गरीब कमजोर लड़कियों को, खासतौर पर अगर वे निचले वर्गों से आती हों तो, रेप करने का हक हर ऊंची जाति का मर्द पैदायशी और धर्म की मोहर वाला मानता है. निचले लोग तो होते ही सेवा के लिए हैं और भोग की चीज बनाने में कोई हर्ज नहीं है, यह सोच देश के गांवगांव में भरी है. 2014 में बरेली के पास के एक गांव में दोपहर में 3 मर्दों ने तमंचे के बल पर एक शादीशुदा लड़की का रेप किया. उस की हिम्मत थी कि उस ने पुलिस, मजिस्टे्रट और डाक्टर को पूरी बात बताई और फास्टटै्रक अदालत में मामला गया.

चूंकि फास्टटै्रक कोर्ट भी ऐसे मामले को हलके में ही लेती है, गवाही तक काफी समय बीत गया और जब लड़की से अदालत ने बयान लिया तो वह मुकर गई. जाहिर है इतने दिन काफी थे एक गरीब लड़की के घर वालों को धमकाने में. ये गरीब लड़कियां न सिर्फ कमजोर हैं, उन के घर वालों ने दिमाग में भरा है कि इस तरह के जुल्म सहना तो उन के भाग में लिखा है जो पिछले जन्मों के कर्मों का फल है.

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ऐसा बहुत मामलों में होता है. मुंबई में 2015 में एक साढ़े 3 साल की बच्ची को रेप करने के मामले में एक लड़के को  6 साल जेल में तो रखा गया पर जब गवाही का समय आया तो मातापिता खिलाफ बोलने से मुकर गए. लड़की से पूछताछ वे कराना नहीं चाहते थे क्योंकि वह हादसा भूल सी चुकी थी.

भुवनेश्वर में 2003 में एससीएसटी जाति की एक मजदूरनी को रेप करने के आरोप में एक शख्स पकड़ा गया पर वह 2004 में जमानत पा गया. ट्रायल कोर्ट ने 2012 में उसे अपराधी माना पर गवाही में औरत ने कहा था कि उसे याद नहीं कि इन में से कौन लोग थे जो रात को इस अनाथ लड़की के घर में घुसे थे. उड़ीसा हाईकोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया.

18 साल की एक लड़की ने अपने ममेरे भाई के खिलाफ नोएडा में शिकायत दर्ज कराई थी कि उस का कई बार बलात्कार किया गया और धमकी दी गई कि किसी को बताए न. जब उस ने शिकायत की तो उस लड़के को पकड़ा गया और कुछ महीनों में उसे जमानत मिल गई. गवाही में लड़की अपनी शिकायत से मुकर गई और एक गवाह जो उस का दादा ही था, वह भी मुकर गया और अपराधी बच निकला.

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रेप के मामले होते ही इसलिए हैं कि लड़कियों के मन में कूटकूट कर भर दिया गया है कि रेप की दोषी वे खुद हैं और गांवों, कसबों से ले कर शहरों तक यह खेल चलता है. हर लड़की को समझा दिया जाता है कि अगर जेल हो भी गई तो लड़की को तो गंदा मान लिया ही जाएगा, इसलिए पहले शिकायत करने के बाद भी लड़कियों को कहा जाता है कि वे मुकर जाएं कि उन के साथ रेप किया गया था ताकि इज्जत बची रहे.

औरतों और खासतौर पर गरीब और निचली, पिछड़ी जातियों का रेप करना आसान रहता है क्योंकि उन को समझा दिया जाता है कि ऊंचे लोगों को तो खुश करना ही उन का काम है. हमारे देश के चकले और देहव्यापार के केंद्र इन्हीं लड़कियों से भरे हैं. रेप हमेशा होते रहे हैं और होते रहेंगे पर चोरीडकैती भी हमेशा होती रही है और होती रहेगी. पर चोर और डाकू का शिकार अपने को अपराधी नहीं मानता जबकि लड़की रेप के बाद खुद को ही गलत मानती है और यही बड़ी वजह है कि धड़ल्ले से रेप होते हैं. जब तक रेप के आरोपी छूटते रहेंगे तब तक हिम्मत बनी रहेगी, यह पक्का है और अगर शिकार के मुकरने से छूट जाओ तो समझो गंगा नहा कर पाप धो आए. पाप करो, फिर गंगा नहाओ बस.

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