सौजन्य- सत्यकथा
लेखक- शाहनवाज
मांकी ममता ही ऐसी होती है कि वह अपने नवजात को अकसर सीने से लगाए रहती है. और तो और रात को जब वह सो जाती है तो बगल में सोए अपने बच्चे को बारबार छू कर देखती है कि कहीं उस के कपड़े गीले तो नहीं हो गए. पूजा देवी भी अपने 6 दिन के नवजात की इसी तरह देखभाल कर रही थी.
15 जून, 2021 की रात के करीब 11 बज रहे थे. पूजा नींद में ही टटोल कर यह देख रही थी कि कहीं उस के बच्चे ने सूसू तो नहीं कर दी. कमरे की लाइट बंद थी, इसलिए जब उस ने अपनी बाईं ओर हाथ बढ़ाया तो उस का हाथ सीधा सीमेंट के फर्श पर पड़ा. पूजा ने सोचा कि शायद वह बच्चे को गलत जगह देख रही है. उस ने उसी समय अपने दाईं ओर हाथ बढ़ाया तो उस का बच्चा उधर भी नहीं था.
पूजा की नींद अब भाग चुकी थी. वह उठ कर बैठ गई. उस ने इधरउधर देखा लेकिन उसे उस का बच्चा नहीं मिला तो वह घबरा गई. तभी उस ने पास में लेटे पति गोविंद को भी जगा दिया.
पूजा ने फटाफट उठ कर कमरे की लाइट जलाई. कमरे में रोशनी होने के बाद पूजा को अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हुआ. क्योंकि उस का बच्चा कमरे में नहीं था. बच्चा गायब होने पर गोविंद भी घबरा गया.
पूजा ने डबडबाई आंखों से अपने पति गोविंद की ओर देखा और बिना कुछ देखे कमरे से बाहर निकलते हुए जोरजोर से मुन्ना…मुन्ना चीखती हुई निकल गई. देखते ही देखते उस मकान में रहने वाले अन्य किराएदार जो अपनेअपने कमरों में आराम कर रहे थे, बाहर निकल आए और सब गोविंद से पूछने लगे, ‘‘क्या हुआ है?’’
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पूजा ने रोते हुए और जोर से चीखते हुए सब को बताया कि उस का मुन्ना नहीं मिल रहा है. किराएदार गोविंद और पूजा की बढ़ती बेचैनी को कम करने के लिए खुद उन के साथ सब के कमरों में घुसघुस कर चेक करने लगे. कुछ देर में हर किसी का कमरा खंगालने के बाद जब मुन्ना नहीं मिला तो पूजा फूटफूट कर रोने लगी और उस का नाम ले कर जोरजोर से चीखनेचिल्लाने लगी. गोविंद भी अपनी पत्नी का सिर अपने कंधे पर रख कर रोने लगा.
कुछ ही देर में यह बात आया नगर की पूरी गली में फैल गई कि पूजा का 6 दिन का बच्चा चोरी हो गया है. गोविंद और पूजा की यह हालत देख कर किसी ने उन्हें सुझाया कि उन्हें जल्द ही पुलिस को इस बारे में बताना चाहिए.
गोविंद ने उन की बात मानते हुए तुरंत 100 नंबर पर फोन कर पुलिस को इस बारे में बताया. कुछ देर में पुलिस आया नगर में स्थित गोविंद के कमरे पर पहुंच गई. जिस के बाद गोविंद और पूजा ने पुलिस को पूरा घटनाक्रम बताया.
दक्षिणी दिल्ली में स्थित आया नगर फतेहपुर बेरी थाने के अंतर्गत आता है. इसलिए मामला थाने में दर्ज हो गया और पुलिस इस के बाद मामले की जांच में जुट गई.
बिहार के मुजफ्फरपुर के रहने वाले गोविंद कुमार को दिल्ली में आए बहुत ज्यादा समय नहीं हुआ था. वह 2014 में ही दिल्ली में आया था और मजदूरी करता था. जब जहां पर, जैसा भी काम मिल जाए, उसी के आसपास किराए पर कमरा ले कर रहने लगता था.
गोविंद की शादी 2017 में हुई थी. शादी के साल भर बाद वह अपनी पत्नी पूजा को अपने साथ दिल्ली ले आया था. उन का एक ढाई साल का बेटा
भी था.
गोविंद एक दिहाड़ी मजदूर था. जिस से उस के घर में हमेशा पैसों की किल्लत रहती थी. ऊपर से बीते साल कोरोना की वजह से लगे लौकडाउन ने तो उस के परिवार की मानो कमर ही तोड़ दी थी.
जब लौकडाउन लगा था, उस समय गोविंद और उस का परिवार दिल्ली से सटे हरियाणा के सिकंदरपुर में एक किराए के कमरे में फंस गया था. उस की आर्थिक हालत उन दिनों बेहद खराब हो गई थी.
इस से पहले उस की पत्नी पूजा उसे कई बार गांव में ही बस जाने के लिए कहा करती थी. लेकिन गोविंद पूजा की बात को नकार देता था और कहता था कि अगर गांव चले जाएंगे तो थोड़ाबहुत जितना भी पैसा यहां अपने बच्चे के लिए बचा पा रहे हैं, वह भी नहीं बचा पाएंगे. यह सुन कर पूजा पति को कुछ कह नहीं पाती थी, क्योंकि गोविंद की इस बात में कहीं न कहीं सच्चाई थी.
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मुजफ्फरपुर में गोविंद के गांव में भी उस की संपत्ति बहुत अधिक नहीं थी. खेती लायक जितनी जमीन थी, उस पर गोविंद के बड़े और छोटे भाई मिल कर खेती करते थे.
इधर गोविंद और पूजा के 6 दिन के बच्चे को ढूंढने की जिम्मेदारी थानाप्रभारी कुलदीप सिंह ने एएसआई बरमेश्वर को सौंप दी. एएसआई बरमेश्वर ने अपनी शुरुआती जांच में पाया कि जिस दिन गोविंद और पूजा ने अपने बच्चे के अपहरण की शिकायत दर्ज कराई थी, ठीक उसी दिन गोविंद और उस का परिवार दिल्ली के आया नगर में शिफ्ट हुआ था.
इस बिंदु को ध्यान में रखते हुए पुलिस टीम ने गोविंद से पूछा कि कहीं उस की किसी से दुश्मनी तो नहीं है या फिर इस अपहरण के पीछे उसे किसी पर शक तो नहीं.
गोविंद ने पुलिस के इस सवाल का जवाब थोड़े नाटकीय अंदाज में घुमाफिरा कर दिया. उस ने कहा, ‘‘साहब, हम तो इस मकान में आज ही रहने के लिए आए थे. इस के पहले हम सिकंदरपुर में किराए पर रहते थे तो मेरे दोस्त हरिपाल सिंह ने मेरे परिवार को अपने घर चले आने के लिए कहा. क्योंकि पहले जहां रहते थे, वहां जगह बहुत छोटी थी. मुश्किल से हम 4 लोग जमीन पर सो पाते थे.’’
‘‘साहब, मुझे लगता है कि हरिपाल ने ही हमारे बच्चे का अपहरण किया है.’’ पूजा ने रोते हुए गोविंद की बात बीच में काटते हुए कहा. इस के बाद पुलिस टीम ने अन्य किराएदारों से हरिपाल सिंह के बारे में पूछताछ की.
हरिपाल सिंह हरियाणा के गुड़गांव में प्लंबर का ठेकेदार था और वह गोविंद को जानता था. दरअसल, हरिपाल गोविंद को दिहाड़ी मजदूरी के लिए अकसर बुला लिया करता था. पिछले 4-5 सालों से हरिपाल और गोविंद एकदूसरे को जानते थे और इस बीच वे दोस्त भी बन गए थे.
जब पूजा ने हरिपाल पर शक होने की बात कही तो पुलिस ने सब से पहले मकान मालिक हरिपाल को ढूंढने के लिए अपने सभी मुखबिरों को अलर्ट कर दिया. इस के बाद हरिपाल के घर के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज इकट्ठी की गई और उन्हें एकएक कर बारीकी से देखा गया.
थाने में टैक्निकल टीम और अन्य जांच टीम की मदद से पुलिस ने यह पता लगा लिया कि हरिपाल आया नगर के ई-ब्लौक में कहीं मौजूद है.
यह सूचना मिलने के बाद थानाप्रभारी कुलदीप सिंह के नेतृत्व में पुलिस टीम ने आया नगर के ई-ब्लौक में, जिस मकान में हरिपाल के मौजूद होने का शक था, वहां एकाएक रेड डाली. हरिपाल सिंह उसी मकान में मिल गया. उसे हिरासत में ले कर टीम थाने लौट आई.
थाने में उस से बच्चे के बारे में पूछा. जिस के जवाब में हरिपाल ने कुछ ऐसा कहा, जिस के बारे में पुलिस ने बिलकुल भी नहीं सोचा था. हरिपाल ने डरते हुए पुलिस को बताया, ‘‘साहब, जिस बच्चे के अपहरण की बात आप लोग कर रहे हैं, उस का अपहरण नहीं हुआ. बल्कि गोविंद और पूजा की मंजूरी से ही उसे बेचा गया है.’’
यह सुनते ही पुलिस भी चौंक गई कि क्या कोई मांबाप अपना बच्चा बेच भी सकते हैं. गोविंद और पूजा से पूछताछ करने से पहले पुलिस कीपहली प्राथमिकता बच्चे को सहीसलामत बरामद करने की थी.
इसलिए पुलिस ने हरिपाल से पूछताछ जारी रखी. हरिपाल ने बताया, ‘‘साहब, बच्चा मांबाप की सहमति से ही खरीदने वाले दंपति को दिया गया है, जिस के लिए गोविंद और पूजा को 3 लाख 60 हजार रुपए दिए गए थे.’’
उस ने पुलिस को सच बताते हुए अपने दोस्त रमन यादव का नाम बताया, जिस के रिश्तेदार बच्चा खरीदने वाले विद्यानंद यादव और रामपरी देवी हैं. पुलिस ने हरिपाल से रमन यादव के बारे में तफ्तीश की और दिल्ली के संजय कैंप, मोती बाग के रहने वाले रमन को उस के घर से गिरफ्तार कर लिया.
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बच्चा खरीदने वाले दंपति विद्यानंद यादव (50) और रामपरी देवी (45) बिहार के मधुबनी जिले के इनरवा गांव के रहने वाले थे. विद्यानंद और रामपरी को शादी के कई सालों बाद भी जब कोई बच्चा नहीं हुआ तो समाज में उन्हें हेयदृष्टि से देखा जाने लगा था.
पुलिस ने जब रमन यादव को गिरफ्तार कर उस से पूछताछ की तो उस ने कहा, ‘‘साहब, विद्यानंद मेरा साढ़ू है और वह 50 साल का हो चुका है लेकिन उस की खुद की कोई औलाद नहीं है. गांव के लोग मेरे साढ़ू के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करते हैं.
‘‘आसपास के किसी बच्चे के साथ जब कोई घटना हो जाती है या जब बच्चे खेलतेखेलते गिर जाते हैं और चोट लग जाती है तो लोग उस का इलजाम भी विद्यानंद और उस की पत्नी रामपरी पर लगाते हैं. लोग कहते हैं कि उन की बुरी नजर की वजह से गांव में बच्चों के साथ दुर्घटना होती है.
‘‘इतना ही नहीं गांव वाले यह तक कहते हैं कि विद्यानंद और उस की पत्नी गांव में बच्चों को बुरी नजर से देखते हैं. यहां तक कि कई लोग उस से अनायास ही झगड़ा करते हैं. यह सब मुझ से देखा नहीं जाता था.’’
पुलिस ने रमन यादव से पूछा कि अभी इस समय बच्चा कहां हैं तो रमन ने बताया, ‘‘विद्यानंद और रामपरी बच्चे को अपने साथ ले कर गांव के लिए रवाना हो गए हैं. रात को आनंद विहार रेलवे स्टेशन से मधुबनी के लिए निकल चुके हैं.’’
पुलिस की टीम ने जल्द ही बच्चे को सहीसलामत ढूंढने के लिए आनंद विहार से मधुबनी जाने वाली ट्रेन का पता लगाया और ट्रेन की लाइव लोकेशन का पता कर आगे की काररवाई तेजी से की.
पता चला कि ट्रेन कानपुर पहुंचने वाली है. देरी न करते हुए पुलिस की टीम ने रेलवे अधिकारियों से पैसेंजर की लिस्ट मंगवा कर कानपुर सेंट्रल के नजदीकी पुलिस थाने हरबंस मोहाल के थानाप्रभारी सत्यदेव शर्मा को मामले के बारे में सारी जानकारी दी.
सत्यदेव शर्मा ने तत्परता दिखाते हुए कानपुर रेलवे स्टेशन जा कर बताई गई ट्रेन के कोच और सीट नंबर पहुंच गए. एक बुजुर्ग दंपति उस ट्रेन में एसी डिब्बे में सफर कर रहे थे और रामपरी बच्चे को कंबल में लपेट कर उसे अपने हाथों में लिए चुपचाप बैठी थी.
जब पुलिस को आते हुए उस बुजुर्ग ने देखा तो तुरंत ट्रेन में दूसरी ओर जाने का प्रयास किया, लेकिन दूसरी तरफ से भी पुलिस उस की तरफ आ रही थी.
अंत में हार मानते हुए उन्होंने पुलिस के हाथों खुद को सरेंडर कर दिया और थानाप्रभारी की टीम ने आरोपी दंपति को पकड़ कर दिल्ली फतेहपुर बेरी थाने के प्रभारी कुलदीप सिंह को सूचना दे दी. जिस के बाद दिल्ली से एक टीम तुरंत कानपुर के लिए रवाना हो गई और सारी औपचारिकताएं पूरी कर विद्यानंद यादव, उस की पत्नी रामपरी व बच्चे को ले कर दिल्ली लौट आई.
पुलिस ने विद्यानंद ने पूछताछ की तब उस ने अपनी दुखभरी कहानी पुलिस को बताई, वह इस प्रकार थी.
बच्चे की लालसा में बुजुर्ग दंपति विद्यानंद यादव और रामपरी देवी लगातार अपने गांव में लोगों के उपेक्षित व्यवहार से परेशान थे. हालांकि विद्यानंद और रामपरी का परिवार पैसों के मामले में बहुत संपन्न नहीं था. खेती लायक बेहद कम जमीन थी, एक घर था वह भी आधा कच्चा और आधा पक्का. उन्हें बच्चा तो चाहिए था लेकिन लड़का ही.
यह बात उस के साढू रमन यादव को मालूम थी. रमन यादव गुड़गांव में पीओपी का काम किया करता था और वह हरिपाल को जानता था.
रमन और हरिपाल अकसर काम से निकलने के बाद घर जाने से पहले दारू पीते थे. ऐसे ही एक दिन जब रमन और हरिपाल दारू पी रहे थे तो रमन ने उसे अपने साढू विद्यानंद के बारे में बताया.
दारू पीते हुए रमन ने अपनी लड़खड़ाती जुबान में कहा, ‘‘यार, गांव में मेरा एक साढू है विद्यानंद. उस की कोई औलाद नहीं है. बेचारे को गांव में लोग बहुत जलील करते हैं. फालतू का झगड़ा करते हैं.’’
‘‘लेकिन ऐसा क्यों?’’ हरिपाल ने नशे की हालत में रमन से पूछा. ‘‘अरे यार, तुझे बताया तो, औलाद नहीं है बेचारों की. कोई भी कुछ भी बोलता है उन के बारे में. उन के घर के आंगन में लोग थूकते हैं.’’ रमन बोला.
‘‘कुछ करना चाहिए यार. कम से कम मरने से पहले उन्हें औलाद का सुख तो नसीब होना ही चाहिए.’’
हरिपाल अपने ऐसे ही एक दोस्त को जानता था, जिस के घर हालफिलहाल में बच्चा हुआ था. वह था गोविंद. उस ने रमन को नशे की हालत में वादा किया कि वह जरूर उस के साढू विद्यानंद के लिए कुछ करेगा.
8 जून, 2021 को गोविंद के घर में बच्चे की किलकारियां गूंजी थीं. उस के चौथे दिन ही हरिपाल गोविंद से मिला और उस से अपने बच्चे को बेचने के बारे में बात की.
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हरिपाल ने गोविंद के सामने डरसहम कर अपनी बात रखी. उस ने कहा, ‘‘गोविंद देख तेरी हालत के बारे में तुझ से बेहतर अभी कोई नहीं जानता. मुझे मालूम ह कि पिछले साल जब लौकडाउन लगा था तब तेरे परिवार ने किस तरह से गुजारा किया था. ये स्थिति सुधारने का एक उपाय है. अगर तू कहे तो मैं उस के बारे में बताऊंगा.’’
गोविंद ने बिना हिचकिचाए उस से इस के बारे में पूछा, ‘‘हां बताइए न, क्या तरीका है.’’हरिपाल ने अपनी आवाज में आत्मविश्वास पैदा किया और बोला, ‘‘देख, गुस्सा मत करियो. तेरे घर में जो बच्चा अभी पैदा हुआ है, उसे बेच दे. देख मैं जानता हूं कि इस बात से तुझे गुस्सा जरूर आएगा, लेकिन तू भी तो सोच जरा. ऐसे मजदूरी कर के क्या तू अपने परिवार को खुशी दे सकता है? क्या इस बढ़ती महंगाई के जमाने में तू अपनी बीवी समेत अपने दोनों बच्चों को पाल सकता है? मैं एक आदमी को जानता हूं, जो बच्चा खरीदने के लिए तैयार है. अब तू देख, तुझे क्या करना है.’’
हरिपाल के मुंह से यह सब सुन कर बेशक गोविंद के होश जरूर उड़ गए थे, लेकिन उस की बातों को कहीं न कहीं सच और ठीक जरूर मान रहा था. गोविंद हरिपाल को बिना कुछ कहे वहां से निकल गया और घर जा कर उस ने इस बारे में अपनी पत्नी पूजा से ठीक उसी अंदाज में बात की.
पूजा अपने परिवार के मौजूदा हालात को अच्छी तरह से जानती थी. वह गोविंद की बातों से नाराज नहीं हुई, बल्कि उस की इन बातों ने उसे सोच में डाल दिया था. उस रात वह सो भी नहीं पाई, बल्कि जमीन पर लेटे हुए करवट बदलबदल कर पूरी रात सोचती रही.
सुबह हुई तो उस ने गोविंद को बीती रात को हुई बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, ‘‘हां तो क्या सोचा है तुम ने? क्या ये करना है?’’
गोविंद को एकपल के लिए हैरानी हुई. लेकिन उस ने तुरंत अपनी पत्नी के सवाल का जवाब दिया और बोला, ‘‘देखो, हमारे पास इस के अलावा और कोई रास्ता भी नहीं नजर आ रहा है. कम से कम जिसे अपना बच्चा देंगे उस को औलाद नसीब होगी, और जो पैसे हमें मिलेंगे उस से हमारा कुछ तो भला हो जाएगा. और हमारा एक सहारा तो है ही.’’ यह कहते हुए गोविंद और पूजा ने बच्चे की कीमत 4 लाख रुपए तय की और दोनों ने एकदूसरे को भरोसे के साथ देखा. यह बात गोविंद ने हरिपाल को मिल कर बताई कि वे दोनों इस काम के लिए तैयार हैं और बच्चे की कीमत उन्होंने 4 लाख रुपए रखी है. हरिपाल ने यह बात रमन को बताई और रमन ने यह बात आगे विद्यानंद तक पहुंचा दी.
विद्यानंद और रामपरी दोनों को बच्चा तो चाहिए था, लेकिन वे 4 लाख रुपए नहीं दे सकते थे. इसी तरह से फोन पर गोविंद और पूजा ने हरिपाल और रमन के जरिए विद्यानंद से बात कर आखिरी कीमत 3 लाख 60 हजार रुपए तय कर दी, जिस में दोनों पार्टी संतुष्ट हो गईं.
कीमत तय होने के बाद विद्यानंद को अब पैसों का जुगाड़ करना था क्योंकि उस के पास इतने पैसे नहीं थे. इस के लिए उस ने अपनी खेती की जमीन में से 3 कट्ठा जमीन तुरंत गांव में किसी खरीददार को 3 लाख रुपए में बेच दी. पैसे मिल जाने के बाद विद्यानंद और रामपरी दोनों हरिपाल और रमन से बात कर दिल्ली पहुंच गए.
बच्चा जिस दिन 6 दिनों का हुआ उस रात को विद्यानंद, रामपरी, गोविंद, पूजा और रमन हरिपाल के घर पर डील करने के लिए आ गए. गोविंद और पूजा ने दिन भर लग के अपना किराए का कमरा भी खाली कर दिया था और वे लोग हरिपाल के घर पर किराए पर शिफ्ट हो गए थे. क्योंकि इस से उन्हें डर था कि यदि पुराने किराएदार बच्चे को नहीं देखेंगे तो शक करेंगे.
विद्यानंद ने गोविंद को 2 लाख रुपए नकद दिए और 40-40 हजार के 4 चैक दिए. हरिपाल और रमन ने मिल कर गोविंद और पूजा से वहीं सहमति पत्र भी लिखवा लिया, जिस में उन्होंने उन के दस्तखत भी करवा लिए.
सारी डीलिंग हो गई तो रमन अपने साढू विद्यानंद, रामपरी और बच्चे को ले कर वहां से रवाना हो गया. रमन विद्यानंद को आनंद विहार रेलवे स्टेशन पर छोड़ आया और खुद अपने घर चला गया.
उधर गोविंद और पूजा पैसे तथा चैक ले कर अपने कमरे की ओर चल दिए. जब वे अपने कमरे में पहुंच कर पैसे गिन रहे थे और चैक देख रहे थे तो चैक पर तारीख उस दिन के बजाय 18 जून की थी. यह देखते ही गोविंद को झटका लगा और उन दोनों को उस समय ठगा हुआ महसूस हुआ. उन्हें लगा कि एक तो उन्होंने अपना बच्चा भी दे दिया है और वहीं दूसरी ओर उन्हें पैसे भी पूरे नहीं मिले.
फिर अचानक से गोविंद की पत्नी पूजा के अंदर अपने बच्चे को ले कर ममता जाग उठी. एक तो उन्हें पैसे कम मिले थे और वहीं दूसरी तरफ पूजा के
मन में अपने बच्चे को ले कर उपजी चिंता ने उसे अंदर ही अंदर शर्मिंदगी महसूस करवा दी.
अंत में उस से रहा नहीं गया और वह अपने कमरे से निकल कर जोरजोर मुन्नामुन्ना पुकार कर रोने लगी. 100 नंबर पर फोन करने के बाद जब पुलिस आई तो पुलिस को गुमराह किया गया, लेकिन पुलिस की जांच से उन का झूठ जल्द ही उजागर हो गया. और इस मामले के सभी आरोपी पकड़े गए.
इस मामले के मुख्य सभी आरोपी जिस में बच्चे को जन्म देने वाली मां पूजा देवी, उस का पिता गोविंद कुमार, गोविंद का दोस्त हरिपाल सिंह, हरिपाल का दोस्त रमन यादव, रमन यादव का साढू और बच्चे को खरीदने का मुख्य आरोपी विद्यानंद यादव और उस की पत्नी रामपरी सब पुलिस की हिरासत में हैं.
मांबाप के भी जेल चले जाने के बाद पुलिस ने बरामद किए बच्चे को सरिता विहार स्थित शिशु गृह को सौंप दिया. जहां वह महफूज हाथों में है. द्य