सौजन्य-  मनोहर कहानियां

हत्यारों ने बड़ी बेरहमी से चाकू से गला रेत कर लक्की की हत्या की थी. लाश देख कर लोग गुस्से से भर गए. गुस्साए लोग लाश वहीं छोड़ कर आरोपियों के घर की ओर चल दिए. इस बीच मौके की स्थिति को भांप कर किसी ने बहादुरपुर थाने में फोन कर घटना के बारे में जानकारी दे दी थी.

सूचना मिलते ही बहादुरपुर थाने के थानाप्रभारी सनोवर खान फोर्स के साथ अजीमाबाद पहुंच गए जहां लक्की की लाश पड़ी हुई थी. वह घटना की जांच में जुट गए.

आरोपी घटनास्थल से थोड़ी दूरी पर स्थित सेक्टर-डी, अजीमाबाद कालोनी में रहते थे. गुस्साए लोगों ने आरोपियों के घर पर पत्थरबाजी शुरू कर दी.

यह जानकारी थानाप्रभारी को मिली तो वह घटनास्थल से अजीमाबाद कालोनी पहुंच गए. उन्होंने भीड़ को समझाने की कोशिश की. लेकिन भीड़ नियंत्रित नहीं हो पा रही थी. यह देख उन्होंने उच्चाधिकारियों को सूचित कर दिया.

घटना की सूचना पा कर डीएसपी अमित शरण और एसपी (सिटी पूर्वी) जितेंद्र कुमार बगैर समय गंवाए मौके पर पहुंच गए. फिर फोर्स ने मोर्चा संभाल लिया.

लोगों ने की आगजनी

पुलिस सेक्टर-डी में आक्रोशित लोगों को संभालने में जुटी हुई थी, तभी घटनास्थल से करीब 3 किलोमीटर दूर कुम्हरार बाईपास के पास गुस्साए लोगों की भीड़ भड़क उठी. हत्या से नाराज भीड़ बाईपास पर आगजनी कर बवाल कर रही थी और हत्यारों को फांसी देने तथा मृतक की मां आरती देवी की आर्थिक सहायता करने की मांग कर रही थी.

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धीरेधीरे घटना दंगे का रूप ले रही थी. एसपी जितेंद्र कुमार ने हालात की संवेदनशीलता को देखते हुए थानाप्रभारी (सुल्तानगंज) शेर सिंह राणा, थानाप्रभारी (आलमगंज) सुधीर कुमार और बीएमपी के जवानों को कुम्हरार बाईपास पर तैनात कर दिया ताकि हिंसा को काबू किया जा सके क्योंकि मामला 2 समुदायों से जुड़ा हुआ था और धीरेधीरे दंगे का रूप ले चुका था.

घंटों चला उपद्रव एसपी जितेंद्र कुमार के आने और समझाने के बाद समाप्त हो सका. एसपी के निर्देश पर डीएसपी अमित शरण ने आरोपी अरमान मलिक, उस की बहन खुशबू और फुफेरे भाई अजहर को गिरफ्तार कर लिया.

आरोपितों के गिरफ्तार होने के बाद हालात पर काबू पा लिया गया था. गिरफ्तार किए तीनों आरोपितों को थाने ला कर उन से अलगअलग पूछताछ की गई.

पूछताछ के दौरान खुशबू ने सच कबूल लिया. उस ने बताया कि लक्की से उस के प्रेम संबंध थे. लेकिन इन संबंधों की वजह से उसे थाने आना पड़ेगा, इस की उस ने कल्पना तक नहीं की थी.

इस के बाद पुलिस ने अरमान और अजहर से पूछताछ की तो लक्की हत्याकांड की कहानी कुछ इस तरह सामने आई—

19 वर्षीय अंशु साहनी उर्फ लक्की किंग मूलरूप से पटना के बहादुरपुर थाने के अजीमाबाद संदलपुर का रहने वाला था. 3 भाइयों रीतेश, लक्की और पिशु में वह दूसरे नंबर का था. पिता संजय साहनी की बीमारी से मौत हो चुकी थी.

पिता की मौत के बाद मां आरती देवी ने तीनों बेटों का पालनपोषण किया. आरती देवी का साथ दिया उन के देवर कृष्णदेव साहनी ने, सच्चा सारथी बन कर. भाई की मौत के बाद उन्होंने भाभी को कभी भी अकेला नहीं छोड़ा. उन की मदद के लिए वह हमेशा तत्पर रहे एक देवर की तरह नहीं, बल्कि एक बेटे की तरह.

रीतेश, लक्की और पिशु तीनों चाचा कृष्णदेव का दिल से सम्मान करते थे. चाचा का एकएक शब्द उन के लिए पत्थर की लकीर होती थी, वह जो कहते थे तीनों उन की बात मानते थे.

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ठाटबाट से रहता था लक्की

तीनों भाई धीरेधीरे बड़े हो चले थे. तीनों भाइयों में से लक्की सब से अलग सोच का था. शरीर से चुस्तदुरुस्त और दिमाग से चंचल लक्की खुद को किसी राजा से कम नहीं समझता था. इसीलिए वह अपने नाम के आगे किंग लगाता था. लक्की औनलाइन कंपनी अमेजन का डिलीवर बौय था.

हालांकि उस का सपना, सिर्फ सपना ही था. सपने को हकीकत में बदलने के लिए ढेर सारे पैसे चाहिए थे जो उस के पास नहीं थे. बड़ा भाई रीतेश मोटर मैकेनिक था, वह खुद डिलीवरी बौय का काम करता था जबकि छोटा भाई पिशु मछली बेचता था.

अपनी कमाई का सारा पैसा वह खुद पर खर्च करता था. अपनी कमाई के पैसे से महंगे और अच्छे कपड़े खरीदना, महंगा मोबाइल फोन रखना, काम से निपटने के बाद दोस्तों के साथ पार्टी करना लक्की की दिनचर्या में शामिल था.

बात करीब एक साल पहले की है. एक दिन अरमान मलिक के नाम से अमेजान कंपनी से एक पार्सल आया. लक्की दोपहर करीब एक बजे डिलीवरी देने अरमान के घर पहुंचा. उस दिन अरमान घर पर नहीं था. वह किसी काम से बाहर गया हुआ था. उस की छोटी बहन खुशबू डिलीवरी लेने घर से बाहर निकली.

16 साल की खुशबू बला की खूबसूरत थी. खुशबू को देख कर वह अपलक उसे निहारता रह गया. उसे देख कर लक्की पहली ही नजर में उस पर लट्टू हो गया था.

खुशबू पार्सल रिसीव कर के बलखाती हुई घर के भीतर चली गई. लक्की उसे निहारता रह गया. रात ड्यूटी से घर लौटने के बाद जब लक्की खाना खाने बैठा तो उस की आंखों के सामने खुशबू की खूबसूरती थिरकने लगी. खाना खातेखाते उस के खयालों में खो गया. दोनों भाई खाना खा कर कब उठ गए, उसे पता ही नहीं चला.

उस रात जब घर के सभी लोग सोने के लिए अपनेअपने कमरे में चले गए तो लक्की बिना घर वालों को बताए चुपके से रात 12 बजे के करीब अपने जिगरी दोस्त जीतू के घर जा पहुंचा. जीतू किराए का कमरा ले कर अकेला ही रहता था. पूरी रात लक्की उस से खुशबू के बारे में बातें करता रहा.

दिल में बसा ली थी खुशबू

अगले दिन लक्की जब डिलीवरी के लिए सामान ले कर घर से निकला तो वह सीधे ग्राहक के घर न जा कर अरमान के घर के रास्ते हो कर निकला ताकि खुशबू का दीदार हो जाए. लेकिन वह कहीं नहीं दिखी तो लक्की काम पर निकल गया.

रात में घर लौटते समय भी वह उसी के घर के सामने से हो कर निकला ताकि खुशबू को एक नजर देख सके. लेकिन निराशा ही हाथ लगी. मायूस हो कर लक्की घर लौट आया.

अगले दिन काम पर जाते हुए लक्की फिर उसी के घर के सामने से निकला तो दरवाजे पर खुशबू खड़ी मिल गई. उसे देखते ही लक्की के चेहरे पर खुशी उमड़ पड़ी. उसे देख वह मुसकराता हुआ बाइक से आगे बढ़ गया.

लक्की खुशबू से बात करना चाहता था लेकिन उसे इस का जरिया नहीं मिला. इसी दौरान उसे उस फोन नंबर का ध्यान आया जो खुशबू ने पार्सल रिसीव करते समय लिखा था. उसी फोन नंबर पर बात कर के लक्की खुशबू के करीब पहुंच ही गया.

खुशबू के भी दिल में लक्की के लिए चाहत पैदा होने लगी थी. वह भी लक्की से प्यार करने लगी थी. दो जवां दिलों में एकदूजे के लिए प्यार की इबारत लिखी जा रही थी. मौका मिलने पर वे घर से बाहर भी मुलाकातें करने लगे.

मोहब्बत का इजहार और इकरार करने के बाद दोनों चोरीछिपे यहांवहां मिलते और प्यार की बातें करते. लक्की खुशबू को खुश रखने के लिए खूब पैसे खर्च करता और मंहगे तोहफे देता था.

लक्की से प्यार होने के बाद खुशबू के पांव जमीन पर नहीं पड़ रहे थे. पहली बार घर वालों ने खुशबू के बदले हावभाव देखे तो उन्हें उस पर शक हो गया कि मामला कुछ गड़बड़ है.

उस दिन के बाद से उस का बड़ा भाई अरमान बहन पर नजर रखने लगा. वैसे भी अरमान को कहीं से उड़ती हुई खबर मिल चुकी थी कि खुशबू का किसी अंजान लड़के के साथ चक्कर चल रहा है.

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अरमान ने धमकाया लक्की को

उस दिन के बाद से अरमान बहन के प्रेमी को ढूंढने में जुट गया. आखिरकार अरमान ने एक दिन लक्की को बहन से बातें करते देखा तो उसे धमकाया, ‘‘2 टके के डिलीवरी बौय, तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरी बहन पर बुरी नजर डालने की. आज के बाद तूने फिर से उस की तरफ नजर उठा कर देखा तो तेरी आंखें निकाल लूंगा.’’

लक्की को धमकाने के बाद अरमान खुशबू को ले कर घर चला गया और लक्की अपने काम पर निकल गया. घर पहुंच कर अरमान ने खुशबू की करतूतें मांबाप से बताईं.

घर वाले बेटी की करतूत जान क र शर्मसार हो गए और उन्हें उस पर गुस्सा भी खूब आया. उन्होंने बेटी पर हाथ भर नहीं उठाया, पर उसे खूब जलील किया.

अगले भाग में पढ़ें-  लिख डाली खूनी इबारत

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