कैसे Bhojpuri Industry से अलग और बेहतर है साउथ इंडस्ट्री, आइए जानते हैं

Bhojpuri Industry: भारत देश में देखा जाए तो सिनेमा का एक अलग ही महत्त्व है और लोगों के अंदर सिनेमा के लिए जो दीवानगी है वह कहीं और देखने को नहीं मिल सकती. लोगों के दिलों में फिल्मों के प्रति ऐसा लगाव है कि वे अपनी पसंदीदा फिल्मों और पसंदीदा स्टार्स को देखने के लिए हर समय उत्सुक रहते हैं.

हमारे देश में सिनेमा भी कई हिस्सों में बंटा हुआ है जैसे कि हिंदी फिल्मों के लिए बौलीवुड, पंजाबी फिल्मों के लिए पौलीवुड, तेलुगु, तमिल और कन्नड़ फिल्मों के लिए साउथ इंडस्ट्री और उत्तर भारत यानी कि बिहार और उत्तर प्रदेश के लोगों की पसंदीदा है भोजपुरी इंडस्ट्री. आज हम बात करेंगे कि भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री बाकी फिल्म इंडस्ट्री खासतौर से साउथ फिल्म इंडस्ट्री से पीछे कैसे है.

टैक्नोलौजी और बजट

साउथ की फिल्मों को देखने से ही पता चलता है कि मेकर्स उन फिल्मों में कई सारी टैक्नोलौजी जैसे कि, वीएफएक्स, कैमरा रिसोल्यूशन, एडिटिंग स्किल्स का इस्तेमाल कर उन्हें ऐसा बना देते हैं कि देखने वालों को एक अलग ही एक्सपीरियंस मिले फिर चाहे वह एक्शन हो या रोमांस. वहीं दूसरी तरफ बजट कम होने के कारण भोजपुरी फिल्म मेकर्स इन्हीं टैक्नोलौजी में पीछे रह जाते हैं.

कंटैंट और कहानी

साउथ फिल्मों की कहानी इस कदर अच्छी और सब से हट कर होती है कि बौलीवुड वाले भी कई बार साउथ फिल्मों के कंटैंट को कौपी पर हिंदी फिल्में बनाते हैं जो कि बौक्स औफिस पर कमाल भी कर दिखाती हैं. वहीं दूसरी तरफ भोजपुरी फिल्मों की कहानी में इतना दम नहीं होता और वे उतनी अच्छी कहानी दर्शकों को नहीं दे पाते जितना उन्हें देना चाहिए.

स्टार पावर

साउथ की फिल्में सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि इंटरनैशनली भी रिलीज होती हैं जिस कारण साउथ के एक्टर्स और एक्ट्रैसेस को लोग काफी अच्छे से जानते हैं नैशनली भी और इंटरनैशनली भी. वहीं दूसरी तरफ अगर दोचार को छोड़ दें तो भोजपुरी एक्टर्स को इतनी पहचान नहीं मिल पाई है और आज भी भारत में कई ऐसे लोग हैं जो भोजपुरी एक्टर्स और एक्ट्रैसेस को नहीं पहचानते हैं.

मार्केटिंग और प्रोमोशन

जो दिखता है वही बिकता है. बौलीवुड से ले कर हर इंडस्ट्री चाहे वह साउथ इंडस्ट्री हो या पंजाब इंडस्ट्री सभी अपनी फिल्मों के प्रोमोशन काफी धूमधाम और मेहनत से करते हैं फिर चाहे इस के लिए उन्हें कहीं भी जाना पड़े लेकिन वहीं बजट कम होने के कारण भोजपुरी फिल्म मेकर्स अपनी फिल्मों को प्रोमोट नहीं कर पाते हैं जिस के कारण उन की फिल्में ज्यादा दर्शकों तक नहीं पहुंच पाती हैं.

देखा जाए तो भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में टेलैंट की कोई कमी नहीं है लेकिन कुछ चीजों की वजह से भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री निखर कर नहीं आ पा रही है. भोजपुरी इंडस्ट्री में कई ऐसे स्टार्स हैं जिन के डांस का और एक्टिंग का मुकाबला कोई नहीं कर सकता. ऐसे में जरूरी है भोजपुरी फिल्म मेकर्स को अपना बजट बढ़ाने की, टैक्नोलौजी के साथ कदम से कदम मिलाने की और अपनी कहानी और कंटैंट को बेहतर करने की.

Saras Salil Bhojpuri Cine Awards: अरविंद अकेला और अंजना सिंह बने बेस्ट एक्टर-एक्ट्रेस

Saras Salil Bhojpuri Cine Awards 2025, लखनऊ, 10 अप्रैल 2025 : भोजपुरी सिनेमा की जगमगाती दुनिया के सितारों और परदे के पीछे के कलाकारों को सम्मानित करने के लिए सरस सलिल के छठे भोजपुरी सिने अवार्ड्स 2025 का भव्य आयोजन उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में किया गया. सभी लोगों के लिए यह एक यादगार शाम रही, जहां भोजपुरी फिल्म स्टार्स, मेकर्स और क्रू सभी ने इंडस्ट्री में अपने अद्भुत योगदान का जश्न मनाया.

अरविंद अकेला ‘कल्लू’ को उनकी फिल्म कसमे वादे के लिए बेस्ट एक्टर का अवार्ड मिला और फिल्म बड़की दीदी के लिए अंजना सिंह को बेस्ट एक्ट्रेस का खिताब मिला. वहीं फिल्म हिंदुस्तानी के लिए विजय कुमार यादव और फिल्म सूर्यवंशम के लिए निशांत उज्ज्वल को बेस्ट फिल्म का अवार्ड को दिया गया. रजनीश मिश्र को फिल्म सूर्यवंशम के लिए बेस्ट डायरेक्टर का पुरस्कार मिला. इन पुरस्कारों का स्वागत जोरदार तालियों की गड़गड़ाहट के साथ इस साल की फिल्मों के पीछे की कहानियों और प्रतिभा की सच्ची सराहना के साथ किया गया.

इस अवार्ड नाइट के दौरान केवल विजेताओं ने ही ध्यान आकर्षित नहीं किया, बल्कि बृजेश पाठक, उपमुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश; संदीप बंसल, अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के सदस्य; प्रभुनाथ राय, सदस्य, अखिल भारतीय भोजपुरी समाज; मुकेश बहादुर सिंह, अध्यक्ष, इंडो अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स, लखनऊ; पवन सिंह चौहान, अध्यक्ष, एसआर ग्रुप ऑफ एजुकेशन और सदस्य, विधानसभा परिषद; राजेश राय, सदस्य सूचना विभाग; सुरेंद्र सिंह राजपूत, राष्ट्रीय प्रवक्ता, कांग्रेस; और अनीता सहगल, एंकर और अभिनेत्री ने भी अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम स्थल की शोभा बढ़ाई.

भोजपुरी सिने अवार्ड की बात जो सबसे अलग थी, वह थी काम पर ध्यान केंद्रित करना, खासकर बैकस्टेज का काम जिस पर अक्सर किसी का ध्यान नहीं जाता। एडिटर्स, सेट डिजाइनर्स, लाइटिंग क्रू, लेखकों और बैकग्राउंड स्कोर कलाकारों को भी मंच पर वास्तविक सराहना मिली.

इस साल के पुरस्कारों में 50 से ज़्यादा श्रेणियां शामिल थीं, जिनमें एक्टिंग, डायरेक्टिंग, राइटिंग, म्यूजिक, प्रोडक्शन डिजाइन, एडिटिंग और कई अन्य क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों को सम्मानित किया गया. मुख्य पुरस्कारों के अलावा, विशेष सम्मान भी प्रदान किए गए, जिसमें लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड विजय खरे को दिया गया, जिनका भोजपुरी सिनेमा पर दशकों तक प्रभाव रहा है.

इस अवसर पर बोलते हुए दिल्ली प्रेस के एडिटर इन चीफ और पब्लिशर परेश नाथ ने कहा, “हमें भोजपुरी सिनेमा को इतना बेहतरीन बनाने वाले लोगों को सम्मानित करने पर गर्व है. ये पुरस्कार उनकी कड़ी मेहनत और प्रतिभा का प्रतिबिंब हैं. अपने पसंदीदा कलाकारों और फिल्मों का जश्न मनाने के लिए पूरे समुदाय को एक साथ आते देखना बहुत खुशी की बात होती है.”

सरस सलिल के बारे में

सरस सलिल भारत की अग्रणी हिंदी पत्रिकाओं में से एक है, जिसे दिल्ली प्रेस द्वारा प्रकाशित किया जाता है. यह अपने बेहतर लेखों के लिए जानी जाती है, जिनमें सिनेमा, लाइफस्टाइल, संस्कृति और सामाजिक मुद्दों सहित कई विषयों को शामिल किया जाता है. भारत और उसके बाहर के पाठकों के साथ सरस सलिल भोजपुरी सिनेमा पर विशेष ध्यान देने के साथ अलग-अलग रीजनल फिल्म इंडस्ट्री को बढ़ावा देने और उनका जश्न मनाने में सबसे आगे रही है. अपने पुरस्कारों के माध्यम से, सरस सलिल प्रतिभा, कड़ी मेहनत और रचनात्मकता के लिए मान्यता का प्रतीक बनी हुई है, जो दर्शकों का मनोरंजन करने और उन्हें प्रेरित करने वाली फिल्में बनाने में जाता है.

विजेताओं की पूरी सूची और कार्यक्रम से जुड़ी सभी जानकारी लिए सरस सलिल भोजुपुरी सिने अवार्ड्स की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं.

Saras Salil Bhojpuri Cine Awards 2025: यूपी के डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने भोजपुरी सितारों की जमकर की तारीफ़

Saras Salil Bhojpuri Cine Awards 2025

लखनऊ : 10 अप्रैल, 2025 की शाम को लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में दिल्ली प्रेस की पत्रिका सरस सलिल द्वारा छठे सरस सलिल भोजपुरी सिने अवार्ड शो का आयोजन कराया गया, जिसमें भोजपुरी फिल्मों के कलाकारों, फिल्मकारों, निर्देशकों और टेक्नीशियनों को वर्ष 2024 में प्रदर्शित फिल्मों के आधार पर विभिन्न श्रेणियों में अवार्ड दिए गए.

दर्शकों से भरे इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में भोजपुरी कलाकारों के अलावा उत्तर प्रदेश की कई बड़ी हस्तियों ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई, जिनमें ब्रजेश पाठक, उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री, उत्तर प्रदेश, दिनेश प्रताप सिह, कृषि राज्यमंत्री, उत्तर प्रदेश, संदीप बंसल, अध्यक्ष, अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल, प्रभुनाथ राय, अध्यक्ष, अखिल भारतीय भोजपुरी समाज, मुकेश बहादुर सिंह, चेयरमैन, इंडो-अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स, लखनऊ, पवन सिंह चौहान, चेयरमैन, एसआर ग्रुप ऑफ एजुकेशन और सदस्य, विधानसभा परिषद, राजेश राय, सूचना विभाग, श्वेता सिंह, क्षेत्रीय उपाध्यक्ष, भाजपा, अवध प्रांत, डाक्टर नीरज बोरा, सदस्य, विधानसभा, उत्तर प्रदेश, आनंद शेखर सिंह, चेयरमैन, बाबू सुंदर सिंह ग्रुप ऑफ एजुकेशन, लखनऊ, सुरेंद्र सिंह राजपूत, राष्ट्रीय प्रवक्ता, कांग्रेस, अनीता सहगल, एंकर एवं फिल्म अभिनेत्री, श्री पंकज त्रिपाठी, ग्रिप म्यूजिक आदि शामिल थे.

उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने सभी विजेता कलाकारों को अवार्ड जीतने की बधाई दी. उन्होंने दिल्ली प्रेस की पत्रिकाओं खासकर सरस सलिल की समाज के प्रति उस की जिम्मेदारी को सराहा.

दिल्ली प्रेस के संपादक और प्रकाशक परेश नाथ ने दिल्ली प्रेस के इतिहास पर प्रकाश डाला कि किस तरह यहां से प्रकाशित होने वाली पत्रिकाएं हर वर्ग का प्रतिनिधित्व करती हैं और सफलतापूर्वक अपनी बात सब के सामने रखती हैं.

इस अवार्ड नाइट में भोजपुरी के नामचीन कलाकार रहे विजय खरे को (मरणोपरांत) लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड दिया गया. अंजना सिंह को फिल्म बड़की दीदी के लिए बेस्ट एक्ट्रेस का अवार्ड मिला. अरविंद अकेला कल्लू को फिल्म कसमे वादे के लिए बेस्ट पॉपुलर एक्टर का अवार्ड मिला.

अनूप अरोड़ा को फिल्म सूर्यवंशम के लिए बेस्ट कैरेक्टर एक्टर क्रिटिक, आर्यन बाबू को फिल्म बड़ी मां छोटी मां के लिए बेस्ट चाइल्ड एक्टर, स्वास्तिक राय को फिल्म जया के लिए बेस्ट चाइल्ड एक्ट्रेस, विमल पांडेय को फिल्म हमार बड़की माई के लिए बेस्ट एक्टर जूरी, पल्लवी गिरि को फिल्म छठ मईया गोदिया भर दी हमार के लिए बेस्ट एक्ट्रेस जूरी, देव सिंह को फिल्म भैया मेरे राखी के बंधन को निभाना के लिए बेस्ट एक्टर फैमिली वेलयूज, संजय पांडेय को फिल्म भैया मेरे राखी के बंधन को निभाना के लिए बेस्ट एक्टर नेगेटिव रोल, के. के. गोस्वामी को फिल्म राजाराम के लिए बेस्ट कैरेक्टर एक्टर जूरी दिया गया.

सरस सलिल ने Bhojpuri Cine Awards के छठे संस्करण की घोषणा की

Bhojpuri Cine Awards: लखनऊ, 28 मार्च 2025: भारत की सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली हिंदी पत्रिकाओं में से एक सरस सलिल, 10 अप्रैल 2025 को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में सरस सलिल भोजपुरी सिने अवार्ड्स 2025 के छठे संस्करण का आयोजन लखनऊ में करेगी. भोजपुरी सिनेमा की सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को सम्मानित करने के लिए इस भव्य समारोह का आयोजन होने जा रहा है.

सरस सलिल भोजपुरी सिने अवॉर्ड्स एक ऐसा खास कार्यक्रम बन गया है, जहां फिल्म निर्माताओं, अभिनेताओं, टेक्निशियन और भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री के अन्य सदस्यों के बेहतरीन काम को सराहा और सम्मानित किया जाता है. इस साल के पुरस्कार समारोह में 50 से ज़्यादा कैटेगरी में भोजपुरी सिनेमा में अवार्ड दिए जाएंगें, जिसमें एक्टिंग, डायरेक्टिंग, संगीत, सिनेमा और अन्य क्षेत्रों में उपलब्धियों को पुरूस्कृत किया जाएगा. इसके अंतर्गत सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म, सर्वश्रेष्ठ निर्देशक और सर्वश्रेष्ठ अभिनेता (पुरुष और महिला) शामिल हैं.

इस अवसर पर भोजपुरी सिनेमा के कुछ सबसे बड़े नाम शामिल होंगे, जिनमें दिनेश यादव निरहुआ, अरविंद अकेला कल्लू, आम्रपाली दुबे, अंजना सिंह, संजय पांडे, केके गोस्वामी, समर सिंह, रक्षा गुप्ता, यामिनी सिंह, देव सिंह, विमल पांडे, सीपी भट्ट, विनोद मिश्रा, शुभम तिवारी, पल्लवी गिरी, राधा सिंह, माही खान, ऋचा दीक्षित और विद्या सिंह शामिल हैं. उनकी मौजूदगी भोजपुरी सिनेमा के इस भव्य उत्सव की शोभा को बढ़ाएगी.

ये पुरस्कार न केवल भोजपुरी सिनेमा के सितारों को बल्कि पर्दे के पीछे के उन नायकों को भी पहचान दिलाने का मंच प्रदान करते हैं जो फिल्मों को सफल बनाते हैं. निर्माता और निर्देशक से लेकर टेक्निशियन, कोरियोग्राफर और साउंड इंजीनियर तक, फिल्म की सफलता में योगदान देने वाले हर व्यक्ति को पहचाना और सम्मानित किया जाता है.

परेश नाथ, दिल्ली प्रेस के एडिटर-इन-चीफ और पब्लिशर ने कहा, “सरस सलिल भोजपुरी सिने अवार्ड सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं है; यह भोजपुरी सिनेमा को आकार देने वाले जुनून और रचनात्मकता को पुरूस्कृत करता है. हमें इंडस्ट्री के विकास और सफलता में योगदान देने वाली अविश्वसनीय प्रतिभा को पहचानने और सम्मानित करने पर गर्व है. इस साल का आयोजन और भी शानदार होगा, जिसमें उन सितारों और गुमनाम नायकों को सराहा जाएगा जो सिनेमा को एक बेहतरीन कला के रूप में लोगों के सामने लेकर आते हैं.”

पुरस्कारों के लिए नामांकन प्रक्रिया बहुत ही सावधानीपूर्वक होती है. इस साल के पुरस्कारों के लिए 1 जनवरी, 2024 से 31 दिसंबर, 2024 के बीच रिलीज़ होने वाली सभी फ़िल्में शामिल हैं. इंडस्ट्री के विशेषज्ञों, आलोचकों और सिनेमा जगत की प्रमुख हस्तियों का एक पैनल नामांकितों का मूल्यांकन करेगा और प्रत्येक श्रेणी से विजेताओं का चयन करेगा.

पुरस्कार समारोह में बेहतरीन प्रदर्शन के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और अभिनेत्री, साथ ही सहायक कलाकारों के लिए पुरस्कार दिए जाएंगे. इसके अलावा, सर्वश्रेष्ठ सिनेमेटोग्राफी और एडिटिंग जैसे तकनीकी पुरस्कार और सर्वश्रेष्ठ स्क्रीनप्ले और संगीत जैसे रचनात्मक पुरस्कार भी शामिल होंगे. इनके अलावा, लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड, उभरती प्रतिभा और साल की सर्वश्रेष्ठ भोजपुरी फिल्म जैसी खास श्रेणियां भी होंगी, जिसमें इंडस्ट्री के दिग्गजों और नए कलाकारों की उपलब्धियों को सम्मानित किया जाएगा.

सरस सलिल अवार्ड्स के बारे में अधिक जानने और नए समाचारों से अपडेट रहने के लिए, उनकी आधिकारिक वेबसाइट सरस सलिल पुरस्कार पर जाएं.

सरस सलिल के बारे में

सरस सलिल भारत की अग्रणी हिंदी पत्रिकाओं में से एक है, जिसे दिल्ली प्रेस द्वारा प्रकाशित किया जाता है. यह अपनी बेहतर लेख के लिए जानी जाती है, जिसमें सिनेमा, लाइफस्टाइल, संस्कृति और सामाजिक मुद्दों सहित कई विषयों को शामिल किया जाता है. भारत और उसके बाहर के पाठकों के साथ, सरस सलिल भोजपुरी सिनेमा पर विशेष ध्यान देने के साथ अलग-अलग रीजनल फिल्म इंडस्ट्री को बढ़ावा देने और उनका जश्न मनाने में सबसे आगे रहा है. अपने पुरस्कारों के माध्यम से, सरस सलिल प्रतिभा, कड़ी मेहनत और रचनात्मकता के लिए मान्यता का प्रतीक बना हुआ है, जो दर्शकों का मनोरंजन करने और उन्हें प्रेरित करने वाली फिल्में बनाने में जाता है.

मीडिया जानकारी के लिए

Nishant Bansal / Madhuri Singh
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Bhojpuri Interview: भोजपुरी में छोटी और कुंठित फिल्में बन रही हैं – अवधेश मिश्रा

Bhojpuri Interview: भोजपुरी सिनेमा इंडस्ट्री में खलनायक का किरदार निभाने वाले कई ऐसे चेहरे हैं, जिन को परदे पर देख कर डर लगने लगता है. उन्हीं एक्टरों में से एक हैं अवधेश मिश्र, जो रविकिशन के बाद भोजपुरी के ऐसे ऐक्टर है, जिन्होंने भोजपुरी के साथसाथ तमिल सिनेमा और बौलीवुड में भी अपने दमदार रोल से दर्शकों के ऊपर अमिट छाप छोड़ी है.

अवधेश मिश्रा खलनायक के रूप में जितनी बार भी परदे पर नजर आते हैं, दर्शकों का रोमांच उतना ज्यादा बढ़ता जाता है. भोजपुरी सिनेमा इंडस्ट्री में खलनायक का किरदार निभाने में उन का कोई सानी नहीं है. उन की खलनायकी से दर्शक स्क्रीन के सामने जोश में भर उठते हैं. भोजपुरिया बैल्ट में विलेन के रूप में अवधेश मिश्र की तुलना बौलीवुड के अमरीश पुरी और आशुतोष राणा जैसे ऐक्टरों से की जाती है. उन्होंने साल 2014 में तमिल फिल्म ‘पूजाई’ और साल 2015 में बौलीवुड फिल्म ‘डर्टी पौलिटिक्स’ में लीड विलेन के रूप में दर्शकों का मन मोह लिया था. उन के फिल्मी सफर को ले कर लंबी बातचीत हुई. पेश हैं, उसी के खास अंश :

भोजपुरी फिल्मों में आप का शुरुआती सफर कैसा रहा?

जब मैं ने सिनेमा इंडस्ट्री में कदम रखा, तो शुरुआती दिनों में काफी संघर्ष का सामना करना पड़ा. लेकिन उस बुरे वक्त में मेरी पत्नी ने हाथ थाम कर मेरा मनोबल बढ़ाया. फिर समय ने पलटी ली और मुझे भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री सहित तमिल और हिंदी फिल्मों में लीड विलेन के तौर पर काम मिलना शुरू हुआ.

आज भोजपुरी सिनेमा केवल टैलीविजन और यूट्यूब तक ही सिमट कर रह गया है. इस की क्या वजह है?

भोजपुरी में पहले जब फिल्में बनती थीं, तो सिनेमाहाल में रिलीज होती थीं. आजकल भोजपुरी में फिल्में ही नहीं, बल्कि टैली फिल्में बन रही हैं, जो टैलीविजन पर प्रसारित और रिलीज होती हैं. इस की 80 फीसदी औडियंस औरतें हैं. जब किसी खास औडियंस को ध्यान में रख कर एक ही ढर्रे पर फिल्में बनेंगी, तो ये फिल्में सिनेमाहाल तक नहीं जा पाती हैं. यही वजह है कि भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री दूसरी फिल्म इंडस्ट्री से काफी पीछे छूट गई है.

आप ने दूसरी फिल्म इंडस्ट्री से भोजपुरी के पिछड़ने की बात कही है. भोजपुरी फिल्में कहां पीछे छूट रही है?

भोजपुरी फिल्में साउथ और बौलीवुड की फिल्मों से बहुत पीछे छूट चुकी हैं. दूसरी फिल्म इंडस्ट्री में माहिर डायरैक्टर और कलाकार होते हैं, वहां सिनेमा को बहुत ऊंचा दर्जा दिया जाता है, जबकि भोजपुरी सिनेमा को नाम और पैसा कमाने का जरीया मान लिया गया है. दूसरी फिल्म इंडस्ट्री के लोग सिनेमा के लिए कुछ भी कर सकते हैं, जबकि भोजपुरी वाले खुद के लिए कुछ भी कर सकते हैं.

आप भोजपुरी सिनेमा इंडस्ट्री को किस मुकाम पर देख पा रहे हैं?

पहली बात तो यह कि भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री नाम की कोई चीज बची ही नहीं है, क्योंकि कुछ लोगों ने इसे फिल्म इंडस्ट्री से अलबम इंडस्ट्री बना दिया है.

क्या वजह है कि भोजपुरी फिल्मों के मूल दर्शक भोजपुरी सिनेमा से कटते जा रहे हैं?

यहां के सिंगर्स ने भोजपुरी सिनेमा को दर्शक की जगह श्रोता बना दिया है. इसलिए भोजपुरी के लिए अच्छा सोचने और करने वालों को फिर से भोजपुरी सिनेमा के लिए लंबी लड़ाई लड़नी पड़ेगी. मैं ने भोजपुरी सिनेमा के जीवनकाल में एक भोजपुरी कलाकार, निर्माता और निर्देशक के तौर पर बहुत अच्छा काम किया है, लेकिन अब लड़ाई और भी गंभीर है.

पिछले कुछ सालों से सासबहू वाले एकजैसे टाइटिल की बाढ़ सी आ गई है. इस की क्या वजह है?

भोजपुरी फिल्मों का टाइटिल जो है, भोजपुरिया बैल्ट की औरतों को देख कर तय किया जा रहा है. भोजपुरिया बैल्ट में सास, बहू, ननद, भौजाई वगैरह के रिश्ते में खटास और कुंठा बढ़ती जा रही है. समाज जिस कुंठा से घिरा हुआ है, भोजपुरी में उसी कुंठा को टारगेट कर के फिल्में बन रही हैं.

महिला दर्शक फिल्मों के कैरेक्टर की जगह खुद को रख कर देखती हैं, इसलिए सासबहू वाली फिल्में ज्यादा पसंद की जा रही हैं. मेरा मानना है कि भोजपुरी में छोटी और कुंठित फिल्में बन रही हैं.

जब फिल्में सिनेमाहाल में रिलीज नहीं हो रही हैं, तो इन की कामयाबी का पैमाना कैसे मापा जाता है?

भोजपुरी फिल्मों की कामयाबी का पैमाना आजकल टैलीविजन के पैमाने पर निर्भर है, जिसे हम टीआरपी और जीआरपी के नाम से जानते हैं. लेकिन फिल्में कामयाबी मापने का यह पैमाना मु?ो मजाक जैसा लगता है.

आप की तुलना अमरीश पुरी और आशुतोष राणा जैसे दिग्गज विलेन से की जाती है. यह सुन कर आप को कैसा लगता है?

मेरी तुलना जब भी अमरीश पुरी और आशुतोष राणा जैसे कलाकारों से होती है, तो दुख होता है. क्योंकि यहां एक घटिया से घटिया अलबम भी मिलियन में देखा जाता है और अच्छे विषय, अच्छे कलाकारों व तकनीकी के साथ बनी फिल्म को दर्शक ही नहीं मिलते हैं. टीआरपी, जीआरपी और मिलियन के जमाने में सब मजाक लगने लगा है. इसलिए मेरा मानना है कि मैं अवधेश मिश्र ही रहूं और उसी रूप में मेरी पहचान हो.

उत्तर प्रदेश की तुलना में बिहार में भोजपुरी फिल्मों की शूटिंग न होने की कोई खास वजह?

पिछले कई सालों से बिहार में भोजपुरी फिल्मों की शूटिंग थम सी गई गई है. फिल्मकार बिहार सरकार के असहयोगी रवैए के चलते बिहार का रुख नहीं करते हैं, जबकि बिहार में सब से ज्यादा भोजपुरी फिल्में देखी जाती हैं.

हाल ही में भोजपुरी जगत के कुछ लोगों ने बिहार सरकार से मुलाकात की थी. आशा है, जल्दी ही बिहार में फिर से भोजपुरी शूटिंग की शुरुआत होगी. फिल्म प्रोत्साहन के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार बहुत अच्छी है.

भोजपुरी सिनेमा को पीछे धकेलने में आप किस को दोषी मानते हैं?

भोजपुरी सिनेमा को पीछे धकेलने में केवल दोषी आजकल के सिंगर्स हैं, जिन्होंने भोजपुरी को बहुत पीछे धकेल दिया है.

भोजपुरी में तहलका मचाया, तो हिंदी सीरियल में काटा बवाल

भोजपुरी सिनेमा और उनकी एक्ट्रेसेस भी काफी चर्चा में रहती है. वे नेशनल और इंटनेशनल लेवल पर मशहूर हैं. इसके साथ ही भोजपुरी और हिंदी फिल्म इंडस्ट्री का आपसी कनेक्शन भी बहुत गहरा है. भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री की कई ऐसी एक्ट्रेसेस हैं जो इंडस्ट्री पर राज करती हैं. लेकिन कई ने इसे अलविदा कह, हिंदी टीवी में जगह बना ली और आज जानीमानी हिंदी टीवी एक्ट्रेस हैं.

इनकी लिस्ट तो लंबी है लेकिन बताते है उन पौपुलर एक्ट्रेस के बारे में जिन्होंने भोजपुरी में तो तहलका मचाया ही, हिंदी सीरियल में भी अपनी पहचान को कायम रखा.

 

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मोनालिसा

मोनालिसा की पहचान भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री की टौप एक्ट्रेसेस में की जाती है. उन्होंने अब तक 50 से भी ज्यादा भोजपुरी फिल्मों में काम किया है. इसके साथ ही मोनालिसा अब हिंदी टीवी सीरियल्स का भी जानामाना नाम बन गई हैं. एक्ट्रेस ने टीवी सीरियल ‘नज़र’ में डायन का लीड कैरेक्टर प्ले किया था. इसके अलावा वे बिग बौस और कई अन्य टीवी सीरियल में नजर आ चुकी हैं.

रश्मि देसाई

टीवी एक्ट्रेस रश्मि देसाई ने अपने शुरुआती करियर में गुजराती और भोजपुरी फिल्मों से की थी. रश्मि ने कई भोजपुरी फिल्मों में काम किया है. इसके बाद उन्होंने हिंदी टीवी इंडस्ट्री में कदम रखा. अब वो हिंदी टीवी इंडस्ट्री का जाना पहचाना नाम हैं.

Bhojpuri actress

आम्रपाली दुबे

एक्ट्रेस आम्रपाली दुबे ने अपने करियर की शुरुआत हिंदी टीवी सीरियल्स से की थी. आम्रपाली ने ‘रहना है तेरी पलकों की छांव में’, ‘सात फेरे’, ‘मायका’ जैसे टीवी सीरियल्स में काम किया है. बाद में आम्रपाली भोजपुरी इंडस्ट्री की ओर चली गईं. अब आम्रपाली भोजपुरी इंडस्ट्री की टौप एक्ट्रेस बन गई हैं.

अंजना सिंह

भोजपुरी इंडस्ट्री की टौप एक्ट्रेसेस की लिस्ट में अंजना सिंह भी शुमार हैं. उन्होंने ‘रंगीला’, ‘नागराज’, जैसी कई फिल्मों में काम किया है. इसके अलावा उन्होंने भोजपुरी टीवी सीरियल्स में भी काम किया है. अंजना हिंदी के दबंग चैनल ‘नथ गहना या ज़ेवर’ में नज़र आ रही हैं.

श्वेता तिवारी

श्वेता तिवारी तो हिंदी टीवी का जाना पहचाना नाम हैं. लेकिन एक दौर था जब श्वेता तिवारी भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री पर राज किया करती थी. उन्होंने ‘हिंदुस्तानी सैंया हमार’, ‘कब अइबू अंगनवा हमार’ और ‘एई भौजी की सिस्टर’ जैसी कई सुपरहिट भोजपुरी फिल्मों में काम किया है. लेकिन अब वे हिंदी टीवी सीरियल की हो चुकी है. अब उनकी बेटी पलक तिवारी मीडिया की लाइमलाइट में रहती है. अपने लव अफेयर को लेकर जो कि सैफ अली खान के बेटे इब्राहिम के साथ है.

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