देह व्यापार का एक बाजार ऐसा भी है, जहां के सैक्सवर्कर औरतें नहीं बल्कि मर्द होते हैं. जिन्हें जिगोलो कहा जाता है. उन्हें यौन पिपासा से भरी औरतों को हर तरह से खुश करना होता है. आजकल जिगोलो की मांग लगातार बढ़ती जा रही है. इस धंधे में मोटी कमाई तो होती ही है साथ ही…
भरे बदन वाली एक अधेड़ महिला कमसिन दिखने की अदाओं के साथ ड्राइंगरूम में खड़ी थी. वहीं कुछ दूसरी महिलएं सिगरेट का धुंआ उड़ाती कुछ दूरी बना कर सोफे पर क्रास टांगों के साथ बैठी थीं. सभी के बीच अपनेअपने सैक्स अपील वाले यौवन को दर्शाने की होड़ सी दिख रही थी.
इसी बीच बलिष्ठ चुस्त टीशर्ट और टाइट पाजामे में एक युवक वहां आया. वहां वह सिर्फ उसी माहिला को पहचानता था, जो खड़ी थी. वह महिला उस के पास आई और बोली, ‘‘तुम को मालूम है कि तुम कहां खड़े हो. यहां जिस्म का बाजार लगता है.’’
यह सुनते ही युवक चौंक पड़ा,‘‘क्या?’’
महिला उस की कान के पास मुंह लगा कर बोली, ‘‘यहां तुम मेरे रिश्तेदार नहीं, केवल एक मर्द हो. नीले, गुलाबी बल्बों की रोशनी में तुम्हें अपनी अदाएं बिखेरनी हैं. बैठी महिलाओं को अट्रैक्ट करना है. बदले में तुम्हें ये अमीर महिलाएं मुहमांगी कीमत देंगी. आज तुम एक बिकाऊ मर्द होे, देखती हूं तुम्हारी कौन कितनी बोली लगाती है…’’
युवक चुपचाप महिला की बातें सुनता रहा. उस ने इसी क्रम में कुछ हिदायतें भी दीं. बोली, ‘‘तुम्हें यहां सभी के चेहरे पर सैक्स के भूख की एक ललक साफ तौर पर दिख रही होगी. याद रखना ये ललक जब तक दिखती रहेगी तब तक तुम्हारी मांग बनी रहेगी.’’
‘‘जी भाभी,’’ युवक बोला.
‘‘नहींनहीं, यह नाम नहीं, यहां मैं तुम्हारी मैडम हूं, मैडम एम.’’
‘‘जी समझ गया.’’ युवक बोला.
‘‘आओ, तुम्हारा सभी से परिचय करवाती हूं. उन की तारीफ मैडम के साथ एक अक्षर जोड़ कर करना.’’ कहती हुई मैडम एम ने पास बैठी महिला की ओर इशारा किया, ‘‘ये हैं मैडम एस… और ये हुई मैडम डी, ये हैं मैडम एक्स, वाई और…’’
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इस तरह से मैडम एम ने युवक का हाथ पकड़ कर वहां बैठीं 8 महिलाओं से उस का परिचय करवा दिया. फिर सब की ओर मुखातिब हो कर बोली, ‘‘मैडमों, अब खेल शुरू किया जाए, जिसे जो ड्रिंक लेना है, प्लीज किचन से जा कर ले सकती हैं…सेल्फ सर्विस है…ग्लास खाली होने पर उसे भरने के लिए ये है ही…’’ युवक की ओर उंगली उठाती हुई बोली.
मैडम एम ने सेंटर टेबल के नीचे से रिमोट निकाला और धीमी चल रही म्यूजिक की वौल्यूम बढ़ा दी. म्यूजिक तेज होते ही कइयों के पैरों की थिरकन बढ़ गई, जबकि कुछ महिलाएं बैठेबैठे ही अपने हाथों को नृत्य की मुद्रा में लहराने लगीं. एक महिला सोफे से उठी और कमर को डांस के मोड में लचकाती हुई किचन की तरफ बढ़ गई.
इस तरह से मर्द वेश्यावृत्ति के लिए छोटी सी मंडी सज गई, जिसे अज्ञात महिला की देखरेख में आयोजित किया गया था. ऐसा वह हर सप्ताह के वीकेंड पर करती थी.
अमीर घरों की औरतें ग्राहक हुआ करती थीं. वे हर सप्ताह कुछ नया पाने की ललक लिए आती थीं और आधी रात तक मौजमजा करती थीं.
इस मंडी के लिए हर बार किसी नए मर्द की तलाश की जाती थी. उसे बदले में अच्छी रकम मिल जाती थी. उस रोज मैडम एम यानी मालती को कोई युवक नहीं मिल पाया था. वह इस के लिए शनिवार की सुबह तक बहुत बेचैन थी.
उसी दौरान पीजी में रहने वाला उस के दूर के एक रिश्तेदार ने फोन पर अपनी समस्या बताई. पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए उस ने कहीं पार्टटाइम जौब दिलवाने की रिक्वेस्ट की.
थोड़ी देर सोचने के बाद मालती ने उसे ही जिगोलो बनने के लिए राजी कर उसी शाम सजने वाली देह की मंडी में बुला लिया. साथ ही युवक से कुछ वादे भी लिए.
दिल्ली में अपने दम पर पढ़ाई का खर्च निकालना मुश्किल हो रहा था. उसे कोचिंग के लिए मोटी रकम की भी जरूरत थी. मालती का प्रस्ताव सुन कर उसे लगा कि उस का जमीर मर रहा है.
फिर उस के मन में अपने परिवार का भी खयाल आया, जहां कोई सोच भी नहीं सकता कि वह ऐसा भी कर सकता है. उस ने पैसे की जरूरत पूरी करने के लिए अपना जमीर बेच डाला.
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युवक मालती से केवल इतना पूछ पाया, ‘‘मुझे कब तक रुकना होगा, पढ़ाई भी करनी है.’’
इस का जवाब मालती ने दे दिया. वह खुश हो गई उसे एक नया माल… एक नया छैला मिल गया था. अब उसे ग्राहकों की बुकिंग नहीं लौटानी पड़ेगी. इसी के साथ मालती ने उस की कुछ तसवीरें मंगवाईं.
तसवीर की मांग पर युवक सोच में पड़ गया कि कोई रिश्तेदार देख लेगा तो उस के भविष्य का क्या होगा. इस की चिंता भी मालती ने दूर कर दी. तुरंत अपने फ्लैट पर बुलाया. चेहरे की पहचान छिपा कर अपने मोबाइल से कुछ तसवीरें खींच लीं.
पहले दाईं तरफ से, फिर बाईं तरफ से और उस के बाद सामने से
तसवीर खींची गई. सभी तसवीरें अंडरगारमेंट में थीं. युवक को उस की 3 आकर्षक फोटो दिखा कर बाकी डिलीट कर दी गईं. उन में युवक को पहचानना मुश्किल था.
उस के सामने तसवीरों को वाट्सऐप पर भेज दिया गया. तसवीरों के साथ लिख दिया गया, ‘‘नया माल है, रेट ज्यादा लगेगा. कम पैसे का चाहिए तो दूसरे को भेजती हूं.’’
एक से बढ़ कर एक खूसबूरत महिलाएं युवक की बोली लगाने लगीं, जो अंत में 5 हजार रुपए में तय हुई. इस में युवक को क्लाइंट के लिए सब कुछ करना था.
इस बारे में युवक ने अपना अनुभव शेयर करते हुए नाम नहीं उजागर करने की शर्त पर बताया, ‘‘मैं जिंदगी में पहली बार ये करने जा रहा था. बिना प्यार, इमोशंस के कैसे करता. एक अंजान के साथ करना होगा, यह सोच कर मेरा दिमाग चकरा रहा था.’’
उस ने आगे बताया, ‘‘वो शायद 32-34 साल की शादीशुदा महिला थी. बातें शुरू हुईं और उस ने कहा कि वह गलत जगह फंस चुकी है. पति गे है. वह अमरीका में रहता है. तलाक दे नहीं सकती. फिर एक तलाकशुदा औरत से कौन शादी करेगा. मेरा भी अलगअलग चीजों का मन होता है, बताओ क्या करूं.’’
उस के बाद महिला ने हिंदी गाने लगवाए और डांस करने लगी. थोड़ी देर में शुरू किया. हम दोनों डाइनिंग रूम से बैडरूम गए. अब तक उस ने मुझ से प्यार से बात की थी. काम जैसे ही खत्म हुआ, पैसे दे कर बोली, ‘‘चल कट ले, निकल यहां से.’’
उस ने मुझे टिप भी दी. मैं ने उस से कहा, ‘‘मैं ये सब पैसों की मजबूरी की वजह से कर रहा हूं.’’
उस ने कहा, ‘‘तेरी मजबूरी को तेरा शौक बना दूंगी.’’
मेरी मजबूरी जो दिल्ली से सैकड़ों किलोमीटर दूर मेरे घर से शुरू हुई थी. मेरी लोअर मिडिल क्लास फैमिली को मैं अनलकी लगता था, क्योंकि मेरे जन्म के बाद ही पिता की नौकरी चली गई. वक्त के साथ ये दूरियां बढ़ती गईं.
मेरा सपना एमबीए करने का था लेकिन इंजीनियरिंग करने को मजबूर किया गया. नौकरी नहीं लगी. फिर कंपटीशन की तैयारी कर दी. उस के लिए अतिरिक्त खर्च से मैं परेशान रहने लगा.
उन्हीं दिनों डिफेंस कालोनी में रहने वाली दूर की रिश्तेदार के बारे में मालूम हुआ. उन से मिला. वह तलाकशुदा महिला निकली, लेकिन अपने दम पर छोटा सा बुटीक चला रही थी. पति अपने मातापिता के साथ बंगलुरु में शिफ्ट हो चुका था, उस से कोई बच्चा नहीं था.
हर छोटीबड़ी परेशानी में वह मेरा आत्मविश्वास बढ़ा देती थी. उस ने कई बार डिप्रेशन से बाहर निकाला था. हालांकि मुझे इंटरनेट पर मेल एस्कार्ट यानी जिगोलो के बारे में थोड़ीबहुत जानकारी थी.
ऐसा फिल्मों में देखा था. कुछ वैसी वेबसाइट्स के बारे में भी जानकारी थी. जहां जिगोलो बनने के लिए प्रोफाइल बनाई जा सकती थी. संयोग कहें
या फिर मेरी किस्मत कि मैं जिस्म की बोली लगने वाली महिलाओं के बीच आ गया था.
उस रात मैं ने जिगोलो बनने की परीक्षा अच्छे नंबरों से पास कर ली. ऐसा मैडम एम ने आधी रात को मेरी पीठ थपथापते हुए कहा. मैं वहीं थका हुआ सो गया. सुबह कालबैल की आवाज से नींद खुली.
दरवाजे पर मालती को मुसकराते हुए देखा. मैं झेंप गया और फ्रैश होने के लिए बाथरूम में घुस गया.
उस के बाद मैं दुविधा से घिर गया. यह कहें मैं 2 विचारों की दहलीज पर खड़ा था. एक, दहलीज से पीछे हट कर सुसाइड कर लूं. दूसरा, दहलीज के पार जा कर जिगोलो बन जाऊं.
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अंतत: मैं ने दहलीज को लांघने का फैसला कर लिया. मैं जिन औरतों से मिला, उन में शादीशुदा तलाकशुदा, विधवा और सिंगल लड़कियां भी शामिल थीं.
इन में से ज्यादातर के लिए मैं एक इंसान नहीं माल था. जब तक उन की इच्छाएं पूरी न हो जातीं, सब अच्छे से बात करतीं. कहती कि मैं अपने पति को तलाक दे कर तुम्हारे साथ रहूंगी. लेकिन बैडरूम में बिताए कुछ वक्त के बाद सारा प्यार खत्म हो जाता.
सुनने को मिलता, ‘‘चल निकल यहां से. पैसा उठा और भाग.’’
और कई बार गालियां भी सुनने को मिलतीं. ये सोसाइटी हम से मजे भी लेती है और हम ही को प्रास्टीट्यूट कह कर गालियां भी देती है.
एक बार एक पतिपत्नी ने साथ में बुलाया. पति सोफे पर बैठा शराब पीते हुए हमें देखता रहा. मैं उसी के सामने पलंग पर उस की पत्नी के साथ था. ये काम दोनों की रजामंदी से हो रहा था. शायद दोनों की ये कोई डिजायर रही हो.
इसी बीच 50 साल से ज्यादा उम्र की महिला भी मेरी क्लाइंट बनी. वह मेरी जिंदगी का सब से अलग अनुभव था. पूरी रात वह बस मुझ से बेटाबेटा कह कर बात करती रहीं. बताती रहीं कि कैसे उन का बेटा और परिवार उन की परवाह नहीं करता. वे उन से दूर रहते हैं.
वो मुझ से भी बोलीं, ‘‘बेटा, इस धंधे से जल्दी निकल जाओ, सही नहीं है ये सब.’’
उस रात हमारे बीच सिवाय बातों के कुछ नहीं हुआ. सुबह उन्होंने बेटा कहते हुए मुझे तय रुपए भी दिए. मुझे वाकई उस महिला के लिए दुख हुआ.
फिर एक रोज जब मैं ने शराब पी हुई थी और जिंदगी से थकान महसूस कर रहा था, मैं ने मां को फोन किया. उन्हें गुस्से में कहा, ‘‘तुम पूछती थी न कि अचानक ज्यादा पैसे क्यों भेजने लगे. मां मैं धंधा करता हूं… धंधा.’’
वो बोलीं, ‘‘चुप कर. शराब पी कर कुछ भी बोलता है तू.’’ यह कह कर मां ने फोन रख दिया.
मैं ने मां को अपना सच बताया था लेकिन उन्होंने मेरी बात को अनसुना कर दिया. मेरे भेजे पैसे वक्त से घर पहुंच रहे थे न… मैं उस रात बहुत रोया. क्या मेरी वैल्यू बस मेरे पैसों तक ही थी? इस के बाद मैं ने मां से कभी ऐसी कोई बात नहीं की.
मैं इस धंधे में बना रहा, क्योंकि मुझे इस से पैसे मिल रहे थे. मार्केट में मेरी डिमांड थी. लगा कि जब तक कोलकाता में नौकरी करनी पड़ेगी और एमबीए में एडमिशन नहीं ले लूंगा, तब तक ये करता रहूंगा. लेकिन इस धंधे में कई बार अजीब लोग मिलते हैं. शरीर पर खरोंच छोड़ देते थे.
ये निशान शरीर पर भी होते थे और आत्मा पर भी. और इस दर्द को दूसरा जिगोलो ही समझ पाता था, सोसाइटी चाहे जैसे देखे, इस प्रोफेशन में जाने का मुझे कोई अफसोस नहीं है. हां, अतीत के बारे में सोचूं तो कई बार चुभता तो है. ये एक ऐसा चैप्टर है, जो मेरे मरने के बाद भी कभी नहीं बदलेगा.
यह एक ऐसा व्यवसाय है जिस में जोरजबरदस्ती नहीं बल्कि स्वेच्छा से लोग शामिल होते हैं और इन की खरीदफरोख्त भी स्वेच्छा से ही की
जाती है. यानी कि यह पुरुष वेश्यावृत्ति औरतों की वेश्यावृत्ति की तरह तकलीफदेह नहीं है.
यूं तो यह बेहद संभ्रांत परिवार की औरतों का महंगा शौक है जो मुंबई, चेन्नई, कोलकाता और दिल्ली जैसे महानगर में तेजी से फलफूल रहा है.
इस में लड़कियों की वेश्यावृत्ति की तरह से इस पेशे में धकेला नहीं जाता, बल्कि लड़के खुद अपनी स्वेच्छा से अपने शौक को पूरा करने के लिए, कभीकभी मस्ती करने के लिए या बेरोजगार होने की हालत में इसे रोजगार की तरह अपना लेते हैं.
रात 10 बजे से सुबह 4 बजे तक जिगोलो की मंडियां सजती हैं और बड़ीबड़ी लग्जरी कारों में संभ्रांत कहे जाने वाले परिवारों से औरतें, लड़कियां और उम्रदराज औरतें भी अपने लिए जिगोलो नामक खिलौना चुनती हैं.
रात भर या फिर घंटे के हिसाब से उस से खेलती हैं और सुबह की रोशनी के पहले ही वापस अपने घर को चली जाती हैं.
कभीकभी शहर से बाहर आउटहाउस पर जाने का भी इंतजाम होता है. लेकिन इन्हें पाना सब के बस की बात नहीं है. यह 3 हजार से ले कर 8 हजार तक के मिलते हैं, एक रात में 8 हजार तक की कमाई की वजह से यह फायदेमंद सौदा बन चुका है. ऐसे लोगों की धमक छोटे शहरों तक में हो चुकी है.
गठीला शरीर ,फर्राटेदार अंगरेजी और लिंग के साइज से ही उस की कीमत तय होती है. उन के गले में खास पहचान देने वाला पट्टा लगा होता है, जो उस के सैक्सी होने के बारे में बताता है.
किसी पब में, डिस्को में और बड़े होटलों में जिगोलो अकसर मिलते हैं. इस में काम करने वाले 18 साल के लड़के से ले कर 50 साल के पुरुष भी हो सकते हैं.
यह कहें कि अब इस बारे में लोगों को बहुत जानकारी है. दिल्ली के कई पौश इलाके पुरुष वेश्यावृति के लिए कुख्यात कहे जा सकते हैं.
इस में रुचि रखने वाली रईस तबके की औरतों के अलावा गे समुदाय के लोग भी होते हैं. इन के खरीददार अथाह पैसा रखने वाली वे औरतें होती हैं, जिन की शारीरिक जरूरतें पूरी नहीं हो पाती हैं. उन के लिए अधिक समय तक सैक्स को दबा कर रखना आसान नहीं होता या इन में वैसी औरतें भी होती हैं, जो चेंज में विश्वास करती हैं.
यह किसी मजबूरीवश नहीं सिर्फ मजे के लिए किया जाने वाला महंगा शौक है. शराब पीना, सिगरेट पीना और फिर जिगोलो संग कामाग्नि को बुझाना, यह फैशन सा बन गया है.
हैरत की बात तो यह है कि ऐसी महिलाएं अपने निजी शौक की पूर्ति के लिए 2 हजार से 20 हजार रुपए न्यौछावर कर देती हैं.
मर्दों की मंडी में पुरुषों के जिस्म की नुमाइश होती है. औरतें इन्हें छू कर और परख कर अपने लिए पसंद करती हैं और फिर कुछ घंटे शराब सिगरेट और मदहोशी के नशे में बिता कर मुंह अंधेरे ही वापस सफेद उजाले में आने के लिए तैयार हो जाती हैं.
कुछ घंटे के लिए 3 हजार रुपए देने को तैयार हो जाती हैं. एक मर्द सेक्स वर्कर पर औसतन 12 से 15 हजार रुपए तक लुटाना आम बात मानी जाती है.
कई बार बड़ेबड़े हाई क्लास के अड्डे में जिगोलो महिलाओं के बीच अपनी नुमाइश करते हैं. वहां जो सैक्स संबंध बनाते हैं उस के पैसे मिलते हैं. यह जिगोलो पर निर्भर करता है कि वह कितना अपने क्लाइंट को संतुष्ट कर पाता है.
ऐसे में किसी महिला को कोई जिगोलो पसंद आ जाता है तो वह उस की बोली लगा कर पूरी रात के लिए अपने साथ ले जाती है.
जिगोलो को तलाशने से ले कर उस के नुमाइश के ठिकाने बनाने के काम में बिचौलिए की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है. उन की बदौलत जिगोलो से ले कर महिला ग्राहक तक की सभी जानकारी गुप्त बनी रहती है.
इस काम को करने वाले अधिकतर कम उम्र के लड़के ही होते हैं. यानी 18 से 30 वर्ष के जिन की डिमांड भी ज्यादा रहती है. जिगोलो को जो पैसा मिलता है, उस का 20 प्रतिशत कमीशन एजेंट या बिचौलिए को देना होता है.
यानी कि जिगोलो बनने के लिए 2500 से 3000 रुपए तक चुका कर बाकायदा रजिस्ट्रेशन करवाना होता है. उस के बाद ट्रेनिंग देनी होती है. ट्रेनिंग के दौरान उन्हें खास किस्म के पहनावे से ले कर चलनेफिरने, उठनेबैठने के ढंग और एक सीमा तक यौनांगों के साथ अश्लील हरकत करना आदि सिखाया जाता है.
उन्हें यह भी सिखाया जाता है कि वे किस तरह से किसी महिला के सामने ज्यादा समय तक टिके रह सकते हैं.
उन्हें स्ट्रिपर की भी अच्छीखासी ट्रेनिंग दी जाती है. वे अपनी नुमाइश के दौरान जैसेजैसे कपड़े उतारते जाते हैं, वैसेवैसे सामने बैठी महिलाओं की कामाग्नि भड़कती चली जाती है.
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बताते हैं जिगोलो में हर पेशे से जुड़े लोग होते हैं. वे जिम की बदौलत तराशे हुए बदन को खूबसूरती के साथ प्रदर्शित करते हैं, जिन्हें देख कर महिला की आह निकल पड़ती है. कई बार अपने प्रोफेशन में यह अच्छे कौन्टैक्ट्स पाने के लिए भी इस काम को करते हैं.
वैसे लोग सड़क किनारे कुछ इलाके की चर्चित बाजारों के पास खड़े हो जाते हैं. लग्जरी गाडि़यां रुकती हैं और सौदा तय होने पर अपने क्लाइंट के पास पहुंच जाते हैं.
होटलों में यह काम थोड़ा आसान हो जाता है, क्योंकि वहां उन्हीं के कमरों में इस काम को अंजाम दिया जाता है. ऐसे कई लोग एक अलग से पहनावे और परफ्यूम लगाए रेस्टोरेंट में बैठ कर ग्राहक के बिचौलिए का इंतजार करते हैं.
जिगोलो के धंधे में उतरने वाले शुरू में भले ही अपनी जरूरतों को पूरी करने के लिए ऐसा करते हैं, लेकिन बाद में उन्हें लत लग जाती है. इस पेशे में आने वाले मनोरंजन और मौडलिंग के पेशे के लोग आसानी से घुलमिल जाते हैं.