डा. गौतम बंगा

सैक्स मानव समाज की मुख्य जरूरतों में से एक है जिसे नियंत्रित करना संभव नहीं. कोरोनाकाल में सैक्स को ले कर कई सवाल और अधपके तथ्य खड़े हुए हैं, जिन के सही जवाब मिलने जरूरी हैं. तो आइए जानें कोरोनाकाल में सैक्स के बारे में.

यौन संचारित संक्रमण या एसटीआई यानी सैक्सुअली ट्रांसमिटेड इन्फैक्शन की रोकथाम के संदर्भ में सुरक्षित सैक्स का अभ्यास करना महत्त्वपूर्ण है. संभोग करते समय यौन संचारित संक्रमण होने की आशंका होती है. आप ऐसे कदम उठा सकते हैं जो ऐसे जोखिम से बचने के लिए या उसे कम करने में कारगर साबित हों. सभी को अपने निर्णय स्वयं लेने और अपने शरीर को सुरक्षित रखने का सब से बेहतर तरीका सुनिश्चित करने का अधिकार है. हालांकि, सुरक्षित सैक्स में थोड़ा जोखिम जरूर है लेकिन कोई भी सावधानी न बरतने की तुलना में यह काफी सुरक्षित है.

सुरक्षित सैक्स का मतलब है स्वयं को और अपने साथी को एसटीडी (सैक्स ट्रांसमिटेड डिजीजेज) यौन संचारित रोगों से बचाने के उपाय करना. दूसरे शब्दों में, ऐसा यौन संबंध स्थापित करना है जिस में साथियों के बीच वीर्य, योनितरल पदार्थ या रक्त का आदानप्रदान शामिल न हो. यौन संबंध रखने की सुरक्षित प्रथाओं को अपनाना आप को स्वस्थ रखने व आप का यौन जीवन बेहतर बनाने में मददगार साबित हो सकता है.

सैक्स या यौन स्वास्थ्य जानकारी, गलत जानकारी, मिथक और इस संदर्भ की वास्तविकताओं को वर्जित सम झा जाता है और ऐसा बहुतकुछ है जिसे उजागर करने की जरूरत है. सैक्स पर लगे कलंक की वजह से लोग सैक्स या उस से संबंधित विषयों, जैसे यौन स्वास्थ्य और यौन संचारित रोगों के बारे में बात करने से बचते हैं. जब किसी संदर्भ में ढेर सारी जानकारी सर्वत्र फैली हुई हो तो सही और गलत का भेद बताना मुश्किल हो सकता है और ज्यादातर समय लोग शिकंजे में फंस कर मिथकों पर विश्वास कर लेते हैं. परिणामस्वरूप, वे अपना यौन स्वास्थ्य खो बैठते हैं और अपने समग्र स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं.

अमेरिकन सैक्सुअल हैल्थ एसोसिएशन के मुताबिक, यौनरूप से सक्रिय 2 लोगों में से एक को 25 वर्ष की आयु तक एसटीआई जरूर होगा. इस का एक प्रमुख कारण यौन स्वास्थ्य के बारे में अज्ञानता हो सकता है.

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क्या कोविड-19 यौन संचारित हो सकता है?

कोविड-19 यौन संचारित संक्रमण (एसटीआई) भी हो सकता है. हालांकि, संक्रमित व्यक्ति की लार सहित नाक और मुंह से निकलने वाली बूंदों के संपर्क में आने से यह विषाणु संक्रमित होता है. यह दूसरों के साथ निकट संपर्क के माध्यम से भी हो सकता है. इस का मतलब यह है कि जब आप यौन संबंध रखते हैं या किसी व्यक्ति के बहुत करीब होते हैं तो कोविड-19 से संक्रमित होने की संभावना बहुत ज्यादा बढ़ जाती है. इसीलिए अगर आप या आप के साथी में कोविड-19 के लक्षण हों, जैसे बुखार, सूखी खांसी, थकान, स्वाद या गंधग्रहण की क्षमता में कमी तो आप को एकदूसरे के बीच 14 दिनों तक दूरी बनाए रखनी चाहिए ताकि विषाणु का संक्रमण न हो सके. इस अंतराल में आप को यौन संबंध बनाने या शारीरिक रूप से करीब आने, जैसे चुंबन या आलिंगन देने जैसी क्रियाओं से दूर रहना चाहिए.

क्या कोविड-19 से संक्रमित 2 लोगों का यौन संबंध रखना सुरक्षित है?

ऐसे समय में जब आप के साथी का सौहार्द और उस की सोहबत आप के दिल का बो झ हलका करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं तब यह भी खयाल रहे कि यौन संबंध रखने से कोविड-19 संक्रमण का खतरा हो सकता है. कोरोना विषाणु शायद यौन संचारित रोग हो भी, लेकिन अपने साथी के करीब जाने पर यह निश्चितरूप से संक्रमित कर सकता है. लेकिन अगर आप अपने साथी के साथ ही रह रहे हैं और आप दोनों में ऐसे कोई लक्षण नहीं हैं तो आप संबंध रख सकते हैं. लेकिन अगर दोनों में से एक साथी भी बाधित, लेकिन लक्षणहीन है, तो यौन संबंध कम से कम 14 दिनों तक नहीं बनाए जाने चाहिए. आदर्श रूप से यह सलाह दी जाती है कि कोविड से संक्रमित लोगों को आपस में यौन संबंध नहीं रखने चाहिए लेकिन अगर वे फिर भी ऐसा करना चाहते हैं तो उन्हें सुरक्षा के सारे नियमों का पालन करना चाहिए.

कोविड-19 महामारी के माहौल में सुरक्षित यौन संबंध कैसे रखें?

कोविड-19 नैगेटिव वाले 2 लोगों के बीच यौन संबंधों को सुरक्षित माना गया है, हालांकि कुछ एहतियाती कदम उठाने से संक्रमण का खतरा और भी कम हो सकता है. सैक्स के दौरान कंडोम या डैंटल डैम का इस्तेमाल करें. यौन संबंध रखने का सब से सही समय तब है जब दोनों साथी कोविड-19 से पूरी तरह नजात पा चुके हों. संबंध रखने के लिए कोविड-19 से संक्रमित होने के कम से कम 2 हफ्तों बाद तक रुकना चाहिए. सैक्स के बाद नहाना और शरीर के अंगों की अच्छी तरह से सफाई करने से कोरोना संक्रमण का खतरा और कम किया जा सकता है.

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क्या कोविड-19 से नपुंसकता हो सकती है?

एक हालिया इतालवी अध्ययन (वेबएमडी) से पता चला है कि कोविड-19 की वजह से स्तंभन दोष (इरैक्टाइल डिसफंक्शन या ईडी) के उत्पन्न होने का जोखिम लगभग 6 गुना बढ़ जाता है. कोविड-19 के संक्रमण को बढ़ाने वाले मधुमेह, मोटापा और धूम्रपान ईडी के लिए भी जिम्मेदार साबित हो सकते हैं. डेटा अनुमानों के अनुसार, कोरोना से संक्रमित हुए पुरुषों में स्तंभन दोष (ईडी) उत्पन्न होने के आसार 5.66 गुना बढ़ जाते हैं. यह समस्या अल्पकालिक या दीर्घकालिक भी हो सकती है.

हालांकि, स्तंभन दोष से पुरुष बाधित होते हैं और इसे ‘पुरुषों वाली’ समस्या के रूप में देखा जाता है लेकिन संबंधों में मौजूद महिला पर भी इस का असर पड़ता है. एक हालिया सर्वेक्षण के अनुसार,

56 प्रतिशत पुरुष अपने संबंधों को सुधारने के लिए अपने साथियों के साथ स्तंभन दोष के बारे में चर्चा करना पसंद करते हैं जबकि स्तंभन दोष से नजात पाने के लिए अगर उन का साथी कोई कदम नहीं उठाता तो 28 प्रतिशत महिलाएं अपने साथी से अलग होना पसंद करती हैं.

(लेखक सैंटर फौर रिकंस्ट्रक्टिव यूरोलौजी एंड एंड्रोलौजी, दिल्ली में रिकंस्ट्रक्टिव यूरोलौजिस्ट एंड एंड्रोलौजिस्ट हैं.)

जीवन की मुसकान

बात बहुत पुरानी है. मेरी दीदी के दो बच्चे बौबी एवं सीमा बेंगलुरु के  एक कौन्वेंट स्कूल में क्लास फर्स्ट एवं सेकंड में पढ़ते थे. एक बार रिसेस होने पर दोनों बच्चे पानी पीने नल पर गए. वहां बौबी का पैर फिसलने के कारण वह पानी से भरे टैंक में जा गिरा. सीमा ने देखा बौबी पानी में गिर गया है, घबरा कर उसे निकालने के लिए वह भी तुरंत पानी में कूद गई. यह देख आसपास खड़े उन के साथी बच्चे जोरजोर से रोने लगे.

यह घटना दूसरी मंजिल पर पढ़ रहे सातवीं क्लास के बच्चे रौबर्ट चौधरी ने देखी. वह एक पल भी गंवाए बिना ‘फादर हैल्प, फादर हैल्प’ चिल्लाता हुआ क्लास के बाहर दौड़ पड़ा एवं पानी से भरे टैंक में कूद पड़ा.

उस की आवाज सुन कर सब क्लास के बाहर उस के पीछेपीछे दौड़े. हालांकि रौबर्ट भी छोटा बच्चा था परंतु उसे तैरना आता था. सब की मदद से उस ने बौबी और सीमा दोनों को बाहर निकाला.

दोनों बच्चों का पेट दबा कर उन्होंने पानी निकाला एवं डाक्टर को बुलाया.

सब ठीकठाक होने पर फादर ने सीमा से पूछा, ‘‘आप स्वयं टैंक में क्यों कूद गईं. अगर भैया पानी में गिर गया था तो आप को सिस्टर को बताना था जो आप की क्लास की मेम थी.’’

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‘‘फादर, अगर मैं भैया को टैंक से बाहर नहीं निकालती, तो पापा मुझे मारते. सौरी फादर…’’ नन्ही सी सीमा की बातें सुन कर फादर का दिल भर आया और वे चुप हो गए. कुछ देर बाद फादर ने रौबर्ट की पीठ ठोक कर कहा, ‘‘आय एम प्राऊड औफ यू माय बौय. तुम्हारे कारण एक बड़ा हादसा होने से टल गया.’’

इस के बाद मेरे जीजाजी को स्कूल बुलाया गया. सारी घटना जान कर जीजाजी की आंखें भर आईं. उन्होंने रौबर्ट को सीने से लगा लिया और कहा, ‘‘आज स्कूल को आप के जैसे बच्चे की आवश्यकता है. इतने छोटे होने के बावजूद भी आप ने बहुत बड़ा काम कर के दिखाया.’’

‘‘अंकल, यह तो मेरा फर्ज था,’’ रौबर्ट ने जवाब दिया.’’ उस की बात सुन कर जीजाजी ने एक बार फिर उसे सीने से लगा लिया एवं उसे पुरस्कृत भी किया.

भीगी पलकों के साथ जीजाजी के चेहरे पर जीवन की मुस्कान लौट आई थी. उन्होंने स्कूल में सभी को धन्यवाद दिया एवं अपने दोनों मासूमों को ले कर खुशीखुशी घर आ गए. यह घटना हमारे लिए अविस्मरणीय है.

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