उस समय तो हिना ने खामोश रहना ही सही समझा, पर उस के मन में अब छुटकी के लिए वह प्यार नहीं रहा था. कहते हैं कि अच्छा समय बीतते ज्यादा वक्त नहीं लगता. ऐसा ही कुछ यहां भी हुआ. हिना और फजल के दोनों बच्चे जुनैद और छुटकी साथसाथ बड़े होने लगे और 10 साल कब चले गए, पता ही नहीं चला.
बच्चे तो बच्चे होते हैं, पर इनसान अपना जहर उगलने से कभी बाज नहीं आता. ऐसा ही जहर उगला था हिना की भाभियों, निकहत और रजिया ने. दोनों ने जुनैद को बताया कि छुटकी उस की सगी बहन नहीं है, बल्कि उसे तो सज्जाद मुंशी से गोद लिया गया था.
ऐसा कर के जुनैद के मन में लोगों ने छुटकी के प्रति नफरत और अलगाव डालने की कोशिश की, पर जुनैद के मन में तो अपनी बहन छुटकी के लिए बेशुमार प्यार था और छुटकी भी उस पर जान न्योछावर करती थी.
‘‘अरे, मैं तो तुझे इसलिए पैसे देती हूं कि तू बाहर जा कर अपनी पसंद का जूस पी लिया कर. और तू है कि छुटकी के लिए उन पैसों को बचाबचा कर मिठाई ले आता है? ,’’ हिना ने जुनैद को डांटते हुए कहा.
‘‘पर अम्मी… दोनों साथ मिल कर खाते हैं, तो मजा दोगुना हो जाता है… है न?’’ कह कर हिना के गालों को चूम लिया था जुनैद ने.
जुनैद का छुटकी की तरफ झुकाव हिना को फूटी आंख न सुहाता था. उस का बस चलता तो छुटकी को अब यहां न रहने देती, पर फजल और जुनैद के आगे वह कुछ कह नहीं पाती थी, बस मन मसोस कर रह जाती. शहर में अचानक पीलिया फैल गया था. न जाने कहां से हिना को भी इस बीमारी ने अपनी चपेट में ले लिया था. वह कमजोर होने लगी थी. डाक्टर को दिखाया गया, तो उन्होंने दवा के साथसाथ पूरी तरह से उसे आराम करने की हिदायत दी.
हिना को ऐसे समय पर सब से ज्यादा खानेपीने में एहतियात की जरूरत थी, पर निकहत और रजिया ने ऐसे मुश्किल समय में अपने हाथ खींच लिए और अपने बच्चों को भी हिना के कमरे में जाने से रोक दिया, क्योंकि उन का मानना था कि पीलिया छूत की बीमारी है और उन्हें और उन के बच्चों में भी फैल सकती है?
हिना अकेली पड़ गई थी, पर छुटकी अपनी अम्मी की हर छोटीबड़ी जरूरत का ध्यान रखती. डाक्टर की दी हुई कौन सी दवा कब देनी है, यह जिम्मा छुटकी ने अपने हाथों में ले रखा था. यहां तक कि अम्मी को उठानेबिठाने का काम भी छुटकी ने बखूबी किया, साथ ही फजल और जुनैद को भी खानेपीने और किसी भी तरह की कोई तकलीफ न होने दी.
दवा के असर से और छुटकी की देखरेख में हिना जल्दी ही ठीक होने लगी. हिना की शरीर की बीमारी के साथसाथ उस के मन की बीमारी भी जाने लगी. हिना के मन में छुटकी के लिए प्यार उमड़ आया और मन ही मन उसे पछतावा हो रहा था.
मैं कितनी खुदगर्ज हो गई थी और छुटकी को पराई लड़की समझ कर पिंड छुड़ा रही थी, पर छुटकी ने अपनी सेवा और प्यार से मेरा मन ही नहीं जीता, बल्कि मुझे एक नई सीख भी दी है, हिना ने सोचा और बोली, ‘‘अरे सुन… अब तू छुटकी नहीं, बल्कि बहुत बड़ी हो गई है… बड़की है… तू बड़की,’’ हिना ने प्यार से छुटकी को गले लगा लिया था.
जुनैद भी दौड़ कर हिना और छुटकी से लिपट गया. पास में ही फजल खड़ा हुआ मुसकरा रहा था.