सरकार ने 21 दिन का लॉकडाउन घोषित किया है. ऐसे में स्कूलकॉलेज, ऑफिस, मॉल, मेट्रो, बस, गाड़ी सब कुछ बंद है. बच्चों के पास होमवर्क नहीं. जो थे वे भी उन्होंने दोचार दिनों में निपटा लिए . अब उन का पूरा दिन घर में खेलते, टीवी देखते, खाते, सोते और होहल्ला करते बीतने लगा है . जाहिर है मेरा काम बहुत बढ़ गया है .

इधर पति महोदय सारा दिन लैपटॉप ले कर बैठे रहते हैं. उन के पास जाओ और कोई काम बताओ तो बस यही नारा उन की जुबान पर रहता है,” देखती नहीं हो मैं वर्क फ्रॉम होम कर रहा हूं . कितना काम है मेरे पास. प्लीज़ डिस्टर्ब मत करो मुझे. कितने सारे ईमेल करने है, क्लाइंटस से बातें करनी है, रिपोर्ट बनानी है, एक नये प्रोजेक्ट पर भी काम कर रहा हूं और तुम हो कि घर के काम का बोझ भी मेरे ऊपर डालना चाहती हो.”

मुझे पति की बातों में दम लगता. दोचार दिन मैं ने उन्हें बिल्कुल भी डिस्टर्ब नहीं किया. मैं चाहती थी कि वे अच्छे से अपने ऑफिस का काम निपटाए. आखिर रोज ऑफिस में पूरे दिन यानी करीब 10 घंटे काम करते हैं तो घर में भी 8 -10 घंटे का काम तो करना ही पड़ेगा.

अब पति महोदय अपने कमरे में बंद रहने लगे. केवल दोपहर में बाहर आ कर खाना खा जाते. इधर मै पूरे दिन घर के घर के कामों ओर बच्चों के झगड़े निपटाने में व्यस्त हो गई .

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बच्चे हर दोतीन घंटे पर खाने की डिमांड करते, पूरे दिन घर गंदा करते और मैं पूरा दिन किचन और घर के काम संभालती रह जाती. थोड़ा वक्त निकाल कर अपना पसंदीदा सीरियल देखने को सोचती तो बच्चे रिमोट ले कर चैनल बदल देते. बड़ा बेटा यानी हर्ष कहता, ” क्या ममा बोरिंग सीरियल देख रही हो. हमें गाना सुनना है और फिर गाना बजा कर दोनों बच्चे बिस्तर पर कूदते हुए डांस करने लगते . तब तक परी यानी छोटी बिटिया रिमोट ले कर कार्टून लगा लेती .

इस तरह शुरुआती दिन मेरे लिए मुश्किल भरे रहे.  उस दिन दोपहर में 2 बजे के करीब परी आ कर मुझ से बोली,” पापा लैपटॉप पर जो इंग्लिश मूवी देख रहे हैं न वह मुझे भी देखनी है.”

” पापा मूवी नहीं देख रहे बेटा ऑफिस का काम कर रहे हैं. “मैं ने उस की बात सुधारनी चाही तो वह भड़क उठी, “क्या ममा मुझे बुद्धू समझा है? पापा मूवी ही देख रहे हैं और कल भी वे इस समय मूवी ही देख रहे थे. कल कोई हिन्दी मूवी थी मगर आज तो धांसू मूवी है. ”

चुप कर, बेटी के मुंह से ऐसी बात सुन कर मैं सकते में आ गई थी. कहां मैं यह सोच कर पति के कमरे में भी नहीं जाती थी कि वे डिस्टर्ब ना हो जाएं और कहां वे मुझे बेवकूफ बना कर खुद मूवी के मजे ले रहे हैं .

मैं उन के कमरे की तरफ बढ़ गई इधर परी पीछे से लगातार बोल रही थी,

” मैं पापा की पूरी रूटीन जानती हूं ममा. पापा सुबह 1 घंटे काम करते हैं फिर 10 से 12 बजे तक सोते हैं. दोपहर 12 से 3 मूवी देखते हैं और 3 से 5 यानी 2 घंटे फिर से काम करते हैं . बाकी बीचबीच में दोस्तों से गप्पे भी मारते हैं.”

” बेटा वे गप्पे नहीं मारते बल्कि क्लाइंट्स से बातें करते हैं.”

अब तक हर्ष भी आ गया था. वह हंसता हुआ बहन की बात का समर्थन करने लगा,” अरे मम्मी पापा ने आप को बुद्धू बनाया है और आप बन गए. कोई क्लाइंट वाइंट से नहीं दोस्तों से बातें करते हैं वह भी चटपटी बातें.”

“…और जानती हो मम्मी यह सब बातें आप से न बताने के लिए उस दिन पापा ने मुझे रिश्वत भी दी जब मैं ने चुपके से उन के कमरे में पहुंच कर उन की चोरी पकड़ ली थी .” परी ने इठलाते हुए कहा.

अब तो मेरे होश फाख्ता उड़ गए थे. मन में झंझावात चल रहा था. तो क्या मिस्टर घर के कामों से बचने और मस्ती करने के लिए ऑफिस के काम का बहाना बना रहे हैं. मैं ने खुद को समझाया, ऐसा नहीं हो सकता. पहले अपनी आंखों से सब कुछ देख लूं फिर यदि सच निकला तो उन के ऊपर बम फोड़ दूंगी.

उस दिन पूरे समय मैं ने उन की जासूसी की. सुबह नाश्ता चाय ले कर वे अपने कमरे में चले गए. मुश्किल से आधाएक घंटा काम कर बिस्तर पर लुढ़क गए. उन्हें सोता देख में अपना आपा खो बैठी और पूरा एक गिलास पानी भर कर उन के ऊपर उड़ेल दिया.

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वे सकपका कर उठ बैठे और हड़बड़ाते हुए फाइलें संभालते हुए बोले,” अरे मैं सो कैसे गया? लगता है तबीयत ठीक नहीं है. नेहा जरा चाय बना कर ला दो.”

” जरूर अभी लाती हूं. आप काम करने बैठो परी के हाथ से भिजवाती हूं.” कह कर मैं बाहर आ गई. चाय भी भेज दी. इस के बाद कुछ देर तक वे काम करते रहे.

दोपहर में खाना खा कर वे फिर अपने कमरे में घुस गए. कुछ देर बाद मैं ने अंदर झांका तो वाकई वे लैपटॉप पर कोई फिल्म देख रहे थे और मोबाइल पर किसी से हंस कर बातें भी कर रहे थे.

मेरा पारा चढ़ गया मगर खुद को कंट्रोल करते हुए मैं उन्हें मजा चखाने का प्लान बनाने लगी.

अगले दिन सुबह ही बाथरूम से निकलते समय मैं ने गिरने का बहाना किया और जोर से चिल्ला पड़ी,” हाय मैं मर गई. पैर टूट गया मेरा. हाय सुनते हो ….”

मेरे चिल्लाने की आवाजें सुन कर पति और बच्चे दौड़े आए. घुटने के नीचे और पंजे के ऊपर वाले हिस्से को हाथों से ढकते हुए मैं चिल्ला रही थी,” हाय गिरते समय पैर उलट गया मेरा. बहुत दर्द हो रहा है. कहीं हड्डियां न टूट गई हो.”

पति महोदय ने जल्दी से मुझे गोद में उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया. वे बहुत फ़िक्रमंद नजर आ रहे थे. जल्दी से मूव ले कर आए और मेरे पैरों में लगाने लगे. बर्फ से सिकाई भी की. डॉक्टर को बुलाने की बात कहने लगे तो मैं ने यह कह कर रोक दिया कि सिकाई से थोड़ा आराम मिल रहा है. पति महोदय जितने भी घरेलू नुस्खे जानते थे वह सब आजमा रहे थे.

तब तक बच्चे भूखभूख कहने लगे तो मैं ने पति महोदय को लपेटे में लिया,” . मुझ से पैर जरा भी हिलाया नहीं जा रहा. आज तुम ऑफिस का काम बाद में कर लेना. पहले सब के लिए नाश्ता बना लो और बच्चों को खिला दो. उन्हें नहला भी देना और फिर उन पर नजर भी रखना. बहुत शैतानी करते हैं. घर में झाड़ूपोछा भी लगा देना. इन दिनों घर की सफाई होनी बहुत जरूरी है न‌ और समय मिले तो कपड़े भी धो कर सुखा देना. मेरी उठने की हिम्मत नहीं हो रही है.

पति महोदय का चेहरा बन गया था . फिर भी मुझे लेटने को कह कर वे किचन में चले गए और काम में जुट गए.

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मुझे बहुत हंसी आ रही थी. परी ने मुझे हंसते हुए देख लिया था बोली,” आप नाटक कर रहे हो ना ममा ”

‌‌”हां बेटा जरा पापा को मजा चखा लूं . यह ले तेरा रिश्वत. पापा से कुछ न कहना. ”

मैं ने परी को 2 डेयरी मिल्क दिए और कंबल  ओढ़ कर सो गई.

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