देसी पोर्न फिल्मों की अनदेखी सच्चाई

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक छोटे से कस्बे में रहने वाले इंटरमीडिएट के छात्र सुनील के मोबाइल का डेटा खत्म हो गया था. वह परेशान हो गया था. रात के 9 बज चुके थे. कहां रीचार्ज करवाए, किस से कहे, औनलाइन पढ़ाई भी करनी थी.

तभी ध्यान आया उस की बुआ का मोबाइल. वह तुरंत उन के पास जा पहुंचा. उस वक्त वह अपने कमरे में नहीं थीं. रसोई में उस की मां के साथ हाथ बंटा रही थीं. मोबाइल उन के बिस्तर पर पड़ा था.

उस ने झट मोबाइल उठाया और अपने कमरे में चला आया. औन करते ही उस का दिमाग सन्न से रह गया. उस पर एक वीडियो चल पड़ी थी. वह किसी हीरोहीरोइन की फिल्म नहीं, बल्कि एक पोर्न वीडियो थी. वह डर गया. तुरंत मोबाइल बंद किया और वापस बुआ के कमरे में रखने के लिए जाने लगा. करीब 10 साल बड़ी बुआ भागती हुई आईं और उस के हाथ से मोबाइल छीन कर डांट लगाई, ‘‘बदतमीज, किसी दूसरे का मोबाइल नहीं छूते, तमीज नहीं है.’’

‘‘जी…जी बुआ, मेरा डेटा खत्म हो गया था, इसलिए आप का लाया,’’ सुनील झिझकते हुए बोला.

‘‘औन तो नहीं किया था?’’ बुआ बोलीं.

‘‘जी किया था, थोड़ी देर… फिर बंद भी कर दिया था. वापस कमरे में रखने ही जा रहा था,’’ सिर झुकाए बोला.

इस छोटी सी घरेलू बात के बाद सुनील से उस की बुआ नजरें चुराने लगी थीं. उसे ऐसा महसूस होने लगा था कि उस ने कोई गलत काम किया हो और भतीजे की नजरों में गिर गई हों. दूसरी तरफ सुनील भी उस के बाद इतना तो समझ ही गया था कि वह देर रात तक मोबाइल से चिपकी क्यों रहती है.

दरअसल, सुनील की तलाकशुदा बुआ को पोर्न फिल्में देखने की लत लगी हुई थी. हर रोज देर रात तक फिल्में देखा करती थी. एडल्ट फिल्में तो सुनील भी देखता था, इस कारण उस का डेटा जल्द खत्म हो जाता था, लेकिन इस तरह की पोर्न वीडियो की झलक उस ने पहली बार देखी थी. यह सोच कर वह भी बुआ के सामने झेंप गया था और नजरें चुराने लगा था.

इस से इतना साफ है कि पोर्न फिल्में मोबाइल पर देखना बहुत ही आसान हो गया है. वैसे तो 80 के दशक में वीसीपी और वीसीआर आने के साथ ही पोर्न यानी ब्लू फिल्मों का आगमन हो गया था.

तब उसे लोग शौर्ट में धीमी आवाज में बीएफ कहते थे. लेकिन सीडी और पेनड्राइव आने पर इस का और विस्तार हुआ. दिल्ली में पालिका केंद्र इस के बिजनैस का बड़ा केंद्र बन गया.

डिजिटल दौर में इंटरनेट, स्मार्टफोन,  डेटा की उपलब्धता और सूचना तकनीक की क्रांति के आने पर इस में और भी तेजी आ गई है. पोर्न कंटेंट की वेबसाइटें भरी पड़ी हैं.

कानूनी पाबंदियों और सरकारी प्रतिबंधों के बावजूद यह फलताफूलता धंधा बन चुका है. इन में देसी पोर्न फिल्मों का बाजार ठीक वैसे ही उफान पर है, जैसा उफान देती महिलाएं इन फिल्मों में देखी जाती हैं.

नतीजा सामने है. भारत में कहीं सहमति से तो कहीं जबरदस्ती छोटीछोटी पोर्न फिल्में धड़ल्ले से बनने लगी हैं. कुछ सेकेंड की क्लिपिंग्स के अलावा वेब सीरीज के रूप में इन फिल्मों का बाजार फैल चुका है. इस की जड़ें कस्बे और गांव तक जा पहुंची हैं. इस में छिपे तौर पर लाखों लोग एक्टिव हैं.

उन में कलाकार, मेकअप मैन, क्रू मेंबर, कैमरामैन, कंटेंट राइटर, तकनीशियन और डिजिटल मार्केटिंग के लोग शामिल हैं.

यह अलग बात है कि इसे बौलीवुड, टौलीवुड, साउथ, बांग्ला, मराठी, पंजाबी या भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री की तरह एक इंडस्ट्री जैसी पहचान और सम्मान नहीं मिल पाया है. हौलीवुड की तरह भारत में इसे जगह मिलना भले ही नामुमकिन हो, लेकिन इस के प्रवाह को रोकना मुश्किल नहीं है.

पोर्न साइटों पर इन दिनों छोटीछोटी कहानियों के साथ ब्लू फिल्में बनने लगी हैं. उस के पात्र रिश्तेदारों की तरह होते हैं. जैसे देवरभाभी, साली, आंटी, सिस्टर, स्टेप सिस्टर आदि. इस के अलावा लवर, फ्रैंड्स, स्टूडेंट आदि भी होते हैं.

इन शोज के जरिए यहां की देसी एडल्ट नायिकाएं अपनी कामुकता बेच कर कमाई कर रही हैं. इसे दूसरे रूप में कह सकते हैं कि वे मर्द की सैक्स की चाहत पूर्ति के लिए कामोत्तेजना और यौन संबंध को दिखा कर पैसा बना रही हैं.

पोर्न वेब सीरीज के लिए बाकायदा सेट लगा कर शूटिंग की जाती है. वहां कैमरे के सामने पात्रों को रोमांस, सैक्स और संभोग की गतिविधियों का अभिनय करना होता है. बदले में उन्हें कुछ रुपए मिल जाते हैं. इस का एक उदाहरण देखिए.

शूटिंग स्थल कहीं किसी भी महानगर के फ्लैट का कमरा हो सकता है. सामान्यत: वैसे मकान प्रौपर्टी डीलर से किराए पर ले लिए जाते हैं. काल्पनिक कहानी के पात्र देवर और भाभी हो सकते हैं.

फर्श और बिस्तर फूलों की पंखुडि़यों से सजा दिया जाता है. कमरे में मद्धिम रोशनी लगी होती है. सेट पर मादकता और उन्माद को दर्शाने वाली कुछ तसवीरें लगा दी गई हैं.

इस के लिए नाममात्र के स्क्रिप्ट और डायलौग्स होते हैं. सब कुछ कैमरामैन और किरदार पर निर्भर करता है. किरदारों को कैमरे के सामने सहज दिखने को कहा जाता है. चेहरे पर रोमांस और कामुकता के भाव लाने होते हैं. इस के डायरेक्टर दोहरी जिम्मेदारी निभाते हैं.

किरदारों से एक्शन बोलते ही सैक्स सीन की शूटिंग शुरू हो जाती है. शूट पूरा होने पर मर्द किरदार को 2000 रुपए और महिला किरदार को 10,000 रुपए मिल जाते हैं. यहां महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले अधिक पैसे मिलते हैं. महिला किरदार हाउसवाइफ रजनी है. उस के लिए यह बहुत बड़ी रकम नहीं है, लेकिन उसे अपने बेटे के स्कूल की फीस भरनी है. यही मजबूरी उसे पेशे में खींच लाई है.

32 साल की रजनी के यहां तक पहुंचने की कहानी भी काफी रोमांचक और उथलपुथल की रही है. उस के लिए साल 2019 में जिंदगी काफी मुश्किल से भरी हुई थी.

तब वह लखनऊ के एक अस्पताल में अपने बेटे के इलाज के लिए पैसा जुटाने की कोशिश में थी. उस का बेटा रसोई में एक दुर्घटना का शिकार हो गया था. थर्ड डिग्री तक झुलस गया था. उन दिनों पति भी बेरोजगार चल रहा था. किसी से मदद नहीं मिल पाई थी. परिवार वाले और दोस्तों ने भी उस दंपति से मुंह मोड़ लिया था.

रजनी की शादी सिर्फ 16 साल की उम्र में हो गई थी. उस के पास गृह विज्ञान में मास्टर डिग्री है. वह पीएचडी करने वाली ही थी कि उस के बेटे के साथ हादसा हो गया. वह उत्तर प्रदेश शिक्षक योग्यता परीक्षा देने वाली थी. लेकिन पेपर लीक होने की वजह से परीक्षा रद्द कर दी गई थी. उस के सपने पर पानी फिर गया था.

हार कर रजनी लखनऊ के एक स्पा पार्लर में काम करने लगी थी. उस का काम नए ग्राहक बनाने का था. उस के लिए वह नएनए  लोगों को काल कर उन्हें स्पा की सुविधाएं और औफर के बारे में बताती थी. कोशिश करती थी कि ग्राहक पार्लर तक आ जाएं. जल्द ही यही उस के लिए सैक्स वर्कर बनने की पहली सीढ़ी थी.

ग्राहक बनातेबनाते उसे पता चल गया था कि मसाज देने के बहाने से ‘अलग’ सैक्स सेवाएं देने वाली औरतों को अधिक पैसे मिलते हैं. उन दिनों रजनी को पैसे की काफी तंगी थी. उस ने देखा कि ग्राहक वह बनाती है, जबकि उसे सर्विस देने वाली लड़कियां दोगुना, तिगुना कमा लेती हैं.

अलगअलग शिफ्ट में काम कर के भी उसे ज्यादा से ज्यादा 15 हजार ही मिल पाते थे. इस पैसे से वह अपने बच्चों की फीस नहीं भर सकती थी. रजनी पैसा कमा कर अपना मसाज और मेकअप सैलून खोलना चाहती थी.

आखिरकार फोन करने के साथसाथ वह मसाज का काम भी करने लगी. बाद में उस ने सैक्स सर्विस के अलावा खुद का नेटवर्क बना लिया. जल्द ही अपने नेटवर्क में असंगठित सैक्स व्यापार के एजेंटों को भी शामिल कर लिया. एजेंट उस के लिए ग्राहक ढूंढ़ कर लाते थे. बाद में उस ने कमीशन बचाने के लिए कुछ खास एजेंटों से संपर्क बनाए रखा.

इसी बीच कोरोना महामारी में सैक्स वर्कर्स का काम बंद हो गया. उसी दौरान उसे एक एजेंट ने इंटरनेट पर पोर्नोग्राफिक क्लिप के लिए एक्टिंग करने के बारे मे बताया. यह कमाई का नया जरिया था.

सैक्स वर्कर की तुलना में इस में पैसा कम था, लेकिन उस से कहीं अधिक सुरक्षित लगा. हालांकि कैमरे पर दिखने के लिए थोड़ा अधिक काम करना पड़ा. शूट के लिए अपने रंगरूप को मेंटेन रखना पड़ा.

रजनी ने इस बारे में बताया कि उसे सैक्स की क्वालिटी को ध्यान में रखते हुए देह को आकर्षक बनाए रखने के साथ सजनासंवारना भी पड़ता है. उस ने बताया कि इस फिल्म में अब कई मौडल्स और एक्स्ट्रा कलाकार भी आ गई हैं. वह खुद को इस पेशे से जुड़ी उन लड़कियों से अलग मानती हैं, जो कालेज जाने वाली लड़कियां हैं और महंगे शौक और ड्रेस के लिए यह काम करती हैं.

रजनी की तरह ही 24 साल की सुनैना है. सुंदर नैननक्श और सैक्स अपील वाली काया, लोचदार कमर. उन्नत उभार वाले कटाव किसी भी ड्रेस में ग्लैमर को बढ़ा देने के काबिल.

पोर्न फिल्म की शूट के लिए पीले रंग का क्रौप टौप और गुलाबी जींस और पैरों में हलके नीले रंग के स्नीकर्स पहन कर उस ने खुद को खूब सजा लिया है, हालांकि वह साधारण मेकअप में भी बहुत सुंदर दिखती है.

कौमर्स ग्रैजुएट सुनैना ने इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट में भी प्रोफेशनल कोर्स किया है. यहां तक कि एक नामी औटोमोबाइल कंपनी में इंटर्न भी रह चुकी है. वह एडल्ट इंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में क्यों काम कर रही है, इस से वह वाकिफ है. इस बारे में उस का कहना है कि अगर आप को पैसे और शोहरत चाहिए तो आप को झिझक खत्म करनी पड़ेगी.

आप को कैमरे के सामने शरमाना छोड़ना होगा. ऐक्टिंग के लिए किसी भी हीरोइन की नकल कर ले वही अच्छा है. उस में सन्नी लियोनी या पूनम पांडे भी हो सकती है.

सुनैना 19 साल की उम्र से पोर्न फिल्म का हिस्सा बनी हुई है, लेकिन खुद को पोर्न एक्ट्रैस नहीं कहलाना चाहती. क्योंकि अब तक उस पर सैक्स के सीन नहीं फिल्माए गए हैं. इस तरह की फिल्म में काम करना चाहती है. लेकिन सही पैसा और मौका नहीं मिला है.

इस बारे में उस ने बताया कि दिल्ली की एक एजेंसी ने पोर्न वीडियो के लिए संपर्क किया था. क्लाइंट की कंपनी अमेरिका की है. उस ने 11 महीने का एग्रीमेंट औफर किया गया था. शूट देश के बाहर होना था. कंपनी ने 20 मिनट के वीडियो के लिए 5 से 6 लाख रुपए औफर किया थे.

यह डील नहीं हो पाई थी, क्योंकि कंपनी ने उस से अपने ‘औडिशन’ के लिए न्यूड वीडियो मांगे थे. इस पर सुनैना ने सवाल किया था कि क्या गारंटी है कि वे इसे नहीं बेचेंगे और उसे कमाई का कोई हिस्सा मिलगा?

सुनैना डिजिटल प्लैटफौर्म पर मौजूद एडल्ट कंटेंट के बारे में बताती है कि उस में कई अलगअलग भाग हैं. जिसे दर्शक के लिए एक्स, टूएक्स और थ्रीएक्स की श्रेणी में बांटा गया है.

जबकि शूटिंग के तौर पर उस के विविध टैक्निकल टर्म होते हैं, जैसे ‘बोल्ड कंटेंट’ में गले मिलना और चुंबन के दृश्य होते हैं. साथ ही कुछ कामुक तसवीरें हो सकती हैं.

इस के अतिरिक्त ‘अनकट क्लिप’ में टौपलैस सीन होने हैं. यह लंबे सैक्स वीडियो का एक हिस्सा होता है. वैसे असल पौर्न की कोई सीमा नहीं होती. सुनैना ने पहली बार जिस सीरीज में काम किया था, उस में ‘बोल्ड’ कंटेंट थे. उस में गले मिलना, किसिंग और स्मूचिंग था, लेकिन कोई नग्नता नहीं थी.

सुनैना ने ओटीटी एप्लिकेशन लौलीपौप की वेब सीरीज ‘चकोर’ में काम किया. इस में उन के टौपलैस दृश्य थे. वह कहती हैं, तीसरे तरह के अनकट में नग्न दृश्य होते हैं. सैक्स होता है, जिसे कई एंगल से फिल्माया जाता है. इस की कोई सीमा नहीं होती है.

प्राइवेट पार्ट दिखाए जाते हैं. उस के साथ छेड़छाड़ से रोमांस की कामुकता जगाई जाती है. यह सब कैमरामैन की योग्यता पर निर्भर करता है कि उसे कितनी कलात्मकता के साथ फिल्माता है.

ब्लू फिल्में देखने वाले यह नहीं जानते हैं कि उस में काम करने वाले महिलाएं और दूसरे लोगों की हकीकत क्या है? उन के साथ पौर्न फिल्मों की शूटिंग शूट करना कितना कठिन होता है?

यह बात सही है कि इन की शूटिंग बेहद गुप्त तरीके से की जाती है. सार्वजनिक जगहों पर एकदम ही नहीं. हां, कुछ फार्महाउस या होटलों के स्विमिंग पूल आदि में फिल्माए जाते हैं, वह भी रात के वक्त.

सब से अहम सवाल लोगों के मन में यह उठता है कि महिला किसी तीसरे व्यक्ति के सामने सैक्स करने में कैसे सहज हो पाती है. कारण कई बार शूट के वक्त 2-3 लोग भी हो सकते हैं और दिमाग में खलबली भी मची रहती है. यानी ऐसी शूटिंग के लिए अहम किरदार निभाने वाले पुरुष और महिला को फिल्म का डायरेक्टर किस तरह सैक्स के लिए सहज बनाता है.

इस तरह की फिल्मों को आउटडोर लोकेशन के बजाय इनडोर शूट ही ज्यादा किए जाते हैं. बजट के हिसाब से जरूरत के मुताबिक सेट तैयार किए जाते हैं.

पोर्न फिल्मों के सेट कुछ खास और रंगीन किस्म के होते हैं. ज्यादातर में एक सजा हुआ बैडरूम होता है. सोफासेट या फिर बाथरूम हो सकता है.

जोड़े को बैड पर भेजने से पहले उसे स्क्रिप्ट दे दी जाती है. उस के मुताबिक वे खुद को तैयार कर लेते हैं. सीन के एंगल समझाए जाते हैं. बिस्तर पर सीन के मुताबिक मूवमेंट बताए जाते हैं.

कैमरा फेस करने के वक्त चेहरे के भाव समझाए जाते हैं. कपल को प्राइवेट पार्ट तक अपने या पार्टनर के हाथों की पहुंच की बारीकियां समझाई जाती हैं.

भींचना, चूमना, सहलाना या फिर उत्तेजित होने का प्रदर्शन करने के क्रम बताए जाते हैं. इन सब के बीच जोड़े को सैक्स के चरमोत्कर्ष और कामुकता का भी ध्यान रखना होता है.

उन्हें इस बात की हिदायत दी जाती है कि उन के शौट ज्यादा नहीं लिए जाएं तो उतना ही अच्छा होगा. फिर भी 2-3 शौट से अधिक लेने ही पड़ते हैं. इस के साथ 3-4 घंटे या एक शिफ्ट की शूटिंग के दौरान उन्हें 3-4 शौर्ट फिल्मों के लिए ऐक्टिंग करनी होती है.

पोर्न फिल्मों में लाइटिंग पर सब से ज्यादा ध्यान दिया जाता है. लाइटिंग से सीन को प्रभावशाली और स्पष्ट बनाया जाता है. यही लाइटिंग जोड़े को सहज होने में बाधक बनती है. फिर भी उन्हें इस की आदत डालनी होती है. यानी तेज रोशनी में सैक्स करना काफी असहजता भरा हो सकता है.

इस तरह पोर्न फिल्मों की शूटिंग करना बहुत तजुरबे का काम माना गया है. पोर्न देखने वाले फिल्मांकन संबंधी तकनीकी बातों पर ध्यान नहीं देते हैं, लेकिन उन की शूटिंग में भी वैसी ही सावधानी बरती जाती है जैसी अन्य फिल्मों में होती है.

इस के अलावा विजुअल इफेक्ट्स के द्वारा सीन को प्रभावशाली बनाया जाता है. शूट करने से पहले जोड़े को एक साथ या फिर अलग पोजीशन में सीन के हर एक एंगल को जांचा जाता.

उसी के मुताबिक शूटिंग के वक्त सीन करने को कहा जाता है. जैसे सीन से पहले ही महिला किरदार गाउन पहन कर या फिर स्क्रिप्ट के मुताबिक ड्रैस की तैयारी करती हैं, जिसे शूट के दौरान डायरेक्टर और कैमरामैन के हिसाब से ढाल लेती हैं.

जोड़े के सामने सब से बड़ी समस्या शूट के समय सेट पर एक से अधिक व्यक्तियों के होने पर आती है. उन के लिए उफनते यौवन के शौट देना आसान नहीं होता. जबकि कैमरामैन लौंग शौट के साथसाथ क्लोज शौट भी फिल्माते हैं.

कई बार सिर्फ फोटो शूट ही किया जाता है, जिस में सिर्फ एक व्यक्ति ही महिला ऐक्टर के साथ मौजूद होता है. वह केवल एक कैमरापर्सन होता है, जो कोई महिला भी हो सकती है.

एडल्ट इंडस्ट्री के डाइरेक्टर के अनुसार पोर्न फिल्म की शूट के दौरान कैमरामैन, मेकअपमैन, लाइटमैन के अलावा करीब एक दरजन लोग वहां मौजूद होते हैं. और उन सभी के सामने ये पूरी फिल्म शूट होती है. इस कारण पोर्न स्टार सभी के सामने से शर्म से भी जूझ रहे होते हैं.

इन एडल्ट स्टार्स को देखते हुए लोगों को लगता है कि उन की जिंदगी मौजमस्ती भरी होगी. साथ में पैसे भी कमाते हैं. ऐशोआराम का जीवन भी है. उन के काम बेहद ही मजेदार हैं. वे सैक्स के मजे उठाने के लिए आजाद हैं. लेकिन यह सच नहीं है. कैमरे के सामने सहमति से सैक्स करने वाली अधिकतर लड़कियों की असली जिंदगी अच्छी नहीं होती है.

कैमरे के सामने अलगअलग लोगों के साथ सैक्स संबंध बनाना उन के लिए अगर शर्म को खत्म करने जैसा है, जबकि उन के मन में अपनी गलत पहचान होने का भी भय बना रहता है.

उन की फिल्में कहीं भी कभी भी किसी परिचित द्वारा देखी जा सकती हैं. उन में उन के परिवार के सदस्य या दोस्त भी हो सकते हैं.

दूसरी समस्या सेहत को ले कर भी बनी रहती है. शूट को जानदार बनाने के लिए उन्हें ड्रग के डोज भी दिए जाते हैं. कामोत्तेजक दवाएं खिलाई जाती हैं. देह को मांसल दिखाने के लिए हारमोन के इंजेक्शन तक लगाए जाते हैं. यहां तक कि नैचुरल सैक्स सीन के लिए कंडोम इस्तेमाल करने नहीं दिया जाता है. कुछ पोर्न स्टार के एचआईवी टेस्ट पौजिटिव आते हैं.

यदि किसी पोर्न स्टार को कोई बीमारी हो या फीमेल स्टार को पीरियड हो तो भी उन को ऐसे में घंटों तक पोज करने होते हैं, जिस में वह असहज होती हैं. बारबार हस्तमैथुन के सीन से वे मानसिक तनाव में आ जाती हैं. चाहे घर में कोई परेशानी हो, या संडे को छुट्टी के दिन भी उन को यह काम लगातार करना होता है. क्योंकि उन्हें काम के हिसाब से पैसे मिलते हैं.

पोर्न फिल्मों की शूटिंग घंटों चलती हैं, इस दौरान इन्हें भूखे भी रहना पड़ता है. शूटिंग में डंटे रहना होता है. इस दौरान समस्या तब खड़ी हो जाती है जब फीमेल पोर्न स्टार को मेल पोर्न स्टार इंप्रैस नहीं कर पाता है. या दोनों के बीच तालमेल नहीं बैठ पाता है. उस दौरान उन्हें सैक्स करने में काफी परेशानी का सामना करना होता है. लगातार फिल्म की शूटिंग करने से उन के अंग भी जख्मी हो जाते हैं.

बहरहाल, एडल्ट फिल्म इंडस्ट्री महिलाओं से बनी है.  इस में महिला किरदार ही असली स्टार होती हैं. उन्हें पैसा भी मर्द ऐक्टर से अधिक मिलता है. हालांकि उन की लाइफ काफी कम साल की होती है. नयापन लाने के लिए इंडस्ट्री में नई लड़कियों की एंट्री होती रहती है और पुरानी छंटती रहती हैं. इस दरम्यान उन्हें कई तरह के अनुभवों से गुजरना पड़ता है और जल्द से जल्द पैसा कमा लेने को बेताब रहती हैं.

इन दिनों इंडियन पोर्न ऐक्टर की भरमार हो गई है. उन में एक हैं 27 साल की स्वाति.  पढ़ीलिखी कानून में स्नातक हैं. पिछले साल लौकडाउन की वजह से साइड इनकम की तलाश करते हुए उन्होंने अपने ही उत्तेजक वीडियो बेचने का मन बना लिया था. खुद को डिजिटल प्लेटफौर्म पर दिखाना शुरू कर दिया था.

यहां से उन्हें हर महीने 5 से 20 डालर तक मिलने लगे थे. इस वेबसाइट पर यूजर कई तरह के कामुक कंटेंट देख सकते हैं और अपनी पसंद के कंटेंट के लिए ‘टिप’ भी देते हैं. यह वेबसाइट सिर्फ सब्सक्राइबर को सेवा देती है. स्वाति ने इसे ही फुलटाइम जौब बना लिया है. इस चक्कर में कोई दूसरा काम नहीं तलाश पाई.

वैसे वह इस काम को ले कर सहज और संतुष्ट हैं. उन के चैनल के सब्सक्राइबर लगातार नए कंटेंट की मांग करते हैं, जो ज्यादातर इंडिया के ही हैं. कुछ एनआरआई भी हैं.

स्वाति भी इसे  मुश्किल और थका देने वाला बताती हैं. वह पोर्न वीडियो के लिए नग्नता और सैक्स गतिविधियों  को असीमित बताती हैं. स्वाति विवादित ओनलीफैंस जैसे एप्लिकेशन की चर्चित स्टार हैं, जिस पर उत्तेजक वीडियो और तसवीरों की भरमार है.

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