रेटिंगः चार स्टार

निर्देशकः निखिल आडवाणी, तनिष्ठा चटर्जी, राज एंड डीके,  नित्या मेहरा और अविनाश अरुण

कलाकारः गुलशन देवैया, सैयामी खेर, रिचा चड्डा, सुमीत व्यास और ईश्वक सिंह, लिलेट दुबे, रिंकू राजगुरू, अभिषेक बनर्जी और गीतिका विद्या ओहलियान, रत्ना पाठक शाह और शार्दूल भारद्वाज.

अवधिः एक घंटा 53 मिनट

ओटीटी प्लेटफार्मः अमेजान प्राइम वीडियो

कोरोना महामारी व लाकडाउन के चलते लोगों के जीवन मे काफी अवसाद आ गया है. रिश्तों में खटास आ गयी है, लोग बेरोजगार व आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं, ऐसे वक्त में लोगों के चेहरे पर मुस्कान लाने व जीवन की नई शुरूआत का संदेश देने वाली बेहतरीन कहानियों को लाने का यह अमेजान प्राइम वीडियो का सार्थक व सकारात्मक प्रयास है. पांच नई लघु फिल्मों की एंथेलाजी ‘अनपाॅज्ड’ अप्रत्याशित समीकरणों को बोध कराती है. इसके सभी लेखक व निर्देशक बधाई के पात्र हैं.

‘अनपाज्ड’’ की पांच कहानियों में से पहली कहानी राज – डीके निर्देशित ‘ग्लिच’ है, जिसकी कहानी कोरोना महामारी के मौजूदा समय की है, जब लोगों के मन में एक दूसरे के संपर्क में आने का डर व्याप्त है. ऐसे ही दौर में अहान (गुलशन देवैया) हाइपो है, उसे हरदम यह भ्रम रहता है कि उसे कोई गंभीर बीमारी है. पर 193 वें ब्लाइंड डेट पर उसकी मुलाकात हरदम खुश रहने वाली एक अजीब सी लड़की आएशा हुसेन (सैयामी खेर) से होती है. पर जब उसे पता चलता है कि आएशा कोरोना वारियर है, तो वह डेट बीच में ही छेाड़कर भग खडा होता है, मगर फिर कई घटनाक्रम बदलते हैं.

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‘‘अनपाज्ड’’की दूसरी कहानी निखिल आडवाणी निर्देशित ‘‘अपार्टमेंट’’ है. इसकी कहानी एक सफल आनलाइन मैगजीन की मालकिन देविका (रिचा चड्डा) के इर्द गिद घूमती है. एक दिन उसे अपने पति साहिल खन्ना(सुमित व्यास) की पांच लड़कियों संग गलत यौन संबंधों के बारे में पता चलता है, तो उसे गहरा सदमा लगता है. वह खुद को इस हालात से तालमेल बैठा पाने में असमर्थ पाती है. और आत्महत्या करना चाहती है, पर एक युवक (ईष्वक सिंह) उसे बहाने से बचा लेता. उधर उसका पति उसे दोषी ठहराता है कि उसने उसे रोका क्यो नहीं. देविका उलझनों के अंधेरे भंवर में डूबकर अपने को दोष देने लगती है और अपने जीवन को खत्म करने की कोशिश करती है. तभी उसके जीवन में एक परेशान करने वाले अजनबी की भेष में आशा की किरण जागती है. और फिर वह अपने पति के खिलाफ उन सभी औरतों को खुलकर आरोप लगाने की इजाजत दे देती है.

अनपाज्ड की तीसरी कहानी तनिष्ठा चटर्जी निर्देशित ‘रैट ए रैट’ है. इस कहानी के केंद्र में अर्चना (लिलेट दुबे) और कदम (रिंकू राजगुरू) दो ऐसी महिलाएं हैं, जिनकी उम्र में 40 चालिस साल का अंतराल है. अर्चना उत्तरप्रदेश से है, मगर एक महाराष्ट्रीयन से शादी की थी. अर्चना को संगीत का शौक है, पर पति विनय की मौत के बाद से वह एकाकी जीवन पसंद करती हैं. जबकि कदम एक महाराष्ट्रीयन लड़की है, बौलीवुड में संघर्ष कर रही है. अर्चना की पड़ोसी है कदम. लाकडाउन के दौरान एक दिन कदम के घर में चूहा आ जाता है, जिससे वह डरती है. और अर्चना का दरवाजा खुलवाती है, पहले तो अर्चना उसे अपने घर के अंदर आने की इजाजत नही देती. मगर धीरे धीरे उनमें असाधारण और अप्रत्याशित तरीके से मित्रता पनपती है, जो उनके जीवन में नई आशा का संचार करती है और इससे इन दोनों महिलाओं की जिंदगी की नई शुरुआत होती है.

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अनपाज्ड की चौथी कहानी अविनाश अरुण निर्देशित ‘‘विषाणु’’ है, जिसकी कहानी लाकडाउन के दौरान मुंबई मे फंसे राजस्थानी प्रवासी मजदूर परिवार की है. परिवार का मुखिया विष्णु (अभिषेक बनर्जी) अपनी पत्नी (गीतिका विद्या ओहलियान) और छोटे बच्चे के साथ एक निर्माणाधीन इमारत में काम करता है. मकान का किराया न देने सकने की वजह से उसे मकान मालिक मकान से निकाल देता है. यह परिवार निर्माणाधीन इमारत के सेंपल फ्लैट में अवैध ढंग से रहने लगता है. और एक सपना देखता है, जो कि उनके लिए एक अभिशाप बनकर सामने आता है, जिसमें उन्हें जिंदगी की कड़वी हकीकत का सामना करना पड़ता है.

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‘अनपाज्ड’ की पांचवी कहानी नित्या मेहरा निर्देशित ‘‘चांद मुबारक’’ है, जिसकी कहानी मुंबई में लाकडाउन के दौरान एक समृद्ध मध्यम उम्र की अकेली औरत उमा (रत्ना पाठक शाह) की है, जो रिक्शा चलाने वाले एक नौजवान रफीक (शार्दुल भारद्वाज) की मदद लेने के लिए मजबूर होती है. उमा काफी जिद्दी है और अपनी क्लास को लेकर काफी सतर्क रहती हैं. वह रिक्शा वाले के महिलाओं के प्रति दकियानूसी विचारों पर काफी क्रोधित होती है. जब यह अलग-अलग वर्ग से संबंध रखने वाले विपरीत विचारधारा के लोग तीन दिन एक साथ गुजारते हैं तो वह धीरे-धीरे अपने विचारों को छोड़ना शुरू करते हैं. उनमें एक-दूसरे के प्रति सम्मान का नया भाव जागता है और आपसी समझदारी की भावना पनपती है. दोनों महसूस करते हैं कि वह एक-दूसरे से इतने अलग नहीं है. बल्कि दोनों ही सपनों के इस शहर में बहुत अकेले हैं.

लेखन व निर्देशनः

‘कोरोना महामारी’से जुड़ी पांच लघु फिल्मों को जिस तरह से एक साथ जोड़कर ‘अमेजान’ लेकर आया है, वह वास्तव में एक सुखद अहसास दिलाता है. पांचों फिल्में कोरोना का रूदन नही है. बल्कि इन कहानियों में बीमारी की गंभीरता, मौत, मजबूर मजदूर,  आमदनी का बंद होना, तालांदी, मास्क लगाने से लेकर हर तरह की वास्तविकता के चित्रण के साथ जिंदगी को नए जोश के साथ जीने की बातें हैं. फिल्में रिश्तों की मधुरता और जिंदगी की नई शुरूआत की बात करती हैं. हर फिल्म का अंत सुखद है. इनमें सिर्फ ‘कोविड 19’ की भयावता की बात नही की गयी है, बल्कि रिश्तों को नए आयाम देने, कोरोना के चलते बदलती सकारात्मक सोच व मानवीय प्रवृत्तियों का चित्रण है.

पहली कहानी ग्लिच’में राज एंड डी के बीमारी की चिंता का मजाक उड़ाते हुए सुझाव दिया गया है कि बेवजह की भविष्यवाणियों पर ध्यान नहीं देना चाहिए.

दूसरी कहानी अपार्टमेंट औरतों को उनके अंदर की ताकत का अहसास कराती है.एक बेहारीन कहानी व घटनाक्रमों से नायिका देविका को अप्रिय स्थिति का सामना करने के लिए अपनी अंदरूनी ताकत का पता चलता है और इस तरह वह हालात के भंवर से बाहर निकलती है.

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मराठी फिल्म ‘‘किला’’ से लोकप्रियताप्राप्त फिल्म्कार अविनाश अरुण निर्देशित ‘‘विषाणु’’जरुर निराश करती हैं. लाक डाउन मे आमदनी बंद होने के हालातों को फिल्मकार ने डार्क कामेडी के साथ व्यंग कसने का असफल प्रयास किया है.

मगर अंतिम फिल्म, नित्या मेहरा निर्देशित ‘चांद मुबारक’ हर दर्शक के चेहरे पर मुस्कान लेकर आ जाती है. यह फिल्म जहां एक बुजुर्ग महिला के सिर से कोरोना के डर को भगाती है, वहीं अलग धर्म, अलग वर्ग व अलग विचारधारा वाले पुरूष के साथ भाई बहन का रिश्ता स्थापित कर एक बहुत बड़ा भाईचारे का संदेश दे जाती है. यह फिल्म लेखक व निर्देशक दोनों की बहुत बड़ी कमायी है.

अभिनयः

हर कहानी में लगभग हर कलाकार ने शानदार अभिनय किया है. ‘अपार्टमेंट’ की कहानी में सुमित व्यास को देखकर निराशा होती है. सुमित व्यास को अपने कैरियर को गंभीरता से लेना चाहिए. रिचा चड्डा का अभिनय शानदार है. ‘सैराट’फेम अभिनेत्री रिंकू राजगुरू ने एक बार फिर ‘रैट ए रैट’ कहानी में अपने अभिनय का लोहा मनवा लिया. जबकि उनके सामने लिलेट दुबे जैसी दिग्गज अभिनेत्री हैं. रिंकू राजगुरू ने अपने अभिनय में कामिक टाइमिंग और संवेदनशीलता का जबरदस्त समन्वय बैठाया है. रिंकू राजगुरू की आंखें नृत्य करते हुए नजर आती हैं. कहानी अपार्टमेंट में अभिषेक बनर्जी और गीतिका विद्या ओहलियान की केमिस्ट्री सही नही बैठी है. कहानी ‘चांद मुबारक’ में भावनात्मक रूप से लाकडाउन में फंसी अकेली बीमारी महिला के किरदार केा रत्ना पाठक शाह ने अपने अभिनय से जीवंतता प्रदान की है. तो वहीं इसी कहानी में आटोरिक्शा चालक के किरदार में शार्दुल भार्गव का शानदार अभिनय चार चांद लगा देता है.

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