलविंदर फरार हो चुका था, इसलिए रिमांड खत्म होने पर सोनिया को पुन: अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. पुलिस कुलविंदर की तलाश कर रही है.

बदनामी से बचने के लिए खेला मौत का खेल

विपिन ने रात का खाना अपनी पत्नी कुमकुम के साथ खाया था. खाना खाने के बाद उसे गुड़ खाने की आदत थी. उस ने पत्नी से गुड़ मांगा. कुमकुम पति को गुड़ दे कर टेबल के बरतन समेटने लगी. गुड़ खाते हुए विपिन ने पत्नी से कहा कि वह जरा टहल कर आता है और घर के बाहर निकल गया. रात का खाना खा कर टहलना विपिन की पुरानी आदत थी. कुमकुम घर का काम निपटाने लगी. काम निपटा कर वह बिस्तर पर लेट कर पति का इंतजार करने लगी. यह 8 फरवरी, 2017 की बात है.

विपिन मूलरूप से गांव बेनीनगर, जिला गोंडा, उत्तर प्रदेश का रहने वाला था. उस के पिता का नाम त्रिवेणी शुक्ला था. 27 साल का विपिन कई साल पहले पंजाब के जिला बठिंडा में आ कर बस गया था. वहां उसे बठिंडा एयरबेस के एयरफोर्स स्टेशन में एयरफोर्स कर्मचारियों द्वारा बनाई गई कैंटीन एयरफोर्स वाइव्ज एसोसिएशन में नौकरी मिल गई थी.

इस कैंटीन में ज्यादातर एयरफोर्स के अधिकारियों की पत्नियां ही घरेलू सामान खरीदने आया करती थीं. विपिन सुबह 9 बजे से शाम के 7 बजे तक कैंटीन में रहता था. उस के बाद घर आ कर वह कुछ देर आराम करता. इस के बाद रात का खाना खा कर टहलने निकल जाता. टहलते हुए एयरफोर्स कालोनी का एक चक्कर लगाना उस की दिनचर्या में शामिल था.

एयरफोर्स की कैंटीन में काम करने की वजह से उसे एयरफोर्स कालोनी का स्टाफ क्वार्टर रहने के लिए मिला हुआ था, जिस में वह अपनी पत्नी के साथ रहता था. उन दिनों उस के घर गांव से उस के पिता और चाचा संतोष शुक्ला भी आए हुए थे. बहरहाल बिस्तर पर लेटेलेटे कुमकुम की आंख लग गई. जब उस की नींद टूटी तो विपिन लौट कर नहीं आया था. घबरा कर उस ने घड़ी की ओर देखा.

रात के 12 बजने वाले थे. विपिन अभी तक लौट कर नहीं आया था. पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था. आधे घंटे में वह लौट कर आ जाता था, पर उस रात… कुमकुम उठी और बगल वाले कमरे में गई, जहां सो रहे विपिन के पिता और चाचा को जगा कर उस ने विपिन के अब तक घर न लौटने की बात बताई. वे भी चिंतित हो उठे. इस के बाद सभी विपिन की तलाश में निकल पड़े.

तलाश में पड़ोस के भी 5-7 लोग साथ हो गए थे. पूरी रात ढूंढने पर भी विपिन का कहीं पता नहीं चला. अगले दिन यानी 9 फरवरी, 2017 की सुबह कुमकुम अपने ससुर और चचिया ससुर के साथ कैंटीन पर गई. विपिन वहां भी नहीं था.

इस के बाद उस ने एयरफोर्स के अधिकारियों को विपिन के लापता होने की सूचना दी. उसी दिन कुमकुम ने बठिंडा के थाना सदर की पुलिस चौकी बल्लुआना जा कर विपिन की गुमशुदगी दर्ज करा दी. इस के बाद सभी अपने स्तर से भी विपिन की तलाश करते रहे.  पर उस का कहीं कोई सुराग नहीं मिला.

धीरेधीरे विपिन को लापता हुए एक सप्ताह बीत गया. इस मामले में एयरफोर्स के अधिकारियों ने भी कोई विशेष काररवाई नहीं की थी. पुलिस ने भी इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया था.

हर ओर से निराश हो कर 14 फरवरी, 2017 को कुमकुम बठिंडा के एसएसपी स्वप्न शर्मा के औफिस जा कर उन से मिली और पति के लापता होने की जानकारी दे कर निवेदन किया कि उस के पति की तलाश करवाई जाए.

एसएसपी स्वप्न शर्मा ने उसी समय फोन द्वारा थाना सदर के थानाप्रभारी वेदप्रकाश को आदेश दिया कि मुकदमा दर्ज कर के इस मामले में तुरंत काररवाई करें. इस के बाद पुलिस चौकी बल्लुआना में कुमकुम के बयान नए सिरे से दर्ज किए गए, इस बार कुमकुम ने आशंका व्यक्त की थी कि या तो उस के पति विपिन शुक्ला का अपहरण हुआ है या हत्या कर के लाश कहीं छिपा दी गई है. कुमकुम के इस बयान के आधार पर पुलिस ने विपिन की गुमशुदगी के साथ अपहरण का मुकदमा दर्ज कर काररवाई शुरू कर दी.

इस के बाद भी विपिन की गुमशुदगी को एक सप्ताह और बीत गया. इन 15 दिनों में पुलिस और एयरफोर्स के अधिकारियों द्वारा ढंग से कोई काररवाई नहीं की गई. इसी का नतीजा था कि विपिन शुक्ला का कोई सुराग इन लोगों के हाथ नहीं लगा. इस बीच कुमकुम एसएसपी स्वप्न शर्मा से 2-3 बार मिल कर गुहार लगा चुकी थी.

पुलिस हर प्रकार से विपिन शुक्ला की तलाश कर के थक चुकी थी. मुखबिरों का भी सहारा लिया गया था. लेकिन उन से भी कोई लाभ नहीं मिला. शहर के बदनाम लोगों से भी पूछताछ की गई, पर नतीजा शून्य ही रहा.

इंसपेक्टर वेदप्रकाश पर एसएसपी स्वप्न शर्मा की ओर से काफी दबाव डाला जा रहा था. इसलिए उन्होंने नए सिरे से जांच करते हुए एयरफोर्स कालोनी के निवासियों और कैंटीन कर्मचारियों से पूछताछ की. इस पूछताछ में उन्हें लगा कि विपिन की गुमशुदगी में कालोनी के ही किसी आदमी का हाथ है.

उन्होंने अपने मुखबिरों को कालोनी वालों पर नजर रखने को कहा. पुलिस और मुखबिर कालोनी में सुराग ढूंढने में लगे थे. अगले दिन यानी 21 फरवरी को वेदप्रकाश ने शैलेश को पूछताछ करने के लिए थाने बुलाना चाहा तो पता चला कि बिना एयरफोर्स अधिकारियों से इजाजत लिए पूछताछ करना संभव नहीं है.

इस पर वेदप्रकाश ने एयरफोर्स के अधिकारियों से इजाजत ले कर सार्जेंट शैलेश से उन्हीं के सामने पूछताछ शुरू की. दूसरी ओर एसएसपी स्वप्न शर्मा के आदेश पर एसपी औपरेशन गुरमीत सिंह और डीएसपी देहात कुलदीप सिंह के नेतृत्व में एक सर्च टीम तैयार की गई, जिस में एयरफोर्स के अधिकारियों सहित 40 जवानों, छोटेबड़े 85 पुलिस वालों और 30 मजदूरों सहित एयरफोर्स के स्निफर डौग एक्सपर्ट की टीम को शामिल किया गया.

इस भारीभरकम टीम ने एयरफोर्स कालोनी में सुबह 9 बजे से सर्च अभियान शुरू करते हुए एकएक क्वार्टर की तलाशी लेनी शुरू की. दूसरी ओर सार्जेंट शैलेश से पूछताछ चल रही थी. पूछताछ में शैलेश ने बताया कि अन्य लोगों की तरह उस की भी विपिन से जानपहचान थी. लेकिन वह उस की गुमशुदगी के बारे में कुछ नहीं जानता. लेकिन थानाप्रभारी के पास कुछ ऐसी जानकारियां थीं, जिन्हें शैलेश छिपाने की कोशिश कर रहा था.

शैलेश से अभी पूछताछ चल ही रही थी कि कालोनी में सर्च अभियान चलाने वाली टीम में शामिल स्निफर डौग भौंकते हुए सार्जेंट शैलेश शर्मा के क्वार्टर में घुस गया. कुत्ते के पीछे पुलिस अफसर भी घुस गए. सार्जेंट शैलेश शर्मा को भी वहीं बुला लिया गया. पूरे क्वार्टर में अजीब सी दुर्गंध फैली थी. जब विश्वास हो गया कि इस क्वार्टर में लाश जैसी कोई चीज है तो पुख्ता सबूत के लिए इलाका मजिस्ट्रैट और तहसीलदार भसीयाना को बुला लिया गया.

सब की मौजूदगी में जब सार्जेंट शैलेश के क्वार्टर की तलाशी ली गई तो वहां से जो बरामद हुआ, उस की किसी ने कल्पना भी नहीं की थी. वहां का लोमहर्षक दृश्य देख कर पत्थरदिल एयरफोर्स और पुलिस के जवानों के भी दिल कांप उठे. कुछ लोगों को तो चक्कर तक आ गए.

क्वार्टर में लापता विपिन शुक्ला की लाश के 16 टुकड़े पड़े थे, जिन्हें काले रंग की 16 अलगअलग थैलियों में पैक कर के पैकेट बना कर फ्रिज में रखा गया था. लाश के टुकड़े बरामद होते ही सार्जेंट शैलेश ने इलाका मजिस्ट्रैट, तहसीलदार, एयरफोर्स के अधिकारियों और पुलिस के वरिष्ठ अफसरों के सामने अपना अपराध स्वीकार कर लिया.

उस ने बताया कि उसी ने अपनी पत्नी अनुराधा और अपने साले शशिभूषण के साथ मिल कर विपिन शुक्ला की हत्या कर के लाश के टुकड़े कर के फ्रिज में रखे थे. पुलिस ने लाश के टुकडे़ और फ्रिज कब्जे में ले लिया. लाश के टुकड़ों का पंचनामा कर के उन्हें पोस्टमार्टम के लिए सरकारी अस्पताल भिजवा दिया.

अपहरण की धारा 365 के तहत दर्ज इस मुकदमे में योजनाबद्ध तरीके से की गई हत्या की धारा 302, 120बी और लाश को खुर्दबुर्द करने के लिए धारा 201 जोड़ दी गई. सार्जेंट शैलेश और उस की पत्नी अनुराधा को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. इस हत्या का तीसरा आरोपी शशिभूषण फरार हो गया था.

उस की तलाश में पुलिस टीम उत्तराखंड भेजी गई. उसी दिन शाम को यानी 21 फरवरी, 2017 को एसपी औपरेशन गुरमीत सिंह ने प्रैसवार्ता कर इस हत्याकांड के संबंध में विस्तार से जानकारी दी, साथ ही दोनों गिरफ्तार अभियुक्तों शैलेश और अनुराधा को मीडिया के सामने पेश किया.

पुलिस अधिकारियों द्वारा पूछताछ करने पर सार्जेंट शैलेश और अनुराधा ने विपिन शुक्ला की गुमशुदगी से ले कर हत्या करने तक की जो कहानी बताई, वह अवैधसंबंधों और बदनामी से बचने के लिए की गई हत्या का नतीजा थी—

सार्जेंट शैलेश मूलरूप से उत्तराखंड का निवासी था. लगभग 7 साल पहले उस की अनुराधा से शादी हुई थी. उस का एक 5 साल का बेटा है. इन दिनों उस की पत्नी गर्भवती थी.

इस कहानी की शुरुआत 2 साल पहले सन 2014-15 से शुरू हुई थी. 27 साल का विपिन शुक्ला खूबसूरत युवक था. हंसीमजाक करना उस की आदत में था. वह एयरफोर्स की वाइव्ज एसोसिएशन की कैंटीन में काम करता था. इस कैंटीन में एयरफोर्स के अफसरों जवानों की पत्नियां घरेलू सामान खरीदने आती हैं.

सार्जेंट शैलेश की खूबसूरत पत्नी अनुराधा भी यहां से सामान खरीदा करती थी. एक बच्चे की मां अनुराधा काफी खूबसूरत थी. उसे देखते ही शादीशुदा विपिन अपना दिल हार बैठा था. उस ने बात को आगे बढ़ाने के लिए पहल करते हुए अनुराधा से हंसीमजाक और छेड़छाड़ शुरू कर दी.

अनुराधा ने इस का विरोध करते हुए विपिन को काफी खरीखोटी भी सुनाई, पर उस ने उस का पीछा नहीं छोड़ा. धीरेधीरे अनुराधा को विपिन की छेड़छाड़ और हंसीमजाक में आनंद आने लगा. इस से विपिन की हिम्मत बढ़ गई.

पहले दोनों में प्यार का इजहार हुआ, फिर मुलाकातें शुरू हुई. वक्त के साथ दोनों के बीच अवैधसंबंध भी बन गए. उसी बीच अनुराधा गर्भवती हो गई और शादीशुदा होते हुए भी विपिन पर शादी के लिए दबाव डालने लगी. उस का कहना था कि वह अपने पति को छोड़ देगी और विपिन अपनी पत्नी को तलाक दे दे. लेकिन विपिन ने अनुराधा की इस बात को मानने से इनकार कर दिया.

उस बीच शैलेश को भी अपनी पत्नी के विपिन शुक्ला के साथ अवैध संबंध होने और उस के गर्भवती होने की जानकारी मिल गई. उस ने अनुराधा को आड़े हाथों लेते हुए खूब फटकार लगाई. इस बात को ले कर पतिपत्नी के बीच क्लेश भी शुरू हो गया. यह बात पिछले साल की है.

रोजरोज के क्लेश से तंग आ कर शैलेश अनुराधा को अपनी ससुराल उत्तराखंड ले गया और वहां उस ने यह बात अनुराधा के मातापिता और भाई को बताई तो उन्होंने भी अनुराधा को डांटते हुए फौरन विपिन से संबंध खत्म करने को कहा.

शैलेश और अनुराधा कुछ दिन उत्तराखंड रह कर बठिंडा लौट आए. वापस आने के बाद अनुराधा ने विपिन से बातचीत करनी बंद कर दी. बारबार बुलाने पर भी जब अनुराधा ने विपिन से बात नहीं की तो नाराज हो कर वह अनुराधा को बदनाम करने लगा.

वह कालोनी वालों और कैंटीन में काम करने वाले अन्य कर्मचारियों को अपने और अनुराधा के अवैधसंबंधों की कहानियां चटखारे लेले कर सुनाता. इस से सार्जेंट शैलेश और उस की पत्नी अनुराधा की बदनामी होने लगी. शैलेश अपने अधिकारियों और कालोनी वालों से नजर मिलाने में कतराने लगा.

एक दिन शैलेश ने विपिन से मिल कर उसे समझाया, ‘‘देखो शैलेश, गलती चाहे किसी की भी रही हो, अब यह बात यहीं दफन कर दो. पिछली सभी बातों को भूल कर भविष्य में हमें बदनाम करना बंद कर दो.’’

विपिन ने उस समय तो शैलेश की बात मान कर वादा कर लिया, पर वह अपनी बात पर कायम नहीं रह सका. उस की छिछोरी हरकतें जारी रहीं. विपिन जब अपनी हरकतों से बाज नहीं आया और पानी सिर के ऊपर से गुजरने लगा तो शैलेश ने अपने साले शशिभूषण को बठिंडा बुला लिया. शशिभूषण नेवी में नौकरी करता था.

शैलेश के बुलाने पर जब शशिभूषण बठिंडा पहुंचा तो शैलेश, अनुराधा और शशिभूषण ने रोजरोज की इस बदनामी से अपना पीछा छुड़ाने के लिए विपिन का गला घोंट कर दफन करने की योजना बना डाली.

अपनी योजना पर अच्छी तरह सोचविचार कर उसे अमली जामा पहनाने के लिए सब से पहले शैलेश ने अपने अधिकारियों को अपना क्वार्टर बदलने की अर्जी दी. उसे एयरफोर्स कालोनी में क्वार्टर नंबर 214/10 अलाट था. उस ने अधिकारियों को मौजूदा क्वार्टर में कुछ कमियां बता कर नया क्वार्टर अलाट करा लिया.

योजना के अनुसार, नए क्वार्टर में जाने की तारीख 8 फरवरी, 2017 तय की गई. 8 फरवरी को रात का खाना खा कर विपिन अपनी आदत के अनुसार टहलने के लिए निकला तो शैलेश उसे अपने क्वार्टर के पास ही मिल गया. विपिन को देखते ही शैलेश ने कहा, ‘‘यार, मैं तुम्हारे घर ही जा रहा था.’’

‘‘क्यों क्या बात हो गई?’’ विपिन ने हैरानी से पूछा तो शैलेश ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘यार, तुम तो जानते ही हो कि आज मुझे क्वार्टर बदलना है. काफी सामान तो पैक कर चुका हूं. बस कुछ सामान बचा है. तुम चल कर पैक करवा दो. उस के बाद अनुराधा के हाथ की चाय पीएंगे.’’ शैलेश ने यह बात जानबूझ कर कही थी.

सुन कर विपिन झट से तैयार हो गया. शैलेश विपिन को ले कर अपने पुराने क्वार्टर पर पहुंचा. सामान पैक करते हुए विपिन जब नीचे की ओर झुका, तभी उस ने पीछे से विपिन के सिर पर कुल्हाड़ी का भरपूर वार कर दिया. बिना चीखे ही विपिन फर्श पर ढेर हो गया. शशिभूषण ने भी उस की गरदन पर एक वार कर के सिर धड़ से अलग कर दिया.

इस के बाद तीनों ने मिल कर विपिन की लाश को एक बड़े ट्रंक में डाल कर बाहर से ताला लगा दिया और घर के अन्य सामान के साथ लाश वाला ट्रंक भी नए क्वार्टर में ले आए.

विपिन की हत्या करने के बाद जहां शैलेश ने चैन की सांस ली थी, वहीं उसे यह चिंता भी सताने लगी थी कि विपिन की लाश को ठिकाने कैसे लगाया जाए. वह कुछ सोच पाता, उस के पहले ही उसे अगले दिन अपने अधिकारियों से पता चला कि विपिन रात से घर से लापता है. यह सुन कर उस ने लाश ठिकाने लगाने का इरादा त्याग दिया.

उस ने सोचा कि कुछ दिनों में मामला ठंडा हो जाएगा तो इस विषय पर वह सोचेगा. पर विपिन की पत्नी कुमकुम के बारबार एयरफोर्स और पुलिस के अधिकारियों के पास चक्कर लगाने से मामला ठंडा होने के बजाए गरमाता गया.

लाश को ठिकाने लगाना जरूरी था. फरवरी का महीना होने के कारण मौसम बदल रहा था. ज्यादा दिनों तक लाश को रखा नहीं जा सकता था, इसलिए सोचविचार कर शैलेश ने 19 फरवरी को विपिन की लाश के छोटेछोटे 16 टुकड़े किए और उन्हें पौलिथिन की अलगअलग थैलियों में भर फ्रिज में रख दिया.

शैलेश ने सोचा था कि वह किसी रोज मौका देख कर 2-3 थैलियों को बाहर ले जा कर वीरान जगह पर फेंक देगा, जहां कुत्ते या जंगली जानवर उन्हें खा जाएंगे. कुछ टुकडों को जला देगा और कुछ को नाले या गटर में फेंक देगा. लेकिन इस के पहले ही 21 फरवरी को पुलिस ने उसे और उस की पत्नी अनुराधा को गिरफ्तार कर के उस के घर से फ्रिज में रखे लाश के 16 टुकड़े बरामद कर लिए.

अभियुक्त सार्जेंट शैलेश कुमार और अनुराधा को उसी दिन अदालत में पेश कर के थानाप्रभारी वेदप्रकाश ने 2 दिनों के पुलिस रिमांड पर ले लिया. रिमांड अवधि में शैलेश और अनुराधा की निशानदेही पर उन के घर से हत्या में इस्तेमाल की गई कुल्हाड़ी और मृतक विपिन शुक्ला का मोबाइल बरामद कर लिया गया. पूछताछ और पुलिस काररवाई पूरी कर के दोनों को अदालत में पेश किया गया, जहां से दोनों को जिला जेल भेज दिया गया.

अपनी बेइज्जती का बदला लेने के लिए शैलेश ने जिस तरह अपने दिमाग का इस्तेमाल किया था, वह काबिले तारीफ था. उस की योजना फूलप्रूफ थी. लेकिन लाश ठिकाने लगाने में की गई देर ने उस की पोल खोल दी. बहरहाल अब पतिपत्नी जेल में हैं और इस हत्या के लिए तीसरे दोषी शशिभूषण की पुलिस सरगर्मी से तलाश कर रही है.

बठिंडा के सरकारी अस्पताल के डाक्टरों ने मृतक विपिन की लाश के टुकड़ों का पोस्टमार्टम कर ने से इनकार करते हुए कहा कि तकनीकी कारणों और पुख्ता सबूतों के लिए पोस्टमार्टम फरीदकोट के मैडिकल कालेज में करवाना ठीक रहेगा.

मृतक की पत्नी कुमकुम का आरोप है कि अगर एयरफोर्स और स्थानीय पुलिस सही समय पर काररवाई करती तो उस के पति की लाश इस तरह 16 टुकड़ों में न मिलती. विपिन की लाश 12 दिनों तक सलामत थी. इस के बाद ही हत्यारों ने उस के टुकड़े किए थे.

कुमकुम का यह भी कहना है कि उस के पति के अनुराधा के साथ अवैधसंबंध नहीं थे. हकीकत में शैलेश और अनुराधा विपिन को ब्लैकमेल कर रहे थे. विपिन की हत्या करने से पहले पतिपत्नी दोनों रोजाना शाम को उन के घर आते थे और देर रात तक बैठ कर बातें व हंसीमजाक करते थे. लेकिन 8 फरवरी के बाद वे एक बार भी उन के घर नहीं आए और ना ही विपिन की तलाश में उन्होंने कोई सहयोग किया.

– पुलिस सूत्रों पर आधारित

बाप ने बेटी के जिस्म को देखा और फिर हवस में अंधा होकर किया ये काम

अंबाला शहर में परिवार के लोग हरिद्वार गंगा स्‍नान के लिए गए थे और घर में पिता-पुत्री रह गए थे. घर में बेटी को अकेली देख पिता की नीयत खराब हो गई और उसने उसे दुष्‍कर्म का शिकार बना डाला. परिजन लौटकर आए तो बेटी ने मां से पेट दर्द की शिकायत की. इसके बाद उसे डॉक्‍टर को दिखाया गया तो सारा मामला उजागर हो गया. अब अदालत ने दुष्‍कर्मी पिता को उम्रकैद की सजा सुनाई है.

घर में बेटी को अकेली देख पिता ने उसे अपनी हवस का शिकार बना डाला. आरोप है कि बेटी ने विरोध किया तो उसने जान से मारने की धमकी दी. उसने बेटी को इस बारे में किसी को कुछ नहीं बताने को कहा. परिवार के लोग हरिद्वार से लौटे तो लड़की को असहज पाया. पूछताछ करने पर लड़की ने मां को पेट में दर्द होने की बात कही.

इसके बाद वह उसे डॉक्टर के पास ले गई तो सारे मामले का खुलासा हो गया और लड़की ने मां को पिता की करतूत के बारे में बताया. इसके बाद मां ने आवाज उठाते हुए शहर के कोतवाली थाने में पति के खिलाफ मामला दर्ज करवाया. केस दर्ज करने के बाद पुलिस ने आरोपी पिता को गिरफ्तार कर लिया. एक साल दो माह चली सुनवाई के दौरान अदालत में 14 लोगों की गवाही हुई.

एडिशनल सेशन जज नरेंद्र सूरा की अदालत ने पिता को उम्रकैद के संग तीन हजार रुपये जुर्माना भी किया है. सुनवाई के दौरान पीड़िता लड़की और मां ने अपने बयान भी बदल लिए, लेकिन दोषी को बचा न सके.

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