छत्तीसगढ़ में आगामी 25 अगस्त से विशेष “विधानसभा सत्र” आहुत करने की उद्घोषणा विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत के निर्देश पर हो गई है. तत्संबंधी निर्देश और कथित नियम जारी हो रहे हैं. ऐसे में यह सवाल राजनीतिक फिजा में सरगर्म है की क्या छत्तीसगढ़ कोई आकाश से उतारा गया विशिष्ट राज्य है जहां कोरोना वायरस कोविड-19 के समय काल में विधानसभा सत्र कराया जाना अपरिहार्य है.और विधानसभा सत्र के कारण कोरोना का प्रसार और तेजी से नहीं होगा ? उल्लेखनीय है कि
छत्तीसगढ़ में अनेक पुलिस स्टेशन, जिलाधीश कार्यालय, पुलिस अधीक्षक कार्यालय, विश्राम गृह, विधायक, बैंक कर्मचारी, गुपचुप बेचने वाला तलक कोरोना पॉजिटिव पाया गया है. यह संक्रमण निरंतर बढता चला जा रहा है ऐसे में “विधानसभा सत्र” की बैठक बुलाना क्या उचित कहा जा सकता है .अगरचे 90 विधायक जिनमे मंत्री, मुख्यमंत्री व सैकड़ों लोगों का अमला एक जगह पर एकत्रित होगा तो क्या यह सुरक्षित कार्य माना जाएगा. अगर कहीं एक भी कोरोना पॉजिटिव इस भीड़ में शामिल रहा तो क्या स्थितियां बनेंगी यह सहज कल्पना की जा सकती है. ऐसे में विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत का यह निर्णय चर्चा और समीक्षा का विषय है.
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डॉ. चरणदास – भूपेश बघेल एक हैं!
छत्तीसगढ़ में कोरोना की रफ्तार इन दिनों अपने चरम पर है. प्रतिदिन पांच सौ लोग कोरोना पॉजिटिव पाए जा रहे हैं. 3 से 10 तलक लोग प्रतिदिन हलाक हो रहे हैं कोरोना का ग्रास बन रहे हैं . ऐसे विषम समय में डॉ. चरणदास महंत ने भूपेश बघेल मुख्यमंत्री से मुलाकात की. दोनों नेताओं में “विधानसभा सत्र” बुलाने के लिए सहमति बन गई और यह घोषणा सुर्खियां बन गई.
आजकल संपूर्ण देश में कोरोना अपने दंश से लोगों को भयभीत कर रहा है, मार रहा है.अभी तलक कोई इलाज, कोई वैक्सीन की खोज भी नहीं हो पाई है अभी सरकार स्वयं यह प्रचार प्रसार कर रही है की आपस में दूरी 2 गज की बनाकर रखें, सोशल, फिजिकल डिसटेस्टिंग बनाए रखें . स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई चल रही है कॉलेज बंद है थिएटर बंद है यहां तक की लाइब्रेरी वाचनालय भी बंद है. ऐसे में अब अगर सरकार स्वयं विधानसभा का सत्र बुलाने की उतावली कर रही है तो “आ बैल मुझे मार” की तैयारी कर रही है तो इसे समझदारी भरा कदम कदापि नहीं कहा जा सकता. इस कारण प्रबुद्ध जन सहित कुछ विधायकों ने भी डॉक्टर चरणदास को अपने फैसले को स्थगित करने का अनुरोध किया है.मगर सरकार और विधानसभा सचिवालय अपने फैसले पर पुर्नविचार करने को तैयार नहीं है.
ननकीराम ने उठाई आवाज
छत्तीसगढ़ विधानसभा सत्र आहूत की खबर जैसे ही सुर्खी बनी. लोगों में यह चर्चा का बयास बन गई. क्योंकि अभी कोरोना काल में विधानसभा का सत्र बुलाना सीधे-सीधे मधुमक्खी के छत्ते में हाथ डालने जैसा ही है. इसका प्रखर व तार्किक विरोध डॉक्टर रमन सरकार में गृह मंत्री रहे पूर्व मंत्री ननकीराम कंवर ने किया. आदिवासी ब्रिगेड के सिपाहसलार रहे ननकीराम कंवर प्रदेश के वरिष्ठम विधायकों में हैं और इन दिनों मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से उनकी गलबहियां चर्चा में है.
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डॉक्टर रमन सिंह के घुर विरोधी ननकीराम मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से अक्सर मिलते हैं और उनके सुझावो पर भूपेश बघेल तत्काल अमल भी करते देखे गए हैं. ननकीराम और भूपेश बघेल को लेकर भाजपा वक्रदृष्टि रखे हुए हैं ऐसे में ननकीराम का यह बयान की विधानसभा सत्र बुलाना कोरोना को आमंत्रित करने जैसा है और इसे स्थगित करके ऑनलाइन सत्र बुलाने का सुझाव देते हुए ननकीराम ने तल्ख स्वर में इस पहल की निंदा कर दी है.
स्थितियां बेकाबू सरकार मदहोश
छत्तीसगढ़ में कोरोना को लेकर स्थितियां बेकाबू होती जा रही हैं. बिलासपुर पुलिस अधीक्षक कार्यालय, आरटीओ दफ्तर, नगर निगम, नेता प्रतिपक्ष, डॉक्टर रमन सिंह और प्रदेश के कई नेता, महापौर जैसे लोग कोरोना की जद में आ चुके हैं. मगर छत्तीसगढ़ सरकार कोरोना को लेकर गंभीर नजर नहीं आती. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पोरा, हरेली का त्यौहार सार्वजनिक रूप से मनाते हैं लोगों की भीड़ जुटती है. यह गतिविधियां जनता में चर्चा का विषय बनी हुई है.
प्रतिदिन सिर्फ 6 हजार लोगों की कोरोना संक्रमित जांच हो रही है जो कि रेत में सुई की भांति है. कोरोना अपनी रफ्तार से बढ़ता चला जा रहा है स्थिति नियंत्रण में नहीं है.
ऐसी खतरनाक होती परिस्थितियों में प्रदेश के 90 विधायक, अधिकारी, कर्मचारी विधानसभा में एक साथ एकजुट होकर मिलेंगे तो क्या होगा यह सहज कयास लगाया जा सकता है. कहीं ऐसा न हो की यह पहल छत्तीसगढ़ के लिए एक भयंकर त्रासदी बन जाए .