भारतीय जनता पार्टी के भक्त आजकल नाखुश हैं कि उन का रिजर्वेशन हटाने का सपना दूर होना तो दूर रिजर्वेशन किसे मिलेगा यह छूट उन की राज्य सरकारों को मिल गई है. लोकसभा और राज्यसभा ने एक संविधान बदलाव से सुप्रीम कोर्ट की बंदिश को हटाने की कोशिश की है. सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा था कि कौन रिजर्वेशन पा सकता?है इस की सूची केंद्र सरकार ही बनाएगी. इस में बहुत दिक्कतें थीं क्योंकि कुछ जातियां एक राज्य में ऊंची थीं और दूसरे में नीची.
अभी तो सारे सांसद 50 फीसदी की लिमिट को हटाने की मांग कर रहे हैं और भारतीय जनता पार्टी की हिम्मत नहीं हो रही है कि वह इस का खुल्लमखुल्ला विरोध कर सके.
देश में जो भी धर्म के नाम पर दंगे हो रहे हैं उन के पीछे हिंदुओं में जाति है. जाति के नाम पर बंटे हिंदुओं को भगवे लोगों को एक डंडे के नीचे लाने के लिए वे भगवा झंडा फहरा कर मुसलमानों के खिलाफ जहर उगलते हैं. इस से लोग अपने पर जाति के कारण हो रहे जुल्म भूल जाते हैं और अपना दुश्मन ऊंची जातियों के कट्टरों को न मान कर मुसलमानों को मानना शुरू कर देते हैं.
यह तरकीब सदियों से काम में आ रही है. गीता का पाठ जिस में कर्म और जन्म का उपदेश दिया गया है, दो भाइयों को लड़वा कर दिया गया था न. भाइयों की लड़ाई में जाति और जन्म का सवाल कहीं नहीं था क्योंकि दोनों कुरु वंश के थे पर कृष्ण ने उसी लड़ाई के मैदान को जाति को जन्म से जोड़ डाला और आज सैकड़ों सालों तक वह हुक्म जिंदा है. जैसे भाइयों को बांट कर इसे थोपा गया था वैसे ही आज जाति के नाम पर समाज को बांट कर कुछ लोग अपना उल्लू सीधा करे जा रहे हैं.
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भारतीय जनता पार्टी को जिताया गया था कि वह कृष्ण के गीता के पाठ और मनुस्मृति को और जोर से लागू करे पर वोटर की ताकत के कारण आधापौना लौलीपौप बांटना पड़ रहा है.
50 फीसदी की सीमा की कोई वजह नहीं है. यह सुप्रीम कोर्ट ने मरजी से थोप दी. पिछड़े इसे हटवाना चाहते हैं. हालांकि कुछ लाख सरकारी नौकरियों और कुछ लाख को पढ़ने के मौकों से कुछ बननेबिगड़ने वाला नहीं है. पर इस बहाने कुछ सत्ता में भागीदारी हो जाती है. वैसे हमारी पौराणिक कथाएं भरी हैं कि जब भी काले दस्युओं को राज मिला बेईमानी कर के उन से राज छीन लिया गया. यही आज गलीगली में हो रहा है.
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भाजपा को मीडिया में जो सपोर्ट मिली है वह इन लोगों से मिली है जो नहीं चाहते कि पिछड़े और निचलों को जरा भी रिजर्वेशन मिले. वे मोदी को अपना देवता इसलिए मान रहे थे कि वह ओरिजिनल हिंदू पौराणिक धर्म पिछड़ों और दलितों पर थोपेगा. उन्हें कांग्रेस और लालू यादवों जैसों से चिढ़ इसीलिए है कि वे बराबरी का हक मांग रहे हैं. हाल का बदलाव राज्य सरकारों को हक देता है पर किसी दिन 50 फीसदी की सीमा भी हटेगी और तब पूरी तरह ऊंची जमातों की भाजपा से तलाक की नौबत आएगी.