बीएचयू में छात्र आखिर क्यों उतर रहे हैं सड़कों पर

शिक्षा के क्षेत्र में बीएचयू का नाम अदब के साथ लिया जाता है. वाराणसी के गंगा किनारे बसे इस विश्वविद्यालय की ख्याति इसलिए भी है कि यहां देशविदेश के छात्रछात्राएं पढ़ने आते हैं और यहां लगभग हर विषय की तालीम दी जाती है.

पर आजकल यह ख्यातिप्राप्त विश्वविद्यालय पढ़ाई की वजह से नहीं, अंदरूनी राजनीति, कलह, गुटबाजी और लड़ाई झगड़े की वजह से चर्चा में है.

संगीन आरोप

हाल ही में बीएचयू में एक छात्रा ने अपने ही संकाय के एक शिक्षक पर यह आरोप लगाया था कि शोध करने के दौरान उस के साथ शारीरिक और मानसिक शोषण किया गया. इस पर खूब बवाल काटा गया था. स्थानीय मीडिया ने भी यह खबर खूब उछाला था.

विश्वविद्यालय का मुख्य प्रवेश द्वार, जो लंका गेट के नाम से मशहूर है, के समीप ही लड़कियों का छात्रावास है, जहां कुछ दिनों पहले एक छात्रा से छेड़खानी की वजह से भी खूब बवाल मचा था.

नया विवाद

नया विवाद विश्वविद्यालय में चिकित्सा विज्ञान संस्थान के नर्सिंग डिग्री की मान्यता को ले कर है. यहां के नर्सिंग के छात्रों ने सड़कों पर खूब बवाल काटा और कुलपति के खिलाफ नारे लगाए. प्रदर्शन कर रहे छात्रों को प्रौक्टोरियल बोर्ड ने जबरन हटाने का प्रयास किया तो चीफ प्रौक्टर से छात्रों की जबरदस्त नोकझोंक भी हुई.

छात्रों का आरोप है कि डिग्री की मान्यता न होने के चलते छात्रों का भविष्य अंधकारमय है और विश्वविद्यालय प्रशासन को इस की चिंता नहीं है. प्रदर्शन के दौरान कई छात्राएं रो पड़ीं.

दरअसल, बीएचयू आईएमएस के नर्सिंग कालेज का रजिस्ट्रैशन स्टेट मैडिकल फैकल्टी में नहीं हुआ है. इस के चलते नर्सिंग के छात्रछात्राओं का भविष्य अधर में है. नर्सिंग कालेज पहले इंडियन नर्सिंग काउंसिल से संचालित हो रहा था. अभी स्टेट मैडिकल फैकल्टी के अधीन है.

अधर में भविष्य

पंजीकरण न होने से 2015 से 2017 के पास आउट छात्रों की डिग्री मान्य नहीं है. नर्सिंग के छात्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रों की समस्याओं के प्रति गंभीर नहीं है और वे कह रहे हैं कि छात्रछात्राएं कोर्ट में जाने के लिए स्वतंत्र हैं और वहीं उन की समस्याओं का समाधान हो सकता है.

बदहाल होती शिक्षा

वैसे, अगर हमारे देश में शिक्षा प्रणाली को देखा जाए तो यहां शैक्षिक व्यवस्था नहीं के बराबर है और करोड़ों छात्र प्राइवेट कालेजों की ओर रूख कर जाते हैं. मगर वहां भी लाखों खर्चने के बाद भी उज्ज्वल भविष्य की गारंटी नहीं होती.

देश के कई जगहों पर बड़ी बड़ी बिल्डिंगें बना कर कालेज और विश्वविद्यालय तक खोल डाले गए हैं, जो अधिकतर फर्जी हैं.

छात्रों को सपने और सब्जबाग दिखा कर ये कालेज मोटी रकम वसूलते हैं और बाद में पता चलता है कि संबद्ध पढाई की तो रजिस्ट्रेशन तक नहीं करवाई गई है.

आखिर कहां जाएं छात्र

शिक्षा की दुनिया में यह कौन नहीं जानता कि बीएचयू एक ख्यातिप्राप्त केंद्रीय विश्वविद्यालय है, जिस की विश्वसनीयता पर सवाल नहीं उठनी चाहिए. इस विश्वविद्यालय ने देश को कई बड़े नाम दिए हैं, जिन्होंने यहीं से पढ़ाई की और देशदुनिया का नाम रौशन किया.

अगर इस विश्वविद्यालय में नर्सिंग की पढ़ाई की सुविधा थी और छात्रछात्राएं पढाई कर रहे थे तो रजिस्ट्रेशन की तमाम औपचारिकताएं पहले ही पूरी कर लेनी चाहिए थी।

सवाल है कि जब नामी विश्वविद्यालय में छात्र पढाई करें और बाद में उन का भविष्य अंधकारमय बन जाए, तो फिर छात्र जाएं तो जाएं कहां?

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