कभी-कभी छोटी सी बात हत्या का कारण बन जाती है. कभी-कभी नाबालिग हत्यारे बन जाते हैं. छोटे-छोटे हाथ कैसे किसी अपने ही दोस्त की गर्दन पर पहुंच जाते हैं, यह आज के सोशल मीडिया और अपराधिक होते माहौल का ही परिणाम है.आइए ! आज आपको ले चलते हैं छत्तीसगढ़ के जिला दुर्ग के ऐसे हत्याकांड की पृष्ठभूमि की ओर जहां छोटी सी बात पर नाबालिगों के हाथ खून से रंग गये.
दरअसल, इस हत्याकांड के पीछे सिर्फ चिढाना और मृतक का अपने सहपाठी दोस्तों को गालियां देना था . दुर्ग जिले के पुलगांव थाना के अंतर्गत आने वाले पुलगांव बस्ती से थाने में सूचना प्राप्त हुई कि, वहां शासकीय प्राथमिक शाला पुलगांव के तीसरी मंजिल में एक नाबालिग लड़के की लाश पड़ी हुई है. सूचना प्राप्त होने पर दुर्ग पुलिस अधीक्षक ,नगर पुलिस अधीक्षक विवेक शुक्ला एवं पुलगांव थाना प्रभारी उत्तर वर्मा घटनास्थल पर पहुंचे. घटनास्थल पर पहुंच मुआयना किया.
उक्त मुआयना के दौरान यह बात प्रकाश में आई कि 13 वर्षीय वर्षीय किशोर दानेश्वर साहू उर्फ पप्पू का शव प्राथमिक शाला पुलगांव के तीसरे मंजिल पर पड़ा हुआ है. आश्चर्य की बात यह थी कि तीसरी मंजिल पर जाने के लिए कोई भी सीढ़ी वहां पर नहीं है! इससे यह बात स्पष्ट हुई कि, तीसरी मंजिल चढ़ने वाले ऐसे युवकों की खोज की जाए जो वहां अक्सर जाया करते हैं.टीम द्वारा अपनी विवेचना का एवं पूछताछ का केंद्र बिंदु यह बात रखते हुए सभी से पूछताछ की जाने लगी.साथ ही मृतक के सभी दोस्तों से बारी-बारी से पूछताछ किया जाना शुरू किया गया.
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इस बीच मौके पर एफएसएल की टीम एवं डॉग स्क्वाड भी पहुंचा एफएसएल टीम के प्रभारी डॉ मनोज पटेल द्वारा बताया गया कि उपरोक्त हत्या गले में किसी चीज को बांधकर की गई है और इस हत्या में संभवत 2 से 3 लोग शामिल होने का अनुमान लगाया और पूछताछ शुरू हो गई.
चिढ़ाना और गालियां देना
युवक जो उस स्कूल की छत पर अक्सर चढ़ा करते थे, उनसे लगातार पूछताछ की गई. इसी बीच एक अन्य सूचना मुखबिर के द्वारा प्राप्त हुई की मृतक आख़िरी समय में अपने कुछ दोस्तों के साथ देखा गया था अतः. उनसे बुलाकर पूछताछ की गई जिसमें उक्त किशोरों ने जो कि नाबालिक थे, ने पुलिस के समक्ष रोते हुए अपना अपराध स्वीकार कर लिया. दोनों ही अपचारी बालक जिनकी उम्र क्रमशः 17 वर्ष एवं 15 वर्ष है. दोनों ने अपने इकबालिया बयान में बताया कि दानेश्वर साहू उर्फ पप्पू को हम अक्सर चिढ़ाया करते थे, और घटना दिवस को भी उसे चिढ़ा रहे थे जिससे वह आवेश में आकर आरोपी को मां बहन की गाली देने लगा .
जिससे हम लोगों को गुस्सा आ गया. और उन्होंने प्लान किया कि इसे स्कूल की छत पर ले जाते हैं, ऐसा सोचकर उन्होंने उसे स्कूल की छत चलने के लिए तैयार किया. और वहां ले जाने के बाद उससे बहस हुई बहस के दौरान पुनः मृतक ने उन्हें गाली दी.जिससे उनके द्वारा मृतक के गले को हुड वाले जैकेट जिसमें लेस लगा होता है. उसके लेस को निकालकर एक अपचारी बालक द्वारा गले मे कसकर बांध कर खींचा दिया गया. तथा दूसरे अपचारी बालक द्वारा उसके पैर को पकड़ कर रखा गया.
दोनों अपचारी बालक द्वारा अपना जुर्म स्वीकार कर लिया गया है. हत्या में प्रयुक्त लेस को भी आरोपी के शिनाख्त पर घटनास्थल से बरामद कर लिया गया . कुल मिलाकर हत्या का कारण होश संभालते किशोर बालकों का आपसी वाद विवाद सामने आ गया जो यह बताता है कि कभी-कभी छोटी सी बात कैसे गंभीर मसला बन जाती है.
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दानेश्वर सुबह अखबार बांटा करता. वह अपने परिवार में इकलौता पुत्र था. पिता मजदूरी करते हैं. दानेश्वर उसी स्कूल का 10 वीं कक्षा का छात्र था जिस छत पर उसकी हत्या की गई. कोरोना काल में छुट्टी की वजह से अपने पिता की साइकिल पर अखबार वितरण का काम करने लगा था. कोरोना काल में स्कूल की छुट्टियां है. इस कारण स्कूल नशेडिय़ों का अड्डा बन चुका था. नशेड़ी जंगला और छज्जा पकड़कर दूसरे माले पर चढ़ जाते. ऊपर ही नशा, जुआ, शराबखोरी करते हैं. लोगों ने पुलगांव थाने में कई बार शिकायत भी की थी.
पुलिस को उसके साथियों पर शक शुरू से ही था. पुलिस यह कयास लगा रही है कि दानेश्वर भी छत पर चढ़ जाता होगा. साथियों के साथ छत पर गया होगा. जहां उनके बीच किसी बात को लेकर विवाद हुआ. रस्सीनुमा किसी चीज से उसका गला घोंटा गया है. पुलिस ने जब दानेश्वर और उसकी बहन के दोस्तों से पूछताछ की तो अंततः हत्या का खुलासा हो गया.