Child Heath: मेरा बेटा 4 साल का है और अभी तक ढंग से बोलना नहीं सीखा

Child Heath: अगर आप भी अपनी समस्या भेजना चाहते हैं, तो इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें.

सवाल –

मेरी उम्र 34 साल है. मेरी शादी को 6 साल हो चुके हैं और हमारा एक बेटा भी है. उस की उम्र 4 साल है. दिक्कत यह है कि मेरा बेटा अभी ढंग से बोलना नहीं सीखा है. ज्यादातर चुप ही रहता है और छोटा सा वाक्य बोलने में भी उसे दिक्कत होती है. इस बात से मैं और मेरी पत्नी परेशान रहते हैं. मेरी मां बोलती हैं कि उन के पोते पर ऊपरी नजर लग गई है और इस के लिए पूजापाठ कराना होगा. पर मुझे नहीं लगता कि ऐसा करने से समस्या का हल होगा. हमें क्या करना चाहिए?

जवाब –

यह कोई खास चिंता वाली बात नहीं है. कई बच्चे देर से बोलना शुरू करते हैं. आप बेटे को घर पर बोलने की प्रैक्टिस कराएं. शुरू में सरल शब्द और वाक्य सिखाएं. उस से छोटेछोटे सवाल करें और उसे कविता व गाना गाने के लिए बढ़ावा दें. अगर वह मोबाइल का आदी हो गया हो, तो उस का स्क्रीन टाइम कम कराएं.
कई बार बच्चे को सुनने में भी दिक्कत होती है, जिस का असर उस के बोलने पर भी पड़ता है, इसलिए बेहतर होगा कि उसे एक बार किसी स्पीच थेरैपिस्ट को दिखा लें.

अपनी मां को कहें कि वह अपना ज्ञान यानी डुकरिया पुराण अपने पास रखें. पूजापाठ, टोनेटोटके, तंत्रमंत्र जैसी बकवास बातों में पड़ कर अपना वक्त व पैसा बरबाद न करें.

व्हाट्सऐप मैसेज या व्हाट्सऐप औडियो से अपनी समस्या इस नम्बर पर 8588843415 भेजें. Child Heath

बच्चों को रखें फोन से दूर

क्या आपका भी बच्चा फोन का आदि है अगर हां तो हो जाइए सावधान और अपने बच्चे को फोन का आदि बनने से बचाएं उन्हें फोन से दूर रखें. बच्चों को ज्यादा फोन देना आपके लिए और बच्चों के लिए दोनों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है.

इसके कई दुष्परिणाम हो सकते हैं इसलिए कोशिश करें कि आपका बच्चा फोन से दूर रहे. अक्सर ऐसा होता है कि जब आपका बच्चा छोटा होता है वो रोता है तो आप उसे शांत कराने के लिए हाथ में फोन पकड़ा देते हैं जो बिल्कुल भी सही नहीं है और आपके बच्चे के भविष्य के लिए तो बिल्कुल भी नहीं. ऐसे कई दुष्परिणाम हैं जो आपको जानना आवश्यक है.

  • सबसे पहले तो आपका बच्चा फोन का आदि होने लगता है फिर वो बार-बार रोता है ताकि उसे फोन मिले और साथ ही फिर उसे बड़े होने पर भी जल्दी फोन चाहिए जबकि अभी वो उस लायक है भी नहीं कि उसके हाथ में फोन दे दिया जाए.
  • फोन देखते वक्त क्या पता आपका बच्चा कुछ ऐसा देख ले जो शायद उसे अभी नहीं देखना और समझना चाहिए क्योंकि हर चीज जानने और समझने का एक सही वक्त होता है. और आपका बच्चा वो देखकर आपसे सवाल कर बैठे तो आप उसका जवाब नहीं दे पाएंगे. और क्या पता किसी के सामने आपका बच्चा कुछ गलत कह दें.
  • ज्यादा फोन के इस्तेमाल से आपके बच्चे की आंखे भी खराब हो सकती हैं. कम उम्र में चश्मा लगना कोई बहुत सही चीज तो है नहीं. और फिर ये आपके बच्चें के भविष्य के लिए बिल्कुल ही अच्छा नहीं होगा. जैसे जैसे वो बड़ा होगा या होगी उसकी आंखों पर असर पड़ेगा. उसे पढ़ाई में दिक्कत हो सकती है. और फिर आजकल के बच्चे तो कम्प्यूटर भी ज्यादा इस्तेमाल करते हैं तो ध्यान रहे कि इसमें आंखों की सेफ्टी का भी ध्यान रखें.
  • बच्चों के हांथ में मोबाइल तभी दें जब आपको लगे कि अब आपके बच्चें को सचमुच फोन की जरूरत है. ये नहीं कि कभी भी दे दिया. इसके कारण बच्चे कभी-कभी बिगड़ भी जाते हैं और भले ही फोन कई मामलों में अच्छा है लेकिन कभी-कभी बहुत घातक सिद्ध हो सकता है. आजकल तो क्राइम भी कितने हो रहें हैं. कहीं ऐसा ना हो कि आपका बच्चा उस क्राइम का शिकार हो जाए. इसलिए अपने बच्चे का ध्यान रखें और जितना हो सके उसे फोन से दूर रखें, जरूरत के समय उसके हाथ में फोन दें.
  • आजकल के बच्चों की तो पढ़ाई भी बिना फोन के नहीं होती है तो कोशिश करें कि जब आप अपने बच्चे को पढ़ाई से संबंधित कार्य के लिए फोन दे रहें हैं तो वो वही कर रहा है या फिर किसी गलत चीज का शिकार तो नहीं हो गया कुछ गलत तो नहीं कर रहा. एक अभिभावक होने के नाते ये आपका फर्ज है और कर्तव्य भी.
  • ज्यादा फोन इस्तेमाल करने से आपका बच्चा डिप्रेशन में होगा जब उसे फोन नहीं मिलेगा. उसका विकास रुक सकता है क्योंकि वो किसी पर ध्यान ही नहीं देगा तो अच्छा होगा कि आप अपने बच्चें को घर-परिवार से जोड़े, लोगों के साथ घुलने-मिलने दें ताकि वो फोन से दूर रहे.

बच्चों को इतनी ज्यादा लत हो जाती है फोन की कि उसके चक्कर में वो सोते भी नहीं हैं तो नींद पूरी ना होना और सिर दर्द होना तो बिल्कुल भी आपके बच्चे के लिए ठीक नहीं है. इसलिए सावधानी बरतने की जरूरत है.

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